Gupt Rog ka Ayurvedic ilaj in Hindi गुप्त रोगों का इलाज कारण और निवारण

Last Updated on December 24, 2019 by admin

गुप्त रोगों के कारण प्रकार जानकारी और इलाज :

आज लाखों युवक – युवतियां, गुप्त रोगों (यौन-रोगों) के शिकार हो कर कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं । पश्चिमी सभ्यता की देन है यौनस्वच्छन्दता और उन्मुक्त यौन सम्बन्ध करना जिसका प्रभाव हमारे देश पर गत 15-20 वर्षों से तेजी से पड़ रहा है और अब बढ़ता जा रहा है । विदेशों में यौन रोगों से पीड़ित भारी संख्या में थे ही अब भारत में भी इनकी वृद्धि तेज़ी से हो रही है ।

आपने वियाग्रा टेबलेट के बारे में पढ़ा, सुना होगा जिसने गत वर्ष काफी हलचल मचाई थी । इस टेबलेट का आविष्कार भी बढ़ती हुई कामुकता और यौन-पिपासा को शान्त करने के लिए ही किया गया था जिसे सेवन करके कई लोग बेमौत मारे गये जबकि हमारे आयुर्वेद शास्त्रों में आज से हजारों साल पहले, श्रेष्ठ वाजीकारक, बलपुष्टिदायक और निरापद ढंग से लाभ करने वाले योगों का वर्णन प्रस्तुत कर दिया गया है ।

आज अधिकांश युवक-युवतियां मलिन मुख, कृश शरीर, तेजहीन और पिचका हुआ चेहरा लिये हारे थके से दिखाई देते हैं जबकि पुराने जमाने के स्त्री-पुरुष अपने बलपराक्रम के लिए प्रसिद्ध रहे हैं । आजकल की युवा पीढ़ी जिन यौन रोगों(गुप्त रोगों) से पीड़ित है उन रोगों के उत्पन्न होने के कारणों और उन रोगों को दूर करने की लाभकारी चिकित्सा का विवरण इस लेख में प्रस्तुत किया जा रहा है।

हस्तमैथुन : दुष्प्रभाव इलाज और बचाव (Masturbation in HIndi)

हस्तमैथुन क्या है ? (hastmaithun kya hota hai)

इस क्रिया को अंग्रेज़ी में मास्टरबेशन (Masturbation) कहते हैं । उत्तेजित शिश्न को पकड़ कर हिलाना और घर्षण करके वीर्यपात करना, हस्तमैथुन करना कहलाता है । इसे आत्मरति भी कहा जाता है ।

हस्तमैथुन के कारण

किशोरावस्था शुरू होते ही यौनांग सक्रिय हो जाता है, शुक्राशय में स्राव भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, पुरुष हार्मोन विकसित होने लगते हैं जिससे यौनांग यदा कदा सक्रिय हो जाता है और शिश्न में उत्थान होने लगता है । ऐसी स्थिति में सहपाठी छात्रों से, यौन-क्रीड़ाओं के बारे में जानकारी मिलती है तो बालक आश्चर्य-चकित होकर सुनता है, ऐसी बातों में रुचि लेता है और पहले तो सिर्फ सुनने और समझने में रुचि लेता है फिर धीरे-धीरे उसे इस विषय में रस आने लगता है ।

कुछ अपनी चाहत, कुछ दोस्तों की प्रेरणा से प्रभावित हो कर वह एक दो बार हस्तमैथुन करता है और थोड़ी देर का जो रोमांच, उत्तेजना, मादक अनुभव और अन्त में एक हलकापन (Relax) का अनुभव करता है उससे सम्मोहित हो कर बारबार यह क्रिया करने लगता है । यह प्राकृतिक नियम है कि हम मन में जो विचार या भाव भर देते हैं मन उसी को बार-बार क्रियान्वित करने का विचार करता है और उसके आदेश से विचार आचरण में बदल जाता है । धीरे-धीरे बार-बार का अभ्यास आदत में बदल जाता है और आदत धीरे-धीरे स्वभाव में बदल जाती है और तब व्यक्ति वह कार्य स्वभाव वश करने लगता है। न करना चाहे तो भी स्वभाव उसे वैसा करने के लिए विवश कर देता है । यही कारण है कि हस्तमैथुन करने का आदी युवक जब यह सुनता या पढ़ता है या किसी के समझाने से समझ पाता है कि यह काम हानिकारक है इसे नहीं करना चाहिए तो वह इस काम को छोड़ना चाहता है पर स्वभाव वश छोड़ नहीं पाता।

