Chaitanyoday Ras in Hindi | चैतन्योदय रस के फायदे ,उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on March 18, 2020 by admin

चैतन्योदय रस क्या है ? : What is Chaitanyoday Ras in Hindi

चैतन्योदय रस टैबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक औषधि है । चैतन्योदय रस मनो रोगों की चिकित्सा में अमोघ अस्त्र है। इस औषधि का उपयोग मनोशारीरिक व्याधि , प्रमेह ,पीलिया ,रक्तपित्त , क्षय रोग व हृदय संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।

चैतन्योदय रस के घटक द्रव्य : Chaitanyoday Ras Ingredients in Hindi

  • शुद्ध पारद – 10 ग्राम,
  • शुद्ध गंधक – 10 ग्राम,
  • शुद्ध शिलाजीत – 10 ग्राम,
  • लोह भस्म – 10 ग्राम,
  • स्वर्ण भस्म – 10 ग्राम,
  • मुक्ता भस्म – 10 ग्राम,
  • अभ्रक भस्म (1000 पुटी) – 10 ग्राम,
  • कर्पूर – 10 ग्राम,
  • वंशलोचन – 10 ग्राम,
  • त्रिफला – 100 ग्राम भावना के लिए।

प्रमुख घटकों के विशेष गुण :

  1. कज्जली : जन्तुघ्न, योगवाही, रसायन।
  2. शिलाजीत : रक्तबर्धक, सर्वरोगहर, रसायन।
  3. लोहभस्म : रक्तबर्धक, रसायन।
  4. स्वर्ण भस्म : कान्तिबर्धक, ओजबर्धक, सर्वरोगहर, रसायन।
  5. मुक्ता भस्म : शान्ति दायक, हृदय, मनप्रसादक, दाहनाशक।
  6. कर्पूर : सुगन्धित, मनाप्रसादक, हृदय ।
  7. वंशलोचन : बल्य, बृष्य, वातकफ नाशक।
  8. अभ्रक भस्म : बल्य, वातनाड़ीवलबर्धक, मज्जा धातु बर्धक, रसायन।
  9. त्रिफला : रसायन रेचक, दीपन, पाचन, कासघ्न ।

चैतन्योदय रस बनाने की विधि :

औषधि निर्माण के आठ घण्टे पूर्व शिलाजीत को त्रिफला क्वाथ में भिगों दे । छ: घण्टे बाद हाथ से मसल कर स्वच्छ कपड़े से छानकर स्थिर रख दें। पारद गन्भक की निश्चन्द्र होने तक कज्जली करवायें। फिर उसमें स्वर्ण, लोह, मुक्ता, और अभ्रक की भस्में मिलाकर खरल करवायें अब शिलाजीत वाला क्वाथ निकाल कर मिला दें। नीचे बैठे शेष द्रव्य को फैंक दें। तथा सतत् खरल करें लेपवत् होने पर कर्पूर भी मिला दें और गोली बनने योग्य होने पर 100 मि. ग्रा. की गोलियाँ बना कर छाया में सुखा कर सुरक्षित रखें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

चैतन्योदय रस की खुराक : Dosage of Chaitanyoday Ras

एक गोली प्रात: आवश्यक होने पर दोपहर को भी।

अनुपान :

त्रिफला, हिम, शतावरी स्वरस, कूषमाण्ड (कुम्हड़ा या कददू) स्वरस, आमला स्वरस।

चैतन्योदय रस के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Chaitanyoday Ras in Hindi

