Last Updated on September 28, 2021 by admin
चॉकलेट खाने का प्रचलन लगभग हर देश में है। अपने निराले स्वाद के कारण चॉकलेट बच्चे ही नहीं, बढ़े भी बहुत चाहते है और युवाओं में तो यह स्नेह और दोस्ती का प्रतीक ही बन गया है।
लत का कारण :
इसमें कोई संदेह नहीं कि शराब और सिगरेट की तरह चॉकलेट की भी लत पड़ सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार जिन बच्चों में चॉकलेट की लत होती है, उनके मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक रसायन की कमी होती है। इस कमी के कारण अवचेतन में चॉकलेट की भूख पैदा हो जाती है। इंडियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल प्रैक्टिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चॉकलेट मस्तिष्क में ट्राइपटोफान नामक रसायन की मात्रा बढ़ाता है, जिससे सेरोटोनिन का बनना तेज हो जाता है अत: शरीर में एक तरह की सुस्ती छा जाती है।
चॉकलेट का चलन और निर्माण :
कहा जाता है कि स्पेन पहुच कर कोलंबस ने एक प्रकार का फल वहां की राजा को सादर भेंट किया था जिसे स्वादिष्ट पाकर उन्होंने फल के गूदे को दूध में फेंट कर गर्म करके जमा लिया। इस प्रकार से चॉकलेट का चलन प्रांरभ हआ। चॉकलेट में जब पहली बार दूध की मात्रा मिलाई गई, तो इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि शराब और बीयर की खपत पर भी विपरीत असर पड़ा।
वैसे चॉकलेट ककाओ नामक पेड़ की बीजदार फलियों के अंदर बादाम के आकार वाले कसैले स्वाद के कोको से बनाई जाती है। इसके अतिरिक्त चॉकलेट में चीनी , दूध, मक्खन, एम्फेटामाइन आदि पदार्थों का विशेष अनुपात होता है।
चॉकलेट की कैंडी बार में 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 30 प्रतिशत वसा होती है। प्रोटीन की इतनी मात्रा मस्तिष्क में ट्राइपटोफान और सेरोटोनिन के वांछित स्तर को बनाए रखती है। चूंकि चॉकलेट में कोका मक्खन भी मौजूद होता है, इस कारण यह मुंह में जाने पर पिघल जाता है, जिससे एक खास स्वाद पैदा होता हैं और जिसके आकर्षण से बचना मुशिकल होता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार थकने पर चॉकलेट की एक अच्छी खुराक लेने पर शारीरिक और मानसिक थकान दूर होकर भावनात्मक आनंद की अनुभूति होती है और यह हमारे प्रतिरोधी तंत्र की दक्षता में वृद्धि करती है, जिसका असर चॉकलेट खाने के कई घंटे बाद तक भी बना रहता हैं।
आहार विशेषज्ञों ने चॉकलेटों में फेनोलिक एसिड नामक रसायन पाया है, जो दिल के रोगों का प्रतिरोधक है। उनका यह भी कहना है कि स्टीरिक एसिड से ब्लड कोलेस्ट्राल भी नहीं बढ़ता।
कैफीन की तरह ही चाकलेट में भी उत्तेजक घटक पाए गए हैं। चीनी , वसा, मैग्नीशियम के साथ ही फिनीलिथिलेमाइन रसायन की उपस्थिति चॉकलेट में मिलने से उसकी उपयोगिता काफी बढ़ गई है। फिनीलिथिलेमाइन वह रसायन है, जो मनुष्य के मस्तिष्क में आनंद की चरम अवस्था में उत्पन्न होता है।
चॉकलेट के अधिक सेवन से हानियां :
- मस्तिष्क में सेरोटोनिन उत्पन्न होने पर आलस्य का अनुभव होने लगता है। यही कारण है कि अधिक चॉकलेट खाने से सुस्ती आती है।
- अधिक चॉकलेट के सेवन करने वाले मोटापे के शिकार हो जाते है।
- इसको अधिक खाने वाले बच्चों के दांत खराब हो जाते है और उनमें छिद्र पैदा हो जाते हैं।
- खून में वसा की मात्रा बढ़ना भी अधिक चॉकलेट खाने का दुष्परिणाम होता है।
- शर्करा की अधिक मात्रा से मधुमेह, मोतियाबिंद और हृदय रोग का जन्म हो सकता है।
इसका मतलब यह नहीं कि चॉकलेट कभी खाना ही नहीं चाहिए, बल्कि कभी-कभार खाने में कोई नुकसान नहीं हैं।