Last Updated on December 8, 2019 by admin
कुटजारिष्ट क्या है ? : Kutajarishta in Hindi
अनुचित और अनियमित आहार-विहार का सबसे सीधा और सबसे अधिक प्रभाव पाचन संस्थान और पाचनक्रिया पर पड़ता है। आजकल परिस्थितिवश या आदतन अधिकांश लोग आहार-विहार का उचित पालन नहीं कर पा रहे हैं इसलिए उदर व्याधियों से पीड़ित हो रहे हैं। उदर व्याधियां खुद तो शरीर को अस्वस्थ और पीड़ित करती ही हैं, साथ ही अन्य रोग भी उत्पन्न करती हैं। इस तरह व्यक्ति रोगों के जाल में फंसता चला जाता है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि उदर व्याधियों को जल्द से जल्द दूर कर दिया जाए। ऐसे ही एक उत्तम उदर व्याधि नाशक योग ‘ कुटजारिष्ट ‘ के विषय में उपयोगी विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।
कुटजारिष्ट किण्वन (fermentation) की प्रक्रिया से तैयार एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग उदर व्याधियों ,अतिसार, रक्तातिसार, पेचिश, मन्दाग्नि, ज्वर और संग्रहणी आदि व्याधियों के उपचार में किया जाता है ।
कुटजारिष्ट के घटक द्रव्य : Kutajarishta Ingredients in Hindi
✦ कुड़ा की छाल – पांच किलो
✦ मुनक्का – ढाई किलो
✦ महुए के फूल – 400 ग्राम
✦ गम्भारी की छाल – 400 ग्राम
✦ गुड़ – 5 किलो
✦ धाय के फूल – एक किलो
कुटजारिष्ट बनाने की विधि :
कुटज (कुड़ा) की छाल ,मुनक्का ,महुए के फूल और गम्भारी की छाल इन चारों द्रव्यों को मोटा-मोटा -कूट लें और आठ लिटर पानी में डाल कर उबालें।
जब पानी दो लिटर बचे तब उतार कर मसल कर छान लें। ठण्डा करके इसमें पांच किलो गुड़ और एक किलो धाय के फूल डाल कर मुखमुद्रा करके एक मास तक रखें। एक मास बाद खोल कर छान लें और शीशी में भर लें। कुटजारिष्ट तैयार है।
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उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
कुटजारिष्ट की सेवन विधि और मात्रा : Dosage of Kutajarishta Syrup
2-3 चम्मच आधा कप पानी में डाल कर दिन में 3-4 बार पीना चाहिए।
कुटजारिष्ट के उपयोग : Kutajarishta Syrup Uses in Hindi
☛ यह योग अनेक उदर व्याधियों को दूर करने वाला श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग है ।
☛ यह अतिसार, रक्तातिसार, पेचिश, मन्दाग्नि, ज्वर और संग्रहणी आदि रोगों को दूर करने वाला उत्तम योग है।
☛ यह योग बालकों के लिए भी गुणकारी है और उनके पतले दस्त, अपच और ज्वर रोग में हितकारी है।
☛ यह तनिक वामक (उलटी लाने वाला) और कफ निकालने वाला है इसलिए बच्चों की कफ खांसी में लाभ करने वाला है ।
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रोग उपचार मे कुटजारिष्ट के फायदे : Kutajarishta Syrup Benefits in Hindi
डब्बा रोग में कुटजारिष्ट के प्रयोग से लाभ
श्वसनक ज्वर होने पर, जिसे डब्बा रोग कहते हैं, 1-1 चम्मच कुटजारिष्ट और द्राक्षासव दिन में 3 बार देने से लाभ होता है।
संगहणी रोग में कुटजारिष्ट का उपयोग फायदेमंद
संगहणी रोग की एक स्थिति होती है जिसमें प्रवाहिका (दस्त) का प्रभाव भी शामिल रहता है। इस स्थिति को दूर करने में कुटजारिष्ट सफल औषधि है ।
ऋतु के प्रभाव से संग्रहणी के दो भेद होते हैं। एक तो वर्षा ऋतु के प्रारम्भ में होने वाली और दूसरी अन्य समय में होने वाली। कीटाणुओं के संक्रमण से उत्पन्न होने वाली संग्रहणी कुटजारिष्ट के सेवन से बड़ी जल्दी ठीक होती है।
बार-बार दस्त होना, दस्तों में थोड़ा सा मल और चिकनी आंव निकलना, पेट में मरोड़ के साथ दर्द होना, शौच करते समय कांखते (जोर से दबने से आह ध्वनि निकलना) रहना और कांखने से अच्छा महसूस होना आदि लक्षण होने पर कुटजारिष्ट बहुत हितकारी है।
संग्रहणी की दूसरी स्थिति में ज्वर अधिक रहता है। मल के साथ आंव और रक्त का स्राव होता है । मल पहली स्थिति की भांति नहीं गिरता और पेट में भयंकर मरोड़ होती है । इस स्थिति में कुटजारिष्ट का उपयोग नहीं करना चाहिए बल्कि सर्वांग सुन्दर, कनक सुन्दर, रस पर्पटी आदि का उपयोग करना चाहिए।
यदि ज्वर रहित संग्रहणी रोग तीव्र हो तो कुटजारिष्ट की मात्रा बढ़ा कर यानी 5 बड़े चम्मच भर, पानी में मिला कर या बिना पानी मिलाए तीन-तीन घण्टे से पिलाना चाहिए। अगर बार-बार तेज़ मरोड़ हो रही हो तो साथ में अमृत वटी, या सूत शेखर 1-1 गोली देनी चाहिए।
संग्रहणी के रोगी को खानपान में बदपरहेज़ी नहीं करनी चाहिए। लाभ होने पर रोगी प्राय: दवा का ही सेवन नहीं बल्कि परहेज़ करना भी छोड़ देता है जिससे बीमारी फिर लौट आती है। ऐसा बार-बार होता रहता है और रोग पुराना होते-होते असाध्य हो जाता है।
रोगी को कभी-कभी 2-3 वर्ष तक निरन्तर कुटजारिष्ट पीनी पड़ती है तब कहीं इससे छुटकारा मिलता है इसलिए इस रोग के रोगी को औषधि का सेवन लम्बे समय तक करना ज़रूरी हो जाता है। यदि कई वर्ष तक संग्रहणी ठीक न हो सके तो शरीर व स्वास्थ्य का नाश तो होता ही है, कभी-कभी यकृत विद्रधि (लिवर में ट्यूमर) जैसे भयानक रोग होने की सम्भावना बन जाती है लिहाज़ा इस व्याधि को जल्द से जल्द दूर करने के उपाय करने चाहिए।
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कुटजारिष्ट के नुकसान : Kutajarishta Syrup Side Effects in Hindi
1- कुटजारिष्ट लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- इसकी अधिक खुराक से जी मिचलाना व उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती है ।
3- कुटजारिष्ट के अधिक उपयोग से कब्ज हो सकती है ।