Last Updated on November 4, 2020 by admin
चिकित्सा विशेषज्ञों के सर्वेक्षण के अनुसार आज 15 लोगों में से एक इंसान मानसिक तनाव से पीड़ित है। आधुनिक परिवेश में भौतिक सुविधाओं के साथ मानसिक तनाव के रोगियों की संख्या तीव्र गति से बढ़ती जा रही है।
मानसिक तनाव किसी भी परिस्थिति में हो सकता है। कुछ स्त्री-पुरुष अधिक संवेदनशील होने के कारण मानसिक तनाव के शिकार होते हैं। छोटी-छोटी बातें भी उन्हें मानसिक तनाव से पीड़ित कर देती हैं। घर से ऑफिस जाते समय बस न मिलने, बस में अधिक भीड़ होने या किसी चौराहे पर ट्रैफिक जाम होने की समस्या भी किसी स्त्री-पुरुष को मानसिक तनाव से पीड़ित कर सकती है। अधिकांश परीक्षा के समीप आने पर मानसिक तनाव से घिरे रहते हैं।
कई स्त्री-पुरुष अस्थमा, एलर्जी, सिरदर्द, आर्थराइटिस, सर्दी-जुकाम, पीठदर्द, नपुंसकता, उच्च रक्तचाप, अल्सर और आँतों के विभिन्न रोगविकारों से पीड़ित होते हैं तो उन्हें रोग-विकारों की उत्पत्ति का कारण पता नहीं चल पाता। विभिन्न परीक्षणों के बाद चिकित्सा विशेषज्ञ ज्ञात नहीं कर पाते हैं कि इन रोगों की उत्पत्ति का कारण मानसिक तनाव है। विभिन्न औषधियों और इंजेक्शनों से नष्ट नहीं हो पानेवाले रोग मानसिक तनाव को नष्ट करने से पलक झपकते ही नष्ट हो जाते हैं।
1) अनिद्रा : मानसिक तनाव की अधिकता किसी इंसान को अनिद्रा का रोगी भी बना सकती है। ऐसे रोगी नींद के लिए इतने विचलित हो उठते हैं कि वे ट्रेंक्विलाइज़र (tranquilizer) का इस्तेमाल करने लगते हैं। नींद उनसे कोसों दूर भागती है जिस वजह से वे नींद की गोलियाँ खाने लगते हैं या किसी प्रकार के नशे के आदि हो जाते हैं। दूसरे शब्दों में वे आत्महत्या तक कर लेते हैं।
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2) दमा : मानसिक तनाव से अस्थमा (दमा) का शिकार बना जा सकता है लेकिन रोगी को अस्थमा की उत्पत्ति का कारण पता नहीं चल पाता। तनाव में अधिक दिन रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षीण हो जाती है और रक्त में श्वेत कोशिकाएँ बहुत तीव्र गति से नष्ट होने लगती हैं। जिससे इंसान बहुत सारे रोगों का शिकार हो जाता है।
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3) सिरदर्द : मानसिक तनाव ग्रस्त रोगी अकसर सिरदर्द जैसी तकलीफों से घिरा रहता है। अधिक चिंताग्रस्त रहने से मस्तिष्क की मांसपेशियों में गाँठ सी बन जाती है। जिस वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है। ऐसे में कई बार अंग-प्रत्यंग की परिस्थितियों
पर ध्यान न देने की वजह से, मांसपेशियों में अचानक खिंचाव से, रक्तनलिकाओं के सिकुड़ने से भी रक्त संचार में अवरोध पैदा होता है, जिससे सिरदर्द की विकृति होती है।
4) माइग्रेन : मानसिक तनाव से पीड़ित इंसान का अधिक क्रोधी, चिड़चिड़ा, गुस्सा होना स्वाभाविक होता है। जब रोगी अपने तनाव से मुक्त नहीं हो पाता तो उसे सिरदर्द होने लगता है। इसी तनाव के रहते उच्च शिक्षित, बुद्धिजीवी ‘आधा- सीसी’ अर्थात माइग्रेन के शिकार बन जाते हैं।
