दूर्वादि घृत के फायदे, घटक द्रव्य, उपयोग और नुकसान | Duravadi Ghrita Benefits in Hindi

Last Updated on October 27, 2019 by admin

दूर्वादि घृत क्या है ? : Duravadi Ghrita in Hindi

दूर्वादि घृत एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका उपयोग नकसीर फूटने ,प्रदर रोग के कारण ज्यादा रक्त स्राव,खूनी बवासीर व पित्त के प्रकोप जैसे रोगों के उपचार मे किया जाता है ।

दूर्वादि घृत के घटक द्रव्य :

दूबा (दूर्वा) – 15 ग्राम।
नीलोफर (नीलकमल) का केसर – 15 ग्राम।
मजीठ – 15 ग्राम।
एलवा – 15 ग्राम।
छोटी हरड़ – 15 ग्राम।
लोध – 15 ग्राम।
खस – 15 ग्राम।
नागरमोथा – 15 ग्राम।
लालचन्दन – 15 ग्राम।
पदमकाष्ठ (कमल की डण्डी) – 15 ग्राम।

दूर्वादि घृत बनाने की विधि :

सबको पानी में पीस कर लुगदी बना लें, इस लुगदी को एक किलो गोघृत में डाल कर चार लिटर दूध (बकरी का दूध लें) और चावल का धोवन चार लिटर इसमें डाल कर मन्दी आंच पर पकने के लिए रख दें, इसे तब तक पकाएं जब तक दूध और पानी जल न जाए। जब सिर्फ घी बचे तब उतार लें और कपड़े से निचोड़ कर छान लें तथा बनी में भर लें।

दूर्वादि घृत के फायदे और उपयोग : Duravadi Ghrita Benefits in Hindi

1- रक्तस्राव रोकने में उपयोगी –
यह दूर्वादि घृत अत्यन्त शीतल प्रकृति का होता है और रक्तपित्त, रक्तार्श (खूनी बवासीर), स्त्रियों के रक्त प्रदर तथा अत्यार्तव (Menorrhagia) आदि रोगों में होने वाले रक्तस्राव को शीघ्र रोकता है।

2- पित्त शमन में इसके लाभ –
यह रक्तपित्त, अम्लपित्त और पित्त के प्रकोप का शमन करता है।

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3- अंग से रक्त स्राव होने पर इसका उपयोग –
शरीर के जिस अंग से रक्त स्राव हो रहा हो वहां इस घृत को लगाने से रक्त स्राव रुक जाता है।

4- रक्तपित्त मे लाभदायक –
सारे शरीर पर इस घृत को लगा कर मालिश करने से रक्तपित्त में जल्दी लाभ होता है,

5- नाक से खून निकलने पर इसके लाभ –
नकसीर फूटने पर नाक से खून गिरने पर दो-दो बूंद घी नाक में टपकाना चाहिए।

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6- बवासीर में दूर्वादि घृत के फायदे –
बवासीर में खन गिर रहा हो तो इस घी का एनीमा लगाने और इस घी का फाहा गदा में लगाने से आराम होता है।

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7- रक्त प्रदर रोग में लाभदायक –
स्त्रियों को रक्त प्रदर रोग के कारण ज्यादा रक्त स्राव हो रहा हो तो इस घी का फाहा बना कर सोते समय यह फाहा योनि में अन्दर तक सरका कर रख लेना चाहिए ताकि रात भर अन्दर रखा रह सके। यदि रक्त स्राव के तेज़ प्रवाह के कारण फाहा बाहर निकल आये तो फिर से नया फाहा घी में डुबो कर अन्दर रख लेना चाहिए। इस प्रयोग से रक्त स्राव में कमी आती है।

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8- पेशाब की जलन दूर करने वाला –
पेशाब करने में जलन होने पर भी स्त्रियों को योनि में यह फाहा रखना चाहिए। इस घी को बाह्य रूप से लगाने के साथ ही एकदो चम्मच घी दिन में तीन बार चाट कर या दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

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यदि दुर्वादि घृत आयुर्वेदिक दवा के दुकान पर न मिले तो इसे ऊपर बताई गई निर्माण विधि के अनुसार स्वयं बना लें या किसी अनुभवी वैद्य से बनवा लें। यह घृत खराब नहीं होता इसलिए इसे बना कर घर में रखना ही चाहिए।

दूर्वादि घृत के नुकसान : Duravadi Ghrita Side Effects in Hindi

दूर्वादि घृत लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें

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