Last Updated on August 11, 2019 by admin
भोजन परीक्षा :
‘सुश्रुत-संहिता’ के कल्पस्थान में लिखा है, “राजा से पराजित हुए शत्रु, अपमानित नौकर-चाकर और ईर्ष्यायुक्त राज-कुटुम्ब के लोग ही राजा को विष दे देते हैं। बहुत-सी मूर्ख स्त्रियाँ, अपने सौभाग्य की इच्छा से या अपने पतियों को वश में करने की इच्छा से, चाहे जो विषैली चीजें उन्हें खिला देती हैं।” अनेक चरित्रहीन औरतें, अपनी आज़ादी के लिये, अपने पति, ससुर आदि को विष खिला देती हैं। इस लिये भोजन की परीक्षा करके भोजन करना चाहिये।
भोजन के पदार्थों, नहाने और पीने के पानी, हुक्का-चिलम, माला, वस्त्र, लेपन करने के चन्दनादि, लगाने के तेल और सूंघने के इत्र आदि अनेक चीजों में, जहर देने वाले, “जहर” दे देते हैं। इस लिये खाने-पीने की चीजों में “विष” पहचानने की सहज तरकीबें नीचे लिखते हैं
भोजन में जहर को पहचानने की तरकीबें / उपाय :
१. जो कुछ भोजन तैयार हुआ हो, उसमें से पहले कुछ मक्खियों और कौओं को खिलाओ। यदि “जहर” मिला हुआ होगा, तो वे जीव तत्काल मर जायँगे।
२. जलता हुआ साफ़ अंगारा ज़मीन पर रखो। जो कुछ पदार्थ बने हों, उनमें से ज़रा-ज़रा-सा उस अङ्गारे पर डालो। अगर भोजन की चीजों में विष होगा, तो आग चट-चट करने लगेगी या उस अङ्गारे में से मोर की गर्दन की तरह नीली-नीली ज्योति निकलेगी। यह ज्योति दुःस्सह और छिन्न-भिन्न होगी। इसमें से धूआँ बड़े जोर से उठेगा और जल्दी शान्त न होगा।
३. चकोर, कोकिला, क्रौंच, मोर, हंस और बन्दर आदि को रसोई के स्थान के पास रखो। अगर उपरोक्त सब जानवरों को न रख सको, तो इनमें से एक-दो ही को रखो, क्योंकि इनसे विष-परीक्षा बड़ी आसानी से होती है।
ज़हर मिले हुए पदार्थ खाते ही चकोर की आँखें बदल जाती हैं, कोकिला की आवाज़ बिगड़ जाती है, मोर घबराया-सा हो कर मचलने लगता है, तोता, मैना पुकारने लगते हैं, हंस अति शब्द करने लगता है, साम्हर आँसू गिराने लगता है और बन्दर बार-बार विष्ठा त्याग करने लगता है।
४. विष मिले हुए भोजन की भाफ से ही हृदय, सिर और आँखों में दुःख मालूम होने लगता है।
५. अगर दूध, शराब और जल आदि पतले पदार्थों में विष मिला होगा, तो उनमें अनेक भाँति की लकीरें-सी हो जायँगी या झाग और बुलबुले पैदा हो जायँगे ।
६. अगर शाक, दाल, भात या मांस आदि में “विष” मिला होगा, तो वह तत्काल ही बासी हुए या बुसे हुए-से मालूम होने लगेंगे। सब पदार्थों की सुगन्ध और रस-रूप मारे जायेंगे। पके फल जहर मिलाने से फूट जाते हैं या नर्म पड़ जाते हैं और कच्चे फल पके-से हो जाते हैं।
७. ज़हर मिला हुआ अन्न, मुंह में जाते ही जीभ कड़ी हो जाती है, अन्न का स्वाद ठीक नहीं मालूम होता, जीभ में जलन या पीड़ा होने लगती है।
८. अगर तमाखू में “विष” मिला होगा* तो चिलम या हुक्का पीते ही मुँह और नाक से खून आने लगेगा, सिर में पीड़ा होगी, कफ़ गिरने लगेगा और इन्द्रिय में विकार हो जायगा।
जहाँ तक हो सके, भोजन की परीक्षा अवश्य कर लिया करो। हमारे यहाँ भोजन तैयार होने पर, नैवेध(भोग) वगैरः देने या भोजन की सामग्री में से कुछ-कुछ आग पर डालने की प्राचीन रीति बहुत अच्छी है। अब भी हज़ारों आदमी वैसन्धर जिमाये बिना भोजन नहीं करते; किन्तु ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो ऋषियों के इस गूढ आशय को समझते हों।
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