Last Updated on November 10, 2020 by admin
“रसायन आयुर्वेद” में रोगों के निवारण के अलावा एक स्वस्थ व्यक्ति स्वास्थ्य में स्थापित कैसे रहे और आयु की वृद्धि कैसे हो यह सविस्तार बताया गया है। “रसायन आयुर्वेद” की एक प्रमुख विशिष्टता है और वह है ‘च्यवनप्राशावलेह।’
च्यवनप्राश के घटक (Chyawanprash Ingredients in Hindi)
च्यवनप्राश में करीब 44 जड़ीबूटियों का इस्तेमाल होता है। इसमें सबसे प्रमुख कार्यरत द्रव्य आँवला, पिंपली, कर्कटश्रृंगी, गोक्षुर, भुईआँवला, पुनर्नवा और हरड़ है।
च्यवनप्राश बनाते समय एक बार में 500 आँवला का उपयोग होता है। इस रसायन औषधि में गाय का घी, तिल का तेल, शहद, खड़ीशक्कर का भी उपयोग होता है। नवंबर से फरवरी के कालावधि में आँवले का उत्पादन होता है, इसलिए वैद्य इसी कालावधि में च्यवनप्राश बनाते हैं। आँवला में एंटी एजिंग फैक्टर और विटामिन सी अधिक मात्रा में होने के कारण यह च्यवनप्राश का प्रमुख द्रव्य है।
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च्यवनप्राश खाने के फायदे क्या है ? (Chyawanprash Khane ke Fayde Bataiye in Hindi)
च्यवनप्राश के सेवन से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-
- दीर्घआयु।
- स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।
- मेधा (बुद्धि) वर्धक।
- बलवर्धक।
- वृद्ध लोगों के शरीर के सभी धातुओं का बल और दृढ़ता बनाए रखता है।
- बच्चों के सभी अवयवों की पुष्टि करके वज़न बढ़ाता है।
- रक्त की शुद्धि करके रक्तवृद्धि करता है।
- शरीर का वर्ण और कांति सुधारता है।
- शरीर निरोगी रहता है।
- शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है।
- पंचज्ञानेंद्रिय और पंचकर्मेंद्रिय की शक्ति बढ़ाकर उनका कार्य दीर्घकाल तक सुव्यवस्थित रखता है।
- पाचनशक्ति बढ़ाता है।
- शरीर को वृद्ध अवस्था में ज़ल्दी जाने नहीं देता क्योंकि इस औषधि में एंटी एजिंग फैक्टर्स हैं, जो दीर्घकाल तक शरीर को तरूण बनाए रखती हैं।
च्यवनप्राश से रोग निवारण
- दमा, फेफड़ों का कर्करोग(Cancer), नाक की हड्डी का टेढ़ा होना या नाक की हड्डी का बढ़ना DNS (Deviated Nasal Septum), नाक से रक्त का आना (epistaxis) और अन्य श्वसन व्यवस्था (respiratory system) से जुड़े रोगों में बहुत प्रभावशाली है।
- हृदय रोग में प्रभावशाली है।
- संधीवात और जोड़ों के तकलीफों में लाभदाई है।
- गर्भाशय संबंधी रोगों में अति प्रभावशाली है।
- उम्र के अनुसार गर्भाशय का आकार छोटा होना, इसमें यह अप्रतिम और एकमेव औषधि है।
- जिन बच्चों का जन्म सातवें या आठवें महीने में होता है, उन
- बच्चों के सभी अवयवों के विकास के लिए यह उत्तम औषधि है।
- नेत्र संबंधी सभी विकारों में यह प्रभावशाली है।
- अनिमिया में यह उपयोगी है।
- प्रसव के पश्चात अधिकतर स्त्रियों में वृद्धत्व ज़ल्दी होते हुए दिखाई देता है । च्यवनप्राश के सेवन से वृद्धत्व रुक जाता है।
- किसी भी अवयव के कैंसर में यह अत्यंत उपयुक्त है।
च्यवनप्राश कब खाना चाहिए ? (When to eat Chyawanprash in Hindi)
च्यवनप्राश खाने की सही विधि और नियम –
- सुबह उठने के बाद मुँह साफ करके शौच विधि के बाद और कुछ भी खाने-पीने से पहले एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करें।
- सेवन करने के बाद ठंढा या गर्म पानी न पीएँ।
- च्यवनप्राश का सेवन दोपहर, शाम या रात में न करें।
- दो चम्मच से अधिक सेवन न करें।
- दिन में एक ही बार सुबह च्यवनप्राश का सेवन करें।
सबसे अच्छा च्यवनप्राश कौनसा ?
किसी भी कंपनी का च्यवनप्राश लेते वक्त उस कंपनी की ईमानदारी को परखें।
अधिकतर कंपनियाँ आँवला व अन्य औषधियाँ महँगे होने के कारण च्यवनप्राश में आलू और लाल कद्दू का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण च्यवनप्राश पूर्ण गुणकारी नहीं बनता। किसी तज्ञ वैद्य से जो इसका उत्पादन करता हो उससे लेना बेहतर होगा।