Last Updated on April 27, 2020 by admin
(1) अजीर्ण दूर करने का उपाय – अगर अजीर्ण हो, तो नीबू के रस में केसर घोट कर चाटो।
(2) आँव मिटाने का उपाय – अगर आँव और खून के दस्त होते हों, तो प्याज़ को महीन कूट कर पाँच-छह दफा धो लो। पीछे उसे गाय के ताजा दही के साथ खाओ; ज़रूर लाभ होगा।
(3) दस्त रोकने का उपाय – प्याज के रस में जरा-सी अफीम मिला कर खाने से अतिसार या पतले दस्त आराम हो जाते हैं।
(4) ऐसिडिटी दूर करने का नुस्खा – अगर अम्लपित्त की वजह से गला जलता हो, तो प्याज के महीन टुकड, आधा पाव दही में मिला ऊपर से शक्कर डाल कर खाओ। लाभ होगा।
(5) पेट दर्द का घरेलू नुस्खा – शरीर के भीतर बादी से कहीं दर्द हो या पेट दुखता हो, तो काले जीरे को महीन पीस कर खिला दो और ऊपर से जल पिला दो।
(6) पेचिश का घरेलू उपाय – अगर पेचिश हो, तो छोटी हरड़ और सौंफ को घी में भून कर पीस लो और मिश्री मिला कर १ तोला (११ ग्राम ) रोज खाओ।
(7) पेट के रोग दूर करने का उपाय – गाय के मूत्र में या दूध में, अरण्डी का तेल मिला कर पीने से दस्त होते और पेट के विकार नष्ट हो जाते हैं। पक्वाशय की बादी में दस्त कराने को अरण्डी का तेल देना अच्छा है। अरण्डी का तेल गर्भवती तक को देने से हानि नहीं करता। जवान को २ तोले से ४ तोले तक देना चाहिये। २१ दिन के बालक को दो से पाँच बूंद तक देना चाहिए।
(8) पतले दस्त का इलाज – बेलगिरी, नागरमोथा, इन्द्रजौ, धाय के फूल, सोंठ और मोचरस सबको बराबर-बराबर ले कर चूर्ण कर लो। पीछे छान कर रख दो। मात्रा २ माशे (२ ग्राम ) से ४ माशे (४ ग्राम ) तक है। एक मात्रा में दवा से आधी मिश्री मिला कर फाँक जाओ। इसके दिन में तीन बार सेवन करने से आँव-खून के या सादा पतले दस्त निस्सन्देह आराम हो जाते हैं। हमारा शुद्ध परीक्षित है।
(9) वात का दर्द दूर करने का उपाय – काला जीरा महीन पीस कर थोड़ा-सा खाने और ऊपर से दो पैंट पानी पीने से पेट का दर्द अथवा शरीर के भीतर के किसी स्थान की वात-पीड़ा मिट जाती है।
(10) पेट के कीड़ों का इलाज – कचूर की चकत्तियों की माला बना कर बालकों के गले में पहनाने से ‘कृमि-रोग नष्ट हो जाता है।
(11) हैजा रोग का इलाज – शुद्ध कुचला, शुद्ध अफीम और सफेद गोल मिर्च–बराबर-बराबर ले कर, अदरख के रस में घोट कर, चने-समान गोलियाँ बना लो। सवेरे-शाम या दिन में तीन दफे एक-एक गोली, माशे (१ ग्राम) भर सोंठ का चूर्ण और इतने ही गुड़ में मिला कर खिलाने से हैजा, अतिसार और आँव-ये नष्ट हो जाते हैं।
(12) भूख बढाने का उपाय – चीते की जड़, सेंधा नमक, हरड़ और पीपर–चारों चीजें बराबर-बराबर ले कर पीस-छान लो। इसमें से ३ से ६ माशे तक चूर्ण फाँक कर, ऊपर से गरम पानी पीने से अजीर्ण नष्ट हो कर खूब भूख लगती है। गृहस्थों के लिए उत्तम चूर्ण है।
