Last Updated on February 10, 2023 by admin
पहली बार बनने वाली मां से.. :
अगर आप पहली बार मां बनने जा रही है तो आपके दिल और दिमाग में एक परेशानी बढ़ रही होगी। एक तरफ तो आप उस खूबसूरत दिन का बहुत ही व्याकुलता से इन्तजार कर रही होगी, जब आपकी गोद में एक सुन्दर और गोल-मटोल सा बच्चा होगा और आपके चारों तरफ खुशियां ही खुशियां होगी। दूसरी ओर एक बात और सता रही होगी कि जाने प्रसव कैसा होगा, कितना दर्द होगा, कैसे सहन करूंगी, उसे दूध कैसे पिलाऊंगी, कैसे सम्भालूंगी जाने, ऐसे ही न जाने कितने सवाल आपके मन में हलचल मचा रहें होंगे।
पहली बार डॉक्टर के पास जाने पर :
जब आपको ऐसा महसूस हो कि आप गर्भवती है तो अपने पास के अस्पताल में जाकर जांच करवाएं। वहां जाकर पहले एक बात पता कर लें कि आपको वास्तव में गर्भ है या नहीं, दूसरे गर्भावस्था के शुरूआत से आपको उपयोगी सलाह मिलने लगेगी। इस जांच से एक बात और साफ हो जाएगी कि आपका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है या नहीं या आपका शरीर मां बनने के लिये पूरी तरह तैयार है कि नहीं।
गर्भावस्था के समय की विभिन्न जांचें :
1. ब्लडप्रेशर की जांच – सबसे पहले आपको अपने ब्लडप्रेशर की जांच करवानी चाहिए कि आपका स्वास्थ्य ठीक है और आपके रक्त-संचार में ज्यादा ताकत तो नहीं खर्च हो रही है।
2. पेशाब की जांच – पेशाब की जांच करवानी चाहिए क्योंकि इसको करवाने से ये पता चलता है कि आपके गुर्दे ठीक से काम कर रहें है या नहीं।
3. खून की जांच – खून की जांच करवानी चाहिए ये देखने के लिये कि आपके खून के अन्दर किसी जरूरी चीज की कमी तो नहीं है या उसके अन्दर कोई रोग तो नहीं है जो आपको या आपके होने वाले बच्चे के लिये नुकसानदायक हो।
4. शरीर का वजन – हर बार जांच के समय शरीर का वजन कराना जरूरी होता है क्योंकि अगर आपका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ या घट रहा है या बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं इसका पता लगाकर ठीक किया जा सके।
5. नाक, गला, दांत और मसूढ़े की जांच – जब आप डॉक्टर के पास जाए तो दांत, गले, मसूड़े और नाक की जांच करवानी चाहिए क्योंकि ये शरीर के वह नाजुक अंग होते है जिनमे बहुत ही जल्दी संक्रामक रोग लग जाते है जो आपके स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक हो सकते हैं।
6. हृदय और फेफड़े की जांच – हृदय और फेफड़े की जांच करवानी जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि आपका हृदय और फेफड़े ठीक हालत में है या नहीं। स्त्री के गर्भधारण करने के बाद कहीं उन पर ज्यादा जोर तो नहीं पड़ रहा।
हर बार ये जांच कि जाती है कि आपका बच्चा सामान्य रूप से बढ़ रहा है या नहीं? गर्भ में बच्चे की हालत और आपके दिल की धड़कन जैसी होनी चाहिए वैसी है कि नहीं? गर्भधारण के आखिरी समय में बच्चे को जन्म देने के लिऐ आपका वस्तिप्रदेश और योनिमार्ग ठीक है कि नहीं है?
7. टांगों की जांच – टांगों की जांच करवाने से पता चलता है कि कहीं उनमें सूजन तो नहीं है और पैर की धमनियों में ज्यादा उभार तो नहीं हैं?
