Last Updated on February 28, 2023 by admin
निप्पल के आस पास बालों की समस्या :
सौन्दर्य विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेस्ट व निप्पल के आस पास के बालों को हटाने के कई तरीके होते हैं, जिन्हें थोड़े-थोड़े समय के बाद दोहराना होता है । जैसे- थ्रेडिंग, प्लकिंग, वैक्सिंग, एवीलेटिंग, हेअरक्रीम का प्रयोग तथा शेविंग । ये तरीके अस्थायी होते हैं । स्थायी तरीके ‘इलेक्ट्रोलाइसिस’ तथा ‘लेज़र विधि’ हैं।
वक्षों के बालों को भूल कर भी शेव न करें, क्योंकि इससे बाल खूँटे से उगते हैं, त्वचा काली पड़ जाती है तथा हर तीसरे दिन ये सख़्त बनकर उग आते हैं। त्वचा की कोमलता और सौन्दर्य नष्ट होने लगता है ।
निप्पल के आस पास के बाल हटाने के टेंपरेरी मेथड (अस्थाई तरीके) :
1. थ्रेडिंग :
वक्षों पर अगर हलके बाल हों, तो थ्रेडिंग कराना ठीक रहता है। इस विधि से बाल जड़ समेत निकल जाते हैं। इसमें ट्विस्टिड धागे का प्रयोग किया जाता है। किसी कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसलिए त्वचा में रिएक्शन होने का भय नहीं रहता । समय भी कम लगता है। बालों की बढ़ोतरी इसे कराते रहने से कम होती जाती है।
ध्यान रखें कि आप थ्रेडिंग स्वयं न करके किसी अच्छे पार्लर में ही करायें, क्योंकि ज़रा सी भी लापरवाही त्वचा पर कट्स डाल सकती है। इस विधि द्वारा 3 से 6 हफ़्ते तक बाल नहीं आते। खर्च भी वहन करने योग्य होता है।
2. हेअर रिमूविंग क्रीम :
ये साधन पेस्ट, पाउडर, क्रीम तथा लोशन के रूप में बाज़ार में उपलब्ध हैं । क्रीम को बालों की सतह पर फैला दिया जाता है । फिर निश्चित समय के बाद इसे कॉटन से पोंछकर उस स्थान को पानी व साबुन द्वारा अच्छी तरह साफ़ कर दिया जाता है।
अगर आप जल्दी में हों, तो हेअर रिमूवर का प्रयोग सहज व सरल होता है। जल्दी व अच्छे परिणाम के लिए बाल निकलने वाले स्थान को गरम तौलिये से थोड़ी देर ढककर रखें, ताकि बालों की जड़ें मुलायम होकर खुल जायें और हेअर क्रीम वहाँ अच्छी तरह जज़्ब हो जाये ।
ध्यान रखें कि इन बालसफा प्रसाधनों के केमिकल्स, सेंसिटिव स्किन को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इनसे इरीटेशन, जलन, खुजली हो सकती है। इसलिए इन्हें प्रयोग करने से पहले ‘पैच टेस्ट’ ज़रूर करें। कोई चकत्ता, त्वचा में रंग-परिवर्तन या कुछ दानें जैसे उभर आयें, तो
फ़ौरन इसे धो डालिए और उस जगह को पोंछ कर डाक्टर की सलाह लेकर कोई क्रीम लगाइए । एनफ्रेंच, फैम, वीट आदि हेअर रिमूविंग क्रीमें बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं। अच्छा हो कि संवेदनशील त्वचा पर लगाने से पहले त्वचा – विशेषज्ञ से सलाह लें।
3. वैक्सिंग :
ब्रेस्ट को 4 से 6 हफ़्ते तक बालों से मुक्त रखने के लिए, वैक्सिंग कराना एक अच्छा उपाय है। यह 2 तरह का होता है, कोल्ड वैक्स तथा हॉटवैक्स । हॉट वैक्स को गरम कर तरल रूप में (त्वचा पर सहने योग्य) बालों वाले स्थान पर जल्दी से लगाते हुए उस पर पेपर या कपड़े की स्ट्रिप चिपका दी जाती है और तत्काल उलटी दिशा में इसे खींच लिया जाता है। इस प्रकार स्ट्रिप की लम्बाई व चौड़ाई के बराबर बाल जड़ सहित निकल आते हैं।
