Last Updated on October 2, 2019 by admin
सामान्यतः ग्रहण किये गये आहारके पाचन एवं अवशोषण के बाद अवशिष्ट पदार्थ (मल) शरीरसे बाहर निकल जाना चाहिये। यदि ऐसा नहीं हो तो अवरुद्ध मल क़ब्ज का कारण बन जाता है।
अव्यवस्थित तथा अनियमित आहार-विहार के परिणामस्वरूप आँतों की स्वाभाविक शक्ति नष्ट हो जाती है। वे दुर्बल हो जाती हैं और आहार के पाचन एवं मलविसर्जन दोनों ही कार्यों में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
कब्ज क्यों होती है ? : why is constipation caused
☛ बड़ी आँत को साफ रखने में सहयोगी साग-सब्जी तथा फलों का उपयोग न करना, अति अल्प उपयोग करना या विकृत करके उपयोग करना ।
☛ आलू, धुली दालें, चर्बीयुक्त या मैदे के बने खाद्य पदार्थ बिस्किट, ब्रेड आदिका सेवन, पक्वान्न, मिठाई, चाय, कॉफी आदि का उपयोग ।
☛ शारीरिक श्रमका अभाव, चिन्ता, भययुक्त जीवन ।
☛ तिल्ली-लीवर का विकार ।
☛ शौच की प्रेरणा को रोकना ।
☛ अति आहार ।
☛ इन्द्रियसंयम का अभाव ।
☛ पानी की कमी ।
☛ भोजन में जल्दबाजी ।
☛ देर से सोना तथा जागना ।
☛ अप्राकृतिक, संश्लेषित तथा अपरिशोधित आहार ग्रहण करना-आदि कब्ज पैदा करनेवाले मुख्य हेतु हैं।
कब्ज की पहचान एवं लक्षण : Constipation – Symptoms
मलत्याग में कठिनाई, सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी, पेट में वायुका प्रकोप, अपच, भूख कम हो जाना, शरीरमें ठण्डकी अनुभूति, चक्कर आना, हमेशा थकानका अनुभव करना, सुस्ती, कमरदर्द, मुँह में छालों का पड़ना, कभी-कभी हृदय की धड़कन में अनियमितता आदि कब्ज के लक्षण हैं।
कब्ज से होने वाली बीमारीयां / दुष्परिणाम :
प्रायः अधिकांश रोगों का कारण आँतों में एकत्रित सड़ा मल है। इस में..
✦ स्त्रियों में होनेवाले मासिक धर्म-सम्बन्धी रोग
✦ पुरुषों में स्वप्नदोष
✦ गम्भीर तथा घातक रोग गठिया
✦ धमनी काठिन्य
✦ कालोनीक कैंसर
आदि शामिल हैं।
गलत किये गये उपचार से हानियाँ :
बड़ी आँतकी सफाईके लिये विरेचक दवाइयोंका प्रयोग लाभदायक होनेकी अपेक्षा हानिकारक अधिक है। ये विरेचक दवाइयाँ आँतकी मांसपेशियोंको कमजोर बना देती हैं तथा क़ब्ज पीछा नहीं छोड़ता।
कब्ज की सरल चिकित्सा :
१. रोगनिवारक आहार-
(क) प्रात:कालीन भोजन- हलके भोजन के रूप में-मौसमी फल-जैसे अमरूद, खीरा, ककड़ी, नाशपाती, पपीता, खरबूजा इत्यादि अथवा अंकुरित मूंग तथा मौसम की सब्जियों और सलाद का सेवन करना चाहिये या बीस मुनक्का, तीन सूखी अंजीर, तीन खुरमानी रात्रि में धोकर भिगोयी हुई प्रातः खाये और उसके पानी को नीबू रस मिलाकर पी ले।
(ख) दोपहर-भोजन- मोटे आटे की रोटी तथा एक पाव उबली हरी सब्जी एवं सलाद ले।
(ग) रात्रि-भोजन- मोटे आटे की रोटी तथा एक पाव उबली हुई हरी सब्जी एवं फल (यदि सम्भव हो तो) ग्रहण करे।
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२-यौगिक उपचार-
व्यायाम तथा योगासनों के यथोचित प्रयोग से भी कब्ज को दूर किया जा सकता है।
कब्ज से बचने के उपाय तथा सावधानियाँ :
(क) शौच की प्रेरणा या इच्छा न होने पर भी प्रातःकाल उठते ही पानी पीकर शौच अवश्य जायँ।
(ख) दिनभर में दस-बारह गिलास पानी अवश्य पीयें। सुबह उठते ही, भोजनके आधा घंटे पहले, भोजनके दो घंटा बाद तथा शेष समय में प्रत्येक घंटा में एक-एक गिलास पानी पीयें।
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(ग) खूब अच्छी तरह चबाते हुए धीरे-धीरे शान्ति से भोजन किया जाय। इसमें तीस-चालीस मिनट अवश्य लगना चाहिये।
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(घ) आहार निर्धारित समय पर एवं उपयुक्त मात्रा में लिया जाय, जिससे अगले भोजन के समय में स्वाभाविक भूख लगने लगे।
(ङ) कब्ज के साथ ही यदि उच्च रक्तचाप हो तो यौगिक आसनों को न करे।
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(च) भोजन के लिये गेहूँ के बारीक आटे (मैदा)-के बदले मोटा आटा (सूजी के आकार का) पिसवा ये तथा दो-तीन घंटा पहले गुँथवाकर रोटी बनवाये। इससे रेशाकी मात्रा छः गुना, विटामिन-बी चार गुना तथा खनिज पदार्थ की मात्रा चार गुनासे भी ज्यादा मिलती है। फलस्वरूप शरीर की सफाई एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में सहयोग मिलता है और क़ब्ज़ नहीं होने पाता।