Last Updated on June 24, 2020 by admin
मासिक धर्म चक्र (पीरियड्स) क्या है ? : what is periods in hindi
periods kya hota hai
प्रतिमास लगभग 28 दिन में नारी शरीर से रजःस्राव होने को ‘मासिक धर्म’ कहा गया है। यह स्राव निश्चित अवधि में, उचित मात्रा में और पीडारहित ढंग से होता रहे तो यह स्वस्थ स्थिति होगी अन्यथा अस्वस्थ स्थिति होगी। इस विषय पर प्रस्तुत है उपयोगी और हितकारी विवरण।
मासिक धर्म (पीरियड्स) क्यों आता है ? : Why periods come to the girl in hindi
periods kyu aate hain in hindi
स्त्री का मासिक धर्म (Menstural Cycle or MC) इस बात का सूचक होता है कि वह गर्भ-धारण करने की क्षमता से युक्त है । इसीलिए जब स्त्री गर्भवती हो जाती है तब मासिक ऋतु स्राव होना बन्द हो जाता है। लगभग 50 वर्ष की आयु के आसपास भी यह ऋतु स्राव होना सदा के लिए बन्द हो जाता है और तब स्त्री गर्भधारण करने की क्षमता खो देती है।
मासिक धर्म (पीरियड्स) कब प्रारम्भ होते हैं ? इसके आने की सही उम्र : What is the right age of periods in hindi
period aane ki sahi umar kya hoti hai
किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद 12 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बीच किशोरी को मासिक ऋतु स्राव होना शुरू हो जाता है। उष्ण जलवायु वाले देशों की लड़कियों को ऋतु स्राव होना जल्दी शुरू हो जाता है जबकि ठण्डे देश की लड़कियों को ज़रा ज्यादा उम्र की होने पर शुरू होता है। मांसाहार, मादक द्रव्य, उष्ण प्रकृति के तथा अधिक पौष्टिक पदार्थों का सेवन करने वाली लड़कियों को भी ऋतु स्राव जल्दी शुरू हो जाता है। भारत वर्ष में 11-12 वर्ष की आयु से लेकर 14-15 वर्ष की आयु के बीच ऋतु स्राव होना शुरू हो जाता है। सभी लड़कियों के लिए कोई एक निश्चित आयु नहीं है कि इस उम्र से ऋतु स्राव शुरू हो ही जाना चाहिए। फिर भी यदि 16-17 वर्ष की आयु होने पर भी ऋतु स्राव शुरू न हो तो यह विकारग्रस्त और अस्वाभाविक स्थिति मानी जाएगी।
जब किशोरी बालिकाएं अचानक पहली बार रजस्वला होती हैं तो आर्तव का स्राव (रज-स्राव) होता देख कर कुछ तो घबरा जाती हैं, कुछ चिन्तित व परेशान हो जाती हैं, कुछ भयभीत हो जाती हैं और कुछ नाना प्रकार की शंकाओं से ग्रस्त हो जाती हैं। उनकी सबसे बड़ी दुविधा यह होती है कि वे शर्म और संकोच के कारण किसी को न तो कुछ बता पाती हैं और न पूछताछ ही कर पाती हैं। लेकिन इसमें चिन्ता या परेशानी जैसी कतई कोई बात नहीं है।
मासिक धर्म किस उम्र में बंद होता है ? : In which age periods will stop in hindi
period kis umar mein band hota hai
मासिक धर्म 50 वर्ष की उम्र के आसपास पहुंचने पर सदा के लिए बन्द हो जाता है जो इस बात का सूचक होता है कि अब गर्भधारण होने की क्षमता नहीं रही। इसे रजोरोध होना यानी मेनोपाज़ कहते हैं। जब स्त्री गर्भवती हो जाती है तब भी मासिक धर्म होना बन्द हो जाता है और प्रसव के बाद जब तक मां अपने बच्चे को दूध पिलाती रहती है तब तक बन्द रहता है और समय आने पर खुद बखुद फिर से शुरू हो जाता है।
मासिक धर्म (पीरियड्स) कितने दिनों का होता है ? : How many days period is normal in hindi
