प्राथमिक उपचार क्या है, विधि और महत्व – First Aid in Hindi

Last Updated on January 16, 2023 by admin

प्राथमिक उपचार क्या है ? (Prathmik Upchar Kya Hai in Hindi)

प्रथमोपचार यानी वह सहायता या उपचार जो डॉक्टर के आने से पहले जख्मी व्यक्ति को दी जाती है। दुर्घटनाएँ अचानक होती हैं जिसका पूर्व अंदाज नहीं होता, थोड़ी सूझबूझ के साथ, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का समय पर उपचार किया जाए तो ज्यादा क्षति होने से उसे बचाया जा सकता है।

प्राथमिक उपचार का महत्व (Prathmik Upchar ka Mahatva in Hindi)

प्राथमिक उपचार से न केवल व्यक्ति के प्राणों की रक्षा होती है, बलकी इससे व्यक्ति सामान्य से कम समय में स्वस्थ हो जाता है । प्राथमिक उपचार से शारीरिक नुकसान के बहुत बड़े खतरे को टाला जा सकता है । इस चिकित्सा में आप आपातकालीन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाये रखना व इसकी आवश्यक प्रक्रियाओं का ज्ञान हासिल कर सकते है । यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है जिससे आपातकालीन स्थिति में भी आप अधिक प्रभावपूर्ण उपचार कर पाएंगे।
कुछ ऐसी ही दुर्घटनाओं के वक्त हम किस तरह की सहायता कर सकते हैं, इसका विवरण नीचे दिया है।

कैसे करें प्राथमिक उपचार ? (Prathmik Upchar Kaise Kare in Hindi)

1. हृदयाघात पर प्रथमोपचार (Heart Attack Aane Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • जिस इंसान को हृदयाघात हुआ हो, वह इंसान अगर होश में हो तो उसे सहारा देकर आराम से बैठा दें या लिटा दें। ध्यान रहे कि लिटाते वक्त हृदय पर दबाव न पड़ने पाए। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ।
  • अगर रुग्ण के कपड़े तंग हों तो ढीले कर दें, अगर मुमकिन हो तो बदल देना अच्छा है। कपड़े बदलते वक्त सावधानी बरतें।
  • रुग्ण को एक घंटे के अंदर डॉक्टर के सभी उपचार मिल जाने चाहिए।( और पढ़े – हार्ट अटैक क्या है ,इसके कारण व बचने के उपाय )

2. पानी में डूबे हुए इंसान पर प्राथमिक चिकित्सा (Pani me Dubne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • अगर आप किसी डूबे हुए इंसान को पानी से बाहर निकालकर ले जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसका सिर शरीर की अपेक्षा नीचे की तरफ होना आवश्यक है। जिसके कारण पानी शरीर के अंदर जाने की आशंका कम होती है।
  • पानी से बाहर निकालने के पश्चात उसे सूखी जगह पर रखें । तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। अपने हाथों की दो उंगलियाँ उसकी ठुड्डी (Chin) पर रखकर उसका सिर पीछे की तरफ झुका दें। इससे उसकी श्वास नलिका खुल जाएगी। यह देखें कि उसकी साँसें चल रही हैं या नहीं। अगर साँसें नहीं चल रही हों तो उसके मुँह से मुँह लगाकर कृत्रिम साँस दें।
  • पानी से बाहर निकाले हुए इंसान को ठंड लगने की आशंका रहती है, अगर मुमकिन हो तो उसके कपड़े बदल दें। ठंड से बचाने के लिए उसे गरम कपड़ा (कंबल वगैरह) ओढ़ा दें। वह इंसान अगर होश में हो तो उसे गर्म पेय पीने को दें।

( और पढ़े – पानी में डूबे हुये व्यक्ति को नया जीवन दे सकता है यह चमत्कारिक प्रयोग )

3. छोटