Last Updated on May 26, 2020 by admin
किस रोग में कौनसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां है फायदेमंद :
- अग्निमांद्य (खाने की इच्छा न होना) – हिंगु, चित्रक, मरिच, जीरक, वचा, रसोन आदि।
- अजीर्ण (अपच) – मुस्तक, एरण्ड ,कर्कटी, अम्लवेतस, मरिच, जीरक आदि।
- अतिसार (दस्त) – विल्व, कुटज, जातीफल, धातकी, धान्यक आदि।
- अपस्मार (मिर्गी) – वचा, ब्राह्मी, कुष्ठ, जटामांसी, हिंगु, शंखपुष्पी आदि।
- अम्लपित्त (ऍसिडिटी) – जीरक, वचा, पिप्पली, पटोल, शतावरी, यष्टीमधु आदि।
- अरूचि (कुछ भी खाने का मन न करे) – दाडिम, मातुलुंग, वृक्षाम्ल, मेथिया, रसोन आदि।
- अर्श (बवासीर) – इन्द्रयव, करीरफल, निम्बफल, चित्रक, भल्लातक, सूरण आदि।
- अश्मरी (पथरी) – पाषाण भेद, पुनर्नवा, गूगल, तिलक्षार, कुश, वरूण आदि।
- आध्मान (पेट का फूलना) – जीरक, लवंग, वचा, हरीतकी लघु (शिवा) आदि।
- आनाह (मल जब सूखकर मलद्वार से बाहर न निकलकर आंतों में रुक जाता है तो उसे पेट का फूलना या आनाह कहते हैं) – एरण्ड, हिंगु, भल्लातक, पीलु, रसोन आदि।
- आम (अधपचा अन्न) – शुण्ठी, अतिविषा, कुटज, त्वक, धान्यक आदि।
- आमवात (शरीर की वह दशा है जिसमें जोड़ों में लगातार दर्द बना रहता है) – एरण्ड, गूगल, निर्गुण्डी, प्रसारिणी, सोंठ, यवानी आदि।
- इन्द्रलुप्त (गंजापन) – कण्टकारी, करवीर, जपाकुसुम, भल्लातक आदि।
- उदररोग – इन्द्रवारूणी, त्रिवृत, पिप्पली, मार्कण्डिका (सनाय) हरीतकी, आरग्वध, कुमारी, रोहितक, शरपुंखा आदि।
- उदावर्त (जिस रोग में गुदा की गैस या वायु पेट के ऊपर की ओर चली जाती है, उसे उदावर्त्त या मलबंध कहते हैं) – हिंगु, द्राक्षा, आरग्वध, हरीतकी आदि।
- उन्माद (एक प्रकार का मानसिक रोग) – वचा, शंखपुष्पी, सर्पगन्धा, तगर, उस्तूखदूस आदि।
- उपदंश (एक प्रकार का गुह्य रोग है जो मुख्यतः लैंगिक संपर्क के द्वारा फैलता है) – निम्ब, आरग्वध, असन, भृगराज, चोपचीनी आदि।
- उरःक्षत (छाती का मांस फटना) – अर्जुन, वला, यष्टीमधु, लाक्षा, खजूर आदि।
- उरूस्तम्भ (जांघ का सुन्न हो जाना) – गुजा, गूगल, वृद्धदारूक, पिप्पली, चव्य आदि।
- कण्ड – सारिवा, हरिद्रा, निम्ब,गन्धाबिरोजा आदि।
- कर्णरोग (कान के रोग)- गूगल, देवदारू, सरल, समुद्रफेन, दार्वी आदि।
- कामला (पीलिया) – कुटकी, कुमारी, गुडूची, हरीतकी, द्रोणपुष्पी आदि।
- कास (खाँसी) – कण्टकारी, तुलसी, विभीतक, भारंगी, लवंग, वासा, कासमर्द, कटफल, तालीस, यष्टीमधु, त्वक्, लोबान, देवदारू, हरिद्रा आदि।
- कुष्ठ (कोढ़) – निम्ब, मंजिष्ठ, खदिर, सारिवा, सप्तपर्ण, वाकुचो, भल्लातक, तुवरक आदि।
- कृमिरोग (पेट के कृमि) – विडंग, पलाश, तुलसी, कीटमारी, आखुकर्णी ,कम्पिल्लक, पुदीना, निम्बपत्र, यवानी, हिंगु आदि।
- क्षय (तपेदिक या टी.बी) – अश्वगन्धा, लवंग, रुदन्ती, वासा, वंशलोचन आदि।
- गण्डमाला – कांचनार, काण्डीर, गूगल, इन्द्रवाणी आदि।
- ग्रहणी (पेट खराब / IBS) – इन्द्रयव, चित्रक, धातकी, मोचरस ,हरीतकी आदि।
- गुल्म (वायु गोला) – करंज, रसोन, हिंगु, मुस्तक, जीरक, पिप्पली आदि।
- गूदभ्रंश (मलद्वार का बाहर निकलना) -चांगेरी, रसांजन, कांचनार आदि।
- ज्वर (बुखार) – गुडूची, किराततिक्त, पर्पट, पिप्पली, द्रोणपुष्पी, रास्ना, यवानी, तिक्ता, सहदेवी आदि।
- तृष्णा (बार-बार पानी पीने से भी प्यास शांत नहीं होती)- आमलकी, उशीर, मुस्तक, कपूर, द्राक्षा, लवंग आदि।
- दन्तरोग (दांत संबंधी व मसूड़ों के रोग) – तेजोवती, बकुल, रसोन, वट, लवंग आदि।
- दाह (जलन) – आमलक, धान्यक, चन्दन, वट, द्राक्षा आदि।
- दौर्गन्ध्य (सांस की बदबू) – कंकोल, कपूर, ताम्बूल, नागकेशर आदि।
- दौर्बल्य (कमजोरी) – अश्वगन्धा, बला चतुष्टय, यष्टीमधु आदि।
- नेत्ररोग – त्रिफला, पुनर्नवा, यष्टीमधु, रसोन आदि।
- पलित (बाल पकना और सफ़ेद होना) – शृंगराज, आमलक, इन्द्रवारूणी बीज आदि।
- पाण्डु (रक्त अल्पता) – तिक्ता, गुडूची, पुनर्नवा (श्वेत) हरिद्रा आदि।
- पीनस (पुराना जुकाम) – त्वक, भारंगी, मरिच, देवदारू आदि।
- प्रदर (योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होने की समस्या) – अशोक, लोध्र, आमलकी, धातकी, लाक्षा, राल, पत्रांग, वट, सारिवा आदि।
- प्रमेह (पेशाब के साथ चिकने पदार्थ का स्वतः निकलना) – गुडूची, हरिद्रा, त्रिफला, देवदारू, असन, अश्वत्थ आदि।
- प्रवाहिका (पेचिस) – विल्व, चित्रक, शुण्ठी, कुटज, धातकी आदि।
- फिरंग (दुष्ट यौन रोग ) -चोपचीनी, उसब्बा, सारिवा, निम्ब आदि।
- बहुमूत्र (पेशाब का बार बार आना) – तालफल, तिल (कृष्ण), यवानी आदि।
- वालरोग – अतिविषा, कर्कटश्रृंगी, शंखपुष्पी आदि।
- भगन्दर (गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाना) – गूगल, दार्वी, गुडूची, पुनर्नवा आदि।
- भग्न – लाक्षा, रसोन, अर्जुन, गूगल, पृश्निपर्णी आदि।
- भ्रम (मनोविकारजिसमें व्यक्ति वास्तविक और काल्पनिक में अंतर नहीं कर पाता) – त्वक, त्रायमाण, पर्पट, यवासा, शमी आदि।
- मद (नशा) – उशीर, यवासा, पालक आदि।
- मदात्यय (अत्यधिक शराब की लत) – मुस्तक, पर्पट, पुनर्नवा, द्राक्षा, खजूर आदि।
- मूर्छा (बेहोसी) – हिंगु, सरल, खजूर, पिप्पली आदि।
- मसूरिका (चेचक ,छोटी माता या शीतला माता) – ब्राह्मी, चन्दन श्वेत, पुनर्नवा आदि।
- मुखरोग – दारूसिता, कुष्ठ, खदिर, दार्वी आदि।
- मूत्रकृच्छ्र (रोग जिसमें पेशाव बहुत कष्ट से या रुक रुककर थोड़ा थोड़ा होता है) – द्राक्षा, दारू हरिद्रा, एला, कमल, गोक्षुर आदि।
- मेदोरोग (मोटापा) – गूगल, पिप्पली, एरण्ड, अर्जुन. शिग्रु आदि।
- योनिशुल (योनि में दर्द का अनुभव होना) -अपामार्गपत्र, एरण्डबीज, पुनर्नवा, मुण्डी आदि।
- योनिदाह (योनि मार्ग में जलन) -आमलकी, शाल, निम्ब, चन्दन आदि।
- रक्तपित्त (शरीर के ऊपर के भाग से या नीचे के भाग से खून बहता हो उसे रक्तपित्त कहते हैं) – आमलकी, कमल, चन्दन, दूर्वा, लोध आदि।
- वातरक्त (गाउट / रक्त में यूरिक अम्ल की मात्रा बढ़ जाने के कारण रोग) – गुडूची, आमलकी, निम्बपत्र, रास्ना आदि।
- वातव्याधि (सन्धिवात / आर्थ्राइटिस) – रास्ना, एरण्ड, अश्वगन्धा, देवदारू, गूगल विष-शिरीष, अङ्कोट, अतिवि, चोपचीनी, बला, बृद्धदारूक आदि।
- विबन्ध (कब्ज) – हरीतकी, आरग्वध, सनामुकी, त्रिवृत् आदि।
- विष (जहर)- शिरीष , अतिविषा, यष्टीमधु आदि।
- विसर्प (रोगी के शरीर पर दाने-दाने से उभर आते हैं) – आमलक, मंजीष्ठा, हरीतक़ी, नागकेशर आदि।
- विशुचिका (हैजा) – पुदीना, कपुर, लालमिर्च, पलाण्डु आदि।
- वृद्धिरोग – एरण्डपत्र, वचा, हरीतकी, पलाश आदि।
- व्रण (घाव / फोड़ा ) – अश्वत्थ, निम्ब, एरण्ड, खदिर, गूगल आदि।
- विद्रधि (गाँठ) – वरूण, शिग्रु, गूगल, कांचनार, निम्ब आदि।
- विस्फोटक (जहरीला फोड़ा) – दुग्धिका, पद्मक, बदरीत्वचा, पुनर्नवा आदि।
- शीतपित्त (त्वचा में होने वाले एक प्रकार के चकत्ते ) – यवानी, हरिद्रा, निम्बपत्र, आमलक आदि।
- शुल (विकट पीड़ा)- अजमोदा, यवानी, आमलकी, पिप्पली, चन्द्रशूर, रसोन, विडंग, शुण्ठी, हिंगु, हरीतकी, इन्द्रयव आदि।
- शैत्य – कस्तूरी, अगरू, रास्ना, यवानी, बृहदेला आदि।
- शोथ (सूजन) – पुनर्नवा, गूगल, रास्ना, निर्गुण्डी, हरीतकी, यष्टीमधु, अग्निमन्थ, पाटला, गम्भारी आदि।
- श्लीपद (हाथी पाँव) – असन, खदिर, देवदारू, मुण्डी आदि।
- श्वास (दमा) – कण्टकारी, सोम, रसोन, धत्तुर, शटी, भारंगी आदि।
- श्वित्र (सफेद दाग) – वाकुची, चित्रक, खदिर, अंकोल, काष्ठोदुम्वरू आदि।
- सोमरोग (स्त्री की योनि से निर्मल, शीतल, गंधरहित, साफ, सफेद और पीड़ारहित सफेद पानी लगातार बहुत ज्यादा बहता रहता है) – कदलीफल, नारिकेल पुष्प आदि।
- स्वेदाधिक्य (अत्यधिक पसीना स्राव) – कपुर, नागकेशर, सरल आदि।
- स्नायुक – निर्गुण्डी, हिंगु, शिग्रु, पलाण्ड आदि।
- हिक्का (हिचकी) – लवंग, बवुल कंटक क्वाथ, पिप्पली आदि।
- हृदयरोग – अर्जुन, काकमाची, रसोन, शुण्ठी, यवानी, वचा, हिंगु, कपूर, वनप्लाण्डु आदि।
(आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)