फैरिन्जाइटिस (गले का दर्द) का आयुर्वेदिक उपचार

Last Updated on November 24, 2022 by admin

फैरिन्जाइटिस (गलकोष प्रदाह) क्या है ? (Pharyngitis in Hindi)

इस रोग में मुंह के अन्दर जीभ के पास के सभी स्थान फूल जाते हैं। गोंद की तरह चिपचिपा सा बलगम गले में चिपका रहता है। गलकोष पककर जख्म हो जाता है कुछ भी निगलने या पीने में बड़ा दर्द या जलन होने लगती है।

फैरिन्जाइटिस (गलकोष प्रदाह) का इलाज (Pharyngitis ka Ilaj in Hindi)

1. बच : 40 मिलीलीटर घोड़बच (बच) का काढ़ा रोजाना 2-3 बार पीने से गले की गलकोष की सूजन (फैरिन्जाइटिस) समाप्त हो जाती है।

2. आक : 2 भाग आक (मदार) की जड़ की छाल का चूर्ण, 1 भाग अफीम, 7 भाग सेंधानमक को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करने से फैरिन्जाइटिस (गलकोष प्रदाह) ठीक हो जाता है।

3. दमनपापड़ा : गलकोष प्रदाह (गले की जलन) में दमनपापड़ा के धूम्रपान से आराम आता है। कफ (बलगम) ढीला होकर निकलने लगता है।

4. तेजफल : तुम्बरू (तेजफल) के पत्तों को पीसकर चावल के आटे में मिलाकर गर्म करके सुबह-शाम बांधने से गले की सूजन में आराम आ जाता है।

5. सेंधानमक : 10 ग्राम सेंधानमक को लगभग 1 लीटर पानी में घोल बनाएं, फिर इसे हल्का सा गर्म करके गरारे करने से गले की प्रदाह (जलन) और दर्द आदि रोगों में आराम आता है।

6. लौंग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लौंग की फांट या चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से गले की सूजन (फैरिन्जाइटिस) और दर्द में आराम आता है।

7. बड़ी माई : बड़ी माई की फांट या घोल से गरारा करने पर गलकोष प्रदाह (गले की जलन) और दर्द में आराम आता है।

8. सोंठ :

  • सोंठ के साथ कायफल (कायफर) को मिलाकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से फैरिन्जाइटिस (गले की जलन) ठीक हो जाती है।
  • विडंगभेद के पत्तों को सोंठ के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर 40 ग्राम काढ़ा सुबह-शाम पीने से और गरारे करते रहने से गले की सूजन समाप्त हो जाती है।

9. पोस्ता : पोस्ता के काढ़े से गरारा करने से गले का दर्द समाप्त हो जाता है।

10. कतीरा : 10 से 20 ग्राम कतीरा को पानी में फुलाकर मिश्री के साथ शर्बत बनाकर घोंटकर सुबह-शाम सेवन करने से गले के कई रोग और गलकोष की जलन (फैरिन्जाइटिस) दूर हो जाती है।

11. अमलतास : अमलतास की छाल (पेड़ की छाल) के काढ़े से गरारा करने पर गले की प्रदाह, ग्रंथिशोध (गले की नली में सूजन) रोग ठीक हो जाते हैं।

12. कचनार : खैर (कत्था) के फल, दाड़िम पुष्प और कचनार की छाल के काढ़े से गरारे करने से गले की सूजन मिट जाती है। सिनुआर के सूखे पत्तों से धूम्रपान करने से भी आराम आ जाता है।

13. भटकटैया : 3 से 5 मिलीलीटर भटकटैया (रैंगनी कांट) की जड़ का काढ़ा या पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करने से गले की सूजन और दर्द ठीक हो जाता है।

14. महाकाल : थोड़ा सा विशाला (महाकाल) की फल या जड़ का चूर्ण चिलम में डालकर सुबह-शाम धूम्रपान करने से गलकोष प्रदाह (फैरिन्जाइटिस) या गले की सूजन में आराम आता है।

15. शीतलचीनी : गलकोष प्रदाह (गले में जलन) में शीतलचीनी (कबाबचीनी) मुंह में चबाकर रखने से या चूसते रहने से जल्दी आराम आ जाता है।

16. शहद : 5 से 10 मिलीलीटर भटकटैया (रेंगनीकाट, कंटकारी) के फलों के रस को शहद के साथ सेवन करने से गलकोष प्रदाह (गले की जलन) में आराम आता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...