हस्तमैथुन से जुडी गलतफहमियां

  • हस्तमैथुन के बारे में कुछ गलतफहमियां भी हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है । एक धारणा यह देखी गई है कि 100 बूंद खून से 1 बूंद वीर्य बनता है इसलिए एक बूंद वीर्य खर्च हुआ तो शरीर का 100 बूंद खून नष्ट हो गया । यह धारणा बिल्कुल ग़लत है।
  • इसी तरह हस्तमैथुन करने से शिश्न न तो छोटा होता है और न बड़ा होता है ।
  • शिश्न टेढ़ा होना कोई विकार या रोग नहीं है और न शिश्न पर नीली नसें उभरना कोई खराबी या व्याधि होती है । शिश्न में चर्बी नहीं होती जो नसों को ढक दे और नसें दिखाई न दें । उत्थान होने पर जब तनाव होता है तब भी ये नसें चर्बी न होने से, स्पष्ट दिखाई देती हैं सो दिखेंगी ही । यह सब प्राकृतिक है ।

हस्तमैथुन के दुष्प्रभाव (hastmaithun ke nuksan hindi mein)

लम्बे समय तक हस्तमैथुन करने से शरीर में कमज़ोरी आ सकती है, यौनांग नाजुक और अति संवेदनशील हो सकता है और नपुंसकता भी आ सकती है विशेष कर शिथिलता और शीघ्रपतन होने की स्थिति तो आ ही जाती है ।

हस्तमैथुन की दुर्बलता दूर करने का उपाय (hastmaithun se ling me aayi kamzori ka ilaj)

नियम-संयम का पालन कर हस्तमैथुन करना बन्द कर पौष्टिक आहार लिया जाए और उचित दिनचर्या का पालन करते हुए पौष्टिक एवं वाजीकारक औषधियों का सेवन 2-3 मास तक नियमित रूप से किया जाए तो यह सारी स्थिति ठीक की जा सकती है ।

चिन्तित और परेशान होने की कतई कोई जरूरत नहीं । यह शंका भी मन में न रखें कि लम्बे समय तक हस्तमैथुन किया है तो बच्चा पैदा करने की क्षमता रहेगी या नहीं क्योंकि बच्चा पैदा करने के लिए वीर्य में पर्याप्त शुक्राणु होना जरूरी होता है और हस्तमैथुन का शुक्राणुओं के उत्पादन से सम्बन्ध नहीं होता पूरे शरीर की धातुओं और स्वास्थ्य से होता है । यदि हस्तमैथुन करना बन्द कर उचित आहार-विहार और इलाज किया जाए तो 5-6 मास में सब ठीक हो जाता है।

( और पढ़े –हस्तमैथुन से आई कमजोरी का इलाज )

हस्तमैथुन की लत छोड़ने के उपाय (hastmaithun ki lat ko kaise chode)

हस्तमैथुन से बचने के लिए कामुक मनोवृत्ति, विचारधारा और अश्लील वातावरण से बचना ज़रूरी होता है । अश्लील पुस्तकें, पत्रिकाएं, अश्लील (ब्लू) फिल्में या फोटो देखना स्त्री शरीर के बारे में सोचना, युवतियों के निकट सम्पर्क में रहना, दोस्तों से कामुक विचार करना आदि से बचना ज़रूरी होता है । हमारे शास्त्रों ने कामुक आचार-विचार से बचने के लिए उत्तम शिक्षा दी है यथा

स्मरणं कीर्तनं केलिः प्रेक्षणं गुह्य भाषणम् ।
संकल्पोऽध्यवसायश्च क्रिया निवृत्तिरेव च ॥
एजन्मैथुनमष्टांगं प्रवदन्ति विचक्षणाः ।
विपरीत ब्रह्मचर्यमेतदेवाष्ट लक्षणम् ।।

अर्थात् –
(1) पूर्व काल में किये हुए सहवास या सहवास योग्य साथी (Sex partner) का स्मरण करना,
(2) कामुक एवं अश्लील बातें करना या विचार विमर्श करना,
(3) कामुक छेड़छाड़, इशारे, हंसी-मज़ाक या हाथापाई करना,
(4) छिप कर ऐसा व्यक्ति या दृश्य देखना जिससे कामोत्तेजना पैदा हो,
(5) छिप कर गुपचुप कामुक बातें करना,
(6) काम क्रीड़ा करने का विचार या संकल्प करना,
(7) मैथुन करने की जुगाड़ और तिकड़म लगाना, इस कार्य के पूर्ति के साधन जुटाना और
(8) जानबूझ कर ऐसा कोई भी प्रयास या क्रिया करना जिससे वीर्यपात हो कर कामोत्तेजना का शमन होता हो ।
इस आठवें तरीके में सभी प्रकार के ढंग से किये गये ऐसे काम शामिल हैं जिनसे वीर्यपात होता हो।

शास्त्र ने ये आठ प्रकार के मैथुन बताये हैं और इन सबसे बच कर रहना ब्रह्मचर्य का पालन करना है । इनसे बच कर रहने वाले को हस्तमैथुन करने की ज़रूरत ही महसूस नहीं होती । इन आठों कारणों से बच कर रहने के अलावा हस्त मैथुन करने से बचने का अन्य कोई उपाय या इलाज नहीं है।

हस्तमैथुन के विषय में यदि शान्त और विवेकपूर्ण मनःस्थिति से काम ले कर यह विचार किया जाए कि जो शक्ति विवाह के बाद उपयोग में लेकर आनन्द और तृप्ति प्राप्त करने के साथ ही स्वस्थ, सुडौल और उत्तम सन्तान प्राप्त करने के लिए प्रकृति से मिली थी उसे दो मिनिट का नकली सुख प्राप्त करने के लिए गन्दी और घृणित क्रीड़ा द्वारा नष्ट करना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारना है, अपना भावी जीवन दुःखमय, रोगग्रस्त, नपुंसक और कमजोर करना है तो कोई अति मूर्ख और कोल्हू का बैल जैसा व्यक्ति ही हस्तमैथुन करना पसन्द करेगा और करेगा तो फिर भुगतेगा भी।

( और पढ़े –हस्तमैथुन की आदत छुड़ाने के 9 उपाय )

स्वप्नदोष : इलाज दवा और बचाव (nightfall in hindi)

स्वप्नदोष क्या है ? (swapandosh kya hota hai)

दूसरी व्याधि है दिन या रात में, सोते हुए वीर्यपात हो जाना । इसे स्वप्नदोष होना कहते हैं । स्वप्नदोष से पीड़ित व्यक्ति का दुःख यह होता है कि वह कुछ करता नहीं क्योंकि सोया होता है तो भी उसका वीर्य नष्ट हो जाता है लेकिन उसका ऐसा सोचना ग़लत है । वह जो कुछ जागते हुए सोचता रहता है करता रहता है, या सिर्फ सोचता रह जाता है कर नहीं पाता वही सब सपने में देखता है और स्वप्न के कारण वीर्यपात होता है इसीलिए इस व्याधि को स्वप्नदोष होना कहते हैं । यह दोष युवा को भी होता है, प्रौढ़ को भी होता है और होने को वृद्ध को भी हो सकता है।

स्वप्नदोष होने के कारण (swapandosh kyu hota hai in hindi)

इस रोग का सम्बन्ध आयु से नहीं है, आचारविचार से है । कामुक आचार-विचार वाले पुरुष को ही स्वप्नदोष होता है वरना कदापि नहीं होता, हो नहीं सकता ।

सिर्फ बहुत थोड़ी सी सम्भावना, लम्बे समय तक कठोर कब्ज़ रहने से भी, स्वप्नदोष होने की हो जाती है पर बहुत ही कम । किसी किसी को स्वप्न दोष कभी कभार ही होता है, किसी को अक्सर होता है तो किसी को 1-2 दिन छोड़ कर हो जाया करता है और ऐसे महारथी भी हैं जिन्हें एक ही रात में 2-3 बार हो जाता है । यह सब मानसिक कारण से होता है शारीरिक कारण से नहीं । कभी कभी स्वप्न दोष लगातार कई दिनों तक होता रहता है और कभी – कभी कई दिनों तक होता नहीं तो कभी- कभी थोड़े दिनों के अन्तर से होता रहता है । तात्पर्य यह है कि स्वप्नदोष होने का कोई निश्चित ‘सिस्टम एण्ड टाइम’ नहीं है।

