Last Updated on September 7, 2024 by admin
परिचय :
गोंद कतीरा एक तरह का गोंद है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।
गोंद कतीरा के औषधीय गुण :
- रंग : गोंद कतीरा का रंग सफेद और पीला होता है।
- स्वाद : यह फीका व हल्का खट्टा होता है।
- स्वरूप : गोंद कतीरा एक कांटेदार पेड़ का गोंद है।
- स्वभावः यह ठंडा होता है।
- तुलना : बबूल का गोंद और लौकी के बीज से गोंद कतीरा की तुलना की जा सकती है।
- गोंद कतीरा शरीर के खून को गाढ़ा करता है।
- हृदय की कठोरता को दूर करता है और आंतों की खराश को दूर करके बलवान बनाता है।
- यह शरीर से निकलने वाले खून को रोकता है, सांस रोग को दूर करता, खांसी को नष्ट करता व कफ दूर करता है।
- यह छाती की खरखराहट और फेफड़ों के जख्मों को खत्म करता है।
- इसका प्रयोग जहर को उतारने के लिए भी किया जाता है विशेषकर गर्म मिजाज वालों व्यक्ति के जहर को।
- पेशाब की जलन, मासिकस्राव का कम आना, हाथ-पैरों की जलन, सिर की जलन, खुश्की, अधिक प्यास लगना आदि रोग ठीक होते हैं।
सेवन की मात्रा :
इस 4 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।
गोंद कतीरा के फायदे (Gond Katira ke Fayde aur Upyog)
1. जीभ की प्रदाह और सूजन: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को रात को भिगोकर रख दें और सुबह गोंद कतीरा को उसी पानी में अच्छी तरह से घोटकर मिश्री मिलाकर पीएं। इसी तरह सुबह को भिगोंकर शाम को पीएं और शाम को भिगोंकर सुबह को पीएं। इससे जीभ की जलन तथा सूजन खत्म होती है।
2. मूत्ररोग: 10 ग्राम से 20 ग्राम गोंद कतीरा सुबह शाम फुलाकर मिश्री के साथ शर्बत घोटकर पीने से मूत्ररोग में लाभ मिलता है।
3. मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां: गोंद कतीरा तथा मिश्र को बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और 2 चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ सेवन करें। इससे मासिक धर्म सम्बंधी सभी परेशानी दूर होती है।
4. कौआ गिरना: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को पानी में फुला लें और फिर इसे मिश्री मिले शर्बत में घोटकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीएं। इससे कौआ का बढ़ना ठीक होता है।
5. पेचिश: 6 ग्राम गोंद कतीरा को 250 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह गोंद कतीरा को छानकर 10 ग्राम चीनी मिलाकर पीने से पेचिश का रोग ठीक होता है।
6. गर्मी अधिक लगना: अगर शरीर अधिक गर्म महसूस हो तो गोंद कतीरा को पानी में भिगोकर मिश्री मिले शर्बत के साथ घोटकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे शरीर की गर्मी दूर होती है।
7. रक्तप्रदर: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा रात को पानी में भिगो दें और सुबह उसी पानी में मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर सेवन करें। इससे रक्तप्रदर दूर होता है।
8. सिर का दर्द: लगभग 4 ग्राम मेंहदी के फूल और लगभग 3 ग्राम गोंद कतीरा को मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रख दें और सुबह मिश्री के साथ पीस कर पीएं। इससे सिर दर्द के अलावा जलन और सिर के बालों का झड़ना भी बंद होता है।
9. पैरों की जलन: गोंद कतीरा रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे हाथों-पैरों की जलन दूर होती है। इसका प्रयोग गर्मियों में बहुत ही लाभदायक है।
10. गले की गांठ: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को पीसकर व मिश्री मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से गले के सभी रोग ठीक होते हैं।
11. कण्ठमाला:
- 2 भाग गोंद कतीरा और 2 भाग नानख्वा को बारीक पीसकर धनिये के पत्तों के रस में मिलाकर प्रतिदिन गले पर लेप करने से कंठमाला (गले की गांठ) में आराम मिलता है।
- लगभग 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को पानी में फुला लें और फिर इसे मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर सुबह-शाम पीएं। इससे गले के रोगों में पूरा लाभ मिलता है।
12. स्वरयंत्र की जलन: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को सुबह-शाम सेवन करने से स्वरयंत्र की जलन दूर होती है। गोंद कतीरा को सेवन करने से कुछ घंटे पहले पानी मे भिगों देना चाहिए और फिर मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर पीना चाहिए।
13. विनसेण्ट एनजाइना: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा फुलाकर मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर सुबह-शाम पीने से विनसेण्ट एनजाइना रोग ठीक होता है।
14. गले की पेशियों का पक्षाघात: 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को पानी में फूला लें और मिश्री मिले हुए शर्बत में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे गले की पेशियों का पक्षाघात रोग ठीक होता है।
गोंद कतीरा के दुष्प्रभाव :
कतीरा का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पेट में गोटी बन सकता है।
दोषों को दूर करने वाला : अनीसून, गोंद कतीरा में मौजूद दोषों को दूर करता है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।