Last Updated on January 13, 2024 by admin
दूध के गुण : Doodh ke Gun in Hindi
- दूध पुराने समय से ही मनुष्य को बहुत पसन्द है। दूध को धरती का अमृत कहा गया है।
- दूध में विटामिन `सी´ को छोड़कर शरीर के लिए सभी पोषक तत्त्व यानि विटामिन हैं। इसलिए दूध को पूर्ण भोजन माना गया है।
- सभी दूधों में माता के दूध को श्रेष्ठ माना जाता है, दूसरे क्रम में गाय का दूध है।
- बीमार लोगों के लिए गाय का दूध श्रेष्ठ है।
- गैस तथा मन्दपाचनशक्ति वालों को सोंठ, इलायची, पीपर, पीपरामूल जैसे पाचक मसाले डालकर उबला हुआ दूध पीना चाहिए।
- दूध को ज्यादा देर तक उबालने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं और दूध गाढ़ा हो जाता है।
- दूध को उबालकर उससे मलाई निकाली जाती है। मलाई गरिष्ठ, शीतल (ठण्डा), बलवर्धक, तृप्तिकारक, पुष्टिकारक, कफकारक और धातुवर्धक है। यह पित, वायु, रक्तपित एवं रक्तदोष को खत्म करती है।
- सुबह का दूध विशेषकर शाम के दूध की तुलना में भारी व ठण्डा होता है।
- रात में पिया हुआ दूध बुद्धिवर्द्धक, टी.बी.नाशक, बूढ़ों के लिए वीर्यप्रद आदि दोषों को खत्म करने वाला होता है। खाने के बाद होने वाली जलन को शान्त करने के लिए रात में दूध पीना चाहिए।
- दूध ज्यादा जलन वालों, कमजोर शरीर वालों, बच्चों, जवानों और बूढ़ों सभी के लिए अत्यन्त लाभकारी है। यह जल्दी ही वीर्य पैदा करती है।
- भैंस के दूध में चर्बी की मात्रा होने से वह पचने में भारी रहता है।
- `चरक´ के अनुसार गाय का दूध स्वादिष्ट, शीतल (ठण्डा), कोमल, भारी और मन को खुश करने वाला होता है।
- अलग-अलग प्राणियों के दूध की अलग-अलग विशेषताएं हैं। भैंस का दूध निद्राकारक (नींद लाने वाला) है। बकरी का दूध खांसी, अतिसार (दस्त) और बुखार को दूर करता है। भेड़ का दूध गर्मी और पथरी को दूर करता है। घोड़ी का दूध गर्म और बलकारी होता है। ऊंटनी का दूध जलोदर (पेट में पानी भरना) को मिटाता है। गधी का दूध बच्चों को शक्ति प्रदान करता है, और दिल को मजबूत बनाता है यह खांसी में भी ज्यादा लाभकारी है।
- बकरी का दूध कषैला, मीठा, शीतल, मन को रोकने वाला तथा हल्का होता है। यह रक्तपित्त, दस्त, टी.बी., खांसी तथा बुखार को दूर करता है। बकरियां कद में छोटी होती हैं और तीखे व कड़वे पदार्थ सेवन करती हैं, पानी कम पीती है, मेहनत अधिक करती हैं। अत: उनका दूध सारे रोगों को खत्म करता है।
- स्वस्थ बकरी का दूध ज्यादा निरोग माना जाता है। गाय के दूध की तुलना में बकरी का दूध जल्दी पचता है। अत: छोटे बच्चों के लिए यह लाभकारी है।
दूध पीने के फायदे और उपयोग : Doodh ke Fayde in Hindi
- गर्म-गर्म दूध में मिश्री, ‘शहद और घी को मिलाकर पीने से शरीर में मजबूती आती है और ताकत बढ़ती है।
- दूध में 2 छुहारे डालकर रोजाना खाने से शरीर में शक्ति का विकास होता है।
- दूध में शहद को मिलाकर पीने से शारीरिक बल और वीर्य में वृद्धि होती है।
- लगभग 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध को लेकर गर्म करें और इस दूध में 4 या 5 केसर की पंखुड़ियां (लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग) की मात्रा में अच्छी तरह से मिलायें। अब इस दूध में मिश्री मिलाकर इस दूध का इसका सेवन सुबह या रात को सोने से पहले करने से व्यक्ति की मर्दानगी बढ़ती है। इसके अलावा सर्दी से बचाव होता है, शरीर में जोश आता है, शरीर में निखार आता है और हाथ और पैरों का बर्फ की तरह ठण्डा होना भी खत्म हो जाता है।
2. दूध के साथ इस्तेमाल न की जाने वाली वस्तुएं: दूध के साथ केला, अनन्नास, जामुन, मूली, धनिया, लहसुन, उड़द की दाल, मट्ठा, दही, इमली, आम की खटाई (अमचूर) आदि सेवन करना हानिकारक होता है।
3. गाय के दूध कुछ सरल प्रयोग:
- गाय के दूध में घी, सोंठ व मुनक्का डालकर उबालकर पीने से जीर्ण बुखार ठीक हो जाता है।
- गाय के दूध को गर्म करके उसमें मिश्री व कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से जुकाम दूर होता है।
- 100 मिलीलीटर दूध में 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण डालकर उबालकर उसमें चीनी मिलाकर रात को सोते समय खाने से पित्त विकार दूर होता है।
- दूध के मावे में चीनी मिलाकर सेवन करने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) दूर हो जाता है।
- गाय के दूध में 5 गुना पानी मिलाकर पानी जलने तक उबालकर ठण्डा करके पीने से रक्तपित दूर होता है।
- गाय का दूध और पानी बराबर मात्रा में लेकर उबाल लें। उबलने पर जब केवल दूध शेष रह जाए तब इस दूध को पीने से पेचिश की शिकायत दूर हो जाती है।
- गाय का ताजा दूध और घी इकट्ठा कर उसमें मिश्री मिलाकर बच्चों को पिलाने से चेचक के बुखार में लाभ होता है।
- गाय के दूध में सोंठ को घिसकर सिर पर लेप करने से 7-8 घंटों में भयंकर सिर दर्द भी दूर होता है।
- गाय के दूध में रूई को भिगोकर उस पर फिटकरी का चूर्ण आंखों पर बांधने से दुखती हुई आंखें ठीक होती हैं।
4. कम्पवात (शरीर का कांपना): 10 ग्राम गाय के दूध से बने घी एवं 40 ग्राम दूध को 4 भाग (10-10 ग्राम की मात्रा) में लेकर कम तेज आग पर पका लें। इस चारों भाग में 3 से 6 ग्राम की मात्रा में असगंध नागौरी का चूर्ण मिला लें। यह मिश्रण रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग जल्द ठीक हो जाता है।
5. कुष्ठ (कोढ़): अंगूठे के पर्व (नाखून) के बराबर ब्रजवल्ली को लेकर दूध के साथ खाने से सिर्फ 21 दिन में ही हर तरह का कोढ़ समाप्त हो जाता है।
6. सिर का दर्द:
- दूध और जलेबी को एक साथ खाने से कुछ दिनों में ही सिरदर्द होना बंद हो जाता है।
- दूध में ‘शक्कर मिलाकर नाक द्वारा लेने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दूर हो जाता है।
- ठण्डे दूध और ठण्डे पानी को सिर पर डालने से शंखक नाम का सिर का रोग ठीक हो जाता है।
- दूध, शक्कर और पानी को मिलाकर गर्म करें। इसकी भाप को नाक से सूंघने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
- बकरी के दूध से मक्खन निकालकर सिर में मालिश करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
- मिश्री मिला हुआ दूध, केवल दूध, नारियल का पानी, शीतल पानी या घी को नाक के द्वारा पीने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दूर हो जाता है।
7. खून की कमी:
- एक आंवले को दूध के साथ रोजाना खाने से खून की कमी का रोग दूर हो जाता है।
- 20 से 25 ग्राम आम का रस खाना खाने से पहले एक गिलास गाय के दूध में मिलाकर पीने से खून के रोगियों के लिये लाभकारी होता है।
8. होठों की खुश्की और होठ फटने पर: सर्दियों में खुश्की से होठ फट जायें तो उन पर आधा चम्मच दूध की मलाई में चुटकी भर हल्दी का बारीक चूर्ण मिलाकर धीरे-धीरे मलने से या लगाने से होंठ चिकने और मुलायम हो जाते हैं।
9. त्वचा का मुलायम और चमकदार होना: दूध की मलाई को त्वचा पर मालिश करने से त्वचा कोमल और मुलायम हो जाती है। धूप की जलन से बचने के लिए दूध की मलाई और गुलाबजल को मिलाकर चेहरे पर मलें। दूध की मलाई और ‘शहद को मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी लाभ होता है।
10. लिंगोद्रेक :
- लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए 4 किलो दूध में 1 किलो पानी मिलाकर पूरे दिन में वह दूध पीते रहें। इससे रोगी को लाभ मिलता है।
- गर्म पानी या दूध को 3 से 6 ग्राम चोपचिन्यादि के चूर्ण के साथ रोजाना सेवन करने से रोगी में लिंग की उत्तेजना कम हो जाती है।
11. चेहरे की त्वचा का मुलायम और स्वच्छ होना: लाख को दूध में उबालकर या घी में भूनकर रख लें। फिर दूध में 3 ग्राम शहद मिलाकर भूनकर रखे हुए लाख के साथ रोजाना सुबह और ‘शाम सेवन करने से शरीर का रंग गोरा हो जाता है। इसका लगातार कुछ महीनों तक सेवन करने से चेहरे की झांइया भी दूर हो जाती हैं।
12. याददाश्त कमजोर होना: बादाम को मिलाकर तैयार किये गये दूध को सुबह खाली पेट पीने से और उसके 2 घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इस दूध को पीने से आधे सिर का दर्द भी दूर हो जाता है।
13. कण्ठमाला: लगभग 12.5 ग्राम चूने के पानी को दूध में मिलाकर पीने से कण्ठमाला (गले की गांठे) से बहते हुए फोड़े ठीक हो जाते हैं।
14. बच्चों की नाभि की सूजन: मिट्टी के ढेले को आग में गर्म करके और फिर उसे दूध में ठण्डा करके, उससे बच्चों की नाभि पर हल्की-हल्की सिकाई करने से नाभि (टुण्डी) की सूजन समाप्त हो जाती है।
15. धारोष्ण दूध: ताजा दूध निकालकर छानकर बिना गर्म किये ही उसमें मिश्री या शहद और भिगोई हुई किशमिश का पानी मिलाकर लगातार 16 दिन पीने से पुरुष का वीर्य बढ़ता है तथा आंखों की रोशनी भी तेज होती है। यह दूध खांसी, स्नायु की दुर्बलता, बच्चों का सूखा रोग, क्षय रोग (टी.बी), हिस्टीरिया, दिल की धड़कन आदि रोगों में भी बहुत उपयोगी है। छोटे-छोटे कमजोर बच्चों को यह दूध पीने से लाभ मिलता है।
17. शिशु शक्तिवर्धक: बच्चे बड़े होने पर कमजोर हो या उन्हें सूखा रोग (रिकेटस) हो तो उन्हें दूध में बादाम मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
18. ऊपर का दूध पीने से दांत जल्दी खराब होना: मां का दूध पीने वाले बच्चों से ज्यादा ऊपर का दूध पीने वाले बच्चों के दांत जल्दी खराब होते हैं क्योंकि दूध में मिलाई गई चीनी ही दांतों को खराब करती है।
19. पेशाब की जलन:
- गर्मी के मौसम में ज्यादा गर्म चीजें खाने से अगर पेशाब में जलन हो तो कच्चे दूध में पानी मिलाकर, लस्सी बनाकर पीने से लाभ मिलता है।
- 250 मिलीलीटर दूध और 250 मिलीलीटर पानी में चीनी मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में लाभ होता है।
20. सभी प्रकार के रोगों की दवा दूध: कोई भी रोग हो, दिन में कम से कम 15 से 20 बार थोड़ा-थोड़ा दूध पीने से सारे रोगों में लाभ होता है।
21.होठों के लिए: थोड़े से दूध में थोड़ी सी गुलाब की पंखुड़ियों को डालकर रख दें। थोड़ी देर के बाद पंखुड़ियों को पीसकर निकाल लें। दूध का रंग हल्का गुलाबी हो जाएगा। इसमें बादाम को पीसकर मिलाकर गाढ़ा सा लेप बना लें और फ्रिज में रख दें। थोड़ी देर के बाद फ्रिज में से निकालकर होठों पर लगा लें और कुछ देर बाद गीली रूई से साफ कर दें। इसको रोजाना होठों पर लगाने से होठ बिल्कुल मुलायम और लाल रहते हैं।
22. शक्तिवर्धक: आधा किलो दूध में 250 ग्राम गाजर को कद्दूकस से छोटे-छोटे पीस करके उबालकर सेवन करने से दूध जल्दी हजम हो जाता है। दस्त साफ आता है व दूध में लोहे की मात्रा अधिक हो जाती है।
23. अम्लपित्त:
- जिन्हें अम्लपित्त (पेट से कंठों तक जलन) हो, उन्हें दिन में 3 बार ठण्डा दूध पीने से लाभ होता है।
- गाय या बकरी के दूध का प्रयोग करना चाहिए। भैंस के दूध का सेवन हानिकारक होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- आधा गिलास कच्चा दूध, आधा गिलास पानी, 2 पिसी हुई छोटी इलायची मिलाकर सुबह पीने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
24. थकान: थकावट दूर करने के लिए 1 गिलास गर्म दूध सेवन करना चाहिए।
25. होठों का सौन्दर्य: 1 चम्मच कच्चे दूध में थोड़ा-सा केसर मिलाकर होंठों पर मालिश करने से होंठों का कालापन दूर होकर रौनक बढ़ती है।
26. चेहरे का सौन्दर्य:
- चेहरे पर से झांई, मुंहासे और दाग-धब्बे हटाने के लिए रात को सोने से पहले गर्म दूध चेहरे पर मलें, फिर आधे घंटे के बाद साफ पानी से धोयें इससे चेहरे की सुन्दरता बढे़गी, दूध की झाग चेहरे पर मलने से दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं।
- चेहरे पर झांई, कील, मुंहासे, दाग, धब्बे दूर करने के लिए सोने से पहले गर्म दूध चेहरे पर मले, चेहरा धोएं। आधा घंटे बाद साफ पानी से चेहरा धोएं। इससे चेहरे का सौन्दर्य बढ़ेगा। चेहरे के धब्बों पर ताजे दूध के झाग मिलने से धब्बे मिट जाते हैं। सोते समय चेहरे पर दूध की मलाई लगाने से भी कील-मुहांसे तथा दाग-धब्बों पर ताजे दूध के झाग मलने से धब्बे मिट जाते हैं।
27. खुजली: दूध में पानी मिलाकर रूई के फाहे से ‘शरीर पर रगड़ने के थोड़ी देर बाद स्नान करने से खुजली मिट जाती है।
28. आधासीसी का दर्द:
- सूर्योदय (सुबह सूरज उगने से पहले) से पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खाने से आधाशीशी (आधे सिर के दर्द) का दर्द दूर हो जाता है।
- 50 ग्राम बकरी के दूध में लगभग 50 ग्राम भांगरे के रस को मिलाकर धूप में गर्म होने के लिए रख दें। अब इस मिले हुए दूध में लगभग 5 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को मिलाकर सिर में मलने से आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
29. आंखों के रोग: आंखों में चोट लगी हो, जलन हो रही हो, मिर्च-मसाला गिरा हो, कोई कीड़ा गिर गया हो या दर्द होता हो, तो रूई के फाहे को दूध में भिगोकर आंखों पर रखने से आराम मिलता है। दूध की 2 बूंदे दूध आंखों में भी डालने से भी लाभ होता है।
30. आंखों में अवांछित चीज गिर जाना: आंखों के अन्दर तिनका या कोई चीज गिर जाए और वह निकल न रहा हो तो आंख में दूध की 3 बूंदे डालें। दूध की चिकनाहट से अवांछित चीज आंख से बाहर निकल जाएगी।
31. सांस की नली के रोग: दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से सांस के रोग जैसे खांसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं।
32. वीर्य की पुष्टता: सुबह नाश्ते में 1 केला, 10 ग्राम देशी घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पी लें। दोपहर के बाद 2 केले, लगभग 30 ग्राम खजूर, 1 चम्मच देशी घी खाकर ऊपर से दूध पीयें। ऐसा रोजाना करने से ‘शरीर में वीर्य की मात्रा बढ़ जाती है।
33. मूत्राशय के रोग: मूत्राशय के रोग में दूध में गुड़ मिलाकर पीने से लाभ होता है।
34. बच्चों के दांत गलना: बच्चों को दूध पिलाने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलायें। बच्चे को कोई भी चीज खाने-पीने के बाद थोड़ा-सा पानी पिलाएं और कुल्ले करायें। इससे बच्चों के दांत नहीं गलते हैं।
35. दस्त: छोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में चुटकीभर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। बड़ों को इसे दोगुनी मात्रा में पिलाना चाहिए।
36. दूध पीने का उपयोगी समय: सुबह के समय दूध पीना बहुत ही लाभकारी होता है। दूध का पाचन सूर्य की गर्मी से होता है। अत: रात को दूध नहीं पीना चाहिए। साधारणतया दूध सोने से तीन घंटे पहले पीना चाहिए। रात को ज्यादा गर्म दूध पीने से स्वप्नदोष होने की संभावना रहती है।
37. दूध कैसा पीयें: ताजा गर्म दूध पीना अच्छा रहता है। यदि यह सम्भव न हो तो दूध गर्म करके पीयें। गर्म उतना ही करें जितना गर्म पिया जा सकता है। दूध को ज्यादा उबालने से दूध के प्राकृतिक गुण समाप्त हो जाते हैं। दूध को बहुत उलट-पुलट कर झाग पैदा करके धीरे-धीरे पीने से दूध पीने में मजा आता है।
38. दूध में मिठास : चीनी में मिला दूध कफकारक होता है। अक्सर दूध में चीनी मिलाकर मीठा करके पीते हैं। चीनी मिलाने से दूध में जो कैल्शियम होता है वह खत्म हो जाता है। इसलिए दूध में चीनी मिलाना उचित नहीं होता है। दूध में प्राकृतिक मिठास होती है। फीके दूध को पीने से थोड़े ही समय में उसके प्राकृतिक मिठास का आभास होने लगता है और उसमें बाहर की कोई चीज डालकर मीठा करने की जरूरत नहीं होती है। जहां तक हो सके दूध में चीनी न मिलाएं अगर मिठास की जरूरत हो तो शहद, मीठे फलों का रस, मुनक्का को भिगोकर इसका पानी, गन्ने का रस या ग्लूकोज मिलायें। बूरा या मिश्री मिला हुआ दूध वीर्यवर्द्धक और त्रिदोषनाशक होता है।
39. दूध का शीघ्र पाचन : किसी-किसी बच्चे या व्यक्ति को दूध हजम नहीं होता या उन्हें दूध अच्छा नहीं लगता। इसके लिए दूध उबालते समय उसमें 1 पीपल डालकर दूध उबालकर पीयें। इससे पेट में गैस नहीं बनती। दूध में शहद मिलाकर पीने से भी पेट में गैस नहीं बनती है। दूध जल्दी पच जाता है। दूध के साथ नारंगी, मौसमी का रस मिलाकर पीने से या दूध पीकर ऊपर से नारंगी खाने से दूध जल्दी पच जाता है। अगर दूध बादी करता हो, गैस बनाता हो तो अदरक के टुकड़े या सोंठ का चूर्ण और किशमिश मिलाकर सेवन करना चाहिए।
40. किन रोगों में दूध नहीं पीना चाहिए: खांसी, दमा, दस्त, पेचिश, पेट दर्द और अपच के रोग में हमें दूध नहीं पीना चाहिए। इनमें ताजा छाछ (मट्ठा) पीना चाहिए।
41. दूध के साथ इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं: दूध के साथ पका हुआ आम, दलिया, जमीकन्द, अनार, अंगूर, छुहारा, इलायची, लौंग कबाबचीनी तथा मिश्री इत्यादि खाने से लाभ होता है।
42. मानसिक उन्माद (पागलपन): 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ दो लाल रंग की घुंघची के चूर्ण को कुछ दिनों तक लगातार रोगी को खिलाने से बलगम के कारण होने वाला पागलपन ठीक हो जाता है।
43. आन्त्रवृद्धि: उबाले हुए हल्के गर्म दूध में 25-25 ग्राम गाय के पेशाब और शक्कर को मिलाकर सेवन करने से अण्डकोष में उतरी आंत्र अपने आप ऊपर चली जाती है।
44. अण्डकोषवृद्धि: 1 गिलास मीठे गर्म दूध में 25 ग्राम एरण्ड का तेल मिलाकर पीने से अण्डकोष वृद्धि ठीक होती है।
45. आंख आना:
- आंखों के लाल होने पर मोथा या नागर मोथा के कन्द को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
- मां का दूध 1-2 बूंदे बच्चे की आंखों में डालने से आंख आने का रोग दूर हो जाता है।
46. श्वास या दमा का रोग:
- पतले दूध में पीपल डालकर पीना चाहिए। इससे श्वास या दमा रोग ठीक हो जाता है।
- रोगी को केवल गर्म पानी अथवा गर्म दूध पिलाने से कफ पतला होकर दमे के रोग में आराम मिलता है।
- दमे का दौरा पड़ने पर हल्के गर्म पानी में रोगी के दोनों पैरों को रख देते हैं। इससे बहुत लाभ मिलता है तथा इससे बढ़ी हुई सांस तुरन्त सामान्य हो जाती है।
47. फेफड़ों के रोग: दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें। इसके बाद इसमें शक्कर डालकर रोजाना सुबह-शाम पीयें। इससे खांसी तथा फेफड़ों की कमजोरी दूर हो जाती है। इस प्रयोग को कुछ महीनों तक करना चाहिए।
48. बुखार: दूध या मुनक्का के रस में अमलतास मिलाकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
49. आंखों का नासूर: 6 ग्राम से 10 ग्राम पंचतिक्त घृत को ठण्डे दूध में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से आंखों का नासूर ठीक हो जाता है।
50. खांसी:
- 250 मिलीलीटर दूध, 125 मिलीलीटर पानी, एक गांठ हल्दी का चूर्ण और जरूरत के अनुसार गुड़ लेकर सभी को एक बर्तन में डालकर उबालने के लिए रख दें और जब उबलते-उबलते केवल दूध ही बाकी रह जाये, तो इसे उतार लेते हैं फिर इसे छानकर खांसी के रोगी को गुनगुना सा पिला देते हैं। इससे खांसी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
- 100 ग्राम जलेबी को 400 मिलीलीटर दूध में मिलाकर खाने से सूखी खांसी में लाभ मिलता है।
- दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करके इसमे चीनी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खांसी ठीक हो जाती है।
51. आंखों का फूला: कमल पुंकेसर, मुनक्का, काकोलीमूल, यष्टिमधु एवं विदारीकन्द, दूध में उबालकर उसका नेत्र बिन्दु तैयार कर लें। इसकी 2 से 4 बूंदे रोजाना आंखों में डालने से आंखों का फूला कट जाता है।
52. कनीनिका शोथ: भैंस का दूध बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंखों के हर भाग (कनीनिका, पुतली) की सूजन, आंखों में दर्द, आंखों का लाल होना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
53. दांत निकलना:
- बच्चे के दांत निकलते समय अतिसार (दस्त) होने पर टोण्ड मिल्क पिलाएं। ध्यान रहे-बच्चे के दांत निकलते समय भैंस का दूध न दें।
- बच्चे के दांत निकलते समय गर्म दूध में हल्का जन्मघुट्टी मिलाकर बच्चों को पिलायें। इससे पेट का दर्द व कब्ज दूर होता है।
54. गर्मी के कारण आंखों का दर्द: औरत का दूध आंखों में डालने से रक्तपित्त और वातजन्य आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
55. नटखन्ड: औरत का दूध और दारूहरिद्रा का क्वाथ (काढ़ा) बना लें इसका अंजन (काजल) के रूप में प्रयोग करने से नटखन्ड रोग में लाभ होता है।
56. सूखी खांसी: 1 गिलास दूध में 10 ग्राम आंवला का चूर्ण डालकर उबाल लें। एक बार सुबह खाली पेट और एक बार रात को सोते समय दूध को थोड़ा-सा ठण्डा करके पीना चाहिए। इसको पीने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
57. रतौंधी: रोजाना सुबह 250 मिलीलीटर गर्म दूध में 20 ग्राम देशी घी मिलाकर पीयें या मक्खन में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर खाएं या 250 मिलीलीटर दूध में 4 छुहारे डालकर और उस दूध को उबालकर छुहारे खाकर दूध को पी लें। इससें दिमाग की कमजोरी से होने वाले सिर का दर्द ठीक हो जाता है और रतौंधी (रात में न दिखाई देना) के रोग में लाभ होता है।
58. रोशनी से डरना:
- भैंस के कच्चे दूध की बूंदे रोजाना आंखों में डालने से रोशनी से डरने के रोग में लाभ होता है।
- बच्चे की मां का दूध आंखों में बूंद-बूंद करके डालने से आंखों के कई सारे रोग दूर हो जाते हैं।
59. हिचकी का रोग :
- गर्म दूध को घूंट-घूंट कर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
- हल्के गुनगुने गाय के दूध को पीने से हिचकी में लाभ होता है।
- भेड़ का दूध पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
60. हकलाना,तुतलाना : हकलापन खत्म करने के लिये 10 ग्राम दूध में 250 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में 2 बार मक्खन के साथ मिलाकर खायें। इससे हकलापन दूर होता है।
61. बवासीर: गाय के ताजे दूध में नींबू का रस निचोड़कर पीयें। इस प्रकार 5 से 6 दिन तक पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।
62. दस्त के साथ ऑव और खून आना: 125 मिलीलीटर बकरी के दूध और 250 मिलीलीटर पानी लें। इसमें 10 ग्राम बेलगिरी डालकर आग पर गर्म करें। जब केवल दूध शेष रह जाये तो इसे छानकर और मिश्री मिलाकर पीने से खूनी पेचिश नष्ट हो जाती है।
63. प्रसव: 125 मिलीलीटर गाय के दूध में 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर पिलाने से प्रसव जल्दी हो जाता है।
64. प्यास अधिक लगना:
- कमजोरी के कारण प्यास अधिक लगने पर दूध पीने से तेज प्यास शान्त हो जाती है।
- ताजा दूध 100 से 500 मिलीलीटर पाचन क्षमता के अनुसार पीने से तेज प्यास दूर होती है।
65. जलोदर: बकरी या गाय का दूध दिन में 3 बार खुराक के रूप में 2 से 3 महीने तक देने से लाभ होता है।
66. पक्वाशय (आमाशय) का जख्म: दूध को पीने से पक्वाशय में लाभ होता है।
67. मोटापा बढ़ाना: दूध में रोटी भिगोकर खाने से ‘शरीर का मोटापा बढ़ जाता है।
68. सोते समय पेशाब निकल जाना: दूध में 1 मुनक्का बीज निकला हुआ पीसकर सोते समय रोगी को देने से उसका पेशाब निकलना बंद हो जाता है।
69. नींद न आना (अनिद्रा):
- दूध से बना मेवा या खोवा सोते समय 50 ग्राम की मात्रा में खाने पर नींद अच्छी आती है।
- 1 चम्मच घी और चीनी 1 गिलास दूध में मिलाकर सोते समय पीने से नींद जल्दी आ जाती है।
70. वात रोग में: भेड़ के दूध में एरण्ड का तेल मिलाकर 4-5 दिन तक मालिश करने से घुटने, कमर और पैरों का वात-दर्द खत्म हो जाता है। तेल को गरम करके मालिश करें और ऊपर से पीपल, एरण्ड या आक के पत्ते लपेट दें।
71. गुल्म (गैस का गोला): गर्म दूध में एरण्ड का तेल या हरड़ का चूर्ण डालकर पीने से गुल्म (गैस के गोले) में लाभ होता है।
72. अवसाद उदासीनता सुस्ती:
- दूध, फल और बिस्कुट का प्रयोग सुबह नाश्ते में करने से मानसिक अवसार (दिमागी परेशानी) ठीक हो जाती है।