(13) अजीर्ण का उपचार – नारियल की गिरी के अजीर्ण में चावल का धोवन पीना चाहिये। आम खाने से अजीर्ण हो, तो दूध पियो। अधिक घी खाने से अजीर्ण हो, तो बँभीरी नीबू का रस पियो। गेहूँ खाने से अजीर्ण हो तो ककड़ी खाओ। नारङ्गी के अजीर्ण में गुड़ खाओ। रोटी या पूरी खाने से अजीर्ण हो, तो जल पियो। उड़द के अजीर्ण में चीनी खाओ। मछली के अजीर्ण में आम चूसने चाहिये। कटहल के अजीर्ण में पका केला खाओ। केले की गहर के अजीर्ण में घी या छोटी इलायची खाओ। चिड़वों के अजीर्ण में पीपर और अजवायन खाओ। आलुओं के अजीर्ण में चावलों का धोवन पियो। जमीकन्द के अजीर्ण में गुड़ खाओ।मूंगफली खाने से अजीर्ण हो जाय तो गाय की छाछ पीनी चाहिए।
(14) पेट के कीड़े नष्ट करने का उपाय – अरण्डी के तेल में गो-मूत्र मिला कर पीने से पेट के रोग और पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
(15) पेट के कीड़े निकालने का अचूक नुस्खा – नारियल की दाढ़ी पानी में औटा-छान कर, सवेरे-ही, भूखे पेट पिलाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
(16) अरुचि मिटाने का उपाय – सफेद जीरा, काली मिर्च, अनारदाना, सेंधा नमक और मिश्री समान-समान ले कर और मिला कर पीस लो। इस चूर्ण के खाने से रुचि होती है। यह बड़ा सुस्वादु होता है।
(17) पेट की सफाई का उपाय – साफ गुड़ को ताम्बे के बर्तन में रख कर आग पर गरम करो। जब वह पतला हो जाय, उसमें सैंधा नमक मिला कर छोटी अँगुली के समान बत्ती बना लो। इस बत्ती को घी से चुपड़ कर गुदा में घुसाने से रुका हुआ मल निकल आता है।
(18) दस्त के उपाय – आध पाव गोमूत्र, दो बार कपड़े में छान कर, पीने से दो दस्त और तीन बार छान कर पीने से तीन दस्त हो जाते हैं। जितने दस्त दरकार हों, उतनी ही बार छान लो।
(19) पेट मे मरोड़ का इलाज – धनिया के काढ़े में मिश्री मिला कर पीने से आँव-मरोड़ी के दस्त और पित्त-ज्वर आराम हो जाते हैं।
(20) पेट मे जलन का उपचार – रात को धनिया भिगो देने और सवेरे ही मसल कर और मिश्री मिला कर पीने से पेट की जलन और गर्मी शान्त हो जाती है।
(21) जी मिचलाना दूर करने का उपाय – सात बार छाछ में भिगो-भिगो कर सुखाया हुआ लहसन १ तोले, शुद्ध गन्धक १ तोले, सफेद जीरा १ तोले, सेंधा नमक १ तोले, सोंठ १ तोले, काली मिर्च १ तोले, छोटी पीपर १ तोले, और भुनी हुई हींग १.५ माशे(१.५ ग्राम )–इन सबको पीस-कूट कर नीबुओं के रस के साथ खरल कर के, जंगली बेर के समान गोलियाँ बना लो ! इन गोलियों के सेवन करने से हैजा, जी मिचलाना और पेट के रोग नष्ट होते हैं।
(22) शरीर की दाह शांत करने का उपाय – अगर गर्मी के मौसम में दस्त लगते हों और दाह होता हो, तो कड़वे नीम के पत्ते पानी में पीस-छान कर मिश्री मिला कर पियो।
(23) भूख बढाने का नुस्खा – कैथ के गूदे में सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपर, शहद और मिश्री मिला कर गोलियाँ बना लो। इन गोलियों को मुँह में रखने से अरुचि नष्ट होती है।
(24) अरुचि नाशक उपाय – धनिया, छोटी इलायची, और काली मिर्च पीस कर रख लो। इसमें से २ माशे चूर्ण घी और चीनी में मिला कर, खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
(25) उबकाई या मितली दूर करने का उपाय – धनिया का चूर्ण ३ माशे और चीनी १ तोले, इन को पीस कर चावलों के धोवन के साथ फाँकने से गर्भवती को ओकी (उबकाई) आना मिट जाता है।