स्वप्नदोष होना पुरुष की मानसिकता और उसके आचार-विचार पर निर्भर होता है । स्वप्न देखना अन्तर्मन का काम है और सोते हुए अन्तर्मन जैसा विचार करता है वैसा दृश्य देखता है और सोते हुए दृश्य देखना ही स्वप्न देखना होता है । यदि स्वप्न कामुक होगा तो अन्तर्मन के आदेश से सोते हुए भी यौनांग सक्रिय हो जाएगा, लिंग में उत्तेजना होगी और वीर्यपात हो जाएगा । इसे स्वप्नदोष कहते हैं।

स्वप्नदोष का घरेलू उपचार (swapandosh ka gharelu ilaj hindi me)

स्वप्नदोष होने का एक प्रमुख कारण होता है हस्त मैथुन करने का आदी होना । दरअसल स्वप्न दोष होना एक प्रकार का शीघ्रपतन ही है जोकि स्तम्भन शक्ति के अभाव में होता है । जिन कारणों से स्वप्न दोष होता है उन्हीं कारणों से सम्भोग करते समय शीघ्रपतन होता है और इन दोनों रोगों की जड़ होती है मानसिक स्तर पर हस्तमैथुन करने की आदत । यदि इन दोनों आदतों को त्याग दिया जाए तो सभी यौन रोगों और नपुंसकता से बचा जा सकता है । किसी दवा इलाज की ज़रूरत नहीं।

  • स्वप्न दोष होने का दूसरा कारण होता है कब्ज़ और अजीर्ण रहना । इसकी चिकित्सा की जा सकती है । सुबह शाम 1-1 चम्मच त्रिफला चूर्ण शहद में मिला कर चाट लें और ऊपर से ठण्डा पानी पी लें या रात को एक गिलास पानी में दो चम्मच त्रिफला चूर्ण डाल कर रख दें। सुबह इसको मसल कर छान कर, इस पानी में दो चम्मच शहद डाल कर पी जाएं ।
  • सोते समय एक चम्मच इसबगोल और आधा चम्मच पिसी हुई शीतलचीनी (कबाबचीनी) पानी के साथ लें ।

यह स्वप्नदोष बन्द करने की अच्छी चिकित्सा है। लाभ न होने ‘ तक सेवन करते रहें । रात को सोने से पहले पांच मिनिट शौचालय में अवश्य बैठा करें।

( और पढ़े – स्वप्नदोष के 19 घरेलू इलाज )

स्वप्नदोष का आयुर्वेदिक इलाज (swapandosh ka ayurvedic upay hindi me)

स्वप्न दोष बन्द करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन भी हितकारी होता है ।

  • वीर्य शोधन वटी और चन्द्रप्रभा वटी विशेष नं. 1 की 2-2 गोली सुबह शाम दूध के साथ लें ।
  • जिस दिन कब्ज़ हो यानी पेट ठीक से साफ न हो उस रात को सोने से पहले एक चम्मच कब्जीना चूर्ण गरम पानी से ले लें।

शीघ्रपतन : इलाज दवा और बचाव (shighrapatan hindi me)

शीघ्रपतन क्या होता है ? (shighrapatan kise kehte hain)

मैथुन काल में अचानक और अपनी इच्छा के विपरीत शीघ्र ही वीर्यपात हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है । शीघ्रपतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि मैथुन क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है । समागम की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है । यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है । वीर्यपात की अवधि स्तम्भनशक्ति पर निर्भर होती है और स्तम्भन शक्ति वीर्य के गाढेपन और यौनांग की शक्ति पर निर्भर होती है । स्तम्भन शक्ति का अभाव होना शीघ्रपतन है और शीघ्रपतन का अभाव होना स्तम्भन शक्ति है । संक्षेप में इतना जरूर कहा जा सकता है कि स्त्री को चरमोत्कर्ष (Orgasm) तक पहुंचाने से पहले वीर्यपात हो जाना शीघ्रपतन कहा जाएगा । शीघ्रपतन के रोगी का वीर्यपात झटके के साथ नहीं होता जबकि स्वस्थ व्यक्ति का वीर्यपात झटकों के साथ होता है और वीर्य दूध या मटमैले पानी जैसा नहीं बल्कि दही जैसा गाढ़ा और सफ़ेद होता है ।

शीघ्रपतन के कारण (shighrapatan kyon hota hai)

