Last Updated on April 13, 2020 by admin
नवजीवन रस टैबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक औषधि है । नवजीवन रस रोग से क्षीण हुए रोगी को नवजीवन देने वाला है। नवजीवन रस शरीर में बल उत्पन्न करता है तथा ज्ञानवाही और चेष्टावाही नाड़ियों की शक्ति को बढ़ाता है । यह दीपन, पाचन, किटाणुनाशक, शुलहर, ह्रदय को बल देनेवाला, बल्य, अफरा का नाश करनेवाला, रक्तपौष्टिक, वातनाड़ी पोषक, कामोत्तेजक और वातहर है।
नवजीवन रस के सेवन से आमाशय और यकृत की कार्य क्षमता बढ़ जाती है, आतों द्वारा मल को आगे धकेलने की क्रिया तेज होती है, पेट की वायु दूर होती है, मलशुद्धि होने लगती है, तथा पाचन क्रिया सुधर जाती है।
घटक एवं उनकी मात्रा :
- शुद्ध कुचिला – 20 ग्राम,
- रस सिन्दूर – 20 ग्राम,
- लोह भस्म 100 पुटी – 20 ग्राम,
- त्रिकटु का सम्मिलित वस्त्र पूत चूर्ण – 20 ग्राम,
भावना के लिए :- अदरक स्वरस आवश्यकतानुसार।
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- शुद्ध कुचिला : वातनाशक, नाड़ी बल प्रद, दीपन, पाचन, ग्राही, बाजीकर ,कुष्टघ्न।
- रस सिन्दूर : योग वाही, बल्य, बृष्य, रसायन, वातकफ शामक।
- लोह भस्म : रक्तबर्धक, बल्य, बृष्य, रसायन।
- त्रिकटु : वातकफशामक, दीपन, पाचन, अग्निबर्धक।
- अदरक स्वरस : दीपन, पाचन, अग्निबर्धक, वातकफ शामक।
रस सिन्दूर को निश्चन्द्र होने तक खरल करवाएं फिर लोह भस्म मिलाकर खरल करवाऐं जब एकाकार हो जाए तो शुद्ध कुचिला मिलाकर सूक्ष्म होने तक खरल करवाऐं अन्त में त्रिकटु मिलाकर अदरक के रस में दो दिन खरल करके 250 मि.ग्रा. की वटिकाएँ बनवाकर धूप में सुखाकर सुरक्षित कर लें।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
एक से दो वटिकाएं प्रातः सायं भोजन के बाद।
अनुपान :
दूध, जल, चाय अथवा रोगानुसार।
शरीर में होने वाले दर्द में लाभकारी नवजीवन रस का सेवन
सर्व शरीर में मन्द-मन्द वेदनाऐं (दर्द), आलस्य, शीतानुभूती, तन्द्रा, (सदैव निद्रा लगी रहना) में नवजीवन रस (navjivan ras) की एक गोली प्रात: दोपहर सायं दूध से देने से दो दिन में लाभ मिलने लगता है पूर्ण लाभ के लिए तीन सप्ताह तक प्रयोग करवाएं।
सहायक औषधियों में कल्पतरु रस, व्योषाद्य वटी, मकरध्वजवटी, दशमूलारिष्ट इत्यादि में किसी एक अथवा दो औषधियों का प्रयोग करवा सकते हैं।
वातनाड़ी शूल ठीक करे नवजीवन रस का प्रयोग
नवजीवन रस की एक गोली प्रात: दोपहर सायं उष्णोदक या उष्ण दूध से सेवन करवाने से वातनाड़ी शूल चाहे वह, गृध्रसी हो या अववाहुक, शंखक हो अथवा मन्या स्तम्भ सभी में लाभ होता है। औषधि सेवन काल तीन से छ: सप्ताह का है।
सहायक औषधियों में वृहद्वातचिन्तामणी रस, योगेन्द्र रस, कृष्ण चतुर्मुख रस, मिहिरोदय वटी, इत्यादि में से किसी एक का प्रयोग भी करवाऐं । स्थानीय स्वेद (पसीना) तुरन्त लाभप्रद होते हैं,अत: उनका भी अवश्य प्रयोग करें।
रति शक्ति बढ़ाने में नवजीवन रस का उपयोग लाभदायक
रतिशक्तिवर्धन के लिए नवजीवन रस की एक-दो गोली प्रातः सायं दूध के साथ देने से एक सप्ताह में परिणाम दृष्टिगोचर होने लगते हैं। रोगी को कम-से-कम दो सप्ताह मैथुन वर्जित कर देना चाहिए जिससे उसके शरीर में शुक्र का संग्रह हो सके पूर्ण लाभ के लिए एक मण्डल (चालीस दिन) तक प्रयोग करवाएं ।