तत्त्वोन्माद में फायदेमंद चैतन्योदय रस का प्रयोग

अतत्वाभिनिवेश एक मनोशारीरिक व्याधि है, जिसमें रोगी किमी अवास्तविक वस्तु के लिए दुराग्रह ग्रसित होता है। इंगजायटी, कम्पलशन, आवसैशन, फोविया इत्यादि आधुनिकोक्त मनोविकार इसके उदाहरण है। इस प्रकार के रोगियों को आधुनिक चिकित्सक एण्टी डिप्रसेण्ट एवं सेडेटिवज् औषधियाँ सेवन करवाते हैं, परन्तु थोड़े ही समय में रोगी इन औषधियों पर निर्भर हो जाते हैं, स्थिति ऐसी हो जाती है कि ‘गये थे ईद बख्शवाने उलटे रोजे पल्ले पड़ गए’ चले थे बिमारी की दवाई ढूंढ़ने मिल गई दवाई की बिमारी । ऐसे रोगियों के लिए चैतन्योदय रस एक वरदान है, एक गोली प्रातः सायं कुष्माण्ड स्वरस, शतावरी स्वरस, आँवला स्वरस, अथवा आमले के मुरब्बे से सेवन करवाने पर एक सप्ताह में लाभ मिलने लगता है।

रोगी की आधुनिक औषधियाँ एकदम नहीं छुड़ाएँ ऐसा करने से रोग की वृद्धि भी एकदम हो जाती है। लाक्षणिक चिकित्सा होने के कारण इनके त्याग से लक्षण एनः प्रकट हो जाते हैं, अत: धीरे धीरे एक एक करके उनका त्याग करवाना चाहिए। पूर्ण मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक वर्ष तक औषधि का प्रयोग करवाना होता है। सहायक औषधियों में क्षीरोदधिरस, वृहद्वात चिन्तामणि रस, योगेन्द्र रस, ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त, रजत भस्म, अकीक भस्म इत्यादि में से किसी एक या दो औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिए।

प्रमेह में लाभकारी है चैतन्योदय रस का सेवन

आयुर्वेद में बीस प्रकार के प्रमेहों का वर्णन है जिन में 10 प्रमेह कफ विकृति से छ: प्रमेह पित्त विकृति से और 4 प्रमेह वात विकृति से होते हैं। वास्तव में सभी 20 प्रकार के प्रमेह कफ विकृति का ही परिणाम होते हैं, वात और पित्त का तो केवल अनुबंध होता है। और प्रमेह चाहे वातज हों पित्तज या फिर कफज हो अंतत: यदि उचित उपचार न मिले तो मधु मेह में परिवर्तत हो जाते हैं।

चैतन्योदय रस मधुमेह सहित सभी प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है इसके सेवन से जाठराग्नि एवं धात्वाग्नि वर्धन होकर रोग से मुक्ति मिलती है। रोगी के बल एवं उत्साह में वृद्धि होती है, मूत्र की मात्रा सन्तुलित हो जाती है, और मूत्र में उत्सर्ग होने वाले मलों की मात्रा कम होने लगती है। अनुपान में लक्षणों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है साधारणता निशामलकी क्वाथ, एक उत्तम अनुपान है। कफज प्रमेहों में इसमें मधु का प्रक्षेप दे देना चाहिए।

सहायक औषधियों में शिलाजित्वादि वटी, चन्द्रप्रभावटी, वसंत कुसुमाकर रस, इन्द्रवटी, बिडङ्गादिलोह, वरुणादिलोह में से किसी एक या दो औषधियों को भी सेवन करवाएँ।

पाण्डु रोग में चैतन्योदय रस के प्रयोग से लाभ

चैतन्योदय रस सभी प्रकार के पाण्डु रोगों में अभूत पूर्व लाभदायक औषधि है। यह रक्त वर्धन, रक्त प्रसादन, रक्त शोधन, और विषघ्न, गुणों के कारण रक्त कणों की वृद्धि करता है। महिलाओं के गर्भावस्था में होने वाले पाण्डु की तो यह अत्युत्कृष्ट औषधि है। इसके प्रयोग से केवल गर्भवती ही नहीं गर्भ भी उपकृत होता है, बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ वर्धन के लिए यह एक सर्वोत्तम औषधि है। घातक पाण्डु एवं ल्यूकीमिया में भी इस औषधि के प्रयोग से लाभ मिलता है। अनुपान में फलत्रिकादि क्वाथ एक उत्तम अनुपान है, मधु-शिग्रुमूल अन्तरत्वक क्वाथ भी लाभदायक होता है।

कामला में चैतन्योदय रस से फायदा

कामला में आयुर्वेदिक चिकित्सा अत्यन्त सफल चिकित्सा है परन्तु कुछ रोगी तो आधुनिक चिकित्सा की शरण में भी जाते हैं किसी विशिष्ट चिकित्सा के अभाव में केवल ग्लूकोस, विटामिन बी कम्पलेक्स, एवं एण्टीवायटिकस पर रहने के कारण रोगी अत्यन्तक्षीण हो जाते हैं। इन रोगियों में अधिकांश हेपेटायटिस-बी के आतंक के कारण तथा कथित सायन्टीफिक चिकित्सा के लिए आधुनिक चिकित्सों के पास जाते हैं और अत्यन्तक्षीण हो जाने पर आयुर्वेदि चिकित्साकों के पास आते हैं ऐसे बल मांस क्षीण रोगियों को चैतन्योदय रस, आमला स्वरस, कूष्माण्ड स्वरस, मूली स्वरस के साथ देने से अभूतपूर्व लाभ होता है। एक गोली प्रातः सायं भोजन से पूर्व पर्याप्त होती है।

सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, मण्डूर वज्र वटक, कामदुधारस, लोकनाथ रस, अविपत्तिकर चूर्ण चोपचिन्यादि चूर्ण में से किसी का प्रयोग करवाना चाहिए।

रक्त पित्त मिटाए चैतन्योदय रस का उपयोग

उर्ध्वगत रक्त पित्त में इस महौषधि का प्रयोग वैद्य को यश प्रदान करता है। अत: इसकी एक गोली प्रात: सायं कूष्माण्ड स्वरस अथवा आमला स्वरस से देने से रक्त का स्तंभन होता है, रोगी में बल की वृद्धि होती है। मानसिक तनाव कम होता है।

सहायक औषधियों में रक्त पित्त कुलकण्डण रस, कामदुधा रस, सारिवाधरिष्ट एवं चन्दनासव का प्रयोग करें।

हृदय रोग में चैतन्योदय रस के इस्तेमाल से फायदा

अवरोध जन्य हृदय रोगों के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के हृदय रोगों तथा विशेषतः मानस रोग या तनाव जन्य हृदय रोगों में चैतन्योदय रस की एक गोली प्रातः सायं आँवला स्वरस, खमीरा गावजवान अम्वरी, खमीरा मरवारीद से देने से रोगी को तुरंत शान्ति मिलती है। हृदय गति मन्द हो या अधिक, सामान्य हो जाती है। मन प्रसन्न हो जाता है। श्वास भी सामान्य हो जाता है। पूर्ण लाभ के लिए चालीस दिन तक औषधि सेवन आवश्यक है।

सहायक औषधियों में चिन्तामणिरस, वृहद्वात चिंतामणी रस, प्रभाकरवटी, शंकरवटी, सूक्ष्मैलादि चूर्ण, कुकुभादिचूर्ण का सेवन करवायें अर्जुन क्षीरपाक एवं अर्जुनारिष्ट का प्रयोग भी लाभदायक है।

राजयक्ष्मा रोग में लाभकारी है चैतन्योदय रस का प्रयोग

राजयक्ष्मा को क्षय कहा जाता है इस रोग का कारण भी धातु क्षय ही होता है। चाहे वह अनुलोम क्षय हो या प्रतिलोम, धातुक्षय जन्य यह रोग स्वयं भी धातुओं का क्षय करता है। अतः इस रोग में धातुक्षय का एक दुश्चक्र बन जाता है। धातुक्षय से रोगवृद्धि और रोग वृद्धि से धातुक्षय, वैद्य के लिए इस दुश्चक्र को भेदना चक्रव्यूह के समान होता है। रोग नाशक औषधि धातु संवर्धन नहीं करती और धातु बर्धक औषधियाँ रोग का नाश नहीं कर पातीं, ऐसी अवस्था में चैतन्योदय रस एक महत्त्वपूर्ण औषधि है।

