Last Updated on August 23, 2022 by admin
भस्त्रिका प्राणायाम क्या है ? : Bhastrika Pranayama in Hindi
भस्त्रिका प्राणायाम में सांस लेने व छोड़ने की गति अधिक तेजी से करनी होती है। संस्कृत में भस्त्रिक का अर्थ धमनी होता है। योग में इसका नाम भस्त्रिका इसलिए रखा गया है, क्योंकि इसमें व्यक्ति की सांस लेने व छोड़ने की गति लौहार की धमनी की तरह होती है। इस प्राणायाम से प्राण व मन स्थिर होता है और कुण्डलिनी जागरण में सहायक होता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से योगी अपने विचलित वीर्य को पुन: ओज में परिवर्तित कर दिया करते थे।
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि : Bhastrika Pranayam Steps in Hindi
आइये जाने भस्त्रिका प्राणायाम कैसे करते हैं –
1. पदमासन या ध्यान के किसी सुखप्रद आसन में बैठकर सिर एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए अपने दोनों हाथ घुटनों पर रख कर आंखें बन्द कर लें और कुछ देर शान्त बैठे।
2. प्रथम अवस्था – बाईं नासिका से श्वास-प्रश्वास। दाईं नासिका को दाएं हाथ के अंगूठे से बन्द करें और बाईं नासिका से छाती फुलाते हुए लम्बा श्वास लें तथा वायु को छाती व उदर के बीच स्थित मध्यपट (Diaphragm) तक भरे। अब श्वास छोड़ने के साथ पेट को ज़ोर से अन्दर की ओर धक्का दें। इसमें पूरक और रेचक दोनों जोर से होता है। पूरक करते समयआवाज़ नहीं होती है पर रेचक करते वक़्त यानी श्वास छोड़ते समय आवाज़ होती है। इस आवाज़ से श्वासों की संख्या की गिनती की जाती है। घेरण्ड संहिता के अनुसार उदर के प्रसार एवं आकुंचन के साथ 20 बार तेज़ और लययुक्त पूरक-रेचक करने के बाद रुक जाएं। तत्पशात लम्बी गहरी श्वास भर कर दोनों नासिकाओं को बन्द कर मूलबन्ध व जालन्धर बन्द लगाते हुए सामर्थ्य अनुसार कुम्भक (श्वास रोकना) करें। फिर बन्धों को शिथिल करते हुए बाईं नासिका से श्वास बाहर छोड़ दें।
3. द्वितीय अवस्था – दाई नासिका से श्वास-प्रश्वास। अब दाएं हाथ की उंगलियों से बाईं नासिका को बन्द कर दाई नासिका से गहरी व तेज़ श्वास प्रश्वास करें। इसमें भी प्रथम अवस्था की तरह उदर का प्रसारण और आंकुचन लौहार की धौंकनी की तरह होना चाहिए ताकि वायु फेफड़ों में पूरी तरह भर सके व बाहर निकले। 20 बार पूरक-रेचक करने के बाद एक लम्बी गहरी श्वास अन्दर भर कर जालन्दर व मूलबन्ध लगाते हुए यथाशक्ति कुम्भक करें। फिर बन्दों को खोलते हुए दाईं नासिका से श्वास बाहर छोड़े।
4. तृतीय अवस्था – दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर दोनों नासिका से दस बार गहरी व तेज श्वास-प्रश्वास करें। फिर लम्बी गहरी श्वास अन्दर भरकर जालन्धर बन्द व मूलबन्ध लगाते हुए यथाशक्ति कुम्भक करें। फिर बन्धों को खोलते हुए धीरे धीरे श्वास बाहर छोड़ दें। इन तीनों अवस्थाओं को मिलाकर भस्त्रिका प्राणायाम की एक आवृत्ति होती है। एक आवृत्ति के बाद थोड़ी देर धीरे धीरे सामान्य गति से श्वास लेते रहें फिर दूसरी आवृत्ति करें। दूसरी आवृत्ति पश्चात थोड़ी देर फिर सामान्य श्वास लें, तद्उपरान्त तीसरी आवृति करें।
भस्त्रिका प्राणायाम में सावधानियां : Bhastrika Pranayama Precautions in Hindi
प्रारम्भ के कुछ हफ्तों तक भस्त्रिका का अभ्यास धीरे-धीरे करना चाहिए। फेफड़ों के शक्तिशाली बन जाने पर गति धीरे धीरे बढ़ानी चाहिए। इस प्राणायाम को बलपूर्वक नहीं करना चाहिए। यदि अभ्यास के दौरान चक्कर आना, अधिक पसीना आना, शरीर में कम्पन आना, वमन होना आदि में से कोई लक्षण उत्पन्न हो जाए तो प्राणायाम को तत्काल रोक देना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : Bhastrika Karne ke Fayde in Hindi
1. दमा, खांसी में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : यह प्राणायाम फेफड़ों के वायु कोषों को खोलता है जिससे शरीर में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। यह फेफड़ों को शुद्ध कर दमा, खांसी, क्षयरोग आदि को दूर करता है।
2. श्वास लेने की गलत आदत सुधार में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : इसके अभ्यास से गलत ढंग से श्वास लेने की आदत में सुधार होता है। अधिकांश लोग श्वास लेने में पेट का उपयोग नहीं करते हैं या उसका उपयोग करना नहीं जानते हैं। भस्त्रिका प्राणायाम से इसमें सुधार आता है।
3. पाचन शक्ति सुधार में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : इसके अभ्यास से पाचन शक्ति अच्छी होती है क्योंकि पाचन अंगों की मालिश होने वे अपना कार्य सुचारु रूप से करने लगते हैं।
4. रक्त के शुद्धिकरण में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : यह चयापचय की गति में सुधार लाता है। इसके अभ्यास से रक्त के शुद्धिकरण व शरीर के घावों तथा फोड़ों को भरने में मदद मिलती है।
5. प्राण प्रवाह में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : यह प्राण प्रवाह को गतिशील बनाता है।
6. ध्यान व एकाग्रता में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : इससे मन शान्त और एकाग्र होता है जिससे प्रत्याहार, धारणा व ध्यान में मदद मिलती है।
7. फेफड़ों की मजबूती में भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ : सामान्यतया लोगों के फेफड़ों का 1/1० भाग ही श्वसन में उपयोग में आता है। लोग 500cc श्वास ही लेते हैं और उतनी ही बाहर निकालते हैं। जबकि फेफड़ों की क्षमता 5000cc होती है। भस्त्रिका का अभ्यास करने वाला व्यक्ति 2500cc आक्सीजन युक्त श्वास अन्दर लेता है। व उतनी ही मात्रा में कार्बन डायआक्साइड युक्त दूषित श्वास बाहर निकालता है। कहने का तात्पर्य यह है कि भस्त्रिका का अभ्यास हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम के नुकसान : Side Effects of Bhastrika Pranayama in Hindi
उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, हर्निया, पेट में छाले व मिर्गी आदि रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए।