प्रताप लंकेश्वर रस के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान | Pratap Lankeshwar Ras ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on November 8, 2019 by admin

प्रताप लंकेश्वर रस क्या है ? : Pratap Lankeshwar Ras in Hindi

प्रताप लंकेश्वर रस गोली या पाउडर के रूप में एक आयुर्वेदिक दवा है, इसका उपयोग पुराने बुखार,निमोनिया, मानसिक आघात ,दस्त आदि रोगों के उपचार में किया जाता है।

प्रसव के समय यदि प्रसूता की उचित देखभाल न की जाए, आवश्यक सावधानियों का पालन न किया जाए और साफ़सफाई तथा परहेज़ का खयाल न किया जाए तो प्रसूता स्त्री कुछ रोगों से ग्रस्त हो जाती है जिन्हें ‘प्रसूति रोग’ कहते हैं । प्रसूति रोग आसानी से ठीक नहीं होते और धीरे धीरे पुराने हो कर कठिन साध्य या असाध्य स्थिति में पहुंच जाते हैं इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि प्रसव के समय पूरी सावधानी से प्रसूता की देखभाल की जाए और आवश्यक नियमों का सख्ती से पालन किया जाए । यहां एक प्रसूति रोग ‘प्रसूति ज्वर’ की चिकित्सा में उपयोगी आयुर्वेदिक योग ‘प्रताप लंकेश्वर रस’ के बारे में विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।

प्रताप लंकेश्वर रस के घटक द्रव्य : Pratap Lankeshwar Ras Ingredients in Hindi

✦ शुद्ध पारा – 10 ग्राम
✦ शुद्ध गन्धक – 10 ग्राम
✦ शुद्ध बच्छनाभ – 10 ग्राम
✦ अभ्रक भस्म – 10 ग्राम
✦ काली मिर्च या चित्रकमूल – 30 ग्राम
✦ लोह भस्म – 40 ग्राम
✦ शंख भस्म – 70 ग्राम
✦ अरने कण्डों की कपड़ छन की हुई राख – 160 ग्राम ।

काली मिर्च के बदले चित्रकमूल मिलाने से प्रसूता के गर्भाशय में रहे हुए दूषित रक्त को बाहर निकालने का काम शीघ्र हो जाता है।

प्रताप लंकेश्वर रस बनाने की विधि :

घटक सभी द्रव्यों को मिला कर थोड़ी देर घुटाई करें ताकि सभी द्रव्य मिल कर एक जान हो जाएं।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

मात्रा और सेवन विधि :

आधा ग्राम चूर्ण अदरक के रस व शहद में मिला कर सुबह दोपहर व शाम को लाभ न होने तक सेवन करें।

प्रताप लंकेश्वर रस के उपयोग : Pratap Lankeshwar Ras Uses in Hindi

☛ यह योग प्रसूति रोग की रोगिणी के लिए अमृत के समान है।
☛ इसे सेवन करने से प्रसूति रोग तथा इससे पैदा होने वाली अन्य व्याधियां भी नष्ट हो जाती हैं ।
☛ इस रस के सेवन से ज्वर, खांसी, कफदोष, सिर दर्द, उलटी, दांत भींचना, उन्माद रोग, सन्निपात, ग्रहणी, अतिसार, धनुर्वात आदि रोगों में लाभ होता है ।
☛ इस योग के सेवन से, गर्भाशय में संचित और दूषित हुआ रक्त निकल जाता है और रक्त शुद्ध हो जाता है ।
इन व्याधियों को दूर करने के लिए प्रतापलंकेश्वर रस का सेवन उत्तम है।

रोग उपचार मे प्रताप लंकेश्वर रस के फायदे : Pratap Lankeshwar Ras Benefits in Hindi

प्रसूति ज्वर में प्रताप लंकेश्वर रस के प्रयोग से लाभ –

प्रसूता के लिए प्रसूति रोगों में सबसे ज्यादा कष्टदायक और भयंकर रोग होता है प्रसूति ज्वर प्रसूति ज्वर तपेदिक की तरह ज्वर ग्रस्त स्त्री के शरीर की दशा शोचनीय और दयनीय बना देता है । प्रसूति ज्वर के साथ और उपद्रव पैदा हो जाते हैं और स्त्री के शरीर को और भी खराब कर देते हैं इसलिए प्रसव के समय प्रसूता की देखभाल करने में ज़रा भी लापरवाही और भूल चूक नहीं की जानी चाहिए।

इस रोग के होने में एक कारण तो होता है गन्दगी होना और दूसरा कारण होता है प्रसव कराने वाली दाई, मिडवाइफ़ या घर की महिलाओं का अनुभवहीन और अज्ञानी होना । कुशल अनुभवी और स्त्री रोग विशेषज्ञा लेडी डॉक्टर या घर की अनुभवी महिला की देखभाल में होने वाला प्रसव ठीक होता है । प्रसव हो जाने के बाद गर्भाशय में से दूषित जल, रक्त लसिका आदि अवशिष्ट पदार्थ का बाहर निकल जाना बहुत ज़रूरी होता है। इससे गर्भाशय पूर्णतः शुद्ध हो कर पूर्व स्थिति में आ जाता है । ऐसा न होने पर यदि गर्भाशय में दूषित गर्भजल और दूषित रक्त रह जाए तो सेन्द्रिय विष (Toxin) उत्पन्न हो जाता है जिससे प्रसूति ज्वर हो जाता है। धीरे धीरे यह विष पूरे शरीर में फैल जाता है और प्रसूति ज्वर बढ़ता जाता है।

