Last Updated on March 28, 2024 by admin
लीवर में सूजन (हेपेटाइटिस) आना क्या है ? (Liver me Sujan in Hindi)
आज हेपेटाइटिस का रोग महामारी जैसा ख़तरा बन कर सामने खड़ा है। हेपेटाइटिस से बचाव और इसका इलाज संभव है, बशर्ते कि लोग जागरुक रहें। हेपेटाइटिस यानि लीवर में सूजन(यकृत शोथ) यह मूल रूप से लीवर की बीमारी होती है जिसमे लीवर में सूजन आ जाती है। हेपेटाइटिस होने के बहुत से कारण जैसे वायरल, बैक्टीरियल, अल्कोहलिक , सिहोटिक आदि बहुत से कारण होते है। इनमें से सबसे घातक वायरल हेपेटाइटिस पाँच प्रकार के वायरस से होता हैं –
- हेपेटाइटिस-ए,
- हेपेटाइटिस-बी,
- हेपेटाइटिस-सी,
- हेपेटाइटिस-डी,
- हेपेटाइटिस-ई,
इन पांचो में से भी टाइप-बी और टाइप-सी लाखों लोगों में क्रॉनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा अधिक होता है। हेपेटाइटिस-बी, इन्फेक्टेड ब्लड के ट्रांसफ्यूशन और सिमेंन और दूसरे बॉडी फ्लूइड के संसर्ग के कारण होता है तथा, हेपेटाइटिस-सी, ब्लड और इन्फेक्टेड इन्जेक्शन के इस्तेमाल से होता है। अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, अत्यधिक शराब के सेवन से होता है | कुछ दवाईयाँ जैसे एसिटामिनोफेन के अधिक सेवन से भी हेपेटाइटिस हो जाता है। आइये जाने लीवर में सूजन कैसे होता है | क्या है हेपेटाइटिस होने के कारण |
( और पढ़े – पीलिया के 16 रामबाण घरेलू उपचार )
लीवर में सूजन आने के कारण (Liver me Sujan ke Karan)
liver me sujan kyu aati hai
- वायरल संक्रमण के कारण।
- एल्कोहल यानि शराब का अधिक सेवन ।
- ज्यादा मात्रा में कुछ विशेष दवाई लेने से ।
- दूषित भोजन व दूषित जल पीने से।
- गंदे होटल व रेस्तरां में अधिक समय तक खानेपीने से पाचन क्रिया विकृत होने पर।
- शरीर में अम्लता की अत्यधिक वृद्धि ।
- अधिक तीखे एवं मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थों का लंबे समय तक सेवन करना ।
- पित्त नलिका में पत्थरी के कारण।
- अधिक अम्लीय, क्षारीय, अति उष्ण, विरुद्ध एवं असात्मय भोजन के सेवन से भी लीवर में सूजन ,पीलिया होने का खतरा रहता है। आइये जाने क्या है हेपेटाइटिस के लक्षण ।
लीवर में सूजन के लक्षण (Liver me Sujan ke Lakshan)
- पीलिया तथा त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना ।
- मूत्र का रंग गहरा पीला या हरा हो जाना ।
- अत्यधिक थकान।
- उल्टी ।
- पेट के उपरी हिस्से में दर्द और सूजन।
- अत्यधिक खुजली ।
- भूख कम लगना ।
- वज़न का घटना।
( और पढ़े –लिवर की बीमारी व सूजन यह रहें रामबाण नुस्खे )
लीवर में सूजन का पता किस जाँच से चलता है ?
