Kalpataru Ras in Hindi | कल्पतरु रस के फायदे उपयोग और दुष्प्रभाव

Last Updated on February 4, 2020 by admin

कल्पतरु रस क्या है ? : What is Kalpataru Ras in Hindi

कल्पतरु रस टैबलेट या पाउडर के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका उपयोग कफ से उत्पन्न बुखार,जुकाम , खांसी, श्वास, मन्दाग्नि और सन्धिवात जैसे रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।

कल्पतरु रस के घटक द्रव्य : Kalpataru Ras Ingredients in Hindi

  • शुद्ध पारद – 10 ग्राम,
  • शुद्ध गन्धक – 10 ग्राम,
  • शुद्ध वछनाग – 10 ग्राम,
  • शुद्ध मनशिल – 10 ग्राम,
  • शुद्ध स्वर्ण माक्षिक – 10 ग्राम,
  • शुद्ध टंकण – 10 ग्राम,
  • सोंठ – 20 ग्राम,
  • पिप्पली – 20 ग्राम,
  • कालीमिर्च – 100 ग्राम,

प्रमुख घटकों के विशेष गुण :

  1. कज्जली : जन्तुघ्र, योगवाही, रसायन।
  2. वछनाग : विष, रसायन, बल्य, वात कफनाशक, ज्वरघ्न, कासघ्न ।
  3. मनशिल : वातकफनाशक, श्वास कासघ्न, मेद नाशक, रसायन।
  4. स्वर्ण माक्षिक : योगवाही, रसायन, विषघ्र, बल्य, प्रमेघ्न ।
  5. टंकण : जन्तुन, लेखन, पाचन, वातानुलोमन।
  6. सोंठ : दीपन, पाचन, वातानुलोमक, वातकफनाशक।
  7. पिप्पली : दीपन, पाचन, बृष्य, वासन, रसायन ।
  8. कालीमिर्च : उष्ण, पाचन, नियत कालिक ज्वर प्रतिबंधक, वातनाशक ।

कल्पतरु रस बनाने की विधि :

सर्वप्रथम पारद गंधक की निश्चन्द्र कजली करें तथा सभी औषधियों का वस्त्रपूत (महीन) चूर्ण मिलाकर एक घण्टा सतत् खरल करवाएँ और शुण्ठी (सोंठ) के क्वाथ या अदरक के रस में खरल करके 100 मि.ग्रा. की वटिकायें (गोली) बनाकर छाया में सुखा कर सुरक्षित कर लें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

कल्पतरु रस की खुराक : Dosage of Kalpataru Ras

एक से दो वटिकाएँ प्रातः सायं , अधिक उग्र लक्षणों में एक मात्रा दोपहर को भी दे सकते हैं।

अनुपान (जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए ) :

मधु, मधु अदरक स्वरस, मधु तुलसी स्वरस, मधु पिप्पली, शुण्ठी जल, उष्णोदक, चाय, रोगों के अनुसार अन्य अनुपानों का प्रयोग भी करें।

कल्पतरु रस के उपयोग और फायदे : Uses & Benefits of Kalpataru Ras in Hindi

वातश्लेष्मिक ज्वर में कल्पतरु रस के प्रयोग से लाभ (Kalpataru Ras Benefits in Fever Treatment in Hindi)

कल्पतरु रस वात श्लेष्मक ज्वर की एक प्रसिद्ध औषधि है, रोगी की अवस्थानुसार एक से दो गोली अदरक स्वरस ,मधु अथवा तुलसी पत्रों वाली चाय के साथ देने से दो दिन में ही ज्वर उतर जाता है। पूर्ण लाभ के लिए पाँच से सात दिन तक औषधि सेवन की आवश्यकता होती है।

सहायक औषधियों की प्रायः आवश्यकता नहीं होती आवश्यक होने पर गोदन्ती सार भस्म, संजीवनी वटी का प्रयोग भी करवा सकते हैं।

( और पढ़े – वायरल बुखार क्यों और कैसे होता है इसके लक्षण और इलाज)

खाँसी में कल्पतरु रस के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Kalpataru Ras in Cough Treatment in Hindi)