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5) उच्च रक्तचाप : मानसिक तनाव के कारण, उच्च रक्तचाप की विकृति भी हो सकती है। तनाव के कारण शरीर की विभिन्न ग्रंथियों पर हानिकारक प्रभाव होता है। ग्रंथियों से उत्पन्न स्राव से असंतुलन के कारण शरीर में अनेक विकृतियों की उत्पत्ति होने लगती है। तनाव के कारण एड्रिनलीन (Adrenaline) का अधिक स्राव होने से हृदय की गति असामान्य तरीके से बढ़ जाती है। स्राव की अधिकता से रक्त नलिकाओं में सिकुड़न आ जाती है। नतीजा, उच्च रक्तचाप की विकृति होती है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों का मानसिक तनाव नष्ट किए बगैर, उन्हें किसी औषधि से रोग मुक्त नहीं किया जा सकता।
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6) कोष्ठबद्धता : मानसिक तनाव की विकृति कुछ लोगों में कोष्ठबद्धता रोग (कब्ज़) की उत्पत्ति भी कर सकती है। तनाव ग्रस्त इंसान भोजन के लिए उपयुक्त पाचक रसों की उत्पत्ति नहीं कर पाता। आँतों से मल की शुष्कता व कठोरता की वजह से मल निष्कासन नहीं हो पाता। कोष्ठबद्धता की विकृति उदरशूल, वायुविकार (गैस), आध्मान (आफरा), अम्लपित्त, अर्शरोग (बवासीर) जैसे कष्टदायक रोगों को जन्म देता है।
7) पीठ दर्द : चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार पीठ दर्द के पीछे मानसिक रोगों का बड़ा सहयोग होता है। मानसिक तनाव के समय पीठ की मांसपेशियों में अकड़न और खिंचाव होने लगता है
और यदि यह खिंचाव बहुत लंबे समय तक रहा तो पीठ दर्द की तकलीफ शुरू होने लगती है। मानसिक तनाव के कारण पीठ दर्द बहुत पीड़ित करता है। देर तक कुर्सी पर बैठकर ऑफिस का काम करना, कार चलाना, झुकना, वज़न उठाना इत्यादि बहुत ही तकलीफदेह हो जाता है। पीठ की मांसपेशियों में तनाव रहने के कारण मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रहता, ऐसे में किसी भी दुर्घटना का शिकार होते देर नहीं लगती।
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8) बालों का झड़ना : मानसिक तनाव के कारण सिर के बाल तेजी से झड़ने लगते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो तनाव से गंजापन बहुत जल्दी आता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार रूसी अर्थात डैनड्रफ में भी मानसिक तनाव का बहुत सहयोग रहता है। तनाव से पीड़ित लोगों को रूसी की अधिकता रहती ही है। सिर में उष्णता अधिक होने से खुजली व जलन होने लगती है और जलन के कारण ही सिर की त्वचा के उस हिस्से पर बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं व बाल तेज़ी से झड़ने लगते हैं।
9) अल्सर : आँतों में व्रण यानी अल्सर भी मानसिक तनाव के कारण हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार भोजन में खट्टे, उष्ण, मिर्च-मसालों के खाद्यपदार्थों के सेवन से पेट में अम्लता की मात्रा अधिक बढ़ती है। अम्लता की वजह से पेट में जलन व जख्म हो सकते हैं। वैसे प्राकृतिक रूप में उदर, अम्ल की जलन से बचने के लिए म्यूकस (Mucus) एक चिपचिपा, गाढ़ा, तरल रसायन की परत बना लेता है जो एक रक्षा कवच की तरह काम करता है। मानसिक तनाव से यह म्यूकस कम होता जाता है। ऐसे में अम्ल की मात्रा यदि बढ़ गई तो आँतों की त्वचा में जख्म होने की संभावना बढ़ जाती है।
