Last Updated on March 5, 2023 by admin
लड़कियां जब यौवनास्था में प्रवेश करने लगती हैं तो पहली बार मासिक-धर्म या माहवारी प्रारम्भ होती है। यह योनिमार्ग से महीने में 1 बार एक निश्चित अवधि में हुआ करती है जो प्राय: 3-4 दिनों तक रहता है। कई स्त्रियों के यह 6 से 7 दिन तक रहकर बंद हो जाता है।
मासिक धर्म का समय :
सामान्यत: स्त्री को प्रथम मासिक-धर्म के बाद दूसरा मासिक-धर्म 27 दिन तो किसी को 28 दिन में होता है। ऋतुचक्र के अनुसार माहवारी का नियत समय पर होना जरूरी रहता है। इस क्रिया से स्त्रियों का गर्भाशय और प्रजनन संस्थान शुद्ध और स्वस्थ होकर गर्भाधान के लिए उपयुक्त क्षेत्र बने रहते हैं और स्त्रियों का स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है।
जब गर्भाशय, डिम्बकोष या प्रजनन संस्थान किसी भी कारणवश रोगग्रस्त हो जाते हैं। तब ऋतुचक्र बिगड़ जाता है और उन्हें अनेक प्रकार से मानसिक, शारीरिक कष्ट होने लगता है जैसेकि मासिक-धर्म का अनियमित आना, मासिक-धर्म का कष्ट के साथ आना आदि।
अनियमित मासिक धर्म :
स्त्रियों को मासिक-धर्म 28 दिन के बाद हुआ करता है लेकिन कई औरतों को यह 24 दिन के बाद हो जाता है तथा कई महिलाओं को यह 32 दिन के बाद हो जाता है। यदि मासिक-धर्म 24 दिन के पहले यह 32 दिन के बाद आये यह अनियमित मासिक-धर्म कहलाता है।
अनियमित मासिक धर्म के कारण :
- अधिक शारीरिक परिश्रम करना,
- शरीर में खून की कमी,
- मैथुन में पूर्ण संतुष्ट न होना,
- अधिक ठंडी वस्तुओं का सेवन करना,
- शरीर को ठंड लग जाना,
- थकावट, शोक, क्रोध, भावुकता और ईर्ष्या,
- असमय भोजन करना,
आदि बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसके कारण से या तो माहवारी रुक जाती है। यह माहवारी देर से आती है।
इसी प्रकार कभी-कभी माहवारी ज्यादा भी आती है। गर्भाशय के पलट जाने, दुर्बलता, पीलिया, गठिया का रोग, जरायु (जरायु) में खून का इकट्ठा होना तथा अधिक संभोग के कारण इस रोग की शिकायत हो जाती है।
अनियमित मासिक धर्म के लक्षण :
- भूख का न लगना,
- बार-बार उल्टी की इच्छा होना,
- जरायु (गर्भाशय) के स्थान में दर्द,
- स्तनों में दर्द,
- दिल की धड़कन का तेज होना,
- सांस लेने में कष्ट,
- नींद न आने की शिकायत,
- कमर में दर्द,
- हर समय थकावट के कारण आलस्य,
- पेट में दर्द रहना,
- शरीर में एलर्जी की शिकायत आदि मासिक-धर्म के विकार से सम्बन्धित लक्षण हैं।
भोजन तथा परहेज :
- माहवारी में सादा तथा शीघ्र पचने वाला भोजन करना चाहिए।
- शारीरिक परिश्रम और व्यायाम प्रतिदिन करना चाहिए तथा मानसिक शांति को बनाए रखना चाहिए।
- मक्खन निकले हुए दूध का सेवन करना चाहिए। अधिक चिकनी तथा मसालेदार चीजों को नहीं खाना चाहिए।
- माहवारी में महिलाओं को सूर्य निकलने से पहले स्नान कर लेना चाहिए।
- माहवारी में स्नान करने से पहले शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए। यदि कब्ज हो तो उसे दूर करना चाहिए।
विभिन्न औषधियों से माहवारी (मासिक-धर्म) सम्बंधी परेशानियों का इलाज :
1. बबूल:
- 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है और मासिक-धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है।
- बबूल का भूना हुआ गोंद 4.5 ग्राम और गेरू 4.5 ग्राम, इनको पीसकर प्रात:काल फंकी लेने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।
- बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इसे उतारकर ठंडा कर लें। बस काढ़ा तैयार हो गया। इस काढ़े को दिन में 3 बार पिलाने से मासिक-धर्म में अधिक खून का बहना बंद हो जाता है।
2. तिल: तिल 5 ग्राम, 8 दाने कालीमिर्च, एक चम्मच पिसी सोंठ, 4 दाने छोटी पीपल। सभी को एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पीने मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
3. मेथी: 50 ग्राम मेथी के बीज और 40 ग्राम मूली के बीजों को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर नियमित रूप से 2-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
4. तुलसी:
- मासिक-धर्म होने पर यदि कमर में दर्द रहता है, तो 1 चम्मच तुलसी की पत्तियों का रस सुबह के समय सेवन करने से कमर दर्द नष्ट हो जाता है।
- तुलसी के बीज, पलाश (ढाक) पीपल, असगंध, नागकेसर तथा नीम की सूखी पत्तियां सभी को समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान लें। इसमें थोड़ी सी मात्रा में मिश्री मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म नियमित तथा खुलकर आने लगता है।
5. आम: आम की मंजरी 50 ग्राम तथा गुड़ 50 ग्राम, दोनों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर की मात्रा में बचा रह जाए तो उसे छानकर पी लें। इससे मासिक-धर्म खुलकर आता है।
6. कपास:
- डोडा कपास का गूदा 24 ग्राम, अमलतास का गूदा लगभग 30 ग्राम, सौंफ, तुख्म, गाजर, सोया, गुलाबनफ्शा दस-दस ग्राम पुराना गुड़ 30 ग्राम को 1 लीटर पानी में उबालें, जब पानी 250 मिलीलीटर की मात्रा में बचा रह जाए तो इसे छानकर पिलाना चाहिए। इससे माहवारी खुलकर आने लगती है। नोट: इसे गर्भवती स्त्री को नहीं पिलाना चाहिए। इससे गर्भपात हो जाता है। इसके सेवन से मासिक-धर्म का खून रुक-रुककर आना या देर से आना आदि रोग ठीक हो जाते हैं। इसे तीन दिन तक प्रतिदिन पिलाना चाहिए। इससे मासिक-धर्म नियत और निश्चित समय पर होने लगती है।
- कपास के 100 ग्राम पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। पानी जब 250 मिलीलीटर की मात्रा में बचा रह जाए तो उसे छानकर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर सेवन करें। इससे मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
7. करेला: 2 चम्मच करेले के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
8. केला: केले के तने में से छाल (परत) निकालकर उसे कुचलकर उसका 4 चम्मच रस निकाल लें। इसे 7-8 दिनों तक निराहार (बासी मुंह) सेवन करने से किसी भी कारण से रुका हुआ मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
9. कालीमिर्च: 4-5 कालीमिर्च के बारीक चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर 20-25 दिनों तक सेवन करने से मासिक-धर्म की अनियमितता समाप्त हो जाती है।
10. धनिया:
- लगभग 20 ग्राम धनिया को 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें जब 50 मिलीलीटर पानी शेष रह जाए तो छानकर मिश्री मिलाकर रोगिणी को सेवन करा दें। इस प्रयोग से मासिक-धर्म में अधिक रक्त का आना बंद हो जाता है।
- लगभग 20-25 ग्राम धनिये के दानों को पानी में उबालें। जब लगभग आधा कप पानी बचा रह जाए, तो इसे छानकर उसमें गुड़ मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।
11. अनार: अनार के थोड़े से छिलकों को सुखाकर फिर उसका चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख ले। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण को खाकर ऊपर से पानी पी लें। इससे बार-बार खून आने की शिकायत दूर हो जाती है।
12. हल्दी: यदि गर्भाशय में कोई खराबी या सूजन है और मासिक-धर्म ठीक से न होता हो, तो एक चम्मच हल्दी गुड़ के साथ भूनकर खाना चाहिए।
13. अशोक: अशोक की छाल 10 ग्राम को 250 मिलीलीटर दूध में पकाकर सेवन करने से माहवारी सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
14. पुदीना: पुदीने की चटनी कुछ दिनों तक लगातार खाने से मासिक-धर्म नियमित हो जाता है।
15. कतीरा: कतीरा तथा मिश्री, दोनों को बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे दो चम्मच लेकर कच्चे दूध के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
