Last Updated on July 22, 2019 by admin
आँख लाल होने की समस्या के आयुर्वेदिक नुस्खे : Akh Laal Hona Ke Gharelu Upchar
ज्यादा ठंड लगने की वजह से, चोट लग जाने से या तबीयत खराब हो जाने जैसे कई कारणों से आंखों के रोग हो जाते हैं। जिनसे आंखों में कीचड़ जम जाता है, आंखों से पानी आता रहता है, आंखें लाल हो जाती हैं, आंखों में दर्द रहता है, आंखें फूल जाती हैं और आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है।
इसे भी पढ़े :
आँखों की लालिमा करें इन उपायों से दूर |Red Eyes Home Remedies
निरोगी व तेजस्वी आँखों के लिए | How to increase eye power
आँखों की रौशनी बढ़ाने वाले सबसे कामयाब घरेलु नुस्खे |
आँखों से पानी बहने पर करे यह आयुर्वेदिक उपाय
आंखों के रोगों व लाल आँखों के देसी आयुर्वेदिक नुस्खे : Aankhe Lal Hona Ke Ayurved upchar
1. कमल(Lotus) : कमल की जड़ को दो गुनी मात्रा के नारियल के तेल में पकाकर छानकर रख लें। इसे सिर में लगाने से सिर और आंखों में ठंडक की प्राप्त होती है।
2. करेला bitter gourd: जंग लगे हुए लोहे के बर्तन में इसके पत्तों का रस और एक कालीमिर्च का थोडा-सा हिस्सा घिसकर आंख का फूल जाना और रतौंधी (रात को दिखाई न देना) आदि रोग में लगाने से आराम मिलता है। इसका प्रयोग आंखों के पलकों पर भी कर सकते हैं।
3. केसर saffron: गुलाबजल में केसर घिसकर आंखों में नियमित डालने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
4. अखरोट Walnut: 2 अखरोट और 3 हरड़ की गुठली को जलाकर उसकी राख के साथ 4 कालीमिर्च को पीसकर अंजन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
5. अलसी Linseed: अलसी के बीजों का लुआब आंखों में टपकाने से आंखों की जलन और लालिमा में लाभ होता है।
6. कैथ : कैथ के पत्तों और डाली के पाउडर को शहद के साथ आंख में लगायें। इसे कम से कम दिन में 2 बार लगाने से आंखों का रोग ठीक होता है।
7. पुनर्नवा :
• पुनर्नवा की जड़ को गुलाबजल में घिसकर रोजाना सोते समय आंखों में लगाने से आंखों के अनेक रोग दूर होकर नज़र में सुधार होता है। पुनर्नवा के पत्तों का रस 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार शहद के साथ दे सकते हैं।
• पुनर्नवा की जड़ों को पीसकर घी में मिलाकर अंजन करने से आंख की फूली कट जाती है।
• पुनर्नवा की जड़ों को पीसकर शहद में मिलाकर अंजन (काजल) की तरह लगाने से आंख का लाली ठीक हो जाती है।
• पुनर्नवा की जड़ों को केवल पानी के साथ घिसकर आंखों में लगाने से तिमिर रोग (आंखों के आगे अंधेरा आना) कम हो जाता है।
8. पुदीना Peppermint: पुदीना में विटामिन-ए मिलता है जोकि आंखों के रोगों में लाभदायक होता है।
9 अनार Peppermint: अनार के दानों के रस को आंख में डालने से आंखों की गर्मी दूर हो जाती है।
10. बबूल Acacia: बबूल के पत्ते बारीक पीसकर इसके बाद उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर काजल के साथ आंखों पर लगा देने से आंखों से पानी निकलना खत्म हो जाता है।
11. अफीम : आंखों के दर्द और आंखों के दूसरे रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी होता है।
12. अपामार्ग :
• आंख की फूली में अपामार्ग की जड़ के 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर 2-2 बूंद आंख में डालने से लाभ होता है।
• धुंधला दिखाई देना, आंखों का दुखना, आंखों से पानी बहना, आंखों की लालिमा, फूली, रतौंधी आदि विकारों में अपामार्ग की साफ जड़ को साफ तांबे के बरतन में, थोड़ा-सा सेंधानमक मिले हुए दही के पानी के साथ पीसकर अंजन रूप में लगाने से लाभ होता है।
13. बरगद Banyan : बड़ के दूध को 2-2 बूंद आंखों में डालने से आंखों का जाला कटता है।
14. एरंड Castor:
• एरंड तेल के अंजन से आंखों से पानी बहता है, इसलिए इसे नेत्र विरेचन कहते हैं। एरंड तेल 2 बूंद आंखों में डालने से, इनके भीतर का कचरा निकल जाता है और आंखों की किरकरी बंद हो जाती है।