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आयुर्वेद के ऋषियों ने मासिक ऋतु स्राव को बहुत ही उपयुक्त और सारगर्भित नाम दिया है मासिक धर्म , यानी यह स्त्री के शरीर का धर्म है। उसके स्वस्थ और गर्भ को धारण करने में सक्षम होने का सूचक एक प्राकृतिक कार्य है इसलिए इससे चिन्तित या परेशान नहीं होना चाहिए बल्कि यह स्वाभाविक और उचित तरीके से, नियमित समय पर 3-4 दिन की अवधि तक ही होता रहे इस पर ध्यान देते रहना चाहिए । यूं तो इसका समय आमतौर पर 28 दिन में ही होने का होता है पर किसी-किसी को 3-4 दिन पहले तो किसी को 3-4 दिन देर से भी होता है। यदि यह नियमित रूप से ठीक समय पर शुरू होकर 3-4 दिन बाद बन्द हो जाए इस अवधि में कोई कष्ट न हो, ज्यादा मात्रा में ज्यादा दिन तक स्राव न होता रहे तो यह अच्छी व स्वस्थ स्थिति मानी जाएगी।
मासिक धर्म चक्र से जुडी समस्यायें और उनके कारण :
मासिक धर्म के अनियमित, कष्ट पूर्ण और अति मात्रा में होने के कुछ कारण शारीरिक और कुछ मानसिक होते हैं जिनका सम्बन्ध आहार विहार और आचार विचार से होता है। आजकल आहार विहार और आचार विचार ठीक नहीं रखे जाते या कह लीजिए कि रह नहीं पाते इसी से आमतौर पर लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म की अनियमितता एवं अन्य व्याधियों से ग्रस्त रहती हैं।
रज क्या है ? :
मासिक धर्म में जो स्राव होता है वह शुद्ध रक्त नहीं बल्कि ‘आर्तव’ होता है जिसे रज कहते हैं। आयुर्वेद का कहना है कि चमकीले, लाल सर्ख और न जमने वाले स्राव को शुद्ध आर्तव कहते हैं। इसका कपड़े पर लगा हुआ दारा पानी से धोने पर आसानी से छूट जाता है जबकि रक्त का दाग़ आसानी से नहीं छूटता । रक्त हवा लगते ही जम कर सूख जाता है जबकि आर्तव जमता नहीं और जम जाए तो शुद्ध और स्वस्थ आर्तव नहीं बल्कि अशुद्ध और विकारग्रस्त होता है। इसका बहुत कम या बहुत ज्यादा मात्रा में होना, कष्ट के साथ होना, काला, बदबूदार और टुकड़ों से युक्त होना विकार ग्रस्त होने का सूचक होता है।
मासिक धर्म संबंधी रोगों से बचाव के उपाय :
मासिक धर्म चक्र स्वाभाविक और स्वस्थ ढंग से होता रहे इसके लिए ऋतु-स्राव के दिनों में महिला का आहार विहार व आचार विचार कैसा होना चाहिए इसके विषय में चरक संहिता शारीर स्थान में कहा है-
ततः पुष्यात् प्रभृति त्रिरात्रमासीत ब्रह्मचारिण्यधः शायिनी,
पाणिभ्यामन्नम जर्जर पात्राद् भुंजाना, न च कांचिन्जामापद्येत।
ततश्चतुर्थेऽहन्येनामुत्साद्य सशिरस्कं स्राप यित्वा शुक्लानि वासां स्याच्छादयेत् पुरुषं च ।
ततः शुक्लवाससौ स्त्रग्विणौ सुमन सावन्योऽन्यभिकामौ संवसेयातां स्नानात् प्रभृति युग्मेष्वहः सु पुत्रकामौ, अयुग्मेषु दुहितृकामौ।
मासिक धर्म में क्या नहीं करना चाहिए – रजस्राव शुरू होते ही इन दिनों में पति से अलग सोना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, सब काम काज से अलग होकर विश्राम करना, श्रृंगार न करना, भाग दौड़ न करना, चिन्ता शोक व क्रोध न करना, बहुत न बोलना, न बहुत हंसना या रोना, कर्कश ध्वनि न सुनना, दिन में न सोना और घर से बाहर न जाना आदि नियमों का पालन करना हितकारी होता है।
यदि शत प्रतिशत रूप से इन सभी नियमों का पालन करना सम्भव न हो तो अधिक से अधिक जितना सम्भव हो सके उतना पालन अवश्य करना चाहिए। इन नियमों के पालन से ऋतु स्राव सम्बन्धी कई व्याधियां उत्पन्न ही नहीं होतीं।
