Last Updated on May 2, 2021 by admin
हमारे यहां विभिन्न प्रकार के खादय पदार्थों में 30-35 प्रतिशत मिलावट पाई जाती है। सामान्यतया आम भारतीय खादय पदार्थों में मिलावट और उससे होने वाले हानिकारक परिणामों से प्राय: अनभिज्ञ होते हैं। बहुत-सी खाद्य सामग्री जो सिर्फ बाहरी तड़क-भड़क या सजावट देखकर लेते हैं। वे यह नहीं जानते कि इस प्रकार के बनावटी, तथा सजावटी खाद्य पदार्थ उनके स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हो सकते हैं।
दूध और दूध से बने उत्पादों में सर्वाधिक मिलावट होती है। उसके बाद मसालों और अनाजों में क्रमश: मिलावट की जाती है। यहाँ तक कि चाय, काफी, मिठाई तथा मीठे पदार्थों में भी मिलावट की जाती है।
मिलावट का मतलब :
आमतौर पर मिलावट से हम यह समझते हैं कि किसी वस्तु में अन्य पदार्थ मिला भर देना, जबकि वास्तव में –
- किसी असली वस्तु में घटिया, सस्ती वस्तु का मिश्रण,
- वस्तु की गुणवत्ता में गिरावट लाना,
- वस्तु के गुणवत्ता या पोषक तत्व में कमी लाना (जैसे दूध से मक्खन निकाल लेना, लौंग, इलाइची से वाष्प दवारा तेल निकाल लेना आदि),
- खाने पीने की चीजों में दोषयुक्त या निषिद्ध हानिकारक रंगों का इस्तेमाल करना (चाकलेट, केक, मिठाइयों में),
- वस्तु का वजन बढ़ाने के लिए मिट्टी, रेत कांच पत्थर का चूरा आदि मिलाना, आदि अनेक बातें मिलावट की परिधि में आती है।
मिलावट से बचने के लिए यह जरूरी है कि आपको यह मालूम हो कि किन-किन खाद्य वस्तुओं में कौन-कौन सी हानिकारक चीजें मिलाई जाती
किसमें क्या-क्या मिलाया जाता है :
दूध | पानी, अरारोट, गाढ़ापन लाने के लिए स्टार्च |
मलाई | ब्लाटिंग पेपर |
काली मिर्च | पपीते के सूखे बीज |
चाय की पत्ती | उपयोग की गई पत्ती रंगकर, सूखे डंठलों का चूर्ण |
केसर | भुट्टे के रंगे हुए बाल, सूर्यमुखी की वर्तिका रंग कर |
हींग | विदेशी राल या गोंद, चावल का आटा, सेलखड़ी |
गेहूं का आटा | सस्ते अनाज का आटा, पिसी खड़िया |
मिठाइयों के वर्क | शुद्ध चांदी की जगह एल्युमिनियम का वर्क |
बेसन | खेसारी दाल |
धनिया | घोड़े की लीद |
हल्दी | पीला बुरादा, मेटानिल यलो रंग, रंगा हुआ मैदा |
शहद | गुड़ की चासनी |
नमक | साफ्ट स्टोन, पीसा हुआ सफेद पत्थर |
सरसों का तेल | आर्जीमोन आइल (भटकटैया के बीजों का तेल) |
बादाम का तेल | खनिज तेल |
शुद्ध घी | वनस्पति घी |
कॉफी | गेहूँ का आटा, चने का आटा, सूरजमुखी के पिसे बीज |
सौंफ | अन्य फलों के सूखे बीज |
जीरा | चारकोल का पाउडर |
अरहर की दाल | लाइथ्रस सेटाइवस दाल |
मुलेठी | रैठी की लकड़ी |
दालचीनी | कीकड़ के पेड़ की मोटी छाल |
शराब | मिथैनोल |
चावल | संगमरमर या दूसरे सफेद पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े |
मिर्च | ईंट का चूरा, पिसा हुआ नमक या टैलकम पाउडर |
शक्कर | खाने का सोडा |
मिलावटी वस्तुएं खाने से होने वाले रोग :
यदयपि मिलावटी खादय वस्तुए खाने के तुरंत बाद हमें उसके दुष्परिणाम मालूम नहीं पड़ते, लेकिन धीरे- धीरे इनका दूरगामी असर होता है। ऐसी अनेक बीमारियां हो जाती हैं, जिनका इलाज बड़ा कठिन होता है, जैसे –
- अंधता, पक्षाघात, कैंसर, मिर्गी के दौरे, श्वास की बीमारी, जलोदर, पेट की बीमारी आदि।
- हलदी में लेड क्रोमेट मेटानिल यलो रंग मिलाने से मिर्गी के दौरे,
- मिठाइयों में वर्जित रंग मिलाने से कैंसर और जिगर की खराबी,
- बेसन में खेसारी दाल मिलाने से पक्षाघात,
- शराब में मिथैनोल मिलाने से बड़े पैमाने पर मौत, अधंता जैसी तकलीफें विशेष तौर पर होती है।
- सरसों के तेल में मिलावट का सर्वाधिक दुष्परिणाम दिल्ली में आर्जीमोन की मिलावट से मिला। इससे पैरों में सूजन आ गई थी और ड्राप्सी (जलोदर) नामक बीमारी हो गई थी।
( और पढ़े – अच्छी सेहत के लिये खान पान के महत्वपूर्ण 50 नियम )
मिलावट को रोकथाम के उपाय :
सरकार ने खादय पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए अधिनियम वर्ष 1954 में बनाया था, जिसे 1976 में संशोधित कर और भी कठोर बनाया गया। परन्तु बढ़ती कीमतों के मुकाबले जब उपभोक्ता सस्ते दामों में वस्तुएं चाहते हैं, तो व्यापारी उनमें मिलावट कर आसानी से कम मूल्य में उपलब्ध करा देते हैं। खादय पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए संस्थाए हैं, पी. एफ. ए. (प्रीवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन एक्ट), एफ. पी. ओ. (फूट प्रोडक्ट आडर), आई. एस. आई. (इंडियन स्टैण्डर्ड इंस्टीट्यूट) और एगमार्क प्रमुख हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम जागरूक हो और लाइसेंस शुदा विक्रेताओं से ही खादय वस्तुएं खरीदें। उनसे कैश मेमो प्राप्त करें। जहां तक हो, सामान पर एगमार्क, आई.एस.आई. की सील देख कर पैक हालत में ही खरीदे, खुली वस्तुए न खरीदे, ताकि यदि मिलावटी सामान सिद्ध हो जाए, तो कैश मेमो के बल पर कानूनी कार्रवाई की जा सके।