10) थकावट : मानसिक तनाव के कारण स्त्री-पुरुष अधिक थकावट महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में काम करने की इच्छा नहीं होती । तनाव के कारण ‘हॉर्मोन्स’ में विपरीत परिवर्तन होने लगते हैं। भोजन में अरुचि उत्पन्न होना, भावनात्मक आवेग, प्राकृतिक काम इच्छा को नष्ट करता है क्योंकि काम इच्छा की उत्पत्ति मस्तिष्क से होती है। तनाव की अधिकता में एड्रिनलिन का स्तर बढ़ता है व टेस्टोस्ट्रोन (Testosterone) का स्तर कम हो जाता है और काम करने की इच्छा निम्न हो जाती है।
मानसिक विकृत्तियों का उत्पन्न होना भी मानसिक तनाव का लक्षण है। ऐसे में हृदय की धड़कन तीव्र गति से बढ़ जाती है, पसीना आता है व कभी-कभी बेहोशी के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यदि इसी स्थिति में बहुत देर तक रहा जाए तो गंभीर मानसिक विकृत्तियाँ पैदा हो सकती हैं। कुछ लोगों में भय (फोबिया) की समस्या उत्पन्न होने लगती है। भय के कारण बहुत से लक्षण जैसे कि साँस फूलना, हाथ-पैर में कंपन, हृदय की धड़कन का अचानक बढ़ जाना।
फोबिया के अनेक प्रकार होते हैं जैसे कि भीड़भाड़वाले स्थानों में जाने का भय, बहुत से लोग बसों
और ट्रेनों में सफर करने से भी भयभीत रहते हैं। उन्हें किसी खुली जगह या बंद जगह जैसे लिफ्ट में जाने का डर रहता है।
मानसिक तनाव को यदि खतम न किया गया तो अनेक मानसिक व शारीरिक रोगों के कारण जीवनयापन बहुत कष्टदायक हो सकता है। चिकित्सक विशेषज्ञों के अनुसार मानसिक तनाव जितनी तेज़ी से किसी को पीड़ित करता है उतनी जल्दी उसे नष्ट भी किया जा सकता है। उसके लिए आपको आहार-विहार में थोड़ा परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
इन उपायों को अपनाकर मानसिक तनाव से बचा व दूर किया जा सकता है –
- मानसिक तनाव की स्थिति में मनोरंजन के लिए कुछ समय दिया जाए तो तनाव खतम होता जाएगा। आप अपने मित्र सहयोगियों, परिवारजनों के साथ पिकनिक पर, कहीं बाहर जा सकते हैं।
- मित्र परिवारजनों से बातचीत करने से, किसी रुचिपूर्ण विषय में अपने आपको व्यस्त रखने से भी आप पर तनाव हावी नहीं होगा।
- अपने मित्रों से मिलने जाएँ या उन्हें अपने घर पर बुलाएँ, ऐसे ही मित्रों को बुलाएँ जो सचमुच आपके शुभचिंतक हों।
- सकारात्मक दृष्टिकोण रखनेवाले मित्रों के साथ अपना समय ज्यादा बिताएँ। उनसे बातचीत करके बोझल वातावरण को खुशनुमा बनाकर भी आप अपने तनाव को खतम कर सकते हैं।
- बच्चों के साथ खेलें, जितना हो सके बच्चों के साथ समय बिताने का प्रयास करें। बच्चों के साथ बच्चे बनकर खेलें। बच्चों के मीठे बोल किसी भी औषधि से ज़्यादा प्रभावशाली होते हैं।
- मानसिक तनाव की पीड़ा ज़्यादातर खाली समय में अधिक होती है। ऐसे में खुद को जितना हो सके, व्यस्त रखें । किसी पुस्तकालय के सदस्य बन जाएँ क्योंकि किताब जैसा साथी और कोई नहीं।
- उसी तरह खाली समय में आप कोई रुचिपूर्ण कार्य कर सकते हैं, जैसे बागवानी, पेंटिंग, लेखन आदि। व्यायाम करें, नदी में या स्विमिंग पूल में तैरने जाएँ। किसी भी प्रकार का तनाव व्यायाम से खतम हो जाता है।
- इन सबके अलावा मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भ्रमण सबसे कारगर उपाय सिद्ध होता है। सूर्योदय से पहले उठे, लंबी सैर के लिए निकल जाएँ। किसी पार्क में जाकर हरी घास पर टहलें परंतु पहले यह तय कर लें कि क्या आप सचमुच तनाव से बाहर आना चाहते हैं? यदि हाँ तो ये उपाय करने से आपका तनाव ‘छू मंतर’ हो जाएगा। प्रातःकाल का भ्रमण मानसिक तनाव को आश्चर्यजनक ढंग से नष्ट करता है।