लसोड़ा के फायदे और नुकसान / Cordia dichotoma : Benefits and Side Effect
★ लसोड़ा का वृक्ष मध्यम ऊंचाई वाला होता है । यह दो प्रकार का होता हैं-बड़ा लसोड़ा और छोटा लसोड़ा ।
★ लसोड़ा को हिन्दी में ‘गोंदी’ और ‘निसोरा’ भी कहते हैं। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता | यह सारे भारत में पैदा होता है । यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है ।
★ पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अन्दर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है।
★ यह सारे भारत में पैदा होता है । वसन्त ऋतु में इसमें फूल आते हैं और ग्रीष्म ऋतु के अन्त तक फल पक जाते हैं । इसके वृक्ष से एक प्रकार का गोंद निकलता है । इसके फलों में बहुत लुआब भरा रहता है । कफ निकालने वाला होने से इसे ‘श्लेष्मान्तक’ कहते हैं । रोगों का निवारण करने वाला होने से ‘बहवार’ रोगों को उखाड़ देने वाला होने से ‘उद्दालक’ और जीवनदान देने वाला होने से ‘शेलु’ कहते हैं । इसका पेड़ लगभग 30-40 फुट ऊँचा होता है ।
स्वभाव / तासीर : इसका स्वभाव शीतल होता है।
लसोड़ा के आयुर्वेदिक गुण :
1) यह मधुर, कसैला, शीतल, ग्राही, कृमि नाशक, विषनाशक, केशों के लिए हितकारी, अग्निवर्द्धक, पाचक, मूत्रल, स्निग्धकारी, कफ निकालने वाला, अतिसार व जलन दूर करने वाला तथा शूल और सब प्रकार के विष को नष्ट करने वाला तथा शीतवीर्य होता है ।
2) इसका काढ़ा कफ और पतले दस्त को दूर करने में गुणकारी होता है ।
3) लसोड़ा पेट और सीने को नर्म करता है और गले की खरखराहट व सूजन में लाभदायक है।
4) लसोड़ा पित्त के दोषों को दस्तों के रास्ते बाहर निकाल देता है और बलगम व खून के दोषों को भी दूर करता है।
5) लसोड़ा पित्त और खून की तेजी को मिटाता है और प्यास को रोकता है।
6) लसोड़ा पेशाब की जलन, बुखार, दमा और सूखी खांसी तथा छाती के दर्द को दूर करता है। इसकी कोपलों को खाने से पेशाब की जलन और सूजाक रोग मिट जाता है।
7) लसोड़ा के कच्चे फल शीतल, कषैला, पाचक और मधुर होता है। इसके उपयोग से पेट के कीड़े, दर्द, कफ, चेचक, फोड़ा, विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल) और सभी प्रकार के विष नष्ट हो जाते हैं। इसके फल शीतल, मधुर, और हल्के होते हैं।
8) इसके पके फल मधुर, शीतल और पुष्टिकारक हैं, यह रूखे, भारी और वात को खत्म करने वाले होते हैं।
लसोड़ा के फायदे / रोगों का उपचार : Lasoda ke Fayde in Hindi
1) बार-बार आने वाले ज्वर में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर को सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है। ( और पढ़ें – बुखार का सरल घरेलु उपाय )
२) प्रदर रोग के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकालकर पीने से प्रदर रोग और प्रमेह दोनों मिट जाते हैं। ( और पढ़ें – श्वेत प्रदर के घरेलू उपाय )
3) दाद के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है। ( और पढ़ें – दाद को जड़ से मिटायेंगे यह 16 उपाय )
4) फोड़े-फुंसियां के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।
5) गले के रोग उपचार में लसोड़ा के फायदे : लिसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
6) अतिसार के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है। ( और पढ़ें – दस्त रोकने के रामबाण देशी उपाय )
7) हैजा (कालरा) के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है।
8) दांतों का दर्द दूर करने में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है। ( और पढ़ें – दाँत दर्द का घरेलू उपचार )
9) बल शक्तिवर्द्धक में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें। इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है।
10) शोथ (सूजन) दूर करने में में लसोड़ा के फायदे : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है।
लसोड़ा के नुकसान : Lasoda ke Nuksan
लसोड़ा का अधिक मात्रा में उपयोग मेदा (आमाशय) और जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है।
दोषों को दूर करने वाला : इसके दोषों को दूर करने के लिए दाना उन्नाव और गुलाब के फूल मिलाकर लसोड़े का उपयोग करना चाहिए।