• एरंड के पत्तों को जौ के आटे के साथ पोटली बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों पर आई पित्त की सूजन नष्ट हो जाती है।
• आंख में मिट्टी, कंकड़ आदि गिर जाये, धुआं, तीव्र गंध से दर्द हो तो एरंड के तेल की एक बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। तेल डालने के बाद हर 25 मिनट में सेंक करें।
15. अश्वगंधा Ashwagandha: अश्वगंधा का चूर्ण दो ग्राम, आंवला के फल का चूर्ण दो ग्राम तथा एक ग्राम मुलेठी का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
16. शक्कर Sugar: शक्कर और नारियल की सूखी गिरी को खाने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
17. धनिया coriander: हरे धनिये और त्रिफला की चटनी बनाकर खाने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
18. कसौंदी :
• कसौंदी की पत्तियों को पीसकर पलक पर बांधने से आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
• कसौंदी के ताजे पत्तों का रस आंख में एक-एक बूंद सुबह-शाम डालने से तथा आंखों पर पत्तों को बाधने से नेत्रभिष्यन्द (मोतियाबिंद), आंखों की लाली और सूजन में 7 दिनों में आराम मिलता है।
19. अमोठा : अमोठा चूड़ा खाने से रतौंधी (रात को दिखाई न देना) दूर होता है। इसके अतिरिक्त आम के रस का भी सेवन कर सकते हैं।
20. आक (मदार) Ach: अगर आंखों में दर्द हो रहा हो तो आक (मदार) का दूध पैरों के अंगूठे पर लगाने से दर्द दूर होता है।
21. पान :
• पान के रस की 2-4 बूंदें रोजाना शाम के समय आंखों में लगाने से रतौंधी में लाभ होता है।
• पान के पत्तों के रस को शहद के साथ अंजन (आंखों में काजल की तरह) करने से आंखों में आराम आता है।
22. नीम Neem: कमल या नीम के फूल के रस को शहद के साथ रात को सोते समय आंखों पर लगाने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
23. सेंधानमक : ताजी छाछ (लस्सी) में सेंधानमक डालकर पीने से आंखों का धुंधलापन दूर होता है।
24. गन्ना Sugarcane: गर्मी के मौसम में गन्ने का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
25. गाजर carrot:
• गाजर का रस पीने से रतौंधी (रात को दिखाई न देना), दृष्टिहीनता (नज़र कमजोर होना) और आंखों के अन्य रोग समाप्त होते हैं। इसमें विटामिन `ए´ भी है।
• गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर सेवन करने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
• आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिये गाजर का मुरब्बा खायें। इसका रोजाना सेवन करने से रतौंधी, मोतियाबिंद और आंखों में सूजन आदि नहीं होते हैं।
26. टमाटर tomatoes : रोजाना सुबह-शाम टमाटर के रस का सेवन करना अल्पदृष्टि (नज़र कमजोर होना), रतौंधी आदि आंखों के दोषों में लाभकारी होता है।
27. बादाम Almond: आंखों के विभिन्न प्रकार के रोग जैसे- आंखों में पानी आना, आंख आना, आंखों की कमजोरी, आंखों की थकान आदि में रात को बादाम की गिरी को भिगोकर सुबह पीसकर पानी में मिलाकर पीयें। इसके ऊपर से दूध पीने से आंखों के सारे रोग ठीक हो जाते हैं। कागजी बादाम खाना भी बहुत अच्छा है।
28. सौंफ Fennel:
• भोजन करने के बाद सौंफ खाने से या सौंफ का अर्क (रस) पीने से उदर विकार (पेट के रोग) समाप्त होकर आंखों की रोशनी बढ़ती है।
• सौंफ का सुरमा बनाकर आंखों में लगाने से मोतियाबिंद की प्रारंभिक अवस्था (जब मोतियाबिंद शुरु ही हुआ हो) में लाभ होता है।
• सौंफ के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से आंखों का फूला मिटता है।
29. प्याज onion:
• रोजाना प्याज का सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा धुन्ध, नाखूना और मोतियाबिंद तक दूर हो जाते हैं। यह बहुत ही अच्छी दवा है।
