Last Updated on September 2, 2020 by admin
कैल्शियम से शरीर बने स्ट्रांग
शरीर के लिए जितने भी आवश्यक पोषक तत्व हैं, उनमें कैल्शियम का स्थान सर्वोपरि है। इसकी कमी से न केवल शरीर का संतुलित विकास अवरूद्ध होता है अपितु इससे संबंधी अनेक समस्याएं उठ खड़ी होती हैं। शरीर के लिए कैल्शियम कितना जरूरी है, जानते हैं आप ? शरीर में इसके एक नहीं अनेक कार्य है। आइए देखते हैं इसे विस्तार से।
कैल्शियम के फायदे (Calcium Health Benefits in Hindi)
calcium ke fayde –
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे शरीर में कैल्शियम की जितनी मात्रा होती है, उसका 99 प्रतिशत हड्डियों और दांतों में होता है, शेष अन्य अंगों और ऊतकों में पाया जाता है।
- कैल्शियम का सर्वाधिक महत्व दांतों और हड्डियों की सामान्य वृद्धि एवं उन्हें मजबूती प्रदान करने में हैं। मजबूत हड्डियां ही शरीर के ढांचे को सहारा प्रदान करती हैं,
- इसी प्रकार दांतों को सुदृढ़ता भी कैल्शियम से ही मिलती है।
- इसके अलावा शरीर के संतुलित विकास के लिए भी यह आवश्यक है।
- हृदय का सुचारू रूप से कार्य करने, रक्त नलिकाओं की दीवारों को मजबूती प्रदान करने तथा मांसपेशियों को सक्रिय बनाए रखने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
कैल्शियम की कमी से होने वाली परेशानियां और रोग (Calcium Deficiency Diseases in Hindi)
calcium ki kami se sarir me kya hota hai –
- कैल्शियम की कमी से कई तरह के विकार शरीर में होने लगते हैं तथा सामान्य विकास अवरूद्ध हो जाता है।
- बच्चों में सूखा रोग की प्रमुख वजह यही होती है।
- इसकी वृद्धि से वजन में निरंतर गिरावट आने लगती है।
- जिन शिशुओं की माताओं ने गर्भावस्था में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम नहीं खाया होता है, उनके शिशुओं के दांत देर से निकलते हैं तथा जिन शिशुओं की शैशवावस्था में आवश्यक मात्रा में कैल्शियम की पूर्ति नहीं हो पाती, वे देर से चलना सीखते हैं।
- वयस्कों में हड्डियों के टेढ़ेपन की प्रमुख वजह भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलना है, इसी से ओस्टोमेलेशिया (Osteomalacia) नामक रोग होता है।
- इसके साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में ऐंठन होना या कम्पन होना भी, इसकी कमी से होता है।
- जोड़ों के दर्द की तो यह एक खास वजह है।
- जिन लोगों में कैल्शियम की कमी होती है, उन्हें यदि चोट लग जाए, तो काफी देर तक खून बहना बंद नहीं होता।
ऐसे लोगों को ऑपरेशन के दौरान काफी परेशानी हो सकती है। - समय से पूर्व ही दांतों के गिरने का कारण भी शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकता है।
- कैल्शियम की कमी की वजह से रीढ़ की हड्डी भी झुक सकती है, परिणामस्वरूप कुबड़ निकल आती है।
- इसके अलावा कमर एवं जांघों में भी दर्द बना रह सकता है।
- कैल्शियम की कमी से दिल की धड़कन तेज बनी रहना तो आम बात है।
- हमारी हड्डियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है तभी वे ताउम्र साथ निभा सकती हैं। इसके लिए जरूरी है नियमित रूप से कैल्शियम का सेवन । यदि वह न मिले तो हड्डियां धीरे-धीरे खोखली होने लगती है और उनका क्षरण होने लगता है। इसका कारण यह है कि जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न मिलता हो तो वह अपनी हड्डियों से उसकी मात्रा लेकर उसे खोखला बना देता है ।
कैल्शियम की कमी से हड्डियों का रोग ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis in Hindi)
कैल्शियम की कमी का प्रभाव 50 वर्ष की आयु के पश्चात महिलाओं और पुरूषों में दिखाई देने लगता है। हर तीन में से एक महिला आस्टियोपोरोसिस की शिकार होती है जबकि हर पांच में से एक पुरूष को इस वजह से फ्रैक्चर होने की आशंका रहती है।
ओस्टियोपोरोसिस की समस्या से पुरूषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित रहती हैं। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं, शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाओं व रजोनिवृत्त महिलाओं में यह समस्या आम है।
गर्भावस्था, स्तनपान तथा रजोनिवृत्ति के समय यह बीमारी तीव्र हो जाती है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में सेक्स हार्मोन घट जाते हैं, जिसके कारण कैल्शियम की मात्रा भी कम हो जाती हैं।
ओस्टियोपोरोसिस से शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों का घनत्व बनाने वाली अस्थिमज्जा बहुत कम हो जाती है। साथ ही हड्डियों की बनावट भी खराब हो जाती हैं जिससे हड्डियां अत्यन्त भुरभुरी और अतिसंवेदनशील हो जाती है। इस कारण हड्डियों पर हलका दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वे टूट जाती हैं।
ओस्टियोपोरोसिस को एक खामोश बीमारी भी कहा जाता है क्योंकि इसके गंभीर रूप लेने और हड्डियों के अचानक फ्रैक्चर होने से पहले इसका तनिक भी आभास नहीं होता। वैसे तो कैल्शियम की कमी का असर शरीर की सभी हड्डियों पर होता है, तो भी कूल्हे, रीढ़ और कलाई की हड्डियों में आमतौर पर फ्रैक्चर होते देखा गया है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान कैल्शियम की कमी के कारण कूल्हों और कलाइयों फ्रैक्चर के मामले लड़कियों में 56 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
बोनकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के अनुसार हमारी वर्तमान पीढ़ी कम घनत्व वाली कमजोर हड्डियों के साथ बड़ी हो रही है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि वर्तमान पीढ़ी कम कैल्शियम युक्त आहार और विटामिन डी की अपर्याप्त मात्रा ले रही है, जो उनमें हड्डियों के घनत्व को कम और हड्डियों को कमजोर कर रही है।
एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि 20 वर्ष से कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियों में हड्डियों के विभिन्न रोगों से ग्रस्त होने की आशंका अधिक रहती है। शोध के दौरान कम उम्र में मां बनी एक तिहाई युवतियों में ओस्टियोपोरोसिस या ओस्टियोपेनिया के लक्षण दिखाई दिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध से प्राप्त तथ्य कम उम्र में मां बननेवाली लड़कियों को समुचित मात्रा में कैल्शियम लेने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं । वैज्ञानिकों का कहना है कि कम उम्र में लड़कियों की हड्डियों का विकास हो रहा होता है यदि ऐसे में वे गर्भवती हों तो उन्हें और अधिक कैल्शियम की जरूरत पड़ेगी।
कैल्शियम की दैनिक खुराक (Calcium Requirement Per Day in Hindi)
किसको कितनी जरूरत | प्रतिदिन |
0 से 1 | 700 मिग्रा |
2 से 5 | 800 मिग्रा |
6 से 10 | 1000 मिग्रा |
19 से 50 | 1000 मिग्रा |
गर्भवती महिलाएं | 1300 मिग्रा |
वैसे तो हर उम्र के व्यक्ति को कैल्शियम लेना जरूरी है लेकिन किशोरों को इसकी आवश्यकता सर्वाधिक रहती हैं। किशोरावस्था में लिया गया कैल्शियम ताउम्र शरीर में बना रहता है। यही कारण है कि जो लड़कियां किशोरावस्था में भरपूर मात्रा में कैल्शियम लेती हैं, रजोनिवृत्ति के पश्चात उन्हें आस्टियोपोरोसिस की शिकायत कम रहती है । इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के पोषण के लिए अतिरिक्त मात्रा में कैल्शियम चाहिए होता है। यदि भोजन के माध्यम से समुचित मात्रा में कैल्शियम न मिले तो उन्हें सप्लीमैंट्स या दवा पर निर्भर रहना पड़ता है ।
कैल्शियम के स्रोत (Calcium Rich Foods in Hindi)
calcium ke srot kya kya hai –
- कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत दूध है। रोजाना एक गिलास दूध से इसकी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति हो सकती हैं।
- दूध के अलावा उससे बने पदार्थ जैसे दही, पनीर आदि में भी भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है।
- कुछ सूखे मेवे भी कैल्शियम से भरपूर होते हैं, जिसमें बादाम, अखरोट मुख्य हैं।
- ताजा फलों में संतरा, मोसंबी आदि भी कैल्शियम से भरपूर होते हैं।
- जहां तक सब्जियों का प्रश्न है, मेथी, पत्तागोभी, बंदगोभी, नीबू, आंवला, पालक, फलियां, सेम आदि कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
- इसके अलावा खाने के चूने तथा कठोर जल में भी कैल्शियम होता है।
- जब भोजन के जरिए कैल्शियम की पूर्ति न हो तो डॉक्टर कैल्शियम की गोलियां, सीरप तथा इंजेक्शन से इसे शरीर में पहुंचाते हैं।
कैल्शियम का अवशोषण (Calcium Absorption in Body in Hindi)
कैल्शियम खाना एक बात है और उसका शरीर में अवशोषण होना दूसरी बात है। जब वह अवशोषित होगा तभी वह कारगर होगा। कैल्शियम के अवशोषित और उसे उसे बनाए रखने में मैग्नेशियम की आवश्यकता होती है। इसलिए अपने आहार में वे चीजें शामिल करना चाहिए जिसमें मैग्नेशियम होता हो।
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए मुख्य घटक हैं। इससे रक्त में कैल्शियम की मात्रा नियंत्रित भी रहती हैं। रोजाना आधे घंटे की धूप विटामिन डी की पूर्ति कर सकती है। इसके अलावा विटामिन के भी कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है। मैग्नेशियम, विटामिन डी और विटामिन के ये तीनों मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
कछ चीजें ऐसी हैं जो शरीर में ठीक से कैल्शियम को अवशोषित होने नहीं देती या रक्त में उसके स्तर को घटाती हैं जैसे शराब, धूम्रपान या तंबाकू का सेवन । इसके अलावा नमक और कैफीन की अधिकता भी कैल्शियम के स्तर को कम करती है। यही प्रभाव सॉफ्ट ड्रिंक का होता है। इसलिए इन सब चीजों से परहेज करने में ही भलाई है।
कैल्शियम की अधिकता से नुकसान (Calcium Side Effects in Hindi)
calcium ki adhikta se hone wale rog aur nuksan –
अधिकता भी घातक – शरीर में कैल्शियम निर्धारित स्तर तक ही चाहिये। इसकी अधिकता या ओवरडोज से अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- कैल्शियम की अधिकता किडनी में पथरी का कारण बन सकती है।
- आधुनिक शोध बताते हैं कि कैल्शियम की गोलियों पर निर्भर रहने वालों को दिल के दौरे की आशंका दोगुनी रहती हैं।
- इसके अधिक सेवन से धमनियां सख्त होने लगती हैं।
- इसलिए अपने मन से कैल्शियम की गोली न खाएं। डॉक्टर को बताएं और उसकी सलाह पर भी इसकी गोलियों का सेवन करें।