- दूध, हरी सब्जियां, सलाद और अंकुरित अनाज को रात के भोजन में लेने से मानसिक अवसाद (दिमागी परेशानी) दूर हो जाती है।
73. अंगुलियों का कांपना: चार कली लहसुन को पीसकर उसे दूध में अच्छी तरह से उबालें। फिर इसमें 2 चम्मच एरण्ड तेल मिलाकर रोजाना सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों का कम्पन कम हो जाता है।
74. मुर्च्छा (बेहोशी):
- स्त्री का दूध बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से बेहोशी दूर हो जाती है।
- लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध में लगभग 6 ग्राम असगन्ध नागौरी और 6 ग्राम शतावर को पीसकर डाल दें। फिर इसमें 250 मिलीलीटर पानी डालकर गर्म करें और जब पानी जल जाये तब इसमें मिश्री मिलाकर रोगी को 1 हफ्ते तक पिलायें। इससे हिस्टीरिया रोग के कारण होने वाली बेहोशी दूर हो जाती है।
75. पेट में दर्द होने पर:
- दूध में पंचमूल की औषधियों को पकाकर पीने से वात के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है।
- गाय के दूध या पेशाब के साथ साफ और शुद्ध एरण्ड के तेल को पीने से दस्त आकर पेट साफ हो जाता है और रोगी को पेट के दर्द से छुटकारा दिलता है।
76. एक्जिमा: 3 से 6 ग्राम महातिक्त घृत (घी) को दूध में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से सब प्रकार के त्वचा के रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
77. दिमाग के कीड़े: दूध में 50 मिलीलीटर ब्राह्मी रस को मिलाकर दिन में 3 बार लेने से दिमागी रोग दूर हो जाते हैं और याददश्त मजबूत हो जाती है।
78. गठिया रोग:
- दही या दूध के साथ 10 ग्राम केंवाच के बीजों को 14 दिन तक खाने से घुटनों में पैदा दर्द दूर होता है।
- 250 मिलीलीटर मेथीदाना और 1 ग्राम आंबाहल्दी को भेड़ के दूध में उबालकर कांच की गोली के आकार की गोलियां बनाकर सुखा लें। यह गोली हलुवे के साथ रोजाना खाने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
- दूध या बताशे में 10 से 15 बूंद अफसन्तीन का तेल मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द दूर होता है।
- रात को सोते समय एरण्ड का तेल दूध के साथ पीने से गठिया के दर्द के साथ-साथ कोष्ठबद्धता (कब्ज) नष्ट हो जाती है।
- लहसुन की 4 कलियों को दूध में उबालकर पीने से जोड़ों का दर्द दूर होता है।
79. चेहरे के फटने पर: सर्दी के मौसम में अक्सर चेहरा सूखकर उसकी चमक खत्म हो जाती है तो वह चमक दोबारा लाने के लिए कच्चे दूध में नींबू का रस मिला लें और इसे रूई से हल्का-हल्का चेहरे पर लगायें और थोड़ी देर के बाद साफ पानी से चेहरे को धो लें।
80. दिल की तेज धड़कन: 1 गिलास गर्म दूध में स्वादानुसार मिश्री या शहद, 10 भीगी हुई किशमिश उसी भिगोये हुए पानी में पीसकर मिलाकर रोजाना 40 दिन पीने से दिल की धड़कन सामान्य होती है और शरीर में शक्ति आयेगी।
81. उच्च रक्तचाप: दूध, बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट, सेब, पपीता, अंजीर आदि उच्च रक्तचाप में लाभकारी है।
82. हाथ-पैरों में ठेक: हाथ-पैरों में ठेक पड़ जाने पर आखडे़ के दूध में गुड़ मिलाकर ठेक पर बांधे तो इस रोग में लाभ मिलता है।
83. खाज-खुजली: दूध के अन्दर पानी मिलाकर रूई के फाये से ‘शरीर पर मल लें और थोड़ी देर के बाद नहा लें इससे खुजली दूर हो जाती है।
84. हृदय रोग: हृदय (दिल) के रोगी को गाय का दूध व घी फायदेमन्द हैं भोजन में इसका प्रयोग रोजाना करें।
85. विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल): गाय का पेशाब, गोबर और दूध को गर्म करके लगाने से विसर्प रोग में आराम आता है।
86. गुल्यवायु हिस्टीरिया: ताजे दूध में मिश्री या शहद तथा भिगोई हुई 10 किशमिश डालकर रोजाना सुबह 40 दिनों तक पीने से हिस्टीरिया में लाभ मिलता है।
87. निम्नरक्तचाप: रोजाना दूध, दही और घी का उचित मात्रा में सेवन करने से रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है।
