Last Updated on December 17, 2022 by admin
मालिश की नई तकनीके (New Techniques of Massage)
मालिश की नई तकनीकों और मशीनों के द्वारा आजकल मालिश की जाती है। मालिश के लिए नई-नई तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। जिनका वर्णन इस प्रकार से है-
- मालिश के विभिन्न उपकरण
- मुलतानी मालिश
- उंगुलियों से ठोकना (टेपिंग)
- दबाना (टविस्टिंग)
- घर्षण (फिरीक्शन)
- कंपन (वाईब्रेशन)
- दलन (केनीड़िंग)
- बेलना (रोलिंग)
- झकझोरना (सेकिंग)
1. मालिश के विभिन्न उपकरण (Different equipments of massage)
आज के समय में रोजाना नए-नए प्रकार के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खोज की जा रही है। ऐसे में मालिश थैरेपिस्ट भी नए उपकरणों का सहारा लेकर मालिश की इस विद्या को रोजाना नए आयाम प्रदान कर रहे हैं।
मालिश के आधुनिक तकनीकी उपकरणों मे पैरों का फुट रोलर, मैंगनेटिक मसाजर, बैटरी चलित और इलैक्ट्रानिक मसाजर प्रमुख हैं। ये उपकरण किसी अच्छे एक्यूप्रेशर केन्द्र या इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की अच्छी दुकानों से प्राप्त किये जा सकते हैं। इन उपकरणों का प्रयोग करना भी आसान है। इलेक्ट्रॉनिक मसाजर से आप शरीर के किसी भी अंग की कंपन युक्त मालिश अपनी सुविधा से कर सकते हैं। इन उपकरणों द्वारा मसाज करने से सिरदर्द, तनाव, गर्दन का दर्द, पीठ दर्द, हाथ-पैरों की अकड़न को दूर करने में सहायता मिलती है।
जानकारी – मालिश करने के उपकरणों के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि ये उपकरण ज्यादा महंगे भी नहीं होते और आम आदमी भी इन्हें खरीदकर उपयोग कर सकता है।
2. मुलतानी मालिश (Massage of muscovite)
मुलतानी मालिश में तेल की मालिश ऊपर से शुरू करके नीचे की तरफ की जाती है। मालिश की इस प्रक्रिया में पहले तेल से मालिश की जाती है और फिर इसमें मांसपेशियों और नसों को हाथों से पकड़कर मसला जाता है जिससे रोगी को बहुत आराम मिलता है।
3. अंगुलियों से ठोकना (टेपिंग) Tapping
इस क्रिया में खुले हाथों से अपनी अंगुलियों को ढीली रखकर, अपनी बाजुओं को शिथिल करके बारी-बारी से मांसपेशियों पर हाथ चलाना होता है। यह क्रिया मांसपेशियों को ढीला करने में लाभकारी होती है।
4. दबाना (टविस्टिंग / Twisting)
दबाना क्रिया में रोगी के अंगों को अपने हाथों में लेकर आवश्यकतानुसार दबाना होता है। यह भी एक प्रकार की मालिश है।
लाभ – दबाना क्रिया बूढ़े व्यक्तियों के लिए काफी लाभकारी होती है। इससे रक्त-संचार बढ़ता है। शिराएं तेजी से खाली होती और भरती रहती हैं। अंगों के दर्द से छुटकारा मिलता है। अचेतन अवस्था को दूर करने के लिए भी इस क्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. घर्षण (फिरीक्शन / Friction)
घर्षण क्रिया रोगी के पूरे शरीर पर की जाती है। अपनी अंगुलियों को खुला रखकर दोनों हाथों को रोगी के शरीर पर रखें और जल्दी-जल्दी रगड़ देते हुए नीचे से ऊपर की ओर दिल की तरफ बढ़ें। पहले अपने पूरे शरीर का दबाव अपने हाथों पर रखें, उसके बाद घर्षण देकर हाथ चलाएं। प्रत्येक क्रिया के बाद घर्षण दें। यह क्रिया एक जोड़ से दूसरे जोड़ तक करते हुए आगे बढ़ना चाहिए जैसे- आप टांगों की मालिश कर रहे हैं, तो यह घर्षण पहले टखनों से घुटनों तक, उसके बाद घुटनों से जांघों तक करते जाएं। इसी तरह शरीर के अन्य भागों पर घर्षण करें।
