Last Updated on May 31, 2022 by admin
फेफड़ों की कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय : Fefade ki Kamjori ka Ilaj in Hindi
1. पालक : खांसी, गले की जलन व फेफड़ों (Lungs) में सूजन होने पर पालक के रस से कुल्ला करना चाहिए।
2. दूध : दूध में 2 पीपली (Pepper) व चीनी मिलाकर गर्म करके प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खांसी तथा फेफड़ों की कमजोरी दूर होती है।
3. तुलसी : तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में लेकर 9 गुना चीनी मिलाकर बारीक पीस लेते हैं और यह चुटकी भर की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इससे फेफड़ों में जमा कफ नष्ट होकर निकल जाता है।
नोट :- तुलसी के पत्तों की जगह “तुलसी अर्क “का प्रयोग भी किया जा सकता है |
4. मुनक्का : मुनक्का के ताजे और साफ 15 दाने को रात में 150 मिलीलीटर पानी में भिगों दे। सुबह इसके बीज निकालकर फेंक दें और गूदा एक-एक करके खूब चबा-चबाकर खाएं। बचे हुए पानी में थोड़ी सी चीनी मिलाकर या बिना चीनी मिलाएं ही पी लें। 1 महीनें तक मुनक्का का सेवन करने से फेफड़ों की कमजोरी और विषैले मवाद नष्ट हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप दमा के दौरे भी बन्द होते हैं। इससे पुरानी खांसी, नजला और पेट की खराबियां दूर होती है। कब्ज, बवासीर, नकसीर तथा मुंह के छालों के लिए भी यह बहुत लाभकारी है। इसके सेवन से मूत्र खुलकर आता है तथा खून में लाल कणों की मात्रा बढ़ जाती है। खून शुद्ध होता है और खून, वीर्य व बल बढ़ता है। (इसे भी पढ़े : फेफड़ों में पानी भरना व सूजन को दूर करने के सफल 19 घरेलु उपचार )
5. शहद : शुद्ध शहद एक चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से व्यक्ति के फेफड़े मजबूत होते हैं। इसका 1-2 महीने उपयोग करना चाहिए। ध्यान रहें कि रोग के नष्ट होने के बाद केवल स्वाद के लिए बिना किसी आवश्यकता के शहद का सेवन न करें।
6. अंगूर : फेफड़ों के सभी प्रकार के रोग जैसे यक्ष्मा, खांसी, जुकाम और दमा आदि के लिए अंगूर का सेवन करना बहुत लाभकारी होता है।
7. अंजीर : फेफड़ों के रोगों में 5 अंजीर को एक गिलास पानी में उबालकर पीना चाहिए। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह-शाम करने से फेफड़ों का रोग नहीं होता।
8. लहसुन : लहसुन के प्रयोग से कफ नष्ट होता है। इसलिए खाना खाने के बाद लहसुन का सेवन करना चाहिए।
9. मुलहठी : मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूजन, सूखी कफ वाली खांसी में लाभ करती हैं। मुलहठी फेफड़ों को बल देती है अत: फेफड़ों सम्बंधी रोगों में लाभकारी हैं। इसको पान में डालकर खाने से लाभ होता हैं। टी.बी. (क्षय) रोग में भी इसका काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है।
10. गुलाब : 1 कप गुलाब जल को चौथाई कप पानी के साथ दिन में 2-3 बार पीने से सीने में जलन तथा जी मिचलाना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
11. शहतूत के पत्ते : शहतूत के पत्तों से लीवर, फेफड़ों के रोग, फेफड़ों की जलन जिससे ज्वर, सिरदर्द, कण्ठ दर्द, खांसी दूर होती है। आंखों में दर्द, ललाई, पानी आता हैं और खून की उल्टी आदि में लाभ होता है। (इसे भी पढ़े : टीबी T.B.रोग का सरल घरेलु आयुर्वेदिक उपचार )
फेफड़ों को स्वस्थ्य और मजबूत रखने के उपाय : Lungs ko Swasth Rakhne ke Upay
- गहरे श्वास की प्रक्रिया के फलस्वरूप फेफड़ों द्वारा रक्तकोष तथा मस्तिष्क का अधिकाधिक ऑक्सीजन मिलती है तथा अवांछित जलीय और गैसीय तत्वों को निष्कासन होता है। इससे सम्पूर्ण शरीर शुद्ध और तरोताजा हो आकर्षक हो जाता है।
- वर्तमान समय में आज लम्बी दौड़ के स्थान पर टहलने और खतरों भरे भारी व्यायाम की जगह हल्के व्यायाम का चलन बढ़ रहा है।
- भारतीय ऋषियों ने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए सूर्योदय से पहले ब्रहममुहूर्त में उठने और सुबह के समय टहलने पर बहुत जोर दिया है।
- आजकल पैदल चलना छोड़कर अधिकाधिक वाहन निर्भरता ही हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों को प्रमुख कारण बन गया है।
- प्रतिदिन 3-4 किलोमीटर पैदल चलने वाले व्यक्तियों को दिल की बीमारी और डायबिटीज नहीं होती है।
टहलने के बाद गहरी सांस की प्रक्रिया :
- टहलने के बाद गहरी सांस की प्रक्रिया से फेफड़े रोग नहीं होते हैं बल्कि सदाबहार यौवन से युक्त रहते हैं।
- इसके लिए सुबह टहलते समय आपको केवल इस क्रिया का अहसास करना है कि जब श्वास भीतर लें तब श्वास सरलता पूर्वक नाक के अन्दर खींचे और जब श्वास छोड़े तब मुंह से लंबी फूंक मारते हुए बलपूर्वक आधिकाधिक श्वास बाहर निकाले।
- मुंह से बलपूर्वक अधिक लंबा सांस छोड़ने के बाद जब आप मुंह बन्दकर नाक श्वास से आसानीपूर्वक लेंगे तो श्वास स्वत: ही गहरी हो जाएगी।
फेफड़ों की कमजोरी दूर करने की आयुर्वेदिक दवा :
- “ह्रदय सुधा सिरप“हृदय के रोगों व फेफड़ों के रोग दूर करने वाली एक लाभकारी औषध है ।हृदय रोगियों व फेफड़ों के रोगियों को इसे एक बार जरुर आजमाना चाहिये ।
- “शोधन कल्प चूर्ण ” शरीर की अनावस्यक चर्बी को घटा कर फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है । यह एक निर्दोष औषधि है इसे रोगी-निरोगी कोई भी ले सकता है ।