गर्भाशय में दूषित जल या रक्तादि रह जाने से जब गर्भाशय दूषित हो जाता है तो शरीर भारी होना, भूख न लगना, मन्द-मन्द ज्वर बना रहना, जी मचलाना, कम्पन होना आदि प्रसूति रोग होने के प्रारम्भिक लक्षण प्रकट होते हैं । प्रसूति अवस्था में वात और कफ की प्रधानता रहती है अतः इस रोग के लक्षण भी वात कफ प्रधान होते हैं ।

प्रसूति ज्वर होने से पहले ठण्ड लगती है फिर बुखार चढ़ता है, नाड़ी की गति तेज़ हो जाती है, रोगिणी बैचेन हो जाती है, चेहरे पर सूजन आ जाती है और रोगिणी बेसुध हो जाती है । ज्वर बढ़ जाने पर कभी-कभी अण्ट शण्ट बोलना, वात प्रकोप बढ़ जाए तो दांतों के दोनों जबड़े बंध जाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।

ऐसी स्थिति में प्रताप लंकेश्वर रस अदरक के रस के साथ दे कर दो चम्मच पानी में दो चम्मच दशमूलारिष्ट पिलाने से फौरन आराम होता है । चूंकि इस योग का सीधा प्रभाव गर्भाशय और वातनाड़ियों पर होता है इसलिए प्रताप लंकेश्वर रस का सेवन करने पर तुरन्त लाभ होता है।

निमोनिया में प्रताप लंकेश्वर रस के इस्तेमाल से फायदा –

कफ का संचय और प्रकोप होने से उत्पन्न हुए ज्वर में कभी कभी निमोनिया हो जाता है जो प्रसूता की स्थिति घोर संकट में डालने वाला होता है । ज्वर के कारण शरीर में कमज़ोरी हो ही जाती है ऊपर से निमोनिया होना खतरनाक होता है क्योंकि इस कारण खांसी, पसलियों में दर्द और मन्दाग्नि आदि कष्ट होते हैं । ऐसी स्थिति में प्रताप लंकेश्वर रस देने से संचित कफ कम हो जाता है और बुखार उतरने लगता है ।

वात प्रकोप होने पर सायटिका, जोड़ों में दर्द और धनुर्वात आदि उपद्रव होते हैं । इनको शान्त करने के लिए प्रताप लंकेश्वर रस और दशमूल काढ़ा देने और महानारायण तैल की मालिश करने से आराम होता है।

मानसिक आघात में लाभकारी है प्रताप लंकेश्वर रस का प्रयोग –

यदि प्रसूतावस्था में अधिक मानसिक चिन्ता या अकस्मात कोई शोक समाचार का मन पर आघात लगे तो रोगिणी की वातवाहिनी नाड़ी में क्षोभ बढ़ जाता है जिससे श्वास गति तेज हो जाती है और वातज दमा के लक्षण प्रकट हो जाते हैं । ऐसी स्थिति में भी इस रस का प्रयोग लाभप्रद सिद्ध होता है । दरअसल गर्भाशय के विकार दूर कर गर्भाशय को स्वस्थ करने और अपनी पूर्व स्वस्थ स्थिति में लाने वाली, इस रस के समान दूसरी कोई सबल औषधि नहीं है ।

श्वास रोग मिटाए प्रताप लंकेश्वर रस का उपयोग –

वातज श्वास रोग को दूर करने में प्रताप लंकेश्वर रस बेजोड़ औषधि है।

प्रताप लंकेश्वर रस के इस्तेमाल से सूतिका ज्वर में लाभ –

सूतिका ज्वर होने पर प्रलाप करना, उठ कर भागना, सिर दर्द होना, अण्टशण्ट बोलना
और निद्रा का नाश होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं । कफजन्य गुल्म और कफ प्रधान परिणाम शूल होता है । इन सबका नाश करने के लिए प्रताप लंकेश्वर रस का सेवन करना उत्तम है। इस तरह से यह सिद्ध हो जाता है कि प्रसूति ज्वर और अन्य व्याधियों को नष्ट करने के लिए प्रताप लंकेश्वर रस अति उत्तम औषधि है।

प्रताप लंकेश्वर रस के नुकसान : Pratap Lankeshwar Ras Side Effects in Hindi

1- इस आयुर्वेदिक औषधि को स्वय से लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
2- प्रताप लंकेश्वर रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
3- प्रताप लंकेश्वर रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
4- बच्चों की पहुच से दूर रखें ।

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