कफ दोष से होने वाले रोग और उनसे बचने के उपाय

Last Updated on August 24, 2021 by admin

कफ क्या है ? (Kapha in Hindi)

कफ अर्थात क्या ?

कफ को श्लेष्मा भी कहते हैं । इसकी उत्पत्ति अपने मूल तत्त्वों, पृथ्वी तथा जल से हुई है । यह चिकना, ठोस, मृदु, रूढ, भारी और ठंडा होता है।

कफ का शरीर में कार्य और इसके गुण (Kapha Ka Sharir Mein Karya)

कफ का हमारे शरीर में क्या कार्य होता है ?

स्थूल शरीर का निर्माण कफ से होता है । कफ के कार्य है –

  • स्निग्धता तथा स्थिरता देना,
  • जोड़ों की मजबूती,
  • सहनशीलता, क्षमा तथा लालच से बचने की शक्ति प्रदान करना ।

कफ प्रकृति के लक्षण (Kapha Prakriti ke Lakshan Hindi)

कफ प्रधान व्यक्ति के क्या लक्षण होते हैं ?

कफ प्रकृति के लक्षण मनुष्य के व्यक्तित्व पर निम्नलिखित पड़ता है –

  • कफ-प्रधान व्यक्तियों का शरीर सुगठित एवं सुदृढ़ होता है जिसके सारे अंग सुविकसित होते हैं ।
  • इस दोष में मृदुता के कारण कफ-प्रधान व्यक्तियों का शुक्र अधिक प्रबल होता है, अत: वे कफ प्रधान व्यक्ति अपने कामों में मन्दगति होते हैं और शीघ्र किसी विषय पर निर्णय नहीं ले पाते ।
  • प्राय: अव्यवस्थित होते हैं ।
  • उनकी गतिविधियाँ दृढ़ होती हैं ।
  • उनके शरीर के जोड़ संयुक्त और सुदृढ़ होते हैं ।
  • इस दोष के शीत-प्रधान लक्षण के कारण ऐसे लोगों को भूख और प्यास कम लगती है तथा शरीर से मल का विसर्जन भी कम होता है ।
  • कफ प्रकृति के व्यक्तियों की आंखें, चेहरा और त्वचा साफ होती है।

कफ दोष को बढ़ानेवाले कारक (Kapha Dosha ko Badhane Wale Karak in Hindi)

कफ दोष क्यों होता है ?

कफ में वृद्धि करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –

  • अत्यधिक मीठा खाने,
  • लवणयुक्त व क्षारीय भोजन खाने से,
  • पचने में भारी, तैलीय तथा वसायुक्त खाद्य-पदार्थ से,
  • आलसी जीवन,
  • व्यायाम की कमी,
  • दिन में सोना,
  • बचपन, प्रात:काल का समय, वसन्त ऋतु तथा रात्रि का प्रथम प्रहर भी कफ को बढ़ाता है,

कफ बढ़ने के लक्षण (Kapha Badh Jaane Ke Lakshan)

कफ दोष के क्या लक्षण होते हैं ?

कफ जब विकृत हो जाता है तो शरीर में निम्नलिखित लक्षण प्रगट होते है –

  • तन्द्रा,
  • अत्यधिक निद्रा,
  • मुँह का स्वाद मीठा होना,
  • शरीर में ठंड की लहर,
  • मतली आना,
  • गले में खराश होना,
  • अत्यधिक लार आना,
  • शरीर का भारी होना,
  • मल-मूत्र और आँखों में सफेदी आना,
  • शारीरिक अंगों की विकृति,
  • मानसिक व शारीरिक थकान,
  • शिथिलता,
  • निष्क्रियता,
  • विषाद आदि ।

कफ को संतुलित करने के उपाय (Kapha ko Shant Karne ke Upay)

कफ दोष (विकृत कफ) का उपचार –

  1. विकृत कफ का उपचार तीखे, कटु और रुक्ष पदार्थों के प्रयोग से किया जा सकता है ।
  2. सिंकाई (नम गर्मी), वमन तथा व्यायाम कफ विकृति को दूर करते हैं ।
  3. कफ के रोगियों को शारीरिक काम अधिक करना चाहिए तथा उन्हें कम सोना चाहिए । नींद से कफ संबंधी दोष फिर से पैदा हो जाते हैं । अत: जागते रहना कफ विकृति में लाभकारी है ।

बढ़ते हुए कफ को समय रहते नियंत्रण में लेने के लिए कफ-शामक तथा अन्य उपाय करें तो यह दोष संतुलित हो जायेगा । और यदि कफ-वर्धक पदार्थ और कार्य करें तो कफ में वृद्धि होगी और व्यक्ति विकृत कफजनित रोगों का शिकार हो जायेगा ।

कभी-कभी कफ की विकृति होने से एक घातक चक्र बन जाता है । चूँकि वे अस्वस्थ और सुस्त अनुभव करते हैं, इसीलिए वे और अधिक समय तक बिस्तर में पड़े रहते हैं । इससे उनका मोटापा तथा कफ विकृति और बढ़ जाती है । इस चक्र से निकलने और फिर कफ के कम करने के लिए प्रयास करने चाहिए और व्यायाम, सैर इत्यादि करने चाहिए । बताये गये अन्य उपाय करने से कफ के असंतुलन से पैदा हुए रोग दूर हो सकते हैं ।

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