Guldaudi in Hindi | गुलदाउदी के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on April 5, 2020 by admin

गुलदाउदी क्या है ? : What is Guldaudi (Chrysanthemum) in Hindi

पुष्पों को देखने से, सूंघने से, धारण करने से तथा इन पुष्पों के कई कल्प बनाकर सेवन करने से रोग निवारण होता है। अकेली सेवन्ती की चीन- जापान में लगभग 50-60 जातियाँ पाई जाती हैं। इसी प्रकार मुख्यत: चीन- जापान का एक पुष्प गुलदाउदी भी है। इसके क्षुप भारत के भी जंगलों में पाये जाते हैं। इसे उद्यानों में भी लगाया जाता है। गुलसेवती (सफेद गुलाब) और गुलदाउदी में कोई विशेष अन्तर नहीं होने से कई व्यक्ति गुलदाउदी को गुलसेवती ही कहते हैं।

गुलदाउदी का पौधा कैसा होता है ?

भृंगराज कुल का यह सुगन्धित क्षुप (पौधा) लगभग तीन फुट तक ऊँचा होता है। इसके पत्र गुल सेवती या कपास के पत्र जैसे कतरनदार होते हैं। उद्यानों में लगाये गये इसके पौधों के पत्ते जंगली पौधों के पत्तों की अपेक्षा बड़े होते हैं किन्तु उनमें सुगन्ध, जंगली पौधों के पत्तों की अपेक्षा कम होती है। उद्यानों के क्षुपों पर आये पुष्प जंगली पुष्पों की अपेक्षा बड़े एवं अधिक सुगन्धित होते हैं। ये पुष्प गेंदा या गुलसेवती के पुष्प जैसे किन्तु कुछ धूसर वर्ण के श्वेत, किसी में पीले तथा किसी पौधे पर नारंगी रंग के होते हैं। ये पुष्प शरद् ऋतु में आते हैं। इसकी जड़ अकरकरे की जड़ जैसी होती है। यह गुणों में भी उसके समान ही होती है। यह जड़ विद्रधि पर पीसकर लगाने से वह फूट जाती है।

गुलदाउदी का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Guldaudi in Different Languages

Guldaudi (Chrysanthemum) in–

  • संस्कृत (Sanskrit) – शतपत्रिका, शिववल्लभा, चन्द्रमल्लिका ( ये ही नाम गुलसेवती के भी हैं।)
  • हिन्दी (Hindi) – गुलदाउदी ,सेवती
  • गुजराती (Gujarati) – गुलदाउदी
  • बंगाली (Bangali) – गुलदाउदी
  • मराठी (Marathi) – दवण शेवती
  • लैटिन (Latin) – क्रिसेंन्थिमम कारोनेरियम (Chrysanthemum coronarium)

गुलदाउदी के औषधीय गुण : Guldaudi ke Gun in Hindi

  1. गुलदाउदी के फूल एवं पत्र कटु, ग्राही, शीतवीर्य और पित्त शामक होतें है ।
  2. इसके फूल एवं पत्र दीपन, पौष्टिक, उत्तेजक, हृद्य और वीर्यवर्धक है ।
  3. यह मूत्रल, ऋतुस्रावनियामक, कान्तिवर्धक तथा यकृत विकार, रक्तपित्त दाह, मुखपाक, रक्तविकार प्रमेह आदि नाशक हैं।
  4. गुलदाउदी वात पित्त शामक हैं।
  5. यूनानी मतानुसार गुलदाउदी के फूल दूसरे दर्जे में – गरम और पहले दर्जे में खुश्क होते हैं।
  6. खजाइनुल अदबिया के मतानुसार यह गुर्दे और मसाने (मूत्राशय) की पथरी को तोड़ने में बहुत मुफीद साबित हुई है।

गुलदाउदी के उपयोगी अंग :

फूल ,पत्र एवं मूल

सेवन की मात्रा :

चूर्ण – 2 से 5 ग्राम,
क्वाथ – 25 से 50 मि.लि.