पारद, गंधक, स्वर्ण भस्म, अभ्रक भस्म रोग निवारक शक्ति से पूर्ण हैं तो लोह भस्म, मुक्ता भस्म, शिलाजीत धातुवर्धन में सक्षम हैं । तवाशीर, कर्पूर कफनाशक, श्वास, कासनाशक और मन प्रसादक होने के कारण यह योग यक्ष्मा रोगियों के लिए एक अव्यर्थ औषधि है। इसके सेवन से रोग निवारण एवं धातु वर्धन दोनों कार्य होते हैं। इस कल्प का रसायन प्रभाव रोग प्रतिरोध क्षमता की वृद्धि करके अन्य रोग जो रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाने के कारण उत्पन्न होते हैं से बचाव भी करता है। एक गोली प्रात: सायं वासा (अडूसा) स्वरस, गडूची स्वरस, आँवला स्वरस, च्यवन प्राश, धारोष्ण दूध के साथ देने से एक सप्ताह में लाभ परिलक्षित होने लगता है। पूर्ण आरोग्य के लिए छ: मास से एक वर्ष पर्यन्त औषधि सेवन अभिष्ट होता है।

मनोरोग में चैतन्योदय रस फायदेमंद

(क) उन्माद :

उन्माद के सभी प्रकारों में चैतन्योदय रस के सेवन से लाभ होना है। यह रस त्रिदोष शामक, मनः प्रसादक, रक्त बर्धक, अग्निबर्धक, धात्वाग्निबर्धक, ओजबर्धक, शान्तिबर्धक, बल्य और रसायन होने से सभी प्रकार के उन्मादों में सफलता पूर्वक प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से एक सप्ताह के भीतर ही रोग की उग्रता शान्त होने लगती है, इन्द्रियां निर्मल हो जाती है जिससे उसे कर्त्तव्य बोध होने लगता है। निद्रा ठीक से आने लगती है, नहाना, धोना, कपड़े पहनना, भोजन करना, सोना, मल मूत्र का त्याग, सुचारू रूप से होने लगता है पूर्ण आरोग्य के लिए छ: मास से एक वर्ष पर्यन्त औषधि सेवन करवाना चाहिये। सहायक औषधियों में उन्माद गज केसरी रस, चतुर्भुज रस, चतुर्मुख रस, योगेन्द्र रस, वात कुलान्तक रस, योग राज गुग्गुलु, सारस्वत चूर्ण में से किसी एक या दो का प्रयोग करें।

(ख) मिर्गी (अपस्मार) :

अपस्मार में एका एक रोगी की चेतना लुप्त हो जाती है फलस्वरूप वह काष्ठवत् गिर पड़ता है, हाथ-हाँव पटखता है, आँखें ऊपर को चढ़ जाती है, दाँती लग जाती है। मुँह से फेन निकलता है रोगी को आक्षेप आने लगते हैं। यह रोगी की वेग में स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में चैतन्योदय रस का प्रयोग नहीं होता। विराम काल में चैतन्योदय रस एक गोली प्रातः सायं कूण्माण्ड स्वरस अथवा वच के क्वाथ से देने से वेगों के आने की अवधि बढ़ जाती है। रोग से मुक्ति के लिए छ: मास तक प्रयोग करना पड़ता है।

सहायक औषधियों में योग राज गुग्गल, त्रैलोक्य चिन्तामणि रस, ब्राह्मी वटी, ब्राह्मी वटी स्वर्ण युक्त, वात कुलांतक रस, स्मृति सागर रस, इत्यादि का प्रयोग करवाना अभिष्ट होता है।

( और पढ़े – मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज )

(ग) नपुंसकता :