कास(खाँसी) के दोनों प्रकारों वातज (शुष्क) और कफज (वलगमी) में कल्पतरु रस का प्रयोग सफलता पूर्वक होता है। वातज कास में इसे गर्म दूध के साथ देना लाभप्रद होता है और कफज में मधु या मधु आर्द्रक स्वरस से।

सहायक औषधियों में वातज कास में समीर पन्नग रस, प्रवाल पिष्टि, तालीसादिचूर्ण और कफज कास में ताल सिन्दूर, पिप्पली चूर्ण, सितोपलादि चूर्ण की सहायता अवश्य लें, लवंगादि वटी, खदिरादि वटी, व्योषादि वटी में से कोई चूसने को भी दें।

( और पढ़े – कफ दूर करने के 35 घरेलू उपचार )

श्वास रोग में कल्पतरु रस का उपयोग फायदेमंद (Kalpataru Ras Uses to Cure Asthma Disease in Hindi)

श्वास के आक्रमण की अवस्था में कल्पतरुरस दो गोली, सोम चूर्ण 250 मि.ग्रा. उष्णोदक से देने से तुरन्त लाभ होता है। श्वास सामान्य हो जाने पर कल्पतरु रस दो गोली प्रातः सायं उष्णोदक से देते रहने से भविष्य में आक्रमण विलम्वित होते हैं। पथ्य पूर्वक सेवन करने वाले रोगी, रोग मुक्त भी हो जाते हैं प्रयोग कालावधि सामान्यतः 3 से 4 सप्ताह ,विशेष रोगियों में वर्ष भर भी।

सहायक औषधियों में श्वास कास चिन्तामणि रस, भागोत्तर गुटिका, कणकासव, श्वास कुठार रस, भांर्गी गुड़, कण्टकार्यावलेह इत्यादि योगों का प्रयोग भी अवश्य करवाएँ।

लालास्रावाधिक्य में कल्पतरु रस के प्रयोग से लाभ

( और पढ़े – दमा -श्वास में क्या खाएं और क्या न खाएं )

कल्पतरु रस की एक से दो गोली प्रातः सायं सेवन करवाने से तीन दिन में लालास्राव (मुँह से लार बहना) में कमी आ जाती है। एक सप्ताह के प्रयोग से रोगी सामान्य हो जाता है।

सहायक औषधियों की आवश्यकता प्राय: नहीं होती। पथ्य में कफ कारक आहार विहार का निषेध आवश्यक है।

अग्निमान्द्य मिटाए कल्पतरु रस का उपयोग (Kalpataru Ras Cures Loss of appetite in Hindi)

कल्पतरु रस परम अग्नि वर्धक होने से अग्निमान्द्य और मन्दाग्नि जन्य सभी समस्याओं में अप्रतिम औषधि है। एक गोली प्रत्येक भोजन के उपरान्त उष्णोदक से देने से एक सप्ताह में मन्दाग्नि दूर हो जाती है।

अपथ्य सेवन जन्य उदर शूल, अतिसार, छर्दि (विषूचिक) में दो गोलियां, पलाण्डु स्वरस से देने से लाभ होता है। पलाण्डु स्वरस, अदरक स्वरस, पोदीना स्वरस और निम्बू स्वरस, मिश्री समभाग मिलाकर द्विगुणित, क्वथित जल मिलाकर रोगी को एक-एक चम्मच प्रति पाँच मिण्ट के अन्तराल में पिलाते रहने से रोग से मुक्ति भी मिलती है और जलाल्पता का भय नहीं रहता, यदि मूत्राल्पता हो तो उपरोक्त स्वरसों में समभाग मूली स्वरस भी मिला लेना चाहिए।

( और पढ़े – अरुचि दूर कर भूख बढ़ाने के 32 अचूक उपाय )

आमवात मिटाए कल्पतरु रस का उपयोग (Kalpataru Ras Cures Rheumatism in Hindi)