गुलदाउदी के फायदे और उपयोग : Guldaudi ke Fayde in Hindi

पित्तज्वर में लाभकारी है गुलदाउदी का सेवन

गुलदाउदी के फूलों का या पत्तों का फाँट या क्वाथ बनाकर पिलाने से वमन द्वारा पित्त निकल जाने से ज्वर शान्त हो जाता है। यह फाण्ट क्वाथ यकृत के विविध विकारों में भी लाभदायक है।

खूनी बवासीर (रक्तार्श) ठीक करे गुलदाउदी का प्रयोग

गुलदाउदी के पत्तों का शीतनिर्यास तैयार कर उसमें देशी शक्कर मिलाकर सेवन कराना चाहिये।

( और पढ़े – बवासीर के घरेलू उपचार )

हृदय रोग में गुलदाउदी का उपयोग फायदेमंद

हृदय विकारों में गुलदाउदी के पुष्पों का अर्क या गुलकन्द लाभ पहुँचाता है।

सूजन (शोथ) मिटाए गुलदाउदी का उपयोग

गुलदाउदी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कफजन्य शोथ (सूजन) दूर होता है। इस शोथ में इसके पुष्प भी लाभ पहुँचाते हैं। वह कफजन्य शोथ जो निरन्तर बढ़ रहा हो, उस पर 10 ग्राम गुलदाउदी के पुष्प, तीन ग्राम सोंठ और एक ग्राम सफेद जीरा लेकर पीसकर लेप करना चाहिये। इससे सूजन बिखर जाती है। पुष्प पीले हों तो अधिक उपयुक्त

पथरी दूर करने में गुलदाउदी फायदेमंद

गुलदाउदी के सूखे फूलों का चूर्ण 4 से 5 ग्राम लेकर उसमें समभाग मिश्री मिलाकर पानी के साथ पिलाते हैं, अथवा 30 ग्राम फूलों का क्वाथ बनाकर पिलाते हैं। इससे वृक्काश्मरी तथा मूत्राशय की पथरी टूट कर निकल जाती है। पथ्य रूप में रोगी को चावल खिलावें। चावल पकाते समय जब चावल आधे पक जावें तब उसमें इसके फूलों की पोटली बनाकर छोड़ दें। चावल पक जाने के पश्चात् पोटली को निकाल कर उन चावलों में दूध शक्कर मिलाकर रोगी को खिलाना चाहिये।

( और पढ़े – पथरी का इलाज )

आग से जलने पर गुलदाउदी का उपयोग लाभदायक

गुलदाउदी (guldaudi) के पुष्पों को या पत्तों को पीसकर लेप करने से दाह मिटता है और व्रण (घाव) भरते हैं।

गोनोरिया (पूयमेह) रोग में गुलदाउदी से फायदा

गुलदाउदी के पत्तों को 4-5 काली मिर्चों के साथ पीसकर पानी मिलाकर छानकर पिलाने से पूयमेह (गोनोरिया /gonorrhoea ) का दाह दूर होता है ओर मूत्र खुलकर आता है। अन्य कारणों से भी मूत्रकृच्छ (बार-बार और थोड़ा-थोड़ा करके पेशाब होना) होने पर भी यह प्रयोग उपयोग में लाया जा सकता है।

गुलदाउदी के इस्तेमाल से बाजीकरण में लाभ

गुलदाउदी के हरे कोमल पत्तों को पीसकर अण्डकोष और गुदा के बीच के स्थान पर धीरे धीरे कुछ देर मलने से कामेन्द्रिय की शक्ति बढ़ती है।

मस्तिष्क विकार दूर करने में गुलदाउदी के औषधीय गुण फायदेमंद

शीतजन्य मस्तिष्क विकारों पर गुलदाउदी के पुष्पों को सूंघते रहने से ही बहुत कुछ लाभ होता
है।

गांठ मिटाता है गुलदाउदी

गुलदाउदी के पत्तों को पीसकर पुल्टिस बनाकर बाँधने से गांठ या तो बिखर जाती है या वह शीघ्र पक कर फूट जाती है।

गर्भाशय की सूजन दूर करने में गुलदाउदी का उपयोग लाभदायक

गुलदाउदी (guldaudi) के पुष्पों का क्वाथ बनाकर उसमें बैठकर कटिस्नान करने से लाभ होता है। साथ में पत्र या पुष्पों का, फाण्ट बनाकर सेवन कराना चाहिये। इससे मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है। इससे अजीर्ण, आध मान आदि भी दूर होते हैं। युवकों में इसके सेवन से प्रमेह में लाभ होता है।

गुलदाउदी के दुष्प्रभाव : Guldaudi ke Nuksan in Hindi

गुलदाउदी का अधिक मात्रा सेवन दस्त जैसी समस्या उत्पन्न कर सकता है।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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