Last Updated on May 30, 2023 by admin
ऊंटकटेरा (उत्कण्टक) क्या है ? :
ऊंटकटेरा के क्षुप (झाड़ीनुमा पौधे) जंगलों में होते हैं इसकी टहनियां (डाल), फल और पत्ते सभी पर तेज कांटे होते हैं। ऊंट कटेरा वृक्ष की सभी टहनियों के ऊपर गोल फल होते हैं जो चारों तरफ करीब एक-एक इंच लंबे कांटों से भरा होता है। यह घरेलू जानवरों की बीमारी में विशेष रूप से प्रयोग की जाती है।
ऊंटकटेरा के विभिन्न नाम :
ऊंटकटेरा को कई नामों से जानते हैं जैसे – ककोंटा, उश्ट्र कण्टक, ऊंटकटेरा आदि।
ऊंटकटेरा (उत्कण्टक) के गुण :
- रंग : ऊंटकटेरा का रंग पीला होता है। यह हरा व सफेद कांटों से भरा होता है।
- स्वाद : ऊंटकटेरा का स्वाद कडुवा होता है।
- स्वभाव : ऊंटकटेरा का स्वभाव गर्म होता है।
- ऊंटकटेरा रुचिकारक, भूख को बढ़ाने वाला (क्षुधावर्धक), तथा पाचक है।
- यह मूत्रवर्द्धक है।
- यह पीलिया रोगों के लिए लाभकारी है।
- यह गठिया को भी नाश करता है।
- यह विषों को शान्त करता है।
- इसकी जड़ धातु को पुष्ट करती है।
- ऊंटकटेरा का रस प्लीहा रोग में भी लाभकारी है।
- इसके बीज शीतल और सन्तुष्टि (तृप्तिकारी) कारक होते हैं।
सेवन की मात्रा :
3 ग्राम।
ऊंटकटेरा (उत्कण्टक) के फायदे व उपयोग :
1. खांसी: ऊंटकटेरा की जड़ की छाल का चूर्ण पान में रखकर खाने से कफ और खांसी में आराम मिलता है।
2. गर्भनिवारक: ऊंटकटेरा को पीसकर स्त्री के सिर, तालु में लेप करें इससे बच्चे का जन्म तुरन्त हो जाता है। बच्चा होने के तुरन्त बाद इस दवा को तुरन्त निकालकर फेंक देना चाहिए क्योंकि इससे हानि होने की आशंका होती है। यह गर्भ तक को बाहर निकाल देती है।
3. अधिक प्यास लगने : 10-20 मिली की मात्रा में ऊंटकटेरा की जड़ का काढ़ा बनाकर पिने से ज्यादा प्यास लगने की समस्या दूर होती है ।
4. कमजोरी: 5-10 मिलीलीटर ऊंटकटेरा की जड़ (मूल) का रस सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे शरीर मजबूत बनता है।
5. गठिया रोग: ऊंटकटेरा की जड़ का रस 10 से 20 मिलीलीटर रोजाना सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक होता है।
6. लिंग (पुरुष जननांग के दोषों को दूर करना): लिंग की इन्द्रियों के दोषों को दूर करने के लिए 3 ग्राम ऊंटकटेरा की जड़ के छिलके को 15 मिलीलीटर पानी में पीसकर लिंग पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
7. शरीर को शक्तिशाली बनाना:
- लगभग 5 ग्राम की मात्रा में ऊंटकटेरा की जड़, 3 ग्राम की मात्रा में अकरकरा और 3 ग्राम की मात्रा में असगन्ध को लेकर तथा इसको पीसकर हलवा में मिलाकर सेवन करने से सहवास (मैथुन) की क्षमता बढ़ती है।
- ऊंटकटोरे के ऐसे पौधे को जड़ सहित उखाड़कर जिसमें फल और फूल हो, छाया में सुखा लें और इसके पंचांग का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 5 ग्राम रात को सोते समय दूध के साथ लेने से व्यक्ति के शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
ऊंटकटेरा (उत्कण्टक) के दुष्प्रभाव :
ऊंटकटेरा का अधिक मात्रा में उपयोग मस्तिष्क के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : ऊंटकटेरा के दोषों को दूर करने के लिए सिरका का उपयोग किया जाता है।
अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।