• प्याज के पत्तों का शाक (सब्जी) और फलों की सब्जी खाने से रतौंधी दूर होती है।
30. केला Banana: केला आंखों के रोगों को दूर करने में बहुत लाभकारी है। भोजन करने के बाद 1-2 पके हुए केले खाकर ऊपर से गर्म दूध पीना चाहिए। खाली पेट इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
31. दूध Milk: आंखों में तिनका आदि पड़ जाने पर 1 से 2 बूंदें की मात्रा में दूध आंखों में डालने से तिनका निकल जाता है।
32. हल्दी turmeric: हल्दी को पानी में घिसकर थोड़ा सा गर्म करके पलकों पर लेप करने से आंखों का लाल होना, आंखों में पानी आना और आंखों की सूजन आदि रोग ठीक होते हैं।
33. सहजना : सहजना के पत्तों का रस निचोड़कर उसमें शहद को मिलाकर उसका अंजन (काजल के समान आंखों में लगाना) करने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
34. आलू potato: कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5-6 वर्षों पुराना जाला (आंखों का कीचड़) और 4 वर्ष तक का फूला 3 महीने में ही साफ हो जाता है।
35. अरहर Arhar: अरहर की जड़ को पानी में घिसकर अंजन (काजल की तरह) आंखों में लगाने से आंख की जाली (आंखों का कीचड़) समाप्त हो जाता है।
36. अमरूद Guava: अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखें लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।
37. गुलाबजल : 50 ग्राम गुलाबजल में 1 ग्राम फिटकरी को डालकर 1 से 2 बूंदें रोजाना 2 से 3 बार आंखों में डालें। इससे आंखे लाल होना और आंखों में कीचड़ जमना आदि आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
38. आंवला Amla:
• आंवला का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवला के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोगों में लाभ होता है।
• लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को मोटा-मोटा कूटकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, फिर उबाले हुए जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से नेत्र रोगों में बहुत लाभ होता है।
• वृक्ष पर लगे हुए आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका लेप आंखों के बाहर चारों ओर करने से आंखों के शुक्ल भाग की सूजन मिट जाती है।
• आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर लगाने से नूतन अभिष्यन्द नष्ट होता है।
• 7 ग्राम आंवले को मोटा-मोटा पीसकर ठंडे पानी में तर करके रख दें। 2-3 घंटें बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरा आंवले भिगो दें। इसके 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखों की फूली मिटती है।
39. भिलावां : भिलावां आंख में पड़ जाने पर गाय के दूध का मक्खन आंखों में लगाने से आराम आता है।
40. शंख : शंख को घिसकर आंखों पर लगाने से आंखों का फूलापन समाप्त हो जाता है।
41. जीरा :
• जीरे का चूर्ण बनाकर सेवन करने से रतौंधी (रात में दिखाई न देना) में लाभ होता है।
• जीरा, आंवला और कपास के पत्ते का कुछ भाग लेकर ठंडे पानी में पीसकर 21 दिनों तक सिर पर इसका लेप करके पट्टी बांधने से रतौंधीपन दूर होता है।
42. कालीमिर्च :
• कालीमिर्च को घी में मिलाकर सेवन करने से आंखों के विभिन्न प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
• कालीमिर्च को शहद में घिसकर सुबह-शाम आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी की बीमारी दूर होती है। कालीमिर्च, घी और चीनी मिलाकर सेवन करने से आंखों के अनेक रोग खत्म होते हैं।
• कालीमिर्च, घी और मिश्री बराबर की मात्रा में मिलाकर दो चम्मच रोज सुबह-शाम खाने से आखों की रोशनी बढ़ती है।
43. मसूर : पत्तागोभी, शलजम की पत्तियां, मसूर की दाल, पालक का रस, गेहूं के पौधे का रस, गन्ना, नींबू, संतरे का रस, तथा आंवले-हर्रे (त्रिफला) के पानी से आंखों को धोना चाहिए। इससे आंखों के विभिन्न प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
44. घास :
• सुबह-सुबह नंगे पैर हरी घास पर टहलना चाहिए और हरियाली की ओर देखना चाहिए। इससे आंखों के रोग दूर होते हैं।
• आंखों के रोगी को रोजाना सुबह-शाम सूर्य के सामने स्नान जरूर करना चाहिए क्योंकि सूर्य की रोशनी में विटामिन `ए´ और विटामिन `डी´ प्राप्त होते हैं जोकि आंखों के लिये बहुत ही जरूरी हैं।
45. हरड़ : त्रिफला का चूर्ण और आधा चम्मच हरड़ का चूर्ण देशी घी में मिलाकर इस्तेमाल करने से आंखों की सभी बीमारियों में लाभ होता है।
46. दारूहल्दी : दारूहल्दी का लेप आंखें बंदकर पलकों पर लगाकर सोने से आंखों का दर्द, लाली, किरकिराहट आदि कष्टों में लाभ होता है।
47. हींग : हींग को शहद में मिलाकर, रूई की बत्ती बनाकर उसे सुलगाकर काजल बनाकर रख लें। इस काजल को आंखों पर लगाने से बहने वाला पानी बंद होता है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
48. मौलसिरी : लगभग 10 से 15 मिलीलीटर मौलसिरी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
49. मुलहठी :
• मुलहठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फोहा भिगोकर नेत्रों पर बांधने से आंखों की लालिमा मिटती है।
• मुलहठी का पाउडर, शहद 1-1 चम्मच तथा आधा चम्मच घी को मिलाकर एक गिलास गर्म दूध से सुबह-शाम सेवन करें। इससे निकट दृष्टि दोष दूर होता है।
50. गदहपुरैना : गदहपुरैना की जड़ों को घी में घिसकर अंजन (काजल की तरह) आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
51. शहद :
• लगभग 1 मिलीलीटर गुरुच के रस को आधा चम्मच शहद में मिलाकर रख लें। फिर इसे आंखों में सलाई से नियमित रूप से लगाना चाहिए। इससे आंखों की खुजली, दर्द, मोतियाबिंद आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
• लगभग 4-5 मिलीलीटर गिलोय के रस को लेकर उसे 2 ग्राम शहद में मिलाकर लोशन बनाकर आंखों में लगाने से आंखों के सभी रोगों में लाभ मिलता है।
• रोजाना सुबह के समय ताजे पानी से आंखों को छींटे मारकर धोना चाहिए। इसके बाद नीम के 2 बूंद रस में 4 बूंद शहद मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
• कड़वे तेल से बने हुऐ काजल को शुद्ध शहद के साथ मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
52. कलौंजी : एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिला लें। इसे सुबह-शाम को लगभग 40 दिनों तक पियें तथा आंखों को धूप और गर्मी से बचायें। इससे आंखों की लाली, मोतियाबिंद, आंखों से पानी का आना, आंखों की नसों व दृष्टि का कमजोर होना आदि आंखों के रोगों में लाभ मिलता है। इसके साथ ही नेत्रों के चारों ओर तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाना चाहिए। इस प्रयोग के समय अचार, बैंगन, अण्डा, मछली नहीं खाना चाहिए।
53. अगस्ता :
• अगस्त के फूलों के रस की 2-2 बूंद आंखों में डालने से आखों का धुंधलापन मिटता है।
• अगस्त के फूलों की सब्जी या शाक बनाकर सुबह-शाम खाने से रतौंधी (रात को दिखाई न देना) मिट जाता है।
• अगस्त के 250 ग्राम पत्तों को पीसकर 1 किलोग्राम घी में पकाकर सिद्ध किये हुए घी को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
• अगस्त के फूलों के रस को शहद के साथ आंखों में डालने से धुंध या जाला मिटता है। इसके फूल को तोड़ने से 2-3 बूंद मधु निकलता है।
• अगस्त के पत्तों को घी में भूनकर खाने से और घी का सेवन करने से धुंध या जाला कटता है।
विशेष : अच्युताय हरिओम नेत्रबिंदु की २-२ बूंदे आँखों में डालने से व अच्युताय हरिओम त्रिफला रसायन और अच्युताय हरिओम मामरा बादाम मिश्रण का नित्य सेवन आँखों को जीवनभर स्वस्थ व निरोगी बनाये रखता है |
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |