अत्यधिक क्रोध या गुस्सा करने से रहें दूर, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Last Updated on October 9, 2021 by admin

इसमें कोई संदेह नहीं कि संसार के अनेक दुखों का कारण क्रोध है। मनुष्य का पशु स्वभाव क्रोध के कारण ही प्रकट होता है। इसका असर शरीर में हलके ज़हर का काम करता है।

क्रोध के दुष्परिणाम (Gussa Karne ke Nuksan)

कई बीमारियों का जनक है क्रोध, आइये जानते है क्रोध से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में –

1). गीता में कहा गया है कि क्रोध से मूढ़भाव उत्पन्न होता है, मुढ़भाव से स्मरण शक्ति भ्रमित होती है। स्मरण शक्ति भ्रमित होने विवेक शक्ति का क्षय होता है और बुद्धि के नष्ट होने से मनुष्य अपनी स्थिति से नीचे गिर जाता है।

2). एक अध्ययन के अनुसार 15 मिनट क्रोध रहने से मनुष्य की जितनी शक्ति नष्ट होती है, उससे वह साधारण अवस्था में 9 घंटे मेहनत कर सकता है।

3). शक्ति का नाश करने के साथ क्रोध शरीर और चहरे पर अपना प्रभाव छोड़कर उसके स्वास्थ्य व सौंदर्य को भी नष्ट कर देता है।

4). हमारे मन को जटिलताएं क्रोधी स्वभाव के कारण होती हैं।

5). क्रोध से उत्पन्न मानसिक तनाव के कारण न केवल भोजन देर में पचता है, बल्कि उससे पेट को अन्य तकलीफें भी उत्पन्न हो सकती हैं। यहां तक कि क्रोध के आवेग से उदर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का प्रभाव बढ़ जाने से गेस्ट्रिक अल्सर भी हो सकता है।

6). बार-बार अपने क्रोध को दबाने वाला व्यक्ति चिड़चिड़ा और उद्विग्न रहता है।

7). चिकित्स कों का मत, है कि – क्रोध को दबाने से दमा, अम्लता (एसीडिटी) और ह्रदय रोग जन्म लेते हैं। खोजों से यह भी पता चला है कि महिलाओं को क्रोध दबाने से स्तन कैंसर तक हो सकता है।

क्रोध के दुष्परिणामों से बचने के उपाय (Krodh se Bachne ke Upay)

krodh se kaise bache –

  • सतत प्रयास करके हम इस मनोविकार पर नियन्त्रण पा सकते है और अपने स्वास्थ्य तथा कार्यक्षमता की रक्षा कर सकते हैं। किसी भी व्यक्ति की कार्यकुशलता इस बात पर निर्भर करती है कि विषम परिस्थिति में वह अपना मानसिक संतुलन कैसे बनाए रखता है। पर जो क्रोध का जबाब क्रोध से नहीं देता वह एक युद्ध जीत लेता है। प्रतिपक्षी को क्रोधांध देखकर जो अत्यंत विवेक के साथ शांत हो जाता है, वह अपना और उसका, दोनों का ही हित करता है।
  • क्रोध से बचने के लिए सबसे पहले उसे उत्पन्न करने वाले कारणों को दूर करने का प्रयास करें, ताकि क्रोध शुरु ही न हो सके।
  • सबमें गुण देखने, उनके अवगुणों के क्षमा करने और समानता का भाव रखने की विचारधारा से क्रोध उत्पन्न नही होगा। क्रोध को क्रोध से नहीं, प्रेम से जीतने का प्रयास करें, क्योंकि क्रोध
  • करना तो उलटे आग में घी डालने के समान है।
  • जब कोई आपका अपमान करें और कटु वचन बोले तो बेहतर होगा कि आप विचलित न होकर शांत रहे या प्रतिक्रिया व्यक्त करने में विलम्ब कर दें।
  • किसी पर क्रोध आने पर ठंडा पानी पिएं। तुर्रत्त अपना चेहरा दर्पण में देखें। चुप्पी साध लें। मिसरी डालकर चूसें या मुह में पानी भर लें। इससे आपको सोचने का समय मिल जाएगा।
  • आप बुरी बातों के प्रति क्रोध अवश्य प्रकट करें। लेकिन हर समय जरा जरा सी बातों पर क्रोध प्रदर्शित करना कतई ठीक नहीं।
  • भूखा व्यक्ति जल्दी ही क्रोधित हो उठता हैं। इसलिए सदैव समय पर स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन करें।
  • क्रोधित होने पर टहलने चले जाएं। यह क्रोध को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है।
  • नियमित प्राणायाम करने से मानसिक शक्ति मिलेगी।

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