हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) का घरेलू इलाज – Hypertension ka Gharelu Ilaj in Hindi

Last Updated on October 16, 2020 by admin

हाइपरटेंशन (HT) जिसे उच्च रक्तचाप (HBP) भी कहा जाता है का दूसरा नाम ‘साइलेंट किलर’ भी है। साइलेंट कहने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अधिकतर लोगों में इस बीमारी के कोई भी संकेत नजर नहीं आते। लोगों में बरसों बाद अचानक ही इस बीमारी के लक्षण पता चलते हैं। हाइपरटेन्शन (उच्च रक्तचाप) आज की जीवनशैली की देन है। पूर्व काल में 40-50 वर्ष की उम्र के बाद ही उच्च रक्तदाब होता था, किंतु आज नवयुवकों को भी हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत देखी जा रही है। आज यह एक गंभीर रोग होता जा रहा है, जिसके बारे में जानकारी प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) अर्थात क्या ? (What is Hypertension in Hindi)

रक्त की धमनियों पर पड़ने वाले रक्त के दबाव को रक्तदाब कहा जाता है। जब रक्तधमनियों से रक्त का बहाव होता है तो इन धमनियों की दीवारों पर रक्त का दबाव पड़ता है। जब दबाव अधिक होता है तो उच्च रक्तदाब (हाई ब्लडप्रेशर) तथा जब दबाव कम होता है तो निम्न रक्तदाब (लो ब्लडप्रेशर) कहा जाता है। सामान्यतः स्वस्थ युवा का रक्तचाप 120/70 से 130/80 तक होना चाहिए। अक्सर बढ़ी हुई स्थिति में यह 160/100 तक पहुंच जाता है और इससे भी अधिक की स्थिति जानलेवा साबित होती है।

हृदय के स्पंदन की भिन्न-भिन्न स्थितियों में धमनियों में रक्तचाप बदलता रहता है। हृदय के प्रकुचन-संकुचन (कांट्रेक्शन) या सिस्टोल के समय धमनियों में रक्तचाप सबसे अधिक होता है तथा इसे सिस्टालिक ब्लड प्रेशर (Systolic Blood Pressure) कहते हैं। हृदय के प्रसारण या डायस्टोल के समय रक्तचाप सबसे कम होता है और इसे डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Diastolic Blood Pressure) कहते हैं।

रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) एक यंत्र से नापा जाता है, जिसे स्फिग्मोमेनो मीटर (Sphygmomano Meter) कहते हैं। रक्तचाप को पारे के स्तंभ की ऊंचाई (मिलीमीटर) में नापा जाता है। औसत रक्तचाप 120/80 मिली मीटर पारे के स्तंभ की ऊंचाई के बराबर होता है।

रक्तचाप आयु तथा अन्य उत्तेजनाओं, जैसे तनाव, भावुकता, डर, मानसिक उलझन आदि से प्रभावित होता है। उच्च रक्तचाप से रक्तवाहिनियों का कड़ापन (एथिरोस्क्लेरोसिस) होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने तथा दिमाग की नस फटने का भय भी बढ़ जाता है।

हाइपरटेंशन क्यों होता है? (Hypertension Causes in Hindi)

उच्च रक्तचाप के कारण –

  • उच्च रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं। परंतु तनाव और बढ़ा हुआ वजन इसके मुख्य कारण हैं। तनाव को तो जीवन से अलग करना मुश्किल है, लेकिन इसको कम करने का प्रयास किया जा सकता है।
  • शोधों से यह सिद्ध हो चुका है कि मोटापे और उच्च रक्तचाप का गहरा संबंध है।
  • इसके अतिरिक्त शारीरिक श्रम न करना ।
  • मांसाहारी भोजन अधिक करना ‘जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के जमाव का जिम्मेदार है। उच्च रक्तचाप का कारण माना जा सकता है।
  • इसका एक कारण वंशानुगत भी है। यदि परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास रहा, तो व्यक्ति को भी यह होने की अधिक संभावना रहती है।
  • बड़ी आयु में जब बड़ी धमनियों का लचीलापन कम हो जाता है, वे हृदय के संकोच के समय फैल नही सकतीं, जिससे रक्तभार बढ़ जाता है। मोटापे के कारण, अधिकतैलीय वसायुक्त पदार्थों का सेवन करने से भी रक्त में कोलेस्ट्राल नामक तत्व का प्रमाण बढ़ जाता है, जिससे रक्तवाहिनियों का मार्ग संकरा हो जाता है और फलतः ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
  • अधिक तनावयुक्त व आवेशप्रधान रहने से, विक्षोभशील प्रकृति के व्यक्तियों में मस्तिष्क स्थित केन्द्र से निकलने वाली नाड़ियां उत्तेजित होने से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
  • कुशींग सिंड्रोम, गाउट, कोलेस्ट्राल की अधिकता, तंबाकू, मद्यपान, चाय, काफी का अति मात्रा में सेवन करने से ब्लडप्रेशर बढ़ता है।

जब बिना किसी रोग व कारण के ब्लडप्रेशर अधिक रहता है, उसे (Essential Hypertension) कहते हैं। उम्र और हाइपरटेंशन के संबंध का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 60 से 69 वर्ष की उम्र के करीब 50 फीसदी लोगों में उच्च रक्तचाप होने का खतरा होता है। वहीं 70 वर्ष और इससे ऊपर के करीब 75 फीसदी लोगों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है। दरअसल, जिन पुरुषों अथवा महिलाओं को क्रमशः 55 अथवा 65 वर्ष की उम्र में हाइपरटेंशन की शिकायत न हो, उन्हें भी जीवन भर में यह रोग होने की आशंका 90 प्रतिशत होती है।

हाइपरटेंशन के संकेत और लक्षण क्या होते हैं ? (Hypertension Symptoms in Hindi)

वैसे हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) के ऐसे कोई विशेष लक्षण नहीं हैं, जिससे इस रोग की पहचान हो सके। इसका पता तो व्यक्ति को तब चलता है, जब वह किसी और बीमारी का उपचार कराने के लिए अस्पताल जाता है और वहां चेकअप के दौरान उच्च रक्तचाप का पता चलता है। फिर भी कुछ लक्षणों से हाइपरटेंशन का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जैसे –

  • सिर घूमना,
  • चक्कर आना,
  • नींद न आना,
  • सुबह उठने पर थकान महसूस होना,
  • लगातार कमजोरी व थकान का एहसास,
  • शरीर में अकड़ाहट होना,
  • श्वास फूलना,
  • पेट में गड़बड़ी,
  • सीने में खिंचाव महसूस होना,
  • घबराहट,
  • सिरदर्द बना रहना,
  • चिड़चिड़ापन,
  • आंखों के आगे अंधेरा छाना,

आदि लक्षण होने पर हाइपरटेंशन की आशंका हो सकती है। ऐसी स्थिति में रक्तचाप की जांच अवश्य करा लेनी चाहिए, किंतु सभी रुग्णों में यही लक्षण होंगे, यह आवश्यक नहीं हैं।

ब्लडप्रेशर का नियंत्रण में रहना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि हाई ब्लडप्रेशर ऐसा रोग है, जिसका ठीक से निदान कर उपचार करना बहुत जरूरी है, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होते हैं। हाई ब्लडप्रेशर का परिणाम संपूर्ण शरीर पर पड़ता है, पर विशेष रूप से हृदय, किडनी, आंखों और मस्तिष्क पर इसके दुष्परिणाम होते हैं।

हाइपरटेंशन के जोखिम और जटिलताएं (Hypertension Risks & Complications in Hindi)

यदि इस रोग का इलाज न किया जा, अथवा सही तरीके से न किया जाए, तो यह दिल की बीमारियां और आंखों को काफी हद तक नुकसान पहुंचाता है। उच्च रक्तचाप से दिल की बीमारियां होने का खतरा 2 से 3 गुना बढ़ जाता है।

हाइपरटेन्शन (उच्च रक्तचाप) आपके हृदय को निम्न प्रकार से प्रभावित कर सकता है –

  • यह दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों को मोटा या सख्त कर सकता है, परिणामस्वरूप उनकी चौड़ाई कम हो जाती है जिस्से दिल को उचीत मात्रा में खून नहीं मिल पाता और हृदयघात, कोरोनेरी हार्ट डिजीज और एन्जाइना होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
  • इससे हृदयघात हो सकता है।
  • हाइपरटेंशन से दिल की मांसपेशियां समान्य से ज्यादा मोटी हो जाती हैं, जिसे बायें निलय की अतिवृद्धि (Left Ventricular Hypertrophy) कहा जाता है। जो भविष्य में कार्डियोवस्कुलर रोग के कारण मौत होने का बड़ा कारक होता है।
  • उच्च रक्तचाप हृदय पर काफी दबाव डालता है। हृदय को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है, उसका आकार लगातार बढ़ता रहता है और बाद में यह कमजोर होने लगता है। यही समस्या आगे हार्ट फेल्योर का कारण बन जाती है।
  • सब ऑप्टीमल यानी उच्चतम रक्तचाप स्थानिक हृदयाघात के 50 फीसदी मामलों के लिए उत्तरदायी होता है।
  • बीपी और हृदय की बीमारियों के बीच गहरा संबंध है और ये दोनों एक-दूसरे का खतरा बढ़ा सकती हैं। रक्तचाप जितना अधिक होगा, दिल का दौरा और हार्ट फेल्योर का खतरा उतना अधिक होगा। हाइपरटेंशन के कारण 90 फीसदी मरीजों को दिल की बीमारियां होने का खतरा होता है। इसके साथ ही यह दिल का दौरा पड़ने की आशंका दोगुनी बढ़ा देता है।
  • हाइपरटेंशन के सही इलाज से इस बीमारी के व्यापक गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
  • हाइपरटेंशन के इलाज की शुरुआत अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव से होती है। अपने खानपान में बदलाव और शारीरिक क्रियाकलापों में बढ़ोतरी से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही जरूरी है कि आप अपने वजन पर काबू रखें। साथ ही डॉक्टर की सुझायी दवाओं का भी सही समय पर सेवन करें।
  • एंटी हाइपरटेंसिव थेरेपी से हार्ट अटैक के मामलों में 20 से 25 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है। वहीं, हार्ट फेल्योर के मामले भी औसतन 50 फीसदी से भी अधिक तक कम किए जा सकते हैं।

हाइपरटेंशन की रोकथाम कैसे करें ? (Prevention of Hypertension in Hindi)

उच्च रक्तचाप से बचाव कैसे किया जाता हैं ?

दिल के रोगों से बचने के लिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखना जरूरी है। जिन कारणों से रक्तचाप बढ़ता है, उन पर नियंत्रण रखें। विशेषकर जीवनशैली में सुधार लाकर उच्च रक्तचाप को धीरे-धीरे कम करके, उसे सामान्य बनाया जा सकता है। इसे सामान्य करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए –

1. तनाव कम करें : हालांकि तनाव से पूर्ण रूप से छुटकारा पाना मुश्किल है, परंतु अपने सोचने के ढंग में बदलाव लाकर इसे कम अवश्य किया जा सकता है। अपने स्वभाव में क्रोध, जल्दबाजी, चिंता, आवेश आदि पर काबू रखकर तनाव से बचा जा सकता है। मानसिक तनाव बराबर बने रहने से उच्च रक्तचाप होता है, जिससे हृदय को निरंतर अधिक कार्य करना पड़ता है।

2. संतुलित और पौष्टिक भोजन करें : भोजन का चयन करते समय सदैव ध्यान रखें कि यह आपके हृदय या स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तो नहीं है। जितना हो सके, कम से कम कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन खाएं और संतृप्त वसा से भी परहेज करें। फास्ट फूड जैसे- पिज्जा, बर्गर, हॉट डॉग्स और सैंडविच इत्यादि न खाएं।

3. भोजन में नमक कम हो : नमक का उच्च रक्तचाप से सीधा संबंध है। अतः भोजन में नमक की मात्रा कम करने से रक्तचाप कम हो जाता है। नमक सोडियम व क्लोराइड दो तत्वों से मिलकर बनता है। यदि भोजन में प्रतिदिन नमक की मात्रा 500 मि.ग्रा. से कम ली जाए, तो लगभग 30 प्रतिशत रोगियों का रक्तचाप नियंत्रित किया जा सकता है। फास्ट फूड में सोडियम की मात्रा काफी अधिक होती है, इसलिए उनका सेवन भी कम से कम ही करना चाहिए।

