कान के रोगों के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट  – Acupressure Points for Ear diseases

Last Updated on March 12, 2023 by admin

कान के रोग : 

     कान में किसी प्रकार का रोग हो जाने पर रोगी को किसी तरह की भी आवाज को सुनने में बहुत परेशानी होती है। यही परेशानी आगे चलक बहरेपन की अवस्था भी प्रकट कर सकती है। कान में इस प्रकार का रोग जन्म से भी हो सकता है।

कान में रोग होने के कारण :  

     कान में रोग किसी प्रकार की दुर्घटना, चोट लग जाने, अधिक तेज आवाज सुनने या जोर का धमाका सुनने से भी हो सकता है। कान के रोग कई प्रकार के अन्य रोगों के कारण भी हो सकते हैं जैसे- चेचक तथा खसरा रोग जिसके कारण कानों से पीब निकलने लगती है।

     अधिक मात्रा में वीर्यपात तथा दिमाग की कमजोरी के कारण भी कान के रोग हो जाते हैं। कान के रोग गुर्दे की कई प्रकार की बीमारियों से भी हो सकते हैं। गुर्दे में किसी रोग के होने के कारण कानों में बहरापन तथा कान में दर्द तथा कई प्रकार की आवाजे सुनाई देना जैसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं। कान के रोग का उपचार एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा करने के लिए गुर्दे से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर हल्का-हल्का प्रेशर देना चाहिए ताकि गुर्दे का कोई रोग हो तो वह ठीक हो जाए। इसके फलस्वरूप कान के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। दांत में किसी भी तरह के रोग हो जाने के कारण, सर्दी लगने, बहुत देर तक पानी में रहने, कान में पानी चले जाने या अधिक ठंडी जगह या गीली भूमि पर सोने के कारण भी कानों में दर्द हो सकता है।

     कान के रोग कई प्रकार के अन्य रोगों के हो जाने के कारण भी हो सकते हैं जैसे- पुरानी कब्ज, पेट में गैस बनना, पेट फूलना, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर), गर्दन में दर्द, अधिक शराब का सेवन करना, मधुमेह रोग, तंबाकू का सेवन करना तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से भी कान में कई रोग हो सकते हैं। यौन रोग सिफलिस (उपदंश) भी कानों के रोग का कारण हो सकता है। किसी व्यक्ति को अधिक दिन तक बुखार रहने तथा पुराने जुकाम के कारण भी कान के रोग हो सकते हैं।

     कान में बनने वाला मोम भी जमा होकर बहरेपन रोग का कारण हो सकता है। टान्सिल तथा अडीनोयड बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण गले तथा कान की नलिका बंद हो जाती है जिसके कारण कान में वायु नहीं पहुंच पाती और बहरेपन का रोग हो जाता है।

     कानों में कई प्रकार के रोग होने का कारण दांत भी हो सकते हैं क्योंकि कान की कई नसें दांतों से जुड़ी रहती हैं अर्थात कान और दांतों का गहरा सम्बन्ध है। अगर अकल दाढ़ टेढ़ी निकल आए या टेढ़ी निकलकर दूसरे दांत से टकरा जाए तो बहरेपन का रोग हो सकता है।

     कान में किसी प्रकार का रोग होने पर अगर तुरन्त ही उसका इलाज नहीं कराया जाता तो बहरेपन का रोग हो सकता है। कान के रोग अधिकतर बच्चों में पाए जाते हैं। कान के रोग उन व्यक्तियों को हो सकते हैं जो कुनैन या कई अन्य तेज औषधियों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं। इन लोगों के कानों में कई तरह की आवाजें होने लगती है जैसे- शांए-शांए, घंटियां बजने की आवाजें, सीटी बजना, तथा बादल गरजने की आवाजें आदि। सच्चाई तो यह है कि बाहर से ऐसी कोई आवाज नहीं होती है फिर भी रोगी को कानों में ऐसी आवाजे गूंजती रहती हैं। वृद्धावस्था में कई लोग ऊंचा सुनने लगते हैं जो कि बहरेपन का शुरूआती लक्षण है।

     कान में कई रोग ऐसे भी होते हैं जिसके कारण कान के पास वाले भाग में काफी तेज दर्द होने लगता है तथा दर्द वाला भाग लाल पड़ जाता है। कान के इस रोग के कारण रोगी के सिर में भी दर्द होने लगता है तथा कई पुरुषों के अंडकोषों और स्त्रियों के स्तनों में भी सूजन आ जाती है।

     कान के कई रोग ऐसे होते हैं जिसके कारण कान के अन्दर फोड़े या फुंसियां हो जाती है और कान में तेज दर्द होता है।

एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा कान के रोगों का इलाज : 

     यदि किसी व्यक्ति को जन्म के समय से ही बहरेपन का रोग हो तो उसके सुनने की शक्ति को ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम है। लेकिन अगर विश्वास के साथ एक्यूप्रेशर चिकित्सा से इलाज किया जाए तो बहरेपन का रोग ठीक हो सकता है। इतना अवश्य है कि इस इलाज को करने में कई महीने का समय लग सकता है।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)
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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिबिम्ब बिन्दु दोनों पैरों तथा हाथों में चौथी और पांचवी अंगुली के आस-पास के भाग में होते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर रबड़ या फिर लकड़ी की किसी वस्तु से देना चाहिए जिससे प्रेशर सही ढंग से दिया जा सके। नियमित रूप से रोजाना प्रेशर देने से कान के रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं।

     कानों के बहुत से रोगों को ठीक करने के लिए कान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देना चाहिए तथा प्रमुख केन्द्रों के साथ-साथ कुछ कान के सहायक प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर भी प्रेशर देना चहिए जिससे कान के रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं।

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(गर्दन से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)
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(गर्दन से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान के रोगों को एक्यूप्रेशर चिकित्सा से ठीक करने के लिए गर्दन से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देना चाहिए क्योंकि खोपड़ी और गर्दन में जितने अवयव होते हैं उन सबका पोषण गर्दन के भाग से ही होता है। इनसे सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु पैरों तथा हाथों के अंगूठों के बाहरी तथा भीतरी भागों में होते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इन केन्द्रों पर हाथ के अंगूठों से या किसी लकड़ी के उपकरण से नियमित रूप से प्रेशर देने से रोगी का रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है।

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(गर्दन से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान के रोगों को ठीक करने के लिए गर्दन के पीछे वाले भाग (जहां खोपड़ी तथा गर्दन एक दूसरे से मिला हुए होते हैं)। के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं (जैसा कि चित्र में दिया है) पर प्रेशर देने से कान के रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं। इन बिन्दुओं पर प्रेशर लगभग 3 सेकण्ड के लिए 2-3 बार देना चाहिए।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु हाथ की चौथी तथा पांचवी अंगुलियों पर होते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने तथा मालिश करने से कान के बहुत से रोग धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु दोनों हाथों के अंगूठे और पहली अंगुली के त्रिकोने वाले भाग में होते हैं। इस प्रतिबिम्ब बिन्दु पर नियमित रूप से रोजाना प्रेशर देने से रोगी का रोग ठीक होने लगता है।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान का बहरेपन का रोग को दूर करने का लिए पैरों के ऊपर वाले भाग के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं, जो पैर की अंगुलियों के दोनों अंगूठों के पास होते हैं (जैसा कि चित्र में दिया गया है) पर प्रेशर देने से रोगी का बहरापन रोग ठीक होने लगता है।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     दोनों पैरों तथा हाथों के ऊपर चौथी और पांचवी अंगुली के बीच के भाग के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं (जैसा कि चित्र में दिया गया) पर सही ढंग से प्रेशर देने से कान के बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं। यह प्रेशर रोजाना कुछ सेकेण्ड के लिए देना चाहिए। ऐसा करने से रोगी के कान के रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान के बहुत से रोगों का एक्यूप्रेशर चिकित्सा से उपचार करने के लिए चेहरे तथा कानों पर प्रतिबिम्ब बिन्दु होते हैं (जैसा कि चित्र में दिया गया है)। कान के रोग से पीड़ित रोगी के हाथों-पैरों के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से रोगी का रोग ठीक होने लगता है। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने के साथ-साथ चेहरे के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं के बीच के भाग पर तथा कानों के नीचे के भाग पर प्रेशर देना चाहिए। इससे रोगी का रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। इन केन्द्रों पर प्रेशर धीरे-धीरे तथा 2-3 सेकेण्ड के लिए दिन में 2-3 बार देना चाहिए।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान के रोगों को ठीक करने के लिए कान के बाहरी किनारों पर प्रेशर देने के साथ-साथ कान के ठीक पीछे के प्रतिबिम्ब बिन्दु पर भी प्रेशर देना चाहिए (जैसा कि चित्र में दिया गया है)। प्रेशर हाथ के अंगूठों से कुछ सेकेण्ड के लिए रोजाना देना चाहिए। इसके फलस्वरूप बहरापन रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। इन प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से कान के बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं।

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(कान के रोगों को ठीक करने के लिए हाथ की हथेलियों में प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

     कान के बहुत से रोगों का उपचार करने के लिए जीभ को आधा इंच के करीब मुंह से बाहर निकालकर दांतों से दबाकर हल्का प्रेशर देना चाहिए। (जैसा कि चित्र में दिया गया है)। ऐसा करने से कानों के बहुत से रोग तथा बहरेपन का रोग ठीक होने लगता है। यदि कान में तेज दर्द हो रहा हो तो किसी कपड़े को थोड़ा गर्म करके कान को लगभग 4 मिनट के लिए 2-3 बार सेंकने से रोगी को बहुत आराम मिलता है। ऐसा करने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

     थोड़ी सी रूई का फाया बनाकर मुंह में अक्लदाढ़ वाले स्थान पर लगभग 8 से 10 मिनट तक दबाकर रखने से बहरेपन का रोग तथा कान के बहुत से रोग ठीक होने लगते हैं। यह क्रिया दिन में 2 बार करनी चाहिए।

     मस्तिष्क, गर्दन, रीढ़ की हड्डी, नाभिचक्र, डायाफ्राम, साइनस, जिगर, गुर्दे तथा लसीकातंत्र से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से कान के बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं। इन बिन्दुओं पर प्रेशर कान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने के साथ-साथ देना चाहिए।

     कान के रोगों का उपचार करने के साथ-साथ रोगी को ठंड से बचना चाहिए। यदि पेट में कीड़े हो गए हों तो उसका उपचार जल्दी ही करना चाहिए क्योंकि इसके कारण कान के बहुत से रोग हो सकते हैं। यदि रोगी के कान से मवाद निकल रही हो तो कान से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने के साथ-साथ लिंफ ग्रंथि से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर भी प्रेशर देना चाहिए तथा दिन में 3-4 बार हाइड्रोजन पैरॉक्साइड की 2-2 बूंदे कान में डालनी चाहिए। अगर कान से झाग आने लगे तो उसे रूई या कपड़े से साफ करना चाहिए। कान पर सुबह-शाम लगभग 8 से 10 मिनट हरा प्रकाश डालना चाहिए। यदि रोगी की अवस्था बहुत ज्यादा गंभीर हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। रोगी को अपना इलाज किसी अनुभवी एक्यूप्रेशर चिकित्सक से कराना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक की ही सही तरीके से प्रेशर देने का अनुभव होता है और वह कान के रोगों का उपचार सही तरीके से कर सकता है।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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