गर्भधारण करने के 7 महीने तक तो महीने में एक बार और उसके बाद जरूरत के अनुसार बच्चा पैदा होने के दिन तक थोड़े-थोड़े दिनो के बाद कई बार आपको लेडी डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है इसलिये जब भी आपको डॉक्टर बुलाये लापरवाही छोड़कर वहां जाना चाहिए।
रखें ये सावधानियां :
- स्त्री को गर्भधारण की शुरूआत से लेकर बच्चे का जन्म होने तक समय-समय पर अपने डॉक्टर के पास जाकर जांच जरूर करवानी चाहिए और जैसा डॉक्टर बोले वैसा ही करें। पहली बार गर्भधारण करने पर व्यायाम, आराम आदि सभी बातों पर डॉक्टर से एक बार राय जरूर लें।
- अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए डॉक्टर के कहे अनुसार चलना चाहिए। इसके अलावा अपने मन को भी फालतू चिन्ताओं, रोगों से दूर रखना चाहिए। गर्भावस्था के समय की मानसिक स्थिति का भी गर्भ की स्थिति और गर्भ में पल रहे शिशु पर काफी असर पड़ता है। इसलिए महिलाओं को अच्छी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। संसार के महानतम लोगों के जीवन चरित्र के बारे में जानना चाहिए। गर्भ में पल रहे शिशु के सही विकास के लिए प्रोटीन, कैल्शियम, लौह, विटामिन युक्त पोषक भोजन और आपकी सन्तुलित शान्त प्रफुल्ल मन स्थिति दोनों ही बातें विशेष महत्व रखती हैं।
- गर्भवती महिलाओं को सुबह-शाम खुली हवा में अवश्य ही टहलना चाहिए। इससे शरीर को शुद्ध और पर्याप्त मात्रा में रक्त मिलता है। खुली हवा में गहरी सांस लेने के हल्के व्यायाम करने चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है। घर का सामान्य काम-काज करते रहने चाहिए। अत्यधिक मेहनत और और थकान वाले कार्य नहीं करने चाहिए।
- स्त्रियों को रोजाना आठ घंटे की नींद अवश्य ही लेनी चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों को अपने शरीर के प्रत्येक अंगों को साफ रखना चाहिए। स्नान करने से पहले शरीर पर तेल की हल्की मालिश करनी चाहिए। गर्भावस्था के अन्तिम दिनों में स्तनों के निप्पलों पर जैतून के तेल की मालिश करके उन्हें अंगुली और अंगूठे से पकड़कर ऊंचा उठाते रहना चाहिए ताकि शिशु आसानी से दूध पी सके।
- गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों को कसे हुए कपडे़ नहीं पहनने चाहिए।
- गर्भावस्था के समय महिलाओं को सन्तुलित भोजन करना चाहिए तथा व्यायाम भी किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।
मां बनने से पहले जान लें ये बातें :
- प्रसव के समय महिलाओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण खून की कमी होना एक आम समस्या होती है। खून की कमी होने से स्त्रियों को बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो इसके कारण महिलाओं की मृत्यु भी हो सकती है अथवा गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर विपरीत असर पड़ता है तथा वह कई बीमारियों से पीड़ित हो जाती है। इससे बचने के लिए गर्भावस्था में आयरन और फोलिक एसिड लेने की सलाह दी जाती है। गरीब लोग जो गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं उन महिलाओं और उनके बच्चों के लिए वर्तमान समय में सभी सरकारी हॉस्पिटल और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मुफ्त दवाएं बांटी जाती है।
- महिलाओं के शरीर में विटामिन `ए´ की कमी होने के कारण उनके बच्चे रतौंधी के शिकार हो जाते हैं। इसलिए सन्तुलित भोजन समझकर तथा गर्भवती स्त्री के लिए विशेष भोजन चार्ट का अध्ययन करके इस तरफ पूरा ध्यान देना चाहिए। वर्तमान समय में सभी सरकारी हॉस्पिटलों और चिकित्सा केन्द्रों में फ्री में विटामिन `ए´ की गोलियां दी जाती है।
- देश के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रतिरक्षण और रोग-निरोधी उपचार की सुविधाएं उपलब्ध है। यदि प्रसव घर पर होता है तो इन स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान संभी संभावित खतरों से बचने के लिए टिटनेस का इंजैक्शन लेना चाहिए। इस इंजैक्शन से प्रसव के समय मां और बच्चे को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होता है।
- गर्भावस्था के 16 से 20 सप्ताह के बाद पहला टिटनेस का इंजेक्शन देना चाहिए। दूसरा इंजैक्शन 20 से 24 सप्ताह तथा तीसरा इंजैक्शन 36 से 38 सप्ताह तक लगता है।