शीघ्रपतन होने के कई कारण होते हैं और इन कारणों को दूर किये बिना किसी भी औषधि के सेवन से शीघ्रपतन को रोका नहीं जा सकता । सिर्फ अफीम भांग आदि मादक द्रव्यों से बने नुस्खे से ही शीघ्रपतन को अस्थायी तौर पर रोका जा सकता है पर ऐसे नुस्खे का सेवन करना हम कदापि उचित नहीं समझते इसलिए ऐसे नुस्खे हमने कभी प्रगट नहीं किये क्योंकि ऐसे नुस्खे का सेवन करने से तत्काल तो समागम सुख प्राप्त किया जा सकता है पर मादक द्रव्य के प्रभाव से यौनांग , शुक्र धातु और पूरे स्नायविक संस्थान (Nervous System) को बहुत हानि पहुंचती है । कुछ बार मैथुन करने के बाद ऐसा व्यक्ति बिल्कुल नपुंसक हो जाता है।

शीघ्रपतन होने का प्रमुख कारण होता है हस्तमैथुन करना जिससे आज 99% युवक पीड़ित हैं । हस्तमैथुन करते समय हाथ की कठोर मुट्ठी की पकड़ और रगड से शिश्न की मांस पेशियों और नसनाड़ियों पर जो आघात होता है उससे ये बहुत कमजोर और अत्यन्त संवेदनशील हो जाती हैं । बार-बार कामाग्नि की आंच (उष्णता) के प्रभाव से वीर्य पतला पड़ जाता है सो जल्दी निकल पड़ता है । ऐसी स्थिति में कामोत्तेजना का दबाव यौनांग सहन नहीं कर पाता और उत्तेजित होते ही वीर्यपात कर देता है । यह तो हुआ शारीरिक कारण ।

दूसरा कारण मानसिक होता है जो हस्तमैथुन करने से निर्मित होता है । हस्तमैथुन करने वाला जल्दी से जल्दी वीर्यपात करके कामोत्तेजना को शान्त कर हलका होना चाहता है और यह शान्ति पा कर ही वह हलकेपन तथा क्षणिक आनन्द का अनुभव करता है । बारबार ऐसी चाहत की पूर्ति करने से उसकी मानसिकता यानी मनोवृत्ति और यौनांग की आदत ही जल्दबाज़ी वाली यानी शीघ्रपतन करने की बन जाती है और बहुत गहराई से अन्तरमन में जम जाती है । ये दोनों – शारीरिक और मानसिक कारण ही ऐसे कुकर्मी और बुरी आदत के शिकार युवक को स्त्री के साथ सहवास करते समय शीघ्रपतन का रोगी बना देते हैं ।इसके अलावा शीघ्रपतन होने के अन्य कई कारण होते हैं जैसे –

  • अप्राकृतिक तरीकों से वीर्यपात करना,
  • लम्बे समय तक मैथुन न करना,
  • ज्यादा मैथुन करना,
  • उचित आहार-विहार और दिनचर्या का पालन न करना,
  • अश्लील साहित्य, फोटो, फिल्में देखना
  • हमेशा कामुक चिन्तन करना,
  • कामुक वातावरण में रहना,
  • वीर्य की अधिकता या बहुत कमी होना,
  • वीर्य का पतलापन,
  • पौष्टिक आहार न लेना,
  • शरीर थका हुआ व कमजोर होना तथा
  • मानसिक रूप से चिन्तित, परेशान और तनाव ग्रस्त होना,
  • मादक पदार्थों के सेवन का आदी होना,
  • मैथुन के समय अधिक उतावला और उत्तेजित होना,
  • अनुचित आसनों में सहवास करना,
  • स्त्री का उदासीन, शीतल स्वभाव, असहयोगी और अनाकर्षक स्थिति में होना,
  • कब्ज और अजीर्ण होने से पेट साफ़ न होना,
  • सहवास के समय पेट व मलाशय खाली न होना,
  • आत्म विश्वास और हर्ष की कमी होना और
  • शीघ्रपतन हो जाने का भय या आशंका होना आदि ।

शीघ्रपतन (शीघ्र स्खलन) का उपचार (shighrapatan ke upay hindi me)

