Last Updated on September 19, 2022 by admin
गोक्षुरादि चूर्ण क्या है ? gokshuradi churna in hindi
गोक्षुरादि चूर्ण हर्बल पाउडर रूप में एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग मूत्र रोगों और सूजन के लिए आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है। आजकल के फेशन परस्त, कामुकता और अश्लीलता के रंग में रंगे हुए वातावरण के प्रभाव से अधिकतर पुरुष विशेषकर युवा पीढ़ी के युवक शुक्र की निर्बलता,मूत्र एवं यौन रोगों से पीड़ित हो रहे हैं और ऐसे पीड़ितों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है।
ऐसे वातावरण को बनाने और फैलाने के मामले में पहले फिल्म जगत और कुछ अश्लील पत्रिकाओं और अश्लील साहित्य का ही हाथ था पर टी वी चैनल्स तो इनसे कई गुना आगे बढ़ गये हैं क्योंकि फिल्म देखने तो टाकीज़ तक जाना पड़ता था पर टी वी तो बेडरूम तक घुस गया है। अपने दर्शक बढ़ाने के लिए चेनल बालों में नये नये हथकण्डे स्तेमाल करने की होड़ लगी हुई है। सीरियलों में जो निर्लज्जता दिखा रहे हैं उससे ज्यादा नंगेपन, बेशर्मी और कामुकता से भरे दृश्य तो विज्ञापनों में दिखा रहे हैं।
युवकों के मन ओर अन्तरमन पर ऐसे दृश्य गहरा प्रभाव डाल रहे हैं और वे सोते जागते कामुक दृश्य याद करके ‘काम ज्वर’ के रोगी हो रहे हैं और स्वप्नदोष, शीघ्रपतन व धातुक्षय जेसी व्याधियों से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे रोगियों को इन सबका त्याग कर, आचार-विचार को शुद्ध ओर सात्विक बनाना होगा तभी कोई औषधि उनको लाभ कर सकेगी। ऐसे यौन विकारों से पीड़ित पुरुष वर्ग के लिए एक उत्तम पोष्टिक ओर बल वीर्य वर्धक आयुर्वेदिक योग ‘गोक्षुरादि चूर्ण’ का परिचय प्रस्तुत है।
गोक्षुरादि चूर्ण के घटक द्रव्य : gokshuradi churna ingredients in hindi
- गोखरू,
- तालमखाना,
- शतावर,
- कौंच के बीज,
- नाग बला
- अति बला
सभी 6 द्रव्यों को समान वज़न में लें।
गोक्षुरादि चूर्ण बनाने की विधि : preparation method of gokshuradi churn
सभी 6 द्रव्यों का खूब बारीक पिसा छुना हुआ चूर्ण 100-100 ग्राम लेकर मिला लें और छन्नी से तीन बार छान लें ताकि सभी 6 द्रव्यों का चूर्ण ठीक से मिल कर एक जान हो जाए फिर बड़ी बर्नी में भर कर रख लें।
सेवन की मात्रा और अनुपान : gokshuradi churn dosage
सुबह शाम 1-1 छोटा चम्मच भर चूर्ण कुनकुने गर्म मिश्री मिले दूध के साथ नियमपूर्वक तीन मास तक सेवन करें।
गोक्षुरादि चूर्ण के फायदे और उपयोग : gokshuradi churn ke fayde in hindi
gokshuradi churn ke labh in hindi
इस योग का सेवन तीन मास तक तो सुबह शाम करना ही चाहिए। इसे सेवन करते समय किसी प्रकार की खटाई, विशेषकर इमली, अमचूर और आम का अचार का सेवन नहीं करना चाहिए और कामुक चिन्तन कदापि नहीं करना चाहिए। अपना पेट और दिमाग़ साफ़ रखना चाहिए। इतने नियमों का सख्ती से पालन करते हुए ‘गोक्षुरादि चूर्ण’ का तीन मास तक सेवन करने से धातु व वीर्य दौर्बल्यता ग़ायब हो जायगी ।
1. पौष्टिक व बलवीर्य वर्द्धक : यह योग अत्यन्त पौष्टिक, बलवीर्य वर्द्धक है। आजकल मादक द्रव्यों को शामिल करके बनाई जा रही कामोत्तेजक दवाइयों के विज्ञापनों से अखबारों और मैगज़ीनों के पन्ने भरे रहते हैं और भोले तथा अज्ञानी युवक ऐसे विज्ञापनों की आकर्षक भाषा शैली से प्रभावित हो कर यौन शक्ति बढ़ाने वाली इश्तेहारी दवाएं खरीद कर खा रहे हैं बिना यह जाने समझे कि इस दवा में क्या-क्या घटक द्रव्य मिलाये गये हैं। ऐसे सभी युवक आयुर्वेद के इस जाने माने तथा प्रतिष्ठित योग का कम से कम तीन मास तक सुबह शाम सेवन करें और इसके चमत्कारिक प्रभाव से लाभ उठा नपुसंकता ,बल वीर्य की कमी दूर करें। ( और पढ़े –वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )
2. पथरी : गुर्दा और मूत्राशय की पथरी दूर करने में यह चूर्ण बहुत ही लाभदायक है (और पढ़े – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार )
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया बाज़ार में मिलता है।
गोक्षुरादि चूर्ण के नुकसान : gokshuradi churn side effects in hindi
इस दवा के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं फिर भी इसे आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)