प्रभाव – घर्षण क्रिया से ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है, त्वचा पुष्ट यानी मजबूत होती है तथा उसका ताप बढ़ता है। यदि जोड़ों के आस-पास सूजन हो, तो वह दूर हो जाती है। इससे मांसपेशियों का तनाव दूर होकर वहां शुद्ध रक्त का संचार होता है।
लाभ– घर्षण क्रिया को करने से घाव आदि से हुई गांठे और निशान दूर हो जाते हैं। इसके अलावा जोड़ों का दर्द, कमर का दर्द, साइटिका का दर्द और चेहरे के लकवे में यह क्रिया काफी लाभकारी होती है।
6. कंपन (वाईब्रेशन / Vibration)
कंपन एक ऐसी क्रिया है, जिसे मालिश की श्रेणी में काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि इस क्रिया द्वारा रोगी को बहुत अधिक लाभ दिया जा सकता है। कंपन देने के कई तरीके हैं। कंपन तेज भी दिया जाता है, हल्का भी तथा बहुत हल्के स्पर्श से भी कंपन दिया जाता है। यह क्रिया एक साथ दोनों हाथों से व एक हाथ से भी की जाती है।
मालिश करने वाला जब कंपन क्रिया करता है, तो इस क्रिया में उसकी बहुत अधिक शक्ति खर्च होती है, तथा रोगी को बहुत शक्ति मिलती है। वैसे कंपन देने वाले कुछ बिजली के यंत्र भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिनसे मालिश में कंपन का कार्य लिया जाता है, परन्तु जो प्रभाव रोगी पर हाथ के कंपन से पड़ता है, वह प्रभाव इन बिजली के यंत्रों से नहीं पड़ सकता। कंपन का प्रभाव शरीर में बहुत गहरा होता है।
पहले अपने पूरे हाथ के संपर्क से हाथ को ढीला रखकर और अपने पूरे शरीर का सही संतुलन बनाकर एक साथ तेज कंपन दें। फिर धीरे-धीरे अपने हाथ का प्रभाव करके केवल अंगुलियों से कंपन दें तथा अन्त में मात्र शरीर को छूकर अपनी अंगुलियों को हरकत देते रहें। स्वयं को ध्यानचित्त करके एक क्रमबद्ध रूप से अपने हाथ पर पूरा नियंत्रण रखकर ही यह कंपन क्रिया की जा सकती है। यदि कंपन देते समय आपका हाथ एक लय से नहीं चल सका या बीच-बीच में उसकी तरंगें टूट जाती हैं, तो ऐसे रोगी को अधिक लाभ नहीं दिया जा सकता है। मालिश की विभिन्न क्रियाओं में `कंपन क्रिया´ बहुत कठिन क्रिया मानी जाती है। इसे करने से पहले आपको बहुत अभ्यास की आवश्यकता पडे़गी। अभ्यास करने के लिए अपने हाथ को हवा में रखकर कंपन दें तथा उसमें लय पैदा करें। इसका अच्छा अभ्यास करने के बाद ही रोगी पर इस क्रिया का प्रयोग करें।
प्रभाव – यह क्रिया मालिश में विशेष स्थान रखती है अत: इस क्रिया का प्रभाव ऐसा है कि आप रोगी के बेजान अंग में भी जान डाल सकते हैं। इस क्रिया से रोगी को विशेष रूप से लाभ मिलता है। नस-नाड़ियों पर भी इस क्रिया का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि आप रोगी की नस-नाड़ियों पर विशेष प्रभाव डालना चाहते हैं, तो इसके लिए यह क्रिया बहुत प्रभावकारी होती है।
लाभ – कंपन की क्रिया द्वारा स्नायु रोगों जैसे, अधरंग (शरीर के आधे भाग में लकवा होना) में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इससे श्वसन-संस्थान स्वस्थ रहता है, शरीर के जोड़ खुलते हैं, छाती में जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है और शरीर की थकावट दूर होकर शरीर में नई शक्ति का संचार होता है।
