मुख ममुद्रत कृत्वा जिव्ळामूलं प्रचालयेत।
शनैर्गृसेदमृतं तां माण्डकी मुद्रिका बिदु:।।
वलितं पलितं नैव जायते नित्ययौवनम्।।
न केशे जायते पाकीय: कुर्यान्नित्यमाण्डुकीम्।।
अर्थ : मुंह को बंद करके जीभ को पूरे तालू के ऊपर घुमाना चाहिए और जीभ से लार टपकाते हुए धीरे-धीरे सुधा रस का पान करना चाहिए। इसे माण्डुकी मुद्रा कहते हैं। इसको करने से कमजोर शरीर पर झुर्रियां पड़ना और बालों का सफेद होना रुक जाता है तथा नए यौवन की प्राप्ति होती है।
विधि : Manduki mudra Technique / Steps in Hindi
★ माण्डुकी मुद्रा के अभ्यास को मुंह को बंद करके किया जाता है उस समय जीभ को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे फिरानी चाहिए। इससे रसोत्पादन होता है उसी को सुधा या अमृत कहते हैं। इसका पान करना अभ्यास से ही सिद्ध होता है।
लाभ : Manduki mudra Ke Labh / Fayde
★ मुद्रा द्वारा सेवन किये जाने वाला अमृत साधक के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही भले वाला और शरीर को ताकत देने वाला होता है।
★ इसका अभ्यास करने से साधक के बाल सफेद नहीं होते और उसके शरीर में चमक पैदा हो जाती है।
दिन में दो से तीन बार एक से दो मिनिट के लिए किया जा सकता है ~ हरिओम
इस मुद्रा को कितनी देर तक और कब करना है
Santu जी ,
मांण्डुकी तथा खेचरी मुद्रा में काफी भिन्नता है | खेचरी मुद्रा काफी कस्ट साध्य है तथा बिना मार्गदर्शक की देखरेख के इसे नही करना चाहिये |
मांण्डुकी मुद्रा करने में बड़ी सरल है तथा यह बहुत कुछ लघु-खेचरी से मेल खाती मुद्रा है| यह हानी रहित मुद्रा है |
इसका लाभ सभी को लेना चाहिये |
~ हरिओम
मांण्डुकी तथा खेचरी मुद्रा में कोई अंतर है,या दोनों एक हींं हैं ।