Last Updated on June 3, 2020 by admin
आयुर्वेद से करे हाइपर एसिडिटी की छुट्टी :
आज के भागदौड़ वाली जिंदगी में लगभग हर व्यक्ति हाइपरएसिडिटी यानि अम्लपित्त या GERD से परेशान हैं। खाली पेट ज्यादा देर तक रहने से या अधिक तला भुना खाना खाने के बाद खट्टी डकार व पेट में गैस आदि बनने लगती है। एसिडिटी होने पर पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द,गैस की शिकायत, जी मिचलाना आदि लक्षण महसूस होते हैं।
आयुर्वेद के ग्रंथों में अम्लपित्त रोग के बारे में विस्तार से बताया गया है और इसकी चिकित्सा भी बताई गयी है। पेट में अम्लता और पित्त की वृध्दि से यह रोग होता है। इसके निम्न लक्षण बताये गए है –
क्या है अम्लपित्त के मुख्य लक्षण : hyper acidity ke lakshan hindi me
- खट्टी डकारें आना
- पेट और गले में जलन होना
- खाना खाने की ईच्छा नही होना
- खाना खाने के बाद उल्टी या मिचली आना
- कभी कब्जियत होना कभी दस्त होना
- भूख नही लगना
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अम्लपित्त के कारण क्या है ? : hyper acidity ke karan hindi me
अम्लपित्त के प्रमुख कारणों में है –
- अधिक चटपटा मिर्च मसालेदार खाना जैसे अचार, चटनी, इमली, लाल व हरी मिर्च, प्याज और लहसुन ।
- गोल गप्पे , आलू चाट या टिक्की, बर्गर, चाऊमीन आदि जंक फूड अधिक खाना ।
- देर रात तक जागना ।
- दर्द निवारक गोली का खाली पेट सेवन ।
- मानसिक तनाव ।
- अधिक समय तक खाली पेट रहना ।
- धूम्रपान, तम्बाकू, शराब आदि के सेवन से ।
- खाली पेट चाय, कॉफ़ी के सेवन से ।
- खाना खाकर बिस्तर पर लेट जाने से ।
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अम्लपित्त रोग में खान-पान और परहेज : hyper acidity me kya kare kya nahi
- अधिक मिर्च मसाले वाली चीजों को ना खाएं।
- अधिक गर्म काफी व चाय न पीएं।
- मांसाहार का सेवन न करें ।
- दही का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
- खाना खाने के बाद थोडा बहूत टहलना चाहिए ।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- नींद पूरी लें ।
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क्या खाये क्या नहीं खाए : hyper acidity me kya nahi khaye
- आयुर्वेद के सिध्दांत के अनुसार तिक्त रस प्रधान आहार, गेहू के बने पदार्थ,सत्तू तथा मधु एवं शर्करा का सेवन अधिक करना चाहिए।
- परवल की सब्जी के सेवन से लाभ मिलता है।
- कच्चा नारियल और उसका पानी, खीरे आदि सेवन करें। भोजन में हलके आहार जैसे दलिया, खिचड़ी खाएं।
- गाय का दूध, अनार का रस, अंगूर, मौसमी, सौंफ, मुनक्का , आंवला, अंजीर, पुराना चावल आदि खाद्य पदार्थ का अधिकता से सेवन करना चाहिए।
- मिश्री, आँवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।
- चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजों का सेवन न करें।
- अधिक समय तक खाली पेट न रहें।
- दूध का प्रयोग नियमित रूप से करें।
- सुबह खाली पेट एकदो गिलास पानी पिएं।
हाइपर एसिडिटी का घरेलू इलाज : hyper acidity ka gharelu upay
1- परवल – परवल के पत्ते, नीम, अडूसा, मैनफल, सेंधानमक और शहद को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से उल्टी आकर हाइपर एसिडिटी का रोग ठीक होता है।
2- मुलहठी – खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हो, जलन होती हो तो मुलहठी चूसने से लाभ मिलता है। भोजन से पहले मुलहठी छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसने और इसके बाद भोजन करने से अपच नहीं होता और हाइपर एसिडिटी में आराम मिलता है।
3- मेथी – मेथी के पत्तों का 100 मिलीलीटर रस और इतना ही पानी मिलाकर पीने से हाइपर एसिडिटी में लाभ मिलता है।
4- सेहुंड – सेहुंड का चूर्ण 10 ग्राम, घी 10 ग्राम और दूध 40 ग्राम को उबालकर घी में सिद्ध करके पीने से अम्लपित, रक्तपित, वातपित्त, दमा, बेहोशी और प्यास आदि में लाभ मिलता है।
6- शतावर-शतावर की जड़ का आधा ग्राम रस और शहद मिलाकर दिन 2 बार सेवन करने से हाइपर एसिडिटी का रोग ठीक होता है।
7- अंगूर – दाख (मुनक्का) हरड़ और चीनी बराबर-बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ सेवन करने से हाइपर एसिडिटी, हृदय व गले की जलन दूर होती है।
8- बथुआ – बथुआ के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ खाने से आमाशय की गन्दगी साफ होकर पित्त बाहर निकाल जाता है।
9- पोदीना – एक कप पानी में पोदीना की चटनी बनाकर थोड़ी-सी चीनी डालकर अच्छी तरह मिलाकर सेवन करने से हाइपर एसिडिटी के कारण पेट में होने वाली जलन शांत होती है।
10- जामुन – जामुन का 1 चम्मच रस थोड़े-से गुड़ के साथ लेने से उल्टी व गैस दूर होती है।
11- लहसुन – लहसुन की एक कली को देशी घी में भूनकर धनिया 5 ग्राम व 5 ग्राम जीरा के साथ पीसकर दिन में 3 बार लेने से हाइपर एसिडिटी का रोग दूर होता है।
12- चिरायता – चिरायता और मुलहेठी को पानी में पीसकर चीनी मिलाकर खाने से एसिडिटी व कब्ज दूर होती है।
13- गन्ना – गन्ने के रस को थोड़ा गर्म करके थोड़ा नींबू और अदरक का रस मिलाकर पीने से पेट की गैस और बदहजमी दूर होती है।
14- हींग – हींग को भूनकर इसमें थोड़ा सा कालानमक मिलाकर पानी में उबालकर पीने से एसिडिटी व कब्ज दूर होती है।
15-करेला – करेला के भर्त्ता में सेंधानमक मिलाकर भोजन के साथ लेने से लाभ मिलता है।
हाइपर एसिडिटी की आयुर्वेदिक दवा : hyper acidity ka ayurvedic ilaj
आयुर्वेद में इसका इलाज़ संशमन और संशोधन दो प्रकार से किया जाता है। संशमन चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग किया जाता है और संशोधन में पंचकर्म द्वारा इसका इलाज़ किया जाता है। इन सभी औषधियों का प्रयोग बिना चिकित्सक के परामर्श के बिल्कुल नही करना चाहिए –
- अविपत्तिकर चूर्ण
- सुतशेखर रस
- कामदुधा रस
- मौक्तिक कामदुधा
- अमलपित्तान्तक रस
- अग्नितुण्डि वटी
- फलत्रिकादी क्वाथ
पंचकर्म चिकित्सा में इसका इलाज़ वमन चिकित्सा द्वारा किया जाता है जिससे इस रोग से पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है।
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(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)