Last Updated on November 19, 2019 by admin
हार्टफेल के कारण लक्षण व उपचार : What is heart failure
What is heart failure -जब दिल अचानक काम करना बंद कर देता है तो हार्टफेल(Heart failure) या हृदयावसाद कहलाता है। यदि दिल में अचानक बहुत तेजी से दर्द उठे तो वह हार्टफेल(दिल की विफलता) की स्थिति हो सकती है।
दिल की विफलता (हार्टफेल)के निम्नलिखित कारण होते हैं: heart failure ke karan
★ उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप के कारण हृदय को शरीर में रक्त के प्रसार के लिए सामान्य से ज़्यादा काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण हृदय की मासपेशियां मोटी हो जाती है। इस वजह से हृदय की मासपेशियां सख्त या कमज़ोर हो जाती है और उनके लिए रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है।
★ दिल का दौरा: यदि कोरोनेरी धमनी अचानक अवरुद्ध हो जाए तो हृदय की मांसपेशियों तक जाने वाला रक्त रुक जाता है।
★ कार्डिओमाइओपेथी (Cardiomyopathy): हृदय की धमनियों और रक्त प्रवाह से सम्बंधित समस्याओं; संक्रमण; शराब पीने और नशीले पदार्थों का सेवन के कारण हृदय क्षतिग्रस्त हो सकता है। कई और बिमारियों और पारिवारिक समस्याओं के कारण भी दिल की विफलता हो सकती है।
★ हृदय के वॉल्व में समस्या: आपके हृदय की वॉल्व रक्त प्रवाह को उचित दिशा देते हैं। हृदय की किसी भी समस्या, कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease), हृदय सम्बंधित संक्रमण की वजह से क्षतिग्रस्त वॉल्व के कारण आपके हृदय को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है। क्षतिग्रस्त वॉल्व को रेप्लस या ठीक किया जा सकता है।
★ कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease): यह उन धमनियों की बीमारी है जो हृदय को ऑक्सीजन और रक्त प्रदान करती हैं। यदि यह धमनियां अवरुद्ध या संकुचित हो जाएं तो हृदय तक जाने वाले रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और हृदय ढंग से रक्त पंप नहीं कर पाता है।
★ मायोकार्डिटिस (Myocarditis): हृदय की मांसपेशियों में वायरस के कारण होने वाली सूजन जिससे दिल की विफलता हो सकती है, उसे मायोकार्डिटिस (Myocarditis) कहते हैं।
★ जन्म से हृदय रोग :यदि आपको जन्म से ही हृदय सम्बंधित कोई समस्या जैसे हृदय के कक्ष या हृदय के वॉल्व में समस्याएं हो तो आपके हृदय के स्वस्थ भागो को रक्त पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है जिस कारण आपके दिल की विफलता हो सकती है।
★ हृदय की असामान्य धड़कन (एरिथमिया; Arrhythmia): हृदय की असामान्य धड़कन की वजह से दिल के दर का तेज़ होना जिस कारण आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है और दिल की विफलता हो सकती है। अगर दिल का दर धीमा हो जाए तो आपके हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिलेगा और दिल की विफलता का जोखिम बढ़ जाएगा।
★ रोग : ऐसी समस्याएं जिनके कारण हृदय को ज़्यादा काम करना पड़े जैसे हृदय के वॉल्व की बीमारी, थाइरोइड, गुर्दे के बीमारी और हृदय की बिमारियों की वजह से भी दिल की विफलता हो सकती है।
★ बिमारियों के कारण भी दिल की विफलता: एचआईवी (HIV), ह्यपरथाइरोइडिस्म (Hyperthyroidism), हाइपोथाइरोइडिस्म (Hypothyroidism), हेमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis; आइरन का संचय) और एमीलॉइडोसिस (Amyloidosis; प्रोटीन का संचय) जैसी बिमारियों के कारण भी दिल की विफलता हो सकती है।
★ वायरस :ऐसे वायरस जो हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करें, हृदय सम्बंधित गंभीर संक्रमण, एलर्जिक प्रतिक्रिया, फेफड़ों में रक्त के थक्कों, ऐसी दवाइयां या बीमारी जो पूरे शरीर को प्रभावित करें, इन सब के कारण दिल की तीव्र विफलता हो सकती है।
हार्टफेल के लक्षण : heart failure ke lakshan / symptoms of heart failure
1. अत्यधिक थकान
2. अचानक वजन बढ़ना
3. भूख ना लगना
4. लगातार खांसी होना
5. अनियमित पल्स
6. पल्पिटेशन्स (Palpitations; दिल की धड़कन का असामन्य रूप से तेज़ होना)
7. पेट में सूजन होना
8. सांस लेने में परेशानी होना
9. पैरों और टखनों सूजन में सूजन होना
10. गर्दन की नसों का उभड़ना
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भोजन और परहेज:
★ अधिक वजन या परिश्रम नहीं करना चाहिए।
★ मानसिक तनाव से मुक्त रहना चाहिए।
★ सुबह जल्दी उठकर नंगे पांव घास में घुमना-टहलना चाहिए जिससे शरीर में ताजगी आती है और शरीर में रक्तसंचार में सहायता मिलती है।
★ इस दवा के सेवनकाल में तली चीज़े, मांस, मछली, अण्डे, शराब आदि का सेवन और धूम्रपान न करें। नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें।
देसी आयुर्वेदिक नुस्खे : Heart failure ka Ayurvedic upchar
1. मालिश: सबसे पहले शरीर के समस्त कपड़ों को ढीला कर दें। बायें स्तन के नीचे के स्थान को थपथपायें या ऊपर की ओर मालिश करें इससे रक्तसंचार जारी रहने में सहायता मिलती है।
2.पीपल : पीपल के ताजा विकसित कोमल 15 पत्ते लें, फिर हर पत्ते का ऊपर और नीचे का कुछ हिस्सा कैंची से काटकर फेंक दें। अब पत्तों को साफ पानी से धो लें। इन सभी 15 पत्तों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में डालकर धीमी आग पर उबाल लें। जब एक तिहाई पानी शेष बच जाये तब उतार कर ठंडा कर लें और किसी साफ कपड़े से छान लें और किसी ठंडे साफ स्थान पर ढककर रख दें। इस दवा की 3 खुराक बनाकर दिन में 3-3 घंटे बाद रोगी को देने से दिल के दौरे में आराम मिलेगा। इस प्रकार ताजा नई दवा बनाकर 15 दिन तक रोगी को पिला दें।
सावधानी: खुराक के रूप में दवा को लेते समय पेट बिल्कुल खाली नहीं होना चाहिए। दलिया, बिस्कुट या हल्का नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद दवा लें।
3. लहसुन: हार्टफेल के रोगी को लहसुन का रस 10 से 30 बूंद तुरंत दें। इसके बाद सुबह-शाम लहसुन का रस देते रहें।
4. मुलहठी: मुलहठी का चूर्ण घी या दूध के साथ तत्काल और बाद में सुबह और शाम खुराक के रूप में रोगी को दें।
5. कबाबचीनी (शीतलचीनी): कबाबचीनी (शीतल चीनी) का चूर्ण 1 ग्राम से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करते रहने से हार्टफेल की संभावना कम हो जाती है। इससे हृदय शक्ति सम्पन्न हो जाता है।
6. पटुआ (सन): पटुआ (सन) के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को कालीमिर्च के साथ रोगी को देने तत्काल सेवन कराने से आराम होगा। एवं बाद में सुबह-शाम दे सकते हैं।
7. मकोय: मकोय के पत्ते, फल और डालियों के रस को निकालकर 2 से 6 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 2-3 बार देने से जलोदर और सभी प्रकार के हृदय रोग मिट जाते हैं।
8. प्याज: सुबह 1 प्लेट प्याज के टुकड़े करके उसको तले या उबाल लें। इस प्याज के रोजाना सेवन करने से व्यक्ति को दिल के दौरे नहीं पड़ते हैं।
9. लहसुन: 4-5 लहसुन की कलियों को उसी समय चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा नहीं रहता है। इसके बाद लहसुन को दूध में उबालकर देते रहना चाहिए। दिल के रोग में लहसुन देने से पेट की वायु निकलकर दिल का दबाव हल्का हो जाता है और दिल को ताकत मिलती है।
10. बरियारा: 5 से 10 ग्राम बरियारा (बला, खिरैटी) की जड़ को कस्तूरी और मकरध्वज के साथ देने से रोगी को आराम होगा। बाद में सुबह और शाम देते रहने से लाभ होगा।
विशेष : क्या आपको हृदय रोग है ? डाँक्टर ने ऐन्जियोग्राफी या बायपास सर्जरि करने को कहा है ?कराने से पहले अच्युताय हृदयसुधा सिरप (Achyutaya Hriday Sudha Syrup) इस दवा का प्रयोग अवश्य करें,ईश्वर कृपा से आपको जरूर लाभ होगा तथा हृदय की तरफ जाने वालि तमाम रक्त वाहिनियाँ खुल जायेंगी ।
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |