Last Updated on January 26, 2022 by admin
गुस्सा या क्रोध क्यों आता है ? gussa kyun aata hai
क्रोध करना कमजोरी, हीनता, विवशता और दुर्बल मानसिकता का सूचक होता है। इसीलिए कमजोर को ज्यादा क्रोध आता है। जब किसी का वश नहीं चलता तब उसे क्रोध आता है। जब मनमाफिक काम नहीं होता तब क्रोध आता है। अच्छीभली स्थिति में क्रोध नहीं आता । जो विवेक युक्त, गंभीर हृदय और दूरदर्शी होते हैं उन्हें क्रोध नहीं आता। जिनका हृदय प्रेम, करुणा, आत्मीयता और ममत्व के भावों से भरा होता है उन्हें क्रोध नहीं आता। जो सही मायनों में मानवीय गुणों से युक्त होते हैं। उनको क्रोध नहीं आता।
गुस्सा या क्रोध के दुष्परिणाम या नुकसान : krodh (gusse) ke nuksan
जरा गहरे से सोचें तो क्रोध करने से सिवाय हानि के कोई लाभ नहीं होता। सिवाय बिगाड़ होने के बनता कुछ नहीं वरना क्रोध के बाद पश्चाताप न होता। इसके प्रभाव से शरीर में पित्त कुपित होता है, एसिडिटी बढ़ती है, भूख | और निद्रा का नाश होता है। क्रोध का जन्म अविवेक से और अंत पश्चाताप से होता है। क्योंकि विवेक हो तो क्रोध उत्पन्न ही नहीं होता। क्रोध हुआ इसका मतलब ही विवेक हीनता होना है।
विवेकहीन होकर क्रोध के वश में हो जाने से अच्छे-बुरे का बोध नहीं रहता और क्रोधी वैसा काम भी कर बैठता है जैसा दरअसल वह चाहता तो नहीं था पर कर बैठा। इसके लिए वह बाद में पश्चाताप करता है और जीवन भर खून के आंसू रोता है। क्रोध के वश होने वालों ने बड़े भयानक और विनाशकारी काम किये हैं और बाद में तड़पे हैं, रोये हैं और पछताए हैं। लेकिन फिर पछताने से होता भी क्या है। आइये जाने krodh par niyantran ke upay,krodh se kaise bache
क्रोध से बचने के उपाय : krodh se bachne ka upay in hindi
क्रोध से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि जब भी क्रोध की स्थिति सामने आए तब
उस स्थान से हट जाएं और क्रोध करना स्थगित रखें, तत्काल आवेश में न आएं। कुछ अन्य उपाय
1. पहला उपाय : विलंब (कल पर टालना) –
क्रोध से बचने के लिए अलग-अलग तरीके बताएँ जाते हैं। जिसमें पहला व अद्भुत उपाय यहाँ बताया गया है।
क्रोध मुक्ति का पहला उपाय 90 प्रतिशत लोगों के अंदर पहले से ही है। आज 90 प्रतिशत लोगों में यह आदत देखी गई है ‘कामों को कल पर टालने की’ (प्रोक्रेस्टिनेशन)। जिसमें लोग पहले से ही निपुण हैं, चतुर हैं। किसी काम को कल पर टालने की तकनीक सभी जानते हैं। बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों में यह आदत गहराई में जा चुकी है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आपकी यही आदत क्रोध मुक्ति का पहला उपाय सिद्ध होगी।
कामों को कल पर टालने की बजाय, आप क्रोध को कल पर टालें यानी क्रोध करना हो तो ‘कल कर लेंगे’ ऐसा निर्णय लें। किसी ने भला-बुरा कहा, गाली दी तो आप उसकी प्रतिक्रिया कल पर टालें यानी विलंब करें। यह विलंब, क्रोध की ज्वाला को शांत करने के लिए एक प्रभावशाली दवाई है। असफल न होने वाली दवाई है। ( और पढ़े –गुस्सा(क्रोध) दूर करने घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खे )
2. दूसरा उपाय : परिणाम सोचना –
लोग खाने-पीने के बारे में बहुत कुछ सोचते हैं। जैसे लहसून खाऊँ कि नहीं, प्याज खाऊँ कि नहीं, इस केक में अंडा है या नहीं, आज दिन कौन सा है, इस दिन खट्टा खाऊँ कि नहीं इत्यादि मगर जो सोचना चाहिए वह नहीं सोचते। हम यह विचार नहीं करते कि क्रोध के क्या परिणाम होंगे? अगर क्रोध आने से पहले, क्रोध के परिणामों पर विचार किया जाए तो क्रोध को नियंत्रित करना आसान होगा। जब भी गुस्सा आ रहा हो तब यह सोचने की आदत डालें कि ‘मेरे इस क्रोध करने से क्या-क्या अनिष्ट हो सकता है।’ अगर क्रोध आने से पहले मैं क्या बोलने जा रहा हँ’ उन शब्दों के परिणामों पर पहले ही सोच लिया जाए, तो आप क्रोध के पहले ही सजग हो जाएँगे। जिससे क्रोध से मुक्त होना आसान लगेगा।
3. तीसरा उपाय : धीमे बोलना –
आज का विज्ञान यह खोज कर रहा है कि जोर से बोलने की वजह से या चीखने से क्रोध बढ़ता है, या क्रोध बढ़ने से आवाज ऊँची होती है। जिस पर यह निष्कर्ष पाया गया कि आवाज बढ़ने से क्रोध बढ़ता है। तो जब भी आपके सामने दूसरा व्यक्ति क्रोध कर रहा हो, तो आपको धीमे बोलना चाहिए। यह अपने तथा सामनेवाले के क्रोध को नियंत्रित करेगा। यह उपाय आपकी संकल्प शक्ति भी बढ़ाएगा। जब भी आपको गुस्सा आए या आपके सामनेवाले को गुस्सा आए, तो आप अपनी आवाज धीमी कर लें। ऐसा करना कठिन भी है लेकिन संभव है। अगर इसकाअभ्यास आप पहले से ही करते हो, तो इसव अपने जीवन में देखोगे।
वरना आज तक लोगों ने क्रोध को बढ़ावा देने का कार्य ही किया है। जैसे एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति पर बहुत क्रोधित है, उससे चीखकर बातें कर रहा हो तो दूसरा व्यक्ति उससे ज्यादा आवाज बढ़ाकर ही बोलता है। जब सामनेवाला सुनता है कि मुझसे ज्यादा आवाज बढ़ा रहा है तो वह और थोड़ा बढ़ाकर बोलता है। परंतु यदि ठीक इसके विपरीत हो जाए, अगर आपने आवाज कम कर दी तो सामनेवाले की आवाज अपने आप कम होने लगेगी। जैसे ही आपने अपनी आवाज धीमी कर दी, तो वह भी अपनी आवाज धीमी कर देगा। यह वैज्ञानिक तत्व है कि एक के सामने यदि दूसरा इंसान चीखनेचिल्लाने लगता है, तो दूसरे इंसान को चाहे उसे क्रोध न आ रहा हो, क्रोध आने लगता है। इसलिए ऐसी परिस्थिति में आपका धीमे बोलना दोनों के लिए हितकारक सिद्ध होगा। ( और पढ़े – शांत मुद्रा : क्रोध को तुरंत शांत कर मन को प्रसन्न करने वाली चमत्कारिक मुद्रा)
4. चौथा उपाय : आइना देखो –
जब भी क्रोध आए तो अपने आप को आइने में देखो। अपनी मुख मुद्रा देखकर, जो अब विकृत (बदसूरत) हो गई है, आप क्रोध करना नहीं चाहोगे। आपको, आपका चेहरा पसंद नहीं आएगा या जब क्रोध आए तो यह सोचो कि “मैं इस वक्त किस तरह दिख रहा हूँ क्या ऐसे दिखना चाहते हो? यह सवाल अपने आपसे पूछो।
5. पाँचवा उपाय : शीतल जल का उपयोग –
क्रोध आए तो ठंडा पानी पीना : देखा गया है कि क्रोध में पूर्ण शरीर उत्तप्त हो जाता है। पानी पीने से शरीर की गर्मी कम हो जाएगी और क्रोध थोड़ी देर के लिए तुरंत शांत हो सकता है।
6. छठा उपाय : उलटी गिनती गिनना –
उलटी गिनती गिनना : एक से दस तक और दस से एक तक उलटी गिनती गिने। गिनती गिनने से क्रोध तत्काल शांत हो जाएगा। क्योंकि मन उलटी गिनती में व्यस्त हो जाएगा।
7. सातवाँ उपाय : जुबान की शक्ति का इस्तेमाल करें –
मंत्र उच्चारण – क्रोध आए तो किसी मंत्र का उच्चारण जुबान से करें, चाहे जोर से न कहें, लेकिन अंदर ही अंदर जुबान जरूर हिलाएँ। जिससे क्रोध से मुक्ति के अलावा मंत्र का लाभ भी मिल जाएगा।
