Last Updated on January 5, 2023 by admin
नाड़ी तंत्र हमारे शरीर में जाल की तरह फैली हुई है। इनमें से किसी भी अंगों के मुख्य नाड़ी या उसके आस-पास फैली नाड़ी की स्नायु में जलन उत्पन्न कर नाड़ी में सूजन पैदा कर देती है। इसे नाड़ी की जलन या सूजन कहते हैं।
नसों में जलन तथा सूजन का इलाज :
1. इमली : इमली की पत्ती, लहसुन व बायविडंग के साथ पीसकर नारियल के पानी और मिश्री के साथ मिलाकर घोल बना लें। यह घोल प्रतिदिन 1 बार खुराक के रूप में लेने से नसों (नाड़ी) की जलन व सूजन दूर होती है।
2. जायफल : जायफल को पानी में घिसकर नसों (नाड़ी) की सूजन पर लेप करने से सूजन मिट जाती है।
3. अगर : नसों की जलन को खत्म करने के लिये अगर को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
4. कुचला : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध कुचला का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से सूजन से उत्पन्न पीड़ा (दर्द) दूर होती है।
5. कलौंजी : कलौंजी (मंगरैला) को पीसकर लेप बना लें। इसके लेप को नसों (नाड़ी) की जलन व सूजन वाली स्थानों पर लगाने से रोग में जल्द आराम मिलता है।
6. रसौत : नसों (नाड़ी) की जलन व सूजन कम करने के लिए रसौत का लेप बनाकर लगाने से दर्द में लाभ होता है।
7. अरहर : नाड़ी की जलन में अरहर (रहरी) की दाल को जल के साथ पीसकर लेप बना लें। इसके लेप को नाड़ी की जलन पर लगाने से आराम मिलता है।
8. तिनपतिया : नसों की जलन, सूजन और दर्द में तिनपतिया (चांगेरी) पत्ती को पीसकर लेप करने से रोग में आराम मिलता है।
9. अखरोट : अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नसों की सूजन, जलन व दर्द मिटता है।
10. विजयसार : विजयसार के पत्तों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। उस लेप को नसों में लगाने से सूजन व दर्द ठीक होता है।
11. वत्सनाभ : वत्सनाभ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में सेवन करने से नाड़ी की गति सामान्य हो जाती है तथा नाड़ी कमजोरी के कारण उत्पन्न, बहूमूत्र (पेशाब का बार-बार आना) और शय्यामूत्र (बिस्तर पर पेशाब करना) आदि विकारों को भी यह दूर करता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)