16. मुलेठी: आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग एक महीने तक मुलेठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं।
17. रीठा: रीठे का छिलका निकालकर उसे धूप में सुखा लें। फिर उसमें 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से माहवारी सम्बंधी रोग में लाभ होता है।
18. सौंफ: सौंफ 10 ग्राम तथा पुराना गुड़ 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी तिहाई मात्रा में बचा रह जाए तो उसे छानकर पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायते समाप्त हो जाती हैं।
19. खजूर: पिण्ड खजूर प्रतिदिन 100 ग्राम की मात्रा में 2 महीने तक लगातार सेवन करते रहने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
20. सोंठ:
- सोंठ, गुग्गुल और गुड़ तीनों को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सोते समय पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानी दूर हो जाती हैं।
- सोंठ 50 ग्राम, गुड़ 25 ग्राम, बायबिडंग 5 ग्राम तीनों को कुचलकर 2 कप पानी में उबालें। जब एक कप बचा रह जाए तो उसे पी लेना चाहिए। इससे मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
21. चुकन्दर: चुकन्दर का रस एक कप गर्म करके इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर कुछ दिनों तक पीते रहने से रुका हुआ मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है।
22. लहुसन: मासिक-धर्म यदि अनियमित हो लहसुन की 2 पुतिया को प्रतिदिन सेवन करने से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
23. आंवला: एक चम्मच आंवले का रस पके हुए केले के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक-धर्म में अधिक रक्तस्राव यानी खून का बहाव नहीं होता है।
24. हींग:
- मासिक-धर्म के समय यदि दर्द होता है तो आधा ग्राम हींग को पानी में घोलकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से दर्द समाप्त हो जाता है।
- मासिकस्राव (माहवारी) कम आता हो तो हींग का सेवन करने से मासिक स्राव नियमित रूप से आना प्रारम्भ हो जाता है।
25. पीपल: पीपल, सोंठ, नारंगी, कालीमिर्च तथा नीम की कोपलें सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 3-4 ग्राम शुद्ध हींग मिला दें। इन सभी को बारीक कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से 50 ग्राम काले तिल पीसकर मिलाएं। इसमें से 2-3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे 8-10 दिनों तक नियमित चूर्ण खाने से माहवारी के विकार नष्ट हो जाते हैं।
26. नीम: नीम की सूखी पत्तियां 10 ग्राम, 10-11 तुलसी की पत्तियां, 10 ग्राम त्रिफला का चूर्ण, 5 ग्राम सोंठ, 3 ग्राम पीपल, 2 ग्राम कालीमिर्च और 5 ग्राम जवाखार। इन सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर शीशी में भरकर रख लें। इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
27. कसीरा: कसीरा, एलवा और बीजाजोर को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में पीस लें। फिर चने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। 2 गोली सोते समय प्रतिदिन सेवन करने से मासिकधर्म सम्बन्धी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
28. राई: राई, विजयसार की लकड़ी, बच और मालकांगनी की लकड़ी। सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानी समाप्त हो जाती हैं।
29. नागकेसर: नागकेसर, सफेद चन्दन, पठानी लोध्र और अशोक की छाल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम एक चम्मच ताजे पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म के विकारों में लाभ मिलता है।