4. वजन रखें सामान्य : शरीर का वजन आवश्यकता से अधिक हो जाने पर भी रक्तचाप बढ़ जाता है। अतः जहां तक संभव हो, शरीर का वजन आदर्श रखें। यदि आपका वजन अधिक है तो व्यायाम, नियंत्रित भोजन प्रणाली आदि की मदद से आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।

5. स्वभाव में लाएं बदलाव : स्वभाव को बदलना आसान नहीं है, फिर भी इस दिशा में प्रयास अवश्य करना चाहिए। रोगी को रात को गहरी नींद सोना, सप्ताह के अंत में विश्राम और अवकाश के दिनों में मानसिक तनाव से मुक्त होकर घूमने से रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।

6. नियमित व्यायाम करें : स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। रोजाना कम से कम 30 मिनट का व्यायाम अवश्य करना चाहिए। यदि किसी रोग या समस्या से ग्रस्त हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें कि आपके लिए किस तरह का व्यायाम उचित है।

7. शराब के सेवन से बचें : शराब और धूम्रपान का सेवन न करें। इनके सेवन से रक्तचाप तेजी से बढ़ता है। शराब का अधिक सेवन रक्तचाप ही नहीं, बल्कि गुर्दे व शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है। दिन में पर्याप्त पानी पिएं। ताजी सब्जियों का सूप व नारियल पानी पी सकते हैं।

  • प्रयासपूर्वक रक्तचाप के रोगी क्रोध न करें।
  • क्षमता से अधिक कार्य न किया जाए।
  • ताजे फल व कच्ची तरकारियों का अधिक सेवन करें।
  • सब्जियों को पकाकर खाना हो तो आग पर कम से कम भूनें या तलें। यथासंभव उबालकर खा सकें तो उत्तम है।
  • योगासन : पद्मासन, मत्स्यासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तासन, शशांकासन, सूर्यनमस्कार, पवनमुक्तासन, मुद्रासन व शवासन लाभकारी हैं।
  • प्राणायाम : लंबी व गहरी सांस का अभ्यास उपयोगी है। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उज्जयी तथा शीतली प्राणायाम लाभकारी क्रियाएं हैं।
  • ध्यान : एकांत भाव व श्रद्धा से प्रातः व सायं 10-15 मिनट तक ध्यान लगाने से उच्च रक्तचाप रोग में लाभ होता है।

हाइपरटेंशन में क्या खाना चाहिए? (What to eat during Hypertension in Hindi?)

उच्च रक्तचाप में में यह सब खाएं –

नींबू, पपीता, सेब, तरबूज, मौसंबी, आंवला, चौलाई, पालक, लहसुन, प्याज, लौकी, गाजर, टमाटर, बथुआ आदि का सेवन लाभकारी है।

हाइपरटेंशन में परहेज़ (What to avoid during Hypertension in Hindi?)

उच्च रक्तचाप में यह सब न खाएं –

दूध, घी, खोवा, मलाई-मक्खन आदि अथवा उनसे बनी वस्तुओं का सेवन, तले-भुने गरिष्ठ पदार्थ, नमक, मादक द्रव्य, मांसाहार, ज्यादा मिर्च-मसाले, तली चीजें, मिठाई, मैदे की वस्तुएं, चावल, अधपका केला अहितकर हैं। फास्टफूड, डिब्बाबंद वस्तुएं, आइसक्रीम, चाकलेट आदि न लें।

हाइपरटेंशन के घरेलू नुस्खे (Hypertension Home Remedies in Hindi)

खानपान पर ध्यान देते हुए अगर निम्न घरेलू नुस्खों का प्रयोग किया जाए तो रक्तचाप को आसानी से नियंत्रण में रखा जा सकता है।

1. त्रिफला – त्रिफला प्रयोग से रक्तचाप में संतुलन बना रहता है। हरड़, बहेड़ा, आंवला को लेकर धूप में सुखाएं व खरल में कूटकर चूर्ण करें। 10-10 ग्राम प्रतिदिन मिट्टी के बर्तन में आधा लीटर जल में रात को भिगोएं व सुबह छानकर पिएं।

( और पढ़े – त्रिफला चूर्ण के फायदे )

2. आंवला – उच्च रक्तचाप में किसी न किसी रूप में आंवले (ताजे अथवा सूखे हुए) का प्रयोग बहुत ही उपयोगी है। इसके सेवन से रक्तवाहिनियां लचीली बनती हैं तथा कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है।

3. हरड़ – छोटी हरड़ (जंग हरड़ या काली हरड़) का प्रयोग भी लाभकारी है।

4. मेथी – 3 ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लें तो 15 दिन में बढ़ा हुआ रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

( और पढ़े – मेथी के अदभुत 124 औषधीय प्रयोग )

5. चना – गेहूं और चना बराबर मात्रा में लेकर उसके आटे की रोटी खाएं।

6. तरबूज – 4 ग्राम तरबूज के बीज तथा 4 ग्राम खसखस बीज पीसकर पानी के साथ खाली पेट प्रयोग करें।

7. प्याज – शहद एवं प्याज का रस (2 चम्मच) रोज सेवन करें। इसके सेवन से कोलेस्ट्राल कम होगा, नींद अच्छी आएगी और दिल की धड़कन ठीक होगी।

( और पढ़े – प्याज के 141 चमत्कारिक औषधीय प्रयोग )

8. दूब – हरी चौलाई अथवा दूब (घास) का रस पिएं और नियमित भोजन के बाद छाछ लें।

9. तुलसी – 5 तुलसी के पत्ते तथा 2 नीम के पत्ते 20 ग्राम पानी में घोंटकर प्रातःकाल सेवन करें।

10. पानी – तांबे के बर्तन में रात में पानी भरकर रखें तथा सुबह पिएं।

11. लहसुन – 1-2 कली लहसुन छीलकर सुबह खाएं। इससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होगी एवं गैस की समस्या हल होगी।

( और पढ़े – लहसुन के फायदे और नुकसान )

हाइपरटेंशन में लाभदायक घरेलू औषधियां :

1) अर्जुन की छाल 10 ग्राम एक पाव दूध में (गाय का मिले तो उत्तम है) डालें तथा एक पाव ही पानी मिलाकर उबालें। आधा रहने पर 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करें। उच्च रक्तचाप में लाभ निश्चित है।

2) अर्जुन की छाल को कूटकर कपड़छान कर लें। एक चुटकी भर जीभ पर रखकर चूसने से लाभ होता है।

3) अर्जुन की छाल को दरदरा कूटकर छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। प्रातः एवं सायं एक छोटे चम्मच की मात्रा दूध के साथ सेवन करें।

5) सामान्य चाय बनाते समय पहले पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर चाय की पत्ती व दूध डालकर उबालें। चीनी या मिश्री डालकर सेवन करें।

6) 100 ग्राम दालचीनी, 100 ग्राम लेंडी पिप्पली, 200 ग्राम अर्जुन की छाल लेकर पाउडर बनाएं। प्रतिदिन सुबह 1 कप दूध, 1 कप पानी व उपरोक्त पाउडर 1 चम्मच लेकर तब तक उबालें, जब तक पानी उड़ जाए। तत्पश्चात छानकर खाली पेट पिएं। यह फार्मूला हाइपरटेंशन, हृदय रोग, ब्लॉकेज (Atherosclerosis) के रोगी के लिए उत्तम परिणाम देने वाला है।

7) कुलथी के पानी का सेवन उपयोगी है। आधा छटांक कुलथी की दाल किसी शीशे के बर्तन में एक पाव पानी में रात को भिगो दें। प्रातःकाल छानकर पिएं, फिर इसी प्रकार सेवन करें। इस अमृततुल्य पानी को दिन में 3 बार सेवन करें, कम से कम 31 दिन या 91 दिन तक प्रयोग करें। इसके सेवन में उच्च रक्तचाप में आशतीत लाभ होगा।

8) अर्जुन की छाल, पुष्करमूल, गोखरू, निशोथ 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण बनाएं। इसमें से 5-10 ग्राम चूर्ण 100 ml पानी में उबालें व आधा रहने पर छानकर पिएं। लगातार एक माह तक सेवन करने से हृदय रोग व उच्च रक्तचाप दूर होता है।

हाइपरटेंशन की प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy for Hypertension in Hindi)

  • उच्च रक्तचाप के रुग्ण को संभव हो तो उपवास कराएं। ज्यादा नहीं तो 5-10 दिन तक फलाहार या कच्ची व उबली तरकारियों पर रखें।
  • रसाहार में गाजर, खीरे का 1 गिलास रस, दोपहर के भोजन में केवल सलाद व शाम को केवल उबली सब्जी दें।
  • फलाहार में दिन में केवल 3 बार फल खाएं व एक समय केवल 1 ही फल का सेवन करें। उपवास के दिनों में प्रतिदिन कुनकुने जल का एनिमा लें।
  • तरकारी या फल के क्रम के पश्चात 2 सप्ताह तक दूध व फल पर रहें। तत्पश्चात धीरे-धीरे अन्न का प्रयोग करना प्रारंभ करें।

उपरोक्त फल व सब्जी का क्रम चलाने के बाद प्राकृतिक चिकित्सा की मुख्य क्रियाओं की शुरुआत करें।

  • एक माह तक सुबह मेहन स्नान व शाम को कटिस्नान व रात भर के लिए कमर की भीगी पट्टी लगाएं। सप्ताह में 1 दिन एप्सम साल्ट बाथ व 2 बार पैरों का गरम स्नान (फुटबाथ) लें।
  • रक्तचाप अधिक बढ़ने पर 5 से 7 मिनट तक गरम जल में स्नान करें।
  • तत्पश्चात पेडू व खोपड़ी पर गीली मिट्टी की पट्टी बांधे ।
  • सप्ताह में 1 बार 45 मिनट से 1 घंटे तक सर्वांग चादर लपेट लें। चादर लपेट के समय सिर पर ठंडे पानी से भीगा गमछा व पैरों के पास गरम पानी की बोतलें जरूर रखें।
  • इसके बाद रोगी को शीतल घर्षण स्नान दें।
  • हर रोज सुबह-शाम पूरे शरीर की हलके हाथ से सूखी मालिश करें। तत्पश्चात गीले कपड़े से संपूर्ण शरीर को रगड़ें।
  • प्रतिदिन सुबह कोमल धूप में निर्वस्त्र होकर 5 से 7 मिनट सूर्यकिरणों का सेवन करें।

हाइपरटेंशन की आयुर्वेदिक दवा (Hypertension Ayurvedic Medicine in Hindi)

उच्च रक्तचाप में निम्नलिखित आयुर्वेदिक दवा लाभप्रद है –

  1. सर्पगंधा वटी 1-1 सुबह-शाम सारस्वतारिष्ट व अश्वगंधारिष्ट 2-2 चम्मच के साथ लें।
  2. रात को सोते समय ब्राह्मी वटी व जटामांसी घन वटी 1-1 लें।
  3. कब्ज रहने पर त्रिफला चूर्ण 1 चम्मच कुनकुने पानी के साथ सोते समय लें।
  4. स्थूल रोगी नवक गुग्गुल व मेदोहर गुग्गुल 1-1 सुबह-शाम त्रिफला काढ़े के साथ लें।
  5. पंचकर्म के अंतर्गत सर्वांग स्नेहन-स्वेदन, बस्ति, विरेचन, शिरोधारा, नस्य के उत्तम परिणाम मिलते हैं।

मानसिक तनाव बढ़ने से रक्तचाप बढ़ता पाया गया है। अतः जीवन को सहज रूप से लें। मानसिक व शारीरिक किसी भी प्रकार का तनाव न लें। निश्चित रहें व शरीर को तनावमुक्त व शिथिल रखने के लिए शिथिलीकरण, योगनिद्रा, प्राणायाम व ध्यान करें। इस तरह शिथिलीकरण आदि क्रियाओं से शरीर को शिथिल रखकर बढ़ने वाले रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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