सहायक औषधियों में वसन्त कुसुमाकर रस, शुक्रवल्लभ रस, बृ० काम चूडामणि रस में से किसी एक का प्रयोग करवाऐं काष्टौषधियों में गोक्षुरादि चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण, का प्रयोग भी करवाएं।
मानसिक थकावट दूर करने में नवजीवन रस फायदेमंद
सायं काल काम से घर लौटने पर कुछएक लोग थक गए होते हैं, मानसिक कार्य करने वालों की संख्या इनमें सबसे अधिक होती है, उनमें भी 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग अधिक होते हैं। उन्हें यदि उच्च रक्त चाप न हो तो नवजीवन रस (navjivan ras) की एक गोली दूध के साथ देने से उन्हें नव जीवन मिलता है थकावट , चिड़चिड़ापन दूर हो जाता है।
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जंघाओं की कमजोरी मिटाए नवजीवन रस
प्रायः वृद्ध लोगों की जड्याओं की शक्ति क्षीण हो जाती है। चलने में कष्ट होता है छोटे छोटे पग उठाकर धीरे-धीरे चलना पड़ता है और बैठने पर बिना सहारे के खड़े नहीं हो सकते ऐसे वृद्धों को नवजीवन रस की दो गोलियां प्रातः सायं, दूध या चाय के साथ देने से उनकी जंघाओं में बल की वृद्धि होती है। एक सप्ताह में ही लाभ दृष्टिगोचर होने लगता है। बीचं बीच में अन्तराल देकर खिलाने से वृद्धों का बल बना रहता है।
निम्न रक्त चाप में नवजीवन रस के सेवन से लाभ
निम्न रक्त चाप के रोगियों को नवजीवन रस (navjivan ras) की दो गोलियां दूध या चाय के साथ देने से आधे घण्टे के भीतर रक्त चाप में वृद्धि होकर स्फूर्ती आ जाती है। स्थाई लाभ के लिये 40 दिन तक सेवन करवायें।
सहायक औषधियों में नारसिंह चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण, अश्वगन्धारिष्ट, बलारिष्ट, द्राक्षारिष्ट इत्यादि औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिये।
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सायटिका रोग में नवजीवन रस का उपयोग लाभदायक
सायटिका (Sciatica /गृध्रसी), शंखक, विश्वाची इत्यादि वातनाड़ी जन्य शूलों में नव जीवन रस एक प्रभावशाली औषधि है। इसके सेवन से तीन दिन के भीतर शूल का शमन होने लगता है। पूर्ण लाभ के लिये एक मण्डल (चालीस दिन) तक सेवनं करवायें ।
सहायक औषधियों में मिहरोदय वटी, रस राजरस, बृ० वात चिन्तमणि रस, इत्यादि का प्रयोग भी करवायें।
थायरायड ग्रंथि के रोग में नवजीवन रस से फायदा
अपने उष्ण और दीपन पाचन गुण के कारण HYPOTHYROIDISM में अग्नि को दीप्त करके मेद का पाचन करता है। मेदो अग्नि को भी बलवान बनाता है। अत: स्राव में वृद्धि होने लगती है। परन्तु इस योग का ग्राही प्रभाव कई बार रोगी के मल को कठिन बना देता है। अत: इसके साथ आरोग्य वर्धिनी वटी, गोमूत्र हरीतकी, अथवा अन्य मृदुरेचक औषधि का प्रयोग अवश्य करवाना चाहिये।
सहायक औषधियों में कांचनार, गुग्गुलु, वृद्धिवाधिकावटी, कांचनाराभ्र इत्यादि का प्रयोग करवायें।
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खून की कमी दूर करे नवजीवन रस
विशेषतः कृमिजन्य पाण्डु रोग (खून की कमी) में इस औषधि का उपयोग सफलता पूर्वक होता है, शुद्ध कुचला कृमियों का नाश करता है, तो त्रिकटु अग्निवर्धन करके धातु (रक्त) वृद्धि सुनिश्चित करता है। लोह भस्म रक्त बर्धक और रस सिन्दूर, अन्य सभी औषधियों के प्रभाव में वृद्धि करके रसायन का कार्य करता है अतः कृमिज पाण्डु निर्मूल हो जाता है।
सहायक औषधियों में पुनर्नवादिमण्डूर, मण्डूर वज्रवटक योगराज, कासीस भस्म इत्यादि रक्तवर्धक औषधियों का प्रयोग अवश्य करवायें।
अनिद्रा में लाभकारी नवजीवन रस
वृद्ध लोगों में वात वृद्धि के कारण कफ का ह्रास हो जाता है अतः उन्हें रात को निद्रा या तो आती नहीं या बहुत कम आती है। वातज वेदनायें भी अनिद्रा में सहायता करती है। ऐसे रोगियों को नव जीवन रस दो गोली। प्रातः सायं घृतमिश्रित दूध के साथ देने से वेदनाओं में लाभ होता है और शान्त निद्रा आने लगती है।
सहायक औषधियों में अश्वामलकी (अश्वगन्ध और आमलकी का समभाग चूर्ण) 2 ग्राम प्रातः सायं दें।
आन्त्र शिथिलता (आतों का ढीलापन) में नवजीवन रस के सेवन से लाभ
कभी मल बँध कर आना कभी अतिसार हो जाना जब मल बन्धता है तो ग्रथित हो जाता है और तीन चार दिन तक मल विसर्जन ही नहीं होता और जब अतिसार होता है तो इतनी शीघ्रता होती है कि रोगी कपडे खराब कर लेता है कई रोगी घण्टों कमोड पर बैठे रहते हैं। परन्तु मल शुद्धि नहीं होती ऐसे रोगियों को नवजीवन रस एक गोली प्रातः सायं उष्णोदक से देने से धीरे-धीरे आन्त्र शिथिलता (ढीलापन) दूर होकर मलोत्सर्जन क्रिया सामान्य होने लगती है।
सहायक औषधियों में हिङ्गवाष्टक चूर्ण, चतुःसर्म चूर्ण, चित्रकादि वटी, अविपत्तिकर चूर्ण इत्यादि औषधियाँ लक्षणों और अवस्था के अनुसार प्रयोग करवाई जा सकती है। आन्त्र शिथिलता के कारण उत्पन्न आध्यमान एवं आन्त्र शूल भी इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं।
शक्ति बढ़ाने में लाभकारी नवजीवन रस
किसी भी रोग के उपरान्त अथवा पचास वर्ष से अधिक लोगों को प्रायः शक्तीहीनता का अनुभव होता है। थोड़ा सा चलने पर श्वास फूलना, थक जाना, पिण्डिकोद्वेष्ठन, शिरःशूल, भूख न लगना इत्यादि लक्षण होने पर नवजीवन रस एक गोली प्रात: सायं दूध से देने पर उनमें शक्ति का संचार होने लगता है बल तथा उत्साह में वृद्धि होती है।
सहायक औषधियों में सिद्ध मकरध्वजवटी, लक्ष्मीविलास रस (स्वर्ण युक्त) ,द्राक्षासव, बलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, च्यवणप्राश इत्यादि में से भी किसी एक या दो औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिए।
- नवजीवन रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- कुचिला विषौषध है, अधिक मात्रा में खाने से विषाक्त लक्षण उत्पन्न हो जाते, औषधि का त्याग, दूध और घृत के सेवन से लक्षणों को शमन हो जाता है, अधिक काल तक सेवन से कुचिले के विष के शरीर में संचित हो जाने के कारण भी लक्षणोत्पत्ती सम्भव है। परन्तु मात्रा में सेवन करने और दस दिन सेवन के उपरान्त पाँच दिन का विराम दे देने से किसी प्रकार की कोई व्यापत्ती नहीं होती।कचिले का शोधन करने के उपरान्त वह निरापद हो जाता है।
- इस योग में रस सिन्दूर और लोह भस्म भी है, अतः रसौषधियों और धातुओं के सेवन में अपनाए जाने वाले पूर्वोपाय नव जीवन रस में भी अपनाए जाने चाहिऐं ।
- कुचिला रक्त चाप बढ़ाता है, अत: निम्न रक्त चाप के रोगियों के लिए यह अमृत है। परन्तु उच्च रक्त चाप, में इसके प्रयोग से रक्त चाप और अधिक बढ़कर हानी पहुंचा सकता है। अत: उच्च रक्त चाप में इसका प्रयोग मत करें।
नवजीवन रस का मूल्य : Navjivan Ras Price
- Unjha Pharmacy Navjivan Ras 60 Tablet (Pack of 2) – Rs 260
- Dharmani Nav Jeevan Ras Organic Detoxifier Immunity and Stamina Ayurvedic Therapy Capsules – Rs 225
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