आमवात की चिकित्सा में कल्पतरु रस एक विश्वसनीय औषधि है। दो गोली प्रातः सायं उष्णोदक से सेवन करवाने पर पाँच दिन के भीतर शोथ (सूजन) एवं वेदनाएँ शमन होने लगती है। स्तब्धता नहीं रहती अथवा कम हो जाती है, ज्वर उतर जाता है। परन्तु पूर्ण लाभ के लिए कम-से-कम चालीस दिन तक औषधि सेवन आवश्यक है।

सहायक औषधियों में आम वातारि रस, आम प्रमाथिनी वटी, व्योषाद्य वटी, अग्निकुमार रस, अग्नितुण्डी वटी, इत्यादि का प्रयोग भी करवाएँ । आम वात में तैलाभ्यंग से आम में वृद्धि हो जाती है अतः स्नेह युक्त स्वेद और अभ्यंग वर्जित होते हैं। रुक्ष स्वेदों से लाभ होता है।

( और पढ़े – आमवात के 15 घरेलू इलाज )

सन्धिवात में कल्पतरु रस के इस्तेमाल से फायदा (Kalpataru Ras Benefits to Cure Gout in Hindi)

सन्धि रोग के इन दोनों प्रकारों में प्रमुख रूप से ‘आम’ ही कारण होता है। कल्पतरु रस, आमनाशक, शोथ नाशक, वेदना नाशक, ज्वर नाशक तथा रसायन होने के कारण उपरोक्त सन्धि वेदनाओं में विशेष लाभप्रद है।

सहायक औषधियों में त्र्योदशांग गुग्गुलु, पंचतिक्त घृत गुग्गुलु, अमृतागुग्गुलु, वातविघ्वन्सन रस, वृ. वात चिन्तामणि रस, कृष्ण चतुर्मुख रस, इत्यादि का प्रयोग करवाऐं । इस रोग की चिकित्सा दीर्घ काल तक करनी पड़ती है, अत: कालावधि निश्चित नहीं हो सकती है। उपरोक्त चिकित्स के साथ रसायन औषधियों की योजना भी अवश्य करनी चाहिए।

स्थौल्य में लाभकारी है कल्पतरु रस का सेवन

स्थौल्य का मूल कारण ‘रस’ है, रस यदि आम युक्त हो तो परिणाम स्थौल्य होता है और ‘रस’ यदि निराम हो स्थौल्य से मुक्ति मिल जाती है। रस की उत्पत्ती और इसका साम या निराम होना अग्नि पर निर्भर करता है। मन्दाग्नि द्वारा उत्पन्न रस आम, और समाग्नि द्वारा उत्पन्न रस निराम होता है। कल्पतरु रस जाठराग्नि को प्रदीप्त करके निराम रस के निर्माण में सहायक होता है। अतः स्थौल्य नाशक है। दो गोली प्रातः सायं उष्णोदक से सेवन करने से अग्नि प्रदीप्त होती है। सेवन समयावधि कम-से-कम 40 दिवस।

सहायक औषधियाँ नवक गुग्गुलु, विडंगाद्य लोह, व्योषाद्य वटी।

कल्पतरु रस के दुष्प्रभाव और सावधानी : Kalpataru Ras Side Effects in Hindi

  1. इस आयुर्वेदिक औषधि को स्वय से लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
  2. कल्पतरु रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  3. कल्पतरु रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  4. बच्चों की पहुच से दूर रखें ।
  5. कल्पतरु रस एक उग्र औषधि है, इसमें प्रयुक्त वत्सनाभ विषाक्त द्रव्य है, मन शिल भी सौम्य विष है। पारद, गंधक, स्वर्ण माक्षिक, मनशिल, सभी खनिज धातुएँ है, अत: इस रस का प्रयोग सतर्कता पूर्वक करना चाहिए।
  6. वैसे इस रस की प्रतिक्रिया अत्यन्त विरल देखी गई है। फिर भी रसौषधियों और विषौषधियों के सेवन में अपनाई जानेवाली सतर्कता इसमें भी अवश्य अपनाई जानी चाहिए।

कल्पतरु रस का मूल्य : Kalpataru Ras Price

Baidyanath Kalpataru Ras – PACK OF 3 – (40Tablet) – Rs 146

कहां से खरीदें :

अमेज़न (Amazon)

Leave a Comment

Share to...