जीभ की जलन व सूजन के कारण, लक्षण और इलाज

Last Updated on August 14, 2022 by admin

जीभ की जलन व सूजन रोग क्या है :

अधिक गर्म एवं तीखे पदार्थ खाने से जीभ जलकर सूज जाती है। इस प्रकार जीभ के जल जाने या जलन से सूजन होने पर जीभ फूलकर मुंह से बाहर निकलने लगती है। इस रोग में रोगी की जीभ से लार बहुत अधिक निकलने लगती है। भोजन करते समय, बोलने और भोजन निगलते समय रोगी को काफी दर्द होता है। जीभ में सूजन होने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इस रोग में जीभ पर फोड़े निकल आते हैं और फोड़े पककर पीब के रुप में निकल जाने के बाद काफी दिनों में जीभ की सूजन व दर्द ठीक हो जाता है।

जीभ की जलन व सूजन के कारण :

भोजन में अधिक मिर्च-मसालेदार चीजें खाने से पेट में गर्मी के कारण या जीभ जल जाने के कारण जीभ में जलन व सूजन उत्पन्न होती है।

जीभ की जलन व सूजन के लक्षण :

  • इस रोग में रोगी की जीभ पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं।
  • भोजन करने, निगलने और बोलने में दर्द होता है।
  • इस रोग में जीभ सूज जाने से किसी प्रकार के भोजन का स्वाद जीभ अनुभव नहीं कर पाती।

जीभ की जलन व सूजन के घरेलू उपचार (Jeebh ki Jalan aur Sujan ka Ilaj)

1. सिनुआर : जीभ की सूजन में सिनुआर के पत्तों का रस निकालकर 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से सूजन खत्म हो जाती है।

2. नागदन्ती : नागदन्ती की जड़ का काढ़ा बनाकर 3 से 6 मिलीलीटर काढ़े में करंज और सिनुआर के पत्तों का रस मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस काढ़े को पीने से जीभ की सूजन व जलन ठीक हो जाती है।

3. सोंठ : जीभ में जलन, सूजन तथा दर्द हो रहा हो तो सोंठ के साथ कायफल का काढ़ा बनाकर पीने से जीभ के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

4. मुलहठी (ज्योष्ठी मधु) : जीभ की सूजन व जलन में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से लाभ होता है।

5. कतीरा : 10 से 20 ग्राम कतीरा को रात को सोते समय भिगो दें। सुबह कतीरा के फूल जाने पर उस पानी में अच्छी तरह से घोंटकर मिश्री मिलाकर पीयें। इसी तरह सुबह को भिगोकर शाम को पीयें। इससे जीभ की जलन और सूजन खत्म हो जाती है।

6. बनफशा : जीभ में छाले या सूजन होने पर बनफशा और नीलोफर बराबर मात्रा में लेकर पानी में भिगो दें। फूल जाने पर इसे पानी में अच्छे से घोटकर मिश्री मिलाकर पी जायें। इससे जलन व सूजन में आराम मिलता है।

7. भटकटैया : जीभ की सूजन व जलन में भटकटैया की जड़ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर बनाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से रोग में लाभ होता है।

8. सुहागा : जीभ के रोग में सुहागा की टिकिया चूसते रहने से जीभ के रोग में लाभ हो जाता है।

9. तालीस : तालीस के पत्तों का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से जीभ की सूजन तथा जलन मिट जाती है।

10. फिटकरी : 350 ग्राम फिटकरी को 1 लीटर पानी में घोल लें। रोजाना सुबह-शाम इस पानी से गरारे करने से मुंह के घाव और जलन और ठीक हो जाती है।

11. बरगद : बरगद की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर बने काढ़े से सुबह-शाम रोजाना गरारे करने पर जीभ की सूजन व जलन खत्म हो जाती है।

12. मकोय : मकोय के पत्ते और हरी मूंग की दाल को एक साथ पकाकर भोजन के साथ खाने से जीभ की जलन और सूजन दूर हो जाती है।

13. त्रिफला : त्रिफला को जल में घोलकर गरारे करने से जीभ के रोग में लाभ होता है।

14. शिलाजीत : लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग शिलाजीत को मक्खन या घी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम जीभ पर लगाएं। कुछ दिनों तक इसके लगातार प्रयोग से जीभ के रोग ठीक हो जाते हैं।

15. जवाखार : सोंठ, मिर्च, पीपल, जवाझार, हरड़ और चीता का चूर्ण बनाकर जीभ पर मलने से जीभ के सभी रोग मिट जाते हैं।

16. शहद : जीभ के रोग में शहद को घोलकर मुंह में भरकर रखने से जीभ के रोग में लाभ होता है।

17. गिलोय : गिलोय, पीपल और रसौत का काढ़ा बनाकर गरारे करने से जीभ के रोगों में आराम मिलता है।

18. बायबिडंग : छोटी पीपल, रसौत और बायविडंग का काढ़ा बनाकर जीभ को धोने से तथा चूर्ण बनाकर जीभ पर लगाने व लार बाहर निकालने से जीभ के सभी रोग ठीक होते हैं।

19. त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च और पीपल) : त्रिकुटा, जवाखार, बड़ी हरड़ और चीते की छाल को 10-10 ग्राम की मात्रा में पीसकर लुगदी बना लें। इस लुगदी को 250 मिलीलीटर तेल और 1 लीटर पानी में मिलाकर आग पर पकायें। मात्र तेल शेष रह जाने पर इसे छानकर गरारे व कुल्ला करने से जीभ के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

20. छोटी पीपल : छोटी पीपल को खूब बारीक पीसकर शहद में मिलाकर जीभ पर मलने व लार गिराने से जीभ के छाले आदि दूर हो जाते हैं।

21. बकायन : बकायन की छाल और सफेद कत्था को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर इसके चूर्ण को जीभ पर बार-बार छिड़कने पर जीभ में किसी भी प्रकार के छाले आदि नहीं होते हैं।

22. मसूर : मसूर को जला लें तथा इसके बराबर सफेद कत्था लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को जीभ पर छिड़कने से जीभ के रोग में आराम आता है।

23. बबूल : बबूल की कोमल पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाकर पीयें। इससे गर्मी अथवा सर्दी के कारण मुंह में छाले, जीभ सूखना और जीभ पर दाने हो जाने का रोग दूर हो जाता है।

24. दही :

  • दही में पानी मिलाकर रोजाना गरारे करने से जीभ की जलन खत्म हो जाती है।
  • दही के साथ पका हुआ केला सुबह सूरज उगने से पहले खाने से जीभ में होने वाली फुन्सियां खत्म हो जाती हैं।

25. अरहर : जीभ में छाले पड़ना और जीभ के फटने पर अरहर के कोमल पत्तों को चबाने से लाभ मिलता है।

26. निर्गुण्डी : मूसली और निर्गुण्डी के फल को मिलाकर चबाने से जीभ का दर्द, छाले और जीभ का फटना बंद हो जाता है।

27. नारियल : नारियल की गिरी और मिश्री को मिलाकर चबाने से पान खाने से फटी हुई जीभ ठीक हो जाती है।

28. कुचला – कुचला का चूर्ण शहद या मलाई में मिलाकर जीभ पर मलने से जीभ की जलन व दर्द खत्म हो जाता है।

29. कुंदरू : कुंदरू को चबाकर उसका रस, कुछ समय तक मुंह में रखने से जीभ का फटना ठीक होता है।

30. लौंग : पान खाने से अगर जीभ कट गई हो तो 1 लौंग को मुंह मे रखने से जीभ ठीक हो जाती है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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