ईश्वर के नाम का उच्चारण – क्रोध आए तो ईश्वर या गुरु के नाम का उच्चारण करें या चेहरे को सामने लाएँ। इस तरह करने से क्रोध टल जाएगा क्योंकि ईश्वर का, गुरु का चेहरा आते ही भक्ति जागेगी, न कि क्रोध।
8. आठवाँ उपाय : योगनिद्रा (शिथिलीकरण Relaxation) –
तनाव, क्रोध का सहज परिणाम है। मन तनावग्रस्त होगा तो क्रोध होगा ही। शिथिलीकरण (योग निद्रा) से शरीर और मन, दोनो को शिथिल किया जाता है। यह एक प्रकार का ध्यान है। यह ध्यान बैठकर या लेटकर कर सकते हैं। लेटकर करना ज्यादा सहज है।
बैठ जाएँ या लेट जाएँ। पैर के अँगूठे से लेकर कपाल तक शरीर के हर एक अंग को शिथिल करते जाएँ। जहाँ-जहाँ शरीर में तनाव हो, वहाँ केवल निर्देश देना है तथा उसे खींचकर ढीला छोड़ना है। यह सूचना दें कि शरीर शिथिल हो रहा है, तनावमुक्त हो रहा है तो वह अंग शिथिल हो जाएगा क्योंकि शरीर को जैसे हम निर्देश देते हैं, वैसी ही प्रतिक्रिया वह करता है। उसके पश्चात विचारों को शांत करना है। विचारों का मात्र साक्षी बनना है। तन, मन और विचार इस ध्यान से शांत हो जाते हैं और शांत मन के साथ क्रोध करना मुश्किल होता है। जहाँ तनाव नहीं, वहाँ क्रोध नहीं हो सकता। योगनिद्रा भारत की पुरातन विद्या है।
9. नौवां उपाय : दस विकारों और साँस पर ध्यान दें –
योग में एक महत्त्वपूर्ण उपाय बताया है, जिससे क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है। आपने देखा होगा कि जब भी हमें क्रोध आता है तब हमारी साँस की गति तीव्र हो जाती है । साँस की लयबद्धता खो जाती है। योग कहता है कि अगर हम साँस को नियंत्रित कर पाएँ तो क्रोध करना कठिन हो जाएगा। मुख्य बात यह है कि क्रोध आए और साँस की लय न बदले । क्रोध आने पर यदि हम साँस की गति को परिवर्तित न होने दें तो क्रोध जल्द ही शांत हो जाएगा।
साँस साधने के लिए साँस गहरी हो और उसकी गति का होश बना रहे । लयबद्ध साँस अगर सध जाती है तो क्रोध पर नियंत्रण हो सकता है। शारीरिक तौर पर साँस के साथ कुछ और गहराई से काम किया जा सकता है क्योंकि शरीर है, प्राण है, मन है, बुद्धि है फिर हम हैं। हमारी साँस चल ही रही है। साँस के साथ कुछ प्रयोग कर हम क्रोध को नियंत्रित कर सकते हैं।
अलग-अलग अवस्थाओं में हमारी साँस कैसे चलती है, यह ध्यान से देखा जाए तो अभ्यास गहरा हो सकता है। नीचे मन की कुछ अलग-अलग अवस्थाएँ दी गई हैं। अगर आप हर अवस्था में साँस का अभ्यास करें तो जान पाएँगे कि हर पहलू के साथ साँस बदल जाती है। यह अभ्यास आपको क्रोध के वक्त उपयोग में आएगा। उस वक्त साँस में परिवर्तन आप पहले ही पकड़ पाएँगे और बदलती हुई साँस हमें पहले से ही क्रोध का अंदेशा देगी। इस अभ्यास में हमें यह देखना है कि ए के साथ साँस कैसे? बी के साथ कैसे? सी के साथ कैसी है? डी के साथ कैसे? ए बी सी डी क्या है, इसे समझें:
10. दसवा उपाय : संकल्प-शक्ति बढ़ाएँ –
जिस इंसान के पास ‘संकल्प-शक्ति नहीं है, उसमें आत्मविश्वास की कमी होगी। जिसके पास आत्मविश्वास नहीं है, वह कभी भय से मुक्त नहीं हो सकता। वह हमेशा डरा-डरा रहेगा। डर कर जीवन जीएगा। यही भय उसे सताता रहेगा कि ‘मैं कहीं असफल न हो जाऊँ।’ भय के कारण चिड़चिड़ाहट बनी रहेगी और छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आता रहेगा। ऐसे व्यक्ति को अपनी संकल्प-शक्ति पर काम करना होगा ताकि उसमें आत्मविश्वास जग सके।
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