चिकित्सा का पहला कदम होता है उन सब कारणों का त्याग करना जो रोग पैदा करते हों तो शीघ्रपतन की चिकित्सा करते समय, पहले ऊपर बताये गये कारणों का त्याग करना अनिवार्य है और सिर्फ त्याग कर देने भर से काम नहीं चलता। इन कारणों से शरीर और यौनांग पर जो दुष्प्रभाव पड़ चुका है उसके हटने और शरीर एवं यौनांग के स्वस्थ और सशक्त होने तक का समय देना भी ज़रूरी होता है । जैसे नदी पर बांध बना कर पानी के बहाव को रोक देते ही पानी का लबालब तालाब नहीं बन जाता, इसमें पर्याप्त समय लगता है वैसे ही वीर्य का बहना या बहाना रोक देने से ही काम नहीं चलता बल्कि पर्याप्त समय तक रोके रखने से लाभ होना शुरू होता है । अब लाभ होना निर्भर करता है व्यक्ति के स्वास्थ्य और शरीर की स्थिति पर । इसमें तीन से छः मास तक लग सकते हैं। किसी किसी को इससे कम तो किसी को ज्यादा समय लग सकता है । ऐसी स्वस्थ, शक्तिशाली और निर्दोष स्थिति प्राप्त करने में औषधियां सहयोग दे सकती हैं अतः सभी कारणों का पूर्ण त्याग रखते हुए निम्नलिखित चिकित्सा पूर्ण लाभ प्राप्त न होने तक करते रहना चाहिए । शीतकाल ऐसी चिकित्सा के लिए सर्वाधिक अनुकूल समय होता है।

शीघ्र स्खलन का आयुर्वेदिक इलाज (shighrapatan ki dawa in hindi)

  • विगोजेम टेबलेट, दिव्य रसायन वटी, वीर्यशोधन वटी और वीर्य स्तम्भन वटी – चारों 1-1 गोली और कामचूडामणि रस की एक गोली सुबह खाली पेट एक गिलास मीठे दूध के साथ (एक साथ) ले कर, कौंच पाक और अश्वगन्धा पाक 1-1 बड़ा चम्मच खूब चबा चबा कर खाते हुए दूध पिएं । रात को सोने से पहले भी ये सब लेना है पर तब, जब भोजन किये हुए दो घण्टे हो चुके हों ।
  • सोते समय ‘मस्ती तैल’ की 8-10 बूंद शिश्न के मुण्ड को छोड़ कर सिर्फ शिश्न की त्वचा पर लगा कर अंगुलियों से (मुट्ठी से नहीं) हलकी मालिश करना चाहिए ।
  • पेट दोनों वक्त सुबह व रात को साफ़ होना चाहिए ।
  • सप्ताह में एक बार से ज्यादा सहवास नहीं करना चाहिए । संयम रखने के लिए मन की कामेच्छा को दबाना उचित नहीं बल्कि ऐसा विचार ही मन में न आये ऐसा प्रयत्न करना चाहिए ।

( और पढ़े – शीघ्रपतन (शीघ्र स्खलन) की दवा )

वीर्य का पतलापन : कारण और उपाय

वीर्य कोई एक तैयार पदार्थ नहीं होता बल्कि शुक्राशय में शुक्रग्रन्थियों से होने वाले स्राव के मिश्रण को वीर्य कहते हैं । शुद्ध और स्वस्थ वीर्य बिल्कुल सफ़ेद, अपारदर्शी, गाढा, चिपचिपा और लेसदार जमा हुआ होता है जिसमें एक मि.लि. मात्रा में सामान्यतः छः करोड़ शुक्राणु (Sperms) होते हैं । वीर्य कपड़े से लग जाए तो सूखने पर कपड़ा कडक हो जाता है और सफ़ेद दाग बन जाता है ।
वीर्य पतला होना या कम होना शीघ्रपतन और नपुंसकता होने में कारण बनता है ।

वीर्य का पतला होने का कारण (virya patla hone ke karan)

  • हमेशा कामुक चिन्तन करना,
  • यौन क्रीड़ा करते रहना,
  • तेज़ मिर्च मसालेदार,
  • उष्ण प्रकृति के और खट्टे पदार्थों का सेवन करना
  • पौष्टिक आहार न लेना,
  • देर रात तक जागना
  • सुबह देर तक सोना,
  • कामुक वातावरण में रहना

आदि कारणों से वीर्य पतला और दूषित होता है।

वीर्य गाढ़ा करने के उपाय (virya gada karne ki ayurvedic dawa)

शुक्रमातृका वटी, विगोजेम और शिलाजत्वादि वटी अम्बर युक्त 1-1 गोली तथा अश्वगन्धा पाक एवं बादाम पाक – 1-1 बड़ा चम्मच सुबह खाली पेट और रात को सोते समय तीन मास तक सेवन करें ।

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