88. पीलिया:
- 250 मिलीलीटर गाय के दूध में 2 ग्राम सोंठ मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है। भोजन में केवल दूध-रोटी खायें।
- क्रीम निकाला हुआ दूध पीलिया रोग में लाभकारी है।
89. पसलियों का दर्द: दूध में 5 तुलसी के पत्तों और लौंग को डालकर उसे उबालकर बच्चों को पिलाने से बच्चों की छाती मजबूत होती है तथा रोग ठीक होता है।
90. फीलपांव (गजचर्म): जब फीलपांव के रोगी को बीच-बीच में बुखार आ जाता हो तो 10 ग्राम मचनाग और सफेद मिर्च को 150 मिलीलीटर दूध में भिगों लें। प्रत्येक 24 घन्टे बाद दूध बदल दें। 3 दिनों के बाद अदरक के रस में मचनाग को घोंटकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बनाकर रख लें। 1 गोली रोजाना 3 बार लेने से बुखार से छुटकारा मिल जाता है।
91.परिणामशूल (गैस्टिक अल्सर):
- अल्सर के रोग में रोगी को बार-बार दूध पीना चाहिए, भोजन नहीं करना चाहिए। अनार का रस एवं आंवले का मुरब्बा खाएं।
- एक बार ही उबले दूध को 2-2 घंटे के अन्तर के बाद देना चाहिए। पर ध्यान रहे कि खून की उल्टी में दूध का सेवन न करें।
92. उपतारा शोथ: भैंस का दूध आंखों में बूंद-बूंद करके डालने से आंखे लाल होना, आंखो की सूजन और आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
93. कब्ज:
- 250 मिलीलीटर गाय का दूध, 250 मिलीलीटर पानी और 5 साबुत कालीमिर्च लेकर पानी में डालकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उसे उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला (पेट की गैस) का दर्द मिट जाता है।
- गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी या गुलकन्द लेने से शौच खुलकर आती है। बवासीर रोग से ग्रस्त रोगियों को भी इसका सेवन कराना चाहिए। गाय का ताजा दूध पैरों के तलवों पर रगड़ने से बवासीर में राहत मिलती है।
- दूध और का घी का सेवन करने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
- दूध में घी या मुनक्का डालकर सेवन करने से कब्ज नहीं होती है।
- 2 चम्मच गुलकन्द को गर्म दूध में डालकर सोने से पहले पीने से सुबह ‘शौच खुलकर आती है।
- 250 मिलीलीटर दूध में 4 चम्मच ईसबगोल की भूसी डालकर पीने से मल ढीला होकर बाहर निकल जाता है।
- 20 ग्राम ईसबगोल को दूध के साथ रात में सोने से 30 मिनट पहले सेवन करने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
94. अतिक्षुधा भस्मक रोग (अधिक भूख का लगना):
- भैंस का दूध घी में मिलाकर पीने से भस्मक रोग (बार-बार भूख लगना) में लाभ होता है।
- दूध की खीर में चिरचिटे का बीज मिलाकर खाने से भस्मक रोग बार-बार भूख लगना) मिट जाता है।
- 125 मिलीलीटर से 250 मिलीलीटर आक का दूध दिन-रात 4 बार सेवन करने से संग्रहणी (पेचिश) अतिसार (दस्त) रोग दूर हो जाता है।
95. पेट की गैस बनना: दूध में 5 अदद पीपल को डालकर उसमें थोड़ी-सी चीनी मिलाकर पीने से गैस में राहत मिलेगी।
96. बांझपन की पहचान: भूख के समय योनि में गर्भाशय के मुंह पर कच्चे दूध का फोया रखने से यदि मुंह से दूध की सुगंध आए तो समझना चाहिए कि स्त्री बांझ नहीं है।
97. आंवयुक्त दस्त: 100 मिलीलीटर दूध को 300 मिलीलीटर पानी में मिलाकर नागरमोथा डालकर उबालें जब पानी जल जाये तब इसका सेवन करने से आमातिसार (ऑवदस्त) में लाभ होता है।
98. कान का दर्द:
- 200 मिलीलीटर बकरी का दूध और 25 ग्राम कच्चे बेल के गूदे को एक साथ लेकर दोनों की लुगदी बनाकर उसमें 40 मिलीलीटर बकरी का पेशाब और 100 मिलीलीटर सरसों के तेल को डालकर अच्छी तरह पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान से मवाद बहना, कान का दर्द और बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
- 500 मिलीलीटर गाय के दूध को गर्म कर लें, फिर इसमें 20 ग्राम गाय का घी मिलाकर लगातार 3 दिन तक पीने से कान का दर्द चला जाता है।
- बकरी के दूध को कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)