(26) पेट दर्द का इलाज – इन्द्रजौ का चूर्ण गरम दूध के साथ फाँकने से परिणाम शूल या भोजन पच जाने के बाद का दर्द आराम हो जाता है।
(27) अजीर्ण का घरेलू इलाज – दो तोले सूखी कचरी पीस कर और थोड़ा-सा नमक मिला कर फाँकने और ऊपर से गर्म पानी पीने से अजीर्ण नष्ट होता और दस्त साफ़ आता है।
(28) पाचन-शक्ति बढाने का उपाय – कचरी और नमक पीस कर और छाछ में मिला कर पीने से पेट साफ़ हो जाता है और पाचन-शक्ति ठीक हो जाती है।
• गाय के दही में बराबर का पानी मिला कर उसमें सेंधा नमक, भुना जीरा और काली मिर्च पीस कर मिला दो और पी लो। इससे घोर प्राण-नाशक अजीर्ण भी मिट जाता है।
• मनिहारी नमक का चूर्ण, शहद और अनार का रस मिला कर खाने से असाध्य अरुचि भी नष्ट हो जाती है।
(29) खून की खराबी दूर करने का उपाय – नीम गिलोय, हरड़, आमले और बावची–चार-चार तोले लो। सोंठ, बायबिडंग, पमार के बीज, पीपर, अजवायन, बच, जीरा, कुटकी, सफेद कत्था, सेंधानमक, जवाखार, हल्दी, दारुहल्दी, नागरमोथा, देवदारु और मीठा कूट-ये सब एक-एक तोला लो। सबको मिला कर पीस-छान लो। इस चूर्ण में से चार माशे चूर्ण गिलोय के काढ़े के साथ पीने से दो महीने में शरीर सोने के समान हो जाता है। वात-रक्त, खून-विकार, दाद, चर्मदल-कोढ़, चकत्ते, सब तरह के फोड़े, उदर-रोग, पाण्डु रोग, कामला, सूजन और जलोदर आराम करने में यह रामबाण है। जिनका शरीर खून की खराबी से बिगड़ गया हो, वे इसे अवश्य सेवन करें।
(30) पेट का दर्द दूर करने का घरेलू उपाय – शंख भस्म, काला नमक, भुन हींग, सोंठ, काली मिर्च और पीपर बराबर-बराबर ले कर पीस-छान लो। इसको गरम पानी के साथ पीने से त्रिदोष से हुआ शूल या पेट का दर्द नष्ट होता है।
(31) पेट के सब तरह के शूल का उपचार – सोंठ, हरड़ और काला नमक–तीन-तीन माशे(३ ग्राम ) ले कर पत्थर पर चन्दन की तरह घिसो। फिर एक पत्थर की कुंडी में पोंछ कर तीन तोले पानी मिला कर गरम करो। इसके गुनगुना-गुनगुना पीने से पेट के सब तरह के शूल या दर्द आराम हो जाते हैं। इससे दो दस्त भी होते हैं।
(32) परिणाम-शूल का उपाय – शंख-भस्म गरम जल के साथ पीने से परिणाम-शूल आराम हो जाता है।
(33) उदावर्त रोग को दूर करने का उपाय – निशोथ १ तोले (११.६ ग्राम), छोटी पीपर २ तोले और मिश्री ४ तोले—इनको पीस-छान कर रख लो। इसको शहद में मिला कर १ तोले नित्य खाने से उदावर्त रोग नष्ट होता है, दस्त साफ होता, हवा खुलती और चित्त प्रसन्न होता है।
नोट – वेगों को विधारण करने से वायु आवृत्त होकर ऊर्ध्व (ऊपर)की ओर वर्तन कर अर्थात् प्रतिलोमगति से इधरउधर घूमे, उस रोग को उदावर्त कहते हैं।
(34) अफारा रोग का उपाचार – हींग पानी में घोल कर गरम कर लें। गाढ़ा होने पर, नाभि के चारों तरफ सुहाता-सुहाता गरम लगा दें। इससे पेट का अफारा और दर्द मिटते हैं।
(35) पेट दर्द का नुस्खा – पिसी हुई लाल मिर्च को गुड़ में मिला कर खाने से पेट का दर्द जाता है।
