घुटने की चोट : प्रकार, जांच और उपचार

Last Updated on November 23, 2021 by admin

काम-काज और खेल-कूद के दौरान चोट लगने से जोड़ों और हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने की समस्या अत्यंत आम है। जोड़ों में चोटों के कारण स्पोंडाइलोसिस, हैमस्ट्रिंग में खिंचाव, घुटने की मेनिस्कस टूटने और कंधे में रोटेटर कप में गड़बड़ी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। खेल-कूद के दौरान लगने वाली सभी तरह की चोटों में से लगभग 20 प्रतिशत घुटने की चोट होती है। घुटने शरीर के सबसे महत्त्वपूर्ण जोड़ हैं, क्योंकि घुटने के जोड़ पर ही शरीर का सारा वजन टिका होता है। लिगामेंट और मांसपेशियों द्वारा बँधे रहने वाले घुटने को गलत या असामान्य तरीके से मोड़ने, घुटने पर जोर का झटका लगने या दबाव पड़ने से लिगामेंट टूट जाते हैं, जिसके कारण घुटने क्षतिग्रस्त होकर अपनी जगह से हट जाते हैं।

घुटने की चोट और उनके प्रकार :

घुटने की चोट कई तरह की होती है –

  1. रनर्स नी – सबसे सामान्य किस्म की घुटने की चोट ‘रनर्स नी’ कहलाती है। यह समस्या आम तौर पर लंबी दूरी की दौड़ में लगातार दौड़ने के कारण होती है। लगातार दौड़ने से पैर के घुटने के बाहर स्थिति इलियोटेबल बैंड घुटने की हड्डी से रगड़ खाता है और घुटने के बाहरी तरफ दर्द होता है।
  2. जंपर्स नी – अधिक उछल-कूद करने वाले खिलाड़ियों को ‘जंपर्स नी’ की शिकायत होती है। वॉलीबॉल, बॉस्केटबॉल और भारोत्तोलन जैसे खेलों में घुटने के आगे स्थित पटेला के पैर की हड्डी पर बार-बार रगड़ खाने से घर्षण पैदा होती है, जिससे वहाँ सूजन के साथ दर्द भी होता है।
  3. पटेलो फिमोरल स्ट्रेस सिंड्रॉम – धावकों में ‘पटेलो फिमोरल स्ट्रेस सिंड्रॉम’ ज्यादा होती है। यह घुटने की कटोरी (पटेला) के गलत जगह बैठ जाने या उसके गलत दिशा में चलने के कारण होती है। इसमें घुटने की हड्डी के नीचे दर्द रहता है। खासकर सीढ़ी चढ़ने-उतरने और पहाड़ी चढ़ने-उतरने में रोगी को तेज दर्द होता है। देर तक और पैर मोड़कर बैठे रहने के बाद खड़ा होने के समय भी रोगी को काफी परेशानी होती है।
  4. पटेलर सबलक्सेशन – कई बार फुटबॉल या अन्य खेलों में गिरने के कारण घुटने की कटोरी (पटेला) अपनी जगह से खिसक जाती है। इस स्थिति को पटेलर सबलक्सेशन या डिसलोकेशन कहते हैं।

मेनिस्कल इंजरी और लिगामेंट इंजुरी :

घुटने की चोटों में खासकर दो चोटें – मेनिस्कल इंजरी और लिगामेंट इंजुरी सबसे सामान्य हैं।

मेनिस्कस घुटने की दो हड्डियों के बीच में एक वॉशर के रूप में रहता है, जिसका काम भार वहन करना होता है। यह शॉक एब्जार्वर का भी काम करता है, जबकि लिगामेंट घुटने की दो हड्डियों को आपस में बाँधकर रखता है। जब कोई खिलाड़ी खेल के दौरान जाने-अनजाने अपने घुटने को असामान्य रूप से या गलत तरीके से मोड़ता है तो मेनिस्काई और लिगामेंट दोनों को चोट पहुँच सकती है और खिलाड़ी को सूजन और दर्द के कारण तुरंत खेल के मैदान से निकलना पड़ सकता है।

कभी-कभी खेल के दौरान लिगामेंट खासकर क्रूसिएट लिगामेंट या मेनिस्काई टूट जाती है, जिसका इलाज ऑपरेशन से ही संभव होता है। इसी तरह खेल के दौरान घुटने के आस-पास की मांसपेशियों में सूजन आना या चोट लगना सामान्य बात है। इससे हैमस्ट्रिंग-स्ट्रेन या टेंडेनाइटिस, बाई-सेफ्स फिमोरिस मांसपेशी के टूटने, पोपुलिटेल टेडेनाइटिस और सेमिमेंब्रेनोसिस टेंडेनाइटिस जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

जाँच एवं उपचार :

मैचों के दौरान खिलाड़ी के घुटने में चोट लगने पर अकसर यह देखा जाता है कि टीम के डॉक्टर मैदान में जाकर चोट वाली जगह पर सामान्य एनेस्थेटिक स्प्रे कर तथा जोड़ को आगे-पीछे हिलाकर या स्ट्रेप करके खिलाड़ी को वापस मैदान में खेलने के लिए भेज देते हैं, जबकि ऐसा करना गलत है, क्योंकि इससे खिलाड़ी के घुटने की चोट बढ़ सकती है। किसी खिलाड़ी के घुटने में चोट लगने पर तत्काल किसी विशेषज्ञ से इलाज कराना चाहिए।

विशेषज्ञ क्लिनिकल परीक्षण, एक्स-रे, एम.आर.आई. इत्यादि की मदद से चोट की पहचान करते हैं और उसी के आधार पर इसका इलाज करते हैं। हालाँकि अधिकतर मरीजों को फिजियोथेरैपी, स्ट्रेपिंग या सामान्य इंजेक्शन देने से ही लाभ पहुँच जाता है, लेकिन कुछ चोटों मे ऑपरेशन तक की नौबत आ जाती है। घुटने की चोटों में खासकर मिनिस्कस या क्रूशिये लिगामेंट इत्यादि के टूट जाने पर आर्थोस्कोपी या दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन करना सबसे बेहतर उपाय है।

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