सावधानी – शरीर के सभी अंगों पर बाकी सभी क्रियाएं करने के बाद ही इस क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।
7. दलन (केनीड़िग / Kneading)
दलन क्रिया पीठ, कमर और निंतबों यानी कूल्हे आदि पर की जाती है। इस क्रिया में रोगी को उल्टा लिटाकर (पेट के बल) उसके ऊपर बैठ जाते हैं। दलन क्रिया करने वाले व्यक्ति को अपने घुटने जमीन पर टिकाकर तथा अपना भार रोगी के शरीर पर न डालकर अपने घुटनों पर रखना चाहिए। उसे अपने दोनों हाथ रोगी की रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर रखने चाहिए। इसके बाद अपने हाथों का दबाव रोगी की शारीरिक ताकत के अनुसार ही उसके शरीर पर डालें और अपने हाथों को घुमाते हुए ऊपर को ले जाएं।
यह क्रिया कई बार करें। रोगी की कमर और कूल्हों को भी घुमाव के साथ दबाव देकर मसल लें। ध्यान रखें कि यह मसलना आपके हाथों की अंगुलियों द्वारा न होकर हथेलियों के गद्दे वाले भाग से होना चाहिए।
अब दूसरी क्रिया में अपने दोनों हाथ रीढ़ पर रखिए और अपने शरीर का दबाव डालकर मांसपेशियों को मसलते हुए अपने दोनों हाथों को दोनों तरफ से नीचे की ओर ले जाएं। यह क्रिया पीठ और कूल्हों पर भी करें।
यदि रोगी की पीठ पर बैठकर दलन क्रिया को करना कठिन हो, तो आप रोगी के बाईं ओर बैठकर या खड़े होकर, दोनों तरफ एक-सा दबाव डालकर यह क्रिया कर सकते हैं।
लाभ – दलन क्रिया का प्रभाव मसलने वाली क्रिया से मिलता-जुलता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव पड़ता है तथा शिराएं एकदम खाली हो जाती हैं और फिर तेजी से रक्त आता है। नाड़ियों का विकार दूर हो जाता है तथा त्वचा में सुन्दरता आती है। तनी मांसपेशियों में नर्मी और ढीलापन आ जाता है और सुस्ती भी दूर होती है।
सावधानी – दलन क्रिया मोटापा, वात रोग, अधरंग (शरीर के आधे भाग में लकवा होना), नाड़ी दौर्बल्य आदि रोगों में विशेष लाभदायक होती है लेकिन नाड़ी के फूलने और उसमें सूजन आने पर मालिश की यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
8. बेलना (रोलिंग / Rolling)
बेलन क्रिया में पीठ और पेट की मालिश की जाती है। रोगी के शरीर के मांस को दोनों हाथों से पकड़कर बेलते हुए आगे बढ़ना होता है। आगे बढ़ने से पिछला मांस छूटता जाता है तथा अगला मांस आपके हाथों में आ जाता है।
प्रभाव – पेट पर बेलन क्रिया दाएं से बाएं गोलाई देकर करते हैं। बेलन क्रिया पीठ पर अधिक तथा पेट पर कम दबाव डालकर की जाती है। इसका सीधा प्रभाव हमारी त्वचा के नीचे छिपी वसा और मांसपेशियों पर पड़ता है, जिससे वसा पिघल जाती है।
लाभ – बेलन क्रिया का प्रयोग विशेष रूप से मोटापे को दूर करने के लिए किया जाता है।
9. झकझोरना (सेकिंग / Shaking)
झकझोरना क्रिया में शरीर के अंगों को दोनों हाथों से ढीला सा पकड़कर झकझोरते हुए ऊपर की ओर करते हैं। झकझोरने की क्रिया का इस्तेमाल पूरे शरीर पर किया जा सकता है। झकझोरने की क्रिया को करने के बाद, जिस अंग पर मालिश की जा रही है, उसे झकझोर देना चाहिए। इससे रोगी के अंग ढीले हो जाते हैं तथा अपना हाथ ढीला करने में भी सहायता मिलती है।
प्रभाव – झकझोरना क्रिया के प्रभाव से शरीर में रुका हुआ विकार शिराओं में चला जाता है और रक्त नलिकाएं धुल जाती हैं।
लाभ – झकझोरना क्रिया नस-नाड़ियों के लिए बेहद आरामदायक क्रिया मानी जाती है तथा इससे शरीर में नई चेतना उत्पन्न होती है।