(36) मन्दाग्नि वाले को उड़द महा हानिकारक है। बहुत ही भारी होने से यह नहीं पचता। ज्वार खाने से भी मन्दाग्नि रोगी का पेट फूल जाता है। मन्दाग्नि वाले को मोंठ की दाल पथ्य है। यह मन्दाग्नि और ज्वर का नाश करती है। भुनी मोंठ की दाल खाने से रुचि बढ़ती है। मूंग की दाल, सन्निपात ज्वर और कफ के रोगों के सिवा, सभी रोगों में पथ्य है। मूंग की दाल से भी मोंठ की दाल अच्छी है।
(37) पतले दस्त का उपाय – सफेद जीरा तवे पर भून कर और पीस कर मीठे दही में मिला लो। इस दही के खाने से पतले दस्त आराम हो जाते हैं, यानी दस्त बँध कर आता है।
(38) कलेजे मे जलन का उपचार – चार-पाँच लौंगों को पानी में पीस कर और चीनी के शर्बत में मिला कर पीने से कलेजे का दाह और ख़राब डकारों का आना मिटता है।
(39) आतों की सफाई का उपाय – एक तोला साँभर नमक पाव भर पानी में औटा कर पिला देने से, कय हो कर, पेट के दूषित पदार्थ निकल जाते हैं। इस पानी से पेट का दर्द भी मिट जाता है।
(40) पेट फूलने का उपचार – मसूर की दाल खाने से दस्तों के रोग आराम हो जाते हैं। पेटे का गुड़गुड़ करना, पेट फूलना और कच्चे-पके दस्त आना नष्ट होता है।
(41) हृदय को बलवान करने का उपाय – केवल अनार का रस निकाल कर पीने से हृदय बलवान होता और पेट का दर्द शान्त होता है।
(42) पेट को साफ करने का उपाय – अगर मल सूख जाने से दस्त साफ़ न होता हो, अथवा किसी दस्तावर चूर्ण वगैरः से भी दस्त न होता हो, तो पाव भर मूंग की दाल, आध पाव पुराने चावल और अन्दाज का नमक मिला कर खिचड़ी पकाओ। पकने पर उसमें २ तोले घी डाल दो। घी के मिल जाने पर चूल्हे से उतार कर उसे खाओ। इस खिचड़ी से मल फूल जाता और कोठे के रूखापन और वायु का नाश हो जाता है। दो-चार दिन यह खिचड़ी खा कर हल्का-सा दस्तावर चूर्ण खाने से दस्त साफ़ हो जाता है।
(43) तिल्ली रोग का उपचार – सरसों का तेल पेट पर मलने से तिल्ली का जोर घटता है। अगर तिल्ली या जिगर इतने बढ़ गये हों, कि उनका विस्तार भी न मालूम होता हो, तो अरण्डी के पत्तों पर अरण्डी का तेल चुपड़ कर और पत्तों को सेक कर पेट पर बाँधो। इस तरह कई दिन पत्ते बाँधने से सख्त पेट नर्म हो जायगा। केवल वह जगह ही सख्त रह जायगी, जहाँ तिल्ली या जिगर बढ़े हुए होंगे।
(44) जी मिचलाने का इलाज – पाव भर सफेद जीरे में दो तोले सैंधा नमक पीस कर मिला दो। जीरे को न पीसना। फिर कागजी नीबुओं के रस में जीरे को २४ घण्टे भिगो रखो। इसके बाद उसे निकाल कर सुखा लो और रख दो। ऐसा जीरा गृहस्थी में बहुत काम देता है। जब जी मिचलाये या डकार न आये, थोड़ा-सा खा लो। दिल खुश हो जायगा।
(45) जलोदर रोग का उपचार – जलोदर या जलन्धर रोग में ऊँटनी का दूध, पानी और लोहसार सेवन करना सबसे उत्तम उपाय है। इनके सिवा रोगी के खाने-पीने को और कोई चीज़ नहीं देनी चाहिए।
(46) रोगी का बलाबल देख कर, रेवन्दचीनी का शीरा एक माशे या डेढ़ माशे पीस कर, चीनी या शहद में मिला कर, चटा दो; इससे खुलासा दस्त होंगे। अगर दस्त बन्द करने की जरूरत हो जाय, तो रोगी को घी और चावल का भात खाने को दो।
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(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)