कोल्ड वैक्स, सीधी त्वचा पर लगायी जाती है। इसे गरम नहीं किया जाता। इसका प्रयोग स्ट्रिप द्वारा वैसे ही होता है, जैसा कि हॉट वैक्स में । इस विधि द्वारा धीरे-धीरे बालों की ग्रोथ कम होती जाती है ।
यह कार्य आप किसी अच्छे पार्लर में व सधे हाथों से ही करायें। बाल अधिक छोटे हों, तो वैक्सिंग का परिणाम उतना अच्छा नहीं निकलता। इसके लिए बालों की लम्बाई कम से कम चौथाई इंच होनी चाहिए । ध्यान दें कि धूप से झुलसी और संवेदनशील त्वचा पर वैक्स न करायें। अपने पीरियड से 3 दिन पहले और पीरियड के दौरान 3 दिन वैक्स न करायें, क्योंकि इन दिनों त्वचा अधिक संवेदनशील होती है। कोई बीमारी हो, तो डाक्टर की सलाह के बाद ही वैक्सिंग करायें ।अगर आप स्वयं वैक्सिंग करना चाहें, तो पहले इसे सीखें और किसी अच्छी कम्पनी की ही वैक्स ख़रीदें ।
4. एपीलेटर :
यह एक छोटा हैण्डी उपकरण होता है, जिसे त्वचा पर चलाने से उसके अन्दर लगे ट्वीजर्स बालों को जड़ समेत निकाल देते हैं । इस स्थान पर क़रीब 3-4 हफ़्ते बाल नहीं आते। वैसे बालों के दोबारा आने का क्रम व्यक्ति विशेष के बालों की ग्रोथ पर निर्भर करता है। इसमें दर्द वैक्सिंग जैसा ही होता है । विशेष बात यह है कि एपीलेटर द्वारा 0.5 मि.मी. तक के छोटे-छोटे बाल भी निकल जाते हैं ।
ध्यान रखें कि अगर आप पहली बार या लम्बे अन्तराल के बाद एपीलेटर करने जा रही हों, तो अपने बालों की लम्बाई छोटी कर लें, यानी काट लें, क्योंकि एपीलेटिंग के लिए बालों की लम्बाई 2 से 5 मिलीमीटर हो, तो त्वचा एकदम बालरहित सॉफ़्ट, क्लीन हो जाती है और दर्द भी कम होता है। जहाँ एपीलेटर करना है, वह स्थान सूखा व क्रीम और चिकनाई से मुक्त होना चाहिए। बाज़ार में कई कम्पनियों के एपीलेटर उपलब्ध हैं। इस तकनीक से आप जब चाहें त्वचा साफ़ कर सकती हैं। यह विधि समय अधिक भी नहीं लेती। इसका कोई बुरा असर भी नहीं है।
निप्पल के आस पास के बाल हटाने के परमानेण्ट मेथड (स्थाई तरीके) :
1. इलेक्ट्रोलाइसिस :
इलेक्ट्रोलॉजिस्ट का मानना है कि इस विधि से बाल हमेशा के लिए साफ़ हो जाते हैं। इसमें ख़र्च अधिक आता है, क्योंकि इसमें मेहनत और समय ज़्यादा लगता है। इसे तरीके से एक सूईं त्वचा के अन्दर प्रविष्ट करायी जाती है और उससे करण्ट भेजा जाता है, जो बाल के फौलिकिल को नष्ट कर देता है। ऐसा हर बाल को साफ़ करने के लिए किया जाता है। इसके परिणाम अच्छे होते हैं । फिर भी कुछ बाल बाद में उग आते हैं। वक्ष के बालों के लिए इस विधि को उपयुक्त बताया जाता है ।
यह विधि काफ़ी पेनफुल (दर्द भरी) होती है। इसमें संक्रमण होने का चांस हो सकता है, साथ ही त्वचा पर दाग़ भी पड़ जाते हैं, जो लोशन द्वारा धीरे-धीरे ठीक होते हैं। इस तरीके से बाल हटाने पर ज़्यादा ख़र्च आता है। इसमें कई सिटिंग देनी होती है।
2. लेज़र :
इसमें छोटे-छोटे क्षेत्र (हिस्से) में लेज़र बीम फेंककर हेयर फौलिकिल को नष्ट किया जाता है, जिससे बाल उगने बन्द हो जाते हैं। लेज़र गहरी जड़ों वाले बालों के लिए उतना उपयुक्त नहीं होता, जैसे बगल व बिकनी लाइन के बाल । ब्रेस्ट के बालों के लिए यह विधि ज़रूर उपयुक्त मानी जाती है। इसमें इलेक्ट्रालाइसिस से कम समय लगता है। इसमें 6 से 7 सिटिंग होती हैं।
इस विधि को अच्छे विशेषज्ञ से कराना चाहिए । इस विधि के बाद भी कभी-कभी बाल उग आते हैं, पर वे एकदम पतले व दूर-दूर होते हैं।