पुरानी परिपाटी के मानने वाले परिवारों में आज भी इन नियमों का इतनी सख्ती से पालन किया जाता है कि इन दिनों में स्त्री को चौके में जाने तक नहीं दिया जाता जो कि स्त्री का मुख्य कार्य क्षेत्र होता है ताकि वह पूर्ण विश्राम कर सके। आधुनिक रहन सहन के प्रेमी इसे रूढ़िवादिता और दकियानूसीपन कह कर इसकी अवहेलना करते हैं। यही वजह है कि आज अधिकांश महिलाएं मासिक धर्म और गर्भाशय सम्बन्धी व्याधियों के जाल में फंसी हुई हैं।
इन दिनों में गर्म प्रकृति के तले हुए, तेज़ मिर्च मसाले वाले और मादक पदार्थों का सेवन हरगिज़ नहीं करना चाहिए। खूब प्रसन्न चित्त रहना चाहिए और अच्छे विचार व अच्छी पुस्तकों का अध्ययन मनन करते रहना चाहिए।
मासिक धर्म का सम्बन्ध मानसिक स्थिति से भी रहता है अतः इन दिनों में मानसिक रूप से स्वस्थ, तनाव चिन्ता रहित और प्रसन्न चित रहना चाहिए। ऐसी स्थिति में रहने की अभ्यस्त स्त्री जब भी गर्भधारण करती है तब उचित ढंग से गर्भकाल में भी अच्छा आहार विहार करती हुई श्रेष्ठ व स्वस्थ सन्तान को जन्म देने में सफल होती है। इस वक्त गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है, यह तथ्य पति और पत्नी को न सिर्फ ध्यान में ही रखना चाहिए बल्कि इस वक्त अच्छी मानसिकता रखनी भी चाहिए।
मासिक धर्म के दौरान क्या स्त्री अपवित्र है ? :
कभी-कभी यह शंका या पूछताछ पढ़ने को मिली है कि क्या स्त्री मासिक-धर्म के दिनों में अपवित्र हो जाती है जो उसे चौके में जाने नहीं दिया जाता, उसके हाथ का बना भोजन नहीं खाया जाता, यहां तक कि उसके हाथ से पानी तक नहीं लिया जाता। क्या ऐसा व्यवहार करना उचित है?
उत्तर में निवेदन है कि ऐसा व्यवहार करना उचित तो है पर अछूत होने की दृष्टि से नहीं बल्कि उन दिनों में स्त्री काम काज के परिश्रम से बची रह सके इस दृष्टि से उचित है। घरेलू महिला का मुख्य कार्य क्षेत्र रसोई से सम्बन्धित रहता है, वह किसी न किसी कारण से रसोई घर के काम में जुटी ही रहती है। कई परिवारों में तो यह हाल रहता है कि सुबह की रसोई से निपटते-निपटते ढाई-तीन बज जाते हैं और 2-3 घण्टे बीतते-बीतते शाम की रसोई की तैयारी में जुट जाना पड़ता है और भी दूसरे घरेलू काम महिला को करने पड़ते हैं। ग़रज़ यह कि देर रात जब तक वह बिस्तर पर नहीं जा लेटती तब तक उसे मशीन की तरह काम करना पड़ता है। मासिक ऋतु स्राव के दिनों में महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से शान्त, निश्चिन्त, प्रसन्न और विश्रामपूर्ण स्थिति में रहने का निर्देश आयुर्वेद ने दिया है। ऐसा तभी हो सकता है जब महिला घरेलू-काम से, विशेष कर रसोई के काम से मुक्त रहे और आराम करते हुए यह समय व्यतीत करे। ऐसी स्थिति का निर्माण करने के उद्देश्य से ही इन दिनों में स्त्री को अछूत घोषित किया गया होगा।
मासिक धर्म के बाद कुछ सावधानियां जरुरी हैं :
मासिक ऋतु स्राव से निवृत्त होने के बाद चौथे या पांचवें दिन ‘ऋतु स्नान’ किया जाता है। इसके 3-4 दिन बाद एक बार डूश लेकर योनि की शुद्धि अवश्य कर लेना चाहिए। सप्ताह में एक बार ड्रश लेते रहना कई योनि-विकारों से बचाने वाला कार्य सिद्ध होता है। अविवाहित कुमारियों को इश का प्रयोग नहीं करना चाहिए फिर भी स्नान करते समय साफ़ पानी से योनि को धो लेना चाहिए। इससे योनि में विकार पैदा नहीं होता और दुर्गन्ध नहीं आती।
इतना विवरण यह मार्ग दर्शन देने के लिए पर्याप्त होगा कि मासिक ऋतु स्त्राव के दिनों में महिला का आचार-विचार कैसा होना चाहिए।