30. इलायची: इलायची, धाय के फूल, जामुन, मंजीठ, लाजवन्ती, मोचरस, तथा राल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 लीटर पानी में उबालें, फिर इसको छानकर इस पानी से योनि को धोयें। इससे कुछ ही दिनों में योनि का लिबलिबापन, दुर्गंध आदि नष्ट हो जाती है तथा मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
31. जीरा: काला जीरा 5 ग्राम, अरण्डी का गूदा 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम तीनों को बारीक पीसकर लेप तैयार कर लें। इसे पन्द्रह दिनों तक पेट पर लेप करना चाहिए। यह उपचार पन्द्रह दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है तथा इससे नसों की पीड़ा भी नष्ट हो जाती है।
32. गुड़हल: लाल गुड़हल के फूलों को कांजी में पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में लेने से रजोधर्म ठीक से होने लगता है।
33. महुवा: इसके फलों की गुठली तोड़कर गिरी निकाल लें, इसे शहद के साथ पीसकर गोल मोमबत्ती जैसा बना लें, रात्रि में सोने से पूर्व, मासिक-धर्म आने के समय के पहले से इसे योनि में उंगली की सहायता से प्रवेश करके रख दें। इससे मासिक-धर्म में अधिक खून का जाना बंद हो जाता है।
34. रस: पपीता, अनान्नास, गाजर और अंगूर के रस के साथ-साथ हरी सब्जियों के मिक्स जूस के सेवन से भी राहत मिलती है। मूली के मुलायम पत्तों का रस भी मासिकस्राव सम्बंधी विकारों में लाभकारी है।
35. दालचीनी: दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण, उल्टी, लार, पेट का दर्द और अफारा मिटता है। यह स्त्रियों का ऋतुस्राव साफ करता है और गर्भाशय का संकोचन करती है।
36. मुलहठी: 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम-से-कम 40 दिन तक सुबह और शाम पीना चाहिए। यदि पित्त कुपित होने से मासिकस्राव में खून अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक करके एक पुड़िया शाम को एक कप चावल के धोवन के साथ सेवन करने से पित्त प्रदर (बहने) में आराम होता है।
नोट : मुलहठी के खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
37. जटामांसी: जटामांसी का चूर्ण 20 ग्राम, कालाजीरा 10 ग्राम और कालीमिर्च 5 ग्राम मिलाकर चूर्ण बनायें और 1-1 चम्मच दिन में 3 बार कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मासिक-धर्म की पीड़ा, मानसिक तनाव और शारीरिक अवसाद दूर होंगे।
38. मूली:
- मूली, गाजर तथा मेथी के बीज 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। तीनों चूर्ण की 10 ग्राम की मात्रा को पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
- मासिक धर्म (ऋतुस्राव) के अवरोध के कारण चेहरे पर अधिक मुंहासे निकलते हों तो प्रात:काल मूली और उसके कोमल पत्ते चबाकर खाने से आराम मिलता है। मूली के रस का भी सेवन कर सकते हैं।
39. निर्गुण्डी: निर्गुण्डी के बीजों के 2 ग्राम चूर्ण की फंकी सुबह और शाम लेने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है। नोट: शरीर के किसी भी भाग से खून निकल रहा हो, उसे रोकने में भी इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।
40. लोध: लोध की छाल का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार रोजाना कुछ दिनों तक पानी के साथ लें। इससे रुका हुआ मासिक-धर्म शुरू हो जायेगा।
41. नागरमोथा: नागरमोथा को पीसकर उसमें गुड़ को मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मासिक-धर्म नियमित होने लगता है।
42. पपीता:
- कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से मासिक-धर्म सम्बन्धी विकार नष्ट हो जाते हैं।
- मासिक-धर्म में कम या ज्यादा दर्द होने के रोग में 1 कप पपीते का रस, 1 कप गाजर का रस, आधा कप अनान्नास के रस को मिलाकर 2 महीने तक रोजाना 3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)