इसके लिए इन टेस्ट को करने की सलाह दी जाती है-
- लीवर फंक्शन टेस्ट
- पेट का अल्ट्रासाउन्ड
- हेपैटाइटिस ए, बी और सी का टेस्ट (hepatitis A,B, or C)
- लीवर बायोपसी
आइये जाने कैसे करे हेपैटाइटिस से बचाव।
लीवर में सूजन के बचाव के उपाय :
- अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें ।
- टैटू करने के वक्त उपकरणों को हमेशा स्टेरीलाइज कराये।
- कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि मशीन साफ और स्टेरीलाइज हो।
- संसार व्यवहार (मैथुन) में सावधानी बरतें।
- बच्चों को हेपेटाइटिस से बचाव के लिए समय पर टिका लगवाए।
- हॉट, स्पाइसी, और ऑयली खाने से परहेज करें ।
- प्रिजई फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, एल्कोहल और सोडा वाले ड्रिक से परहेज करें।
- खाने में केला, आम, टमाटर, पालक, आलू, आंवला, अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची ज्यादा शामिल करें।
- इस स्थिति में ज्यादा फिजिकल वर्क न करें और पूरा आराम करें।
लीवर में सूजन दूर करने के घरेलू उपाय और नुस्खे (Liver me Sujan ke Gharelu Upchar aur Upay)
आयुर्वेद में हेपेटाइटिस को कामला रोग या पीलिया के नाम से जाना जाता है । कामला रोग की उत्पत्ति पित्त के रक्त में मिलने से होती है। यकृत में पित्त का निर्माण होता है। यही पित्त जब यकृत विकृति से या अन्य किसी कारण से रक्त में मिलने लगता है तो कामला रोग की उत्पत्ति होती है। चिकित्सा में विलम्ब करने और भोजन में लापरवाही बरतने से कामला रोग अधिक उग्र होता जाता है। रोगी के मल-मूत्र के साथ उसका पसीना भी पीला हो जाता है। रोगी के नेत्र भी पीले दिखाई देते हैं। चिकित्सा में विलम्ब होने से कामला रोग उग्र रूप धारण कर लेता है। रोगी ज्वर से पीड़ित होता है। रोगी की भूख नष्ट हो। जाती है। भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है।
1- हल्दी – लीवर में सूजन होने, यकृत रोग अर्थातू लीवर रोग होने एवं पीलिया रोग आने पर ग्वारपाठे के पत्ते के एक छोटे टुकड़े में से निकलने वाले गूदे में थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी एवं सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह से मिलाकर तैयार किये हुए मिश्रण का सेवन करने पर लाभ होता है।
2- एलोवेरा – पेट में किसी प्रकार की गाँटें होने, गाँठों अथवा सूजन का आभास होने पर पूरे पेट पर ग्वारपाठे के पत्ते में से निकलने वाले गूदे का लेप करने पर गाँठे बैठ जाती है। मलावरोध खत्म होता है। पेट साफ होकर मुलायम हो जाता है।
3- मूली – पांच तोला मूली के पत्तों का अर्क एक तोला मिश्री में मिला लें और बासी मुंह पीएं। यह लीवर में सूजन, पीलिया के लिए रामबाण औषधि है। पंद्रह दिन सेवन करें। दो माह तक दूध व हल्दी का परहेज करें।
4- पुनर्नवा – पुनर्नवा का 2 चम्मच रस सुबह-शाम भोजन करने के बाद शहद के साथ रोजाना सेवन करने से लीवर में सूजन के रोग में लाभ होता हैं।
5- हरड़ – हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर खाने से पीलिया रोग और लीवर में सूजन मिट जाती है।
6- नीम – गिलोय, अड़ूसा, नीम की छाल, त्रिफला, चिरायता, कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर जौकुट करके एक कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। फिर इसे छानकर थोड़ा-सा शहद मिलाकर पी जाएं। 20 दिन तक इसके सेवन से लीवर में सूजन के रोगी को आराम मिलता है।
7- आंवला – आंवले और गन्ने का ताजा निकाले हुए आधा-आधा कप रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लगातार पीने से दो-तीन महीने में लीवर में सूजन ,पीलिया का रोग दूर हो जाता है।
8- कलौंजी – एक कप दूध मे आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर रोजाना 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 7 दिनों तक सेवन करने से लीवर में सूजन की बीमारी में लाभ मिलता है। ध्यान रहें कि भोजन में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग न करें।
लिवर की सूजन में क्या खाएं ? :
- पूर्ण विश्राम, फलाहार, रसहार, तरल पदार्थों जैसे जूस का सेवन करें ।
- चोकर समेट आटे की रोटी खायें ।
- पुराने चावल का भात, नींबू-पानी, ताजे एवं पके फलों का सेवन करें ।
- अंजीर, किशमिश, गन्ने का रस, जौ-चना के सत्तू, छाछ, मसूर, मूंग की दाल, केला, परवल, बैगन की सब्जी, गद्पुरैना की सब्जी खायें ।
- क्रीम निकला दूध, छेने का पानी, मूली, खीरा आदि खाना चाहिए।
- हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें ।
लिवर की सूजन (हेपेटाइटिस )में क्या नहीं खाएं? :
- घी, तेल, मक्खन, अंडे, मांसमछली का सेवन न करें।
- उष्ण मिर्चमसालों और अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- चाय, कॉफी, शराब का सेवन न करें।
- छोलेभटूरे, गोलगप्पे, टिकिया, समोसे आदि चटपटे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए।
- फॉस्ट फूड, चाइनीज व्यंजन का बिल्कुल सेवन न करें।
- दूषित जल, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें।
लिवर में सूजन की आयुर्वेदिक दवा : Liver me Sujan ki Ayurvedic Dawa
लिवर की सूजन में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां ।
- आंवला रस
- घृतकुमारी रस
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)