नपुंसकता के दो प्रमुख कारण होते हैं –

  1. शारीरिक – जिस में शुक्रक्षय कारण होता है, शुक्र के अभाव में हर्ष ही नहीं हो सकता और हर्ष के अभाव में मैथुन असंभव है।
  2. मानसिक – इस प्रकार के रोगी में शारीरिक रूप से कोई कमी नहीं होती शुक्र भी प्रभूत मात्रा में होता है, और शिश्न भी निरोग, केवल अपने मन से ही रोगी अपने को मैथुन में असमर्थ समझ लेता है। अत: सभी साधन उपस्थित रहने पर भी वह मैथुन में असमर्थ रहता है। इस प्रकार के मानसिक नपुंसकों के लिए चैतन्योदय रस अमृत दुल्य कार्य करता है। प्रात: सायं एक गोली दूध के साथ सेवन करवाने से एक सप्ताह में लाभ होने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए एक मास तक औषधि सेवन आवश्यक है।

सहायक औषधियों में वसंत कुसुमाकर रस, वृहद्वातचिन्तामणि रस, योगेंद्र रस, चतुर्भुज रस, चतुर्मुख रस इत्यादि का उपयोग करवाएँ।

( और पढ़े – नपुंसकता के कारण और उपचार )

(घ) योषापस्मार :

योषापस्मार भी एक मनोदैहिक रोग है रोगी बालावस्था में किसी कारण वश उपेक्षित रहा होता है। उसकी इच्छा होती है कि सभी लोग उससे प्रभावित हों उसको और उसके परामर्श को अधिमान दें। जब उसकी अयोग्यता के कारण ऐसा सम्भव नहीं हो पाता तो उसका अन्तर्मन विद्रोह करके, अनेक प्रकार के ऐसे लक्षण उत्पन्न करता है कि परिवार के सदस्य उसकी ओर आकृष्ट हों, उससे सहानुभूति प्रकट करें। इस रोग के कोई निश्चित लक्षण नहीं होते। अत: रोगी की इच्छा ही लक्षणों की जननी होती है चैतन्योदय रस इस रोग की एक प्रभावशाली औषधि है। रस का प्रयोग छ: मास तक करवाना अभिष्ट है।

सहायक औषधियों में अपतन्त्रकहारी वटी, वात कुलान्तक रस, योगेन्द्र रस, कस्तूरी भैरव रस, हिंगुकर्पूरवटी, इत्यादि का प्रयोग भी अवश्य करें।

(ङ) अनिद्रा :

अनिद्रा या अल्प निद्रा मानसिक रोगों का पूर्व रूप है। सभी मानसिक रोगों में पूर्व रूप अनिद्रा अथवा अल्पनिद्रा या असामान्य निद्रा ही होती है। अनिद्रा या अल्प निद्रा का कारण प्रायश: वात या पित्त की वृद्धि और कफ का क्षय माना जाता है। परन्तु मनोभ्रंश में अनिद्रा का सबसे अधिक और महत्त्वपूर्ण स्थान है। चैतन्योदय रस त्रिदोषशामक, रक्त बर्धक, आग्निबर्धक, ओजबर्धक, रसायन और मनः प्रसादक होने से निद्रा की अनियमितता को दूर करके शान्त निद्रा लाता है।

सहायक औषधियों में अहिफेन के योगों का कुछ काल तक प्रयोग करवाया जा सकता है।

( और पढ़े – नींद न आने (अनिद्रा) के 16 घरेलू उपाय )

(च) चिन्ता :

मानसिक रोगों का एक प्रमुख लक्षण अकारण चिन्ता है। रोगी जानता है कि उसकी चिन्ता व्यर्थ है, परन्तु फिर भी वह चिन्ता करता है। चिन्ता से भय, भ्रम, अनिद्रा की उत्पत्ती होने लगती है। चैतन्योदय रस की एक गोली छः छः घण्टे पर देने से चिन्ता में लाभ होता है। अनुपान के रूप में मांस्यादि क्वाथ उपयुक्त रहता है। सहायक औषधियों में योगेन्द्र रस, वृहद् वात चिन्तामणि रस, कृष्ण चतुर्मुख रस, का प्रयोग लाभप्रद होता है। पूर्ण लाभ के लिए छ: मास तक औषधि सेवन करवायें।

(छ:) भय :

भय एक महत्त्वपूर्ण मनोरोग है, सभी मनोविकारों में भय ही रूप परिवर्तित करके कार्य करता है जीविका का भय, मृत्यु का भय, रोग का भय, समाज का भय, शासन का भय, दुष्ट लोगों का भय, शत्रु का भय जाने कितने प्रकार का भय मनुष्य को पीड़ा पहुँचाता है। भय से बचने के उपाय भय से होने वाली हानी का चिन्तन ही तो चिन्ता होती है। चैतन्योदय रस की एक गोली प्रातः सायं मांस्यादि क्वाथ से देने से एक सप्ताह में भय तिरोहित होने लगता है। इस महौषधि के छ: मास तक प्रयोग से भय और उससे उत्पन्न चिन्ता क्रोध इत्यादि वेग समाप्त हो जाते हैं।

योगेन्द्र रस, वात कुलान्तक रस, बल्य बातचिन्तामणि रस इत्यादि को सहायक औषधियों के रूप में प्रयोग करना चाहिए।

(ज) क्रोध :

क्रोध और भय एक ही सिक्के के दो पहलु है। भय में मनुष्य परिस्थतियों से डर कर पलायन करना चाहता है, और क्रोध में उग्र होकर उन्हीं परिस्थितियों पर काबू पाना चाहता है। भय की तरह क्रोध पर भी चैतन्योदय रस का उत्तम प्रभाव होता है। एक गोली प्रात: सायं कूष्माण्ड स्वरस अथवा आँवले के मुरब्बे के अनुपान से देने से धीरे-धीरे मन शान्त होने लगता है, उसमें सहनशीलता की वृद्धि होने लगती है। क्रोध में भी कमी आती है। किसी विशेष परिस्थिति में यदि क्रोध आ भी जाए तो शीघ्र शान्त हो जाता है। उस पर नियंत्रण करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है इस महौषधि में मानसिक रोग रूपी क्रोध शान्त होता है । सामान्य क्रोध तो एक प्राकृतिक भाव है, जो एक सीमा तक सभी प्राणियों में होना आवश्यक है। इन रोगों के अतिरिक्त यह महौषधि सभी मानसिक असामान्यताओं में लाभदायक है। और उन सभी में इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

चैतन्योदय रस के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Chaitanyoday Ras Side Effects in Hindi

  • चैतन्योदय रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • चैतन्योदय रस एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि है, मनो रोगों की चिकित्सा में यह एक अमोघ अस्त्र है, परन्तु इस योग की कार्यशीलता इसके घटकों की उतमत्ता और शुद्धता पर निर्भर करती है। औषधि को उच्च कोटी का बनाने के लिए हिंगुलोत्थ पारद लेना चाहिए। शिलाजीत सूर्यतापी हो लोह भस्म 100 पुटी और अभ्रक भस्म 1000 पुटी, स्वर्ण भस्म तथा मुक्ता भस्म भी उच्च कोटी की हो तो यह औषधि अपना प्रभाव प्रथम मात्रा में दिखा देती है।
  • यह औषधि सौम्य है इससे किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती ,फिर भी इसे आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
    यह नहीं भूलना चाहिये कि ‘चैतन्योदय रस’ एक रसौषधि है और इसके घटकों में छः खनिज धातुओं का मिश्रण है। अत: रसौषधियों में लिये जाने वाले पूर्वोपाय इसके सेवन काल में भी लिए जाने आवश्यक हैं।

5 thoughts on “Chaitanyoday Ras in Hindi | चैतन्योदय रस के फायदे ,उपयोग और दुष्प्रभाव”

  1. वर्तमान में कोई बड़ी फार्मा कंपनी “चैतन्योदय रस” का निर्माण नहीं कर रही है …किसी अनुभवी वैद्य की देखरेख मे बताई गई निर्माण विधि द्वारा इसका निर्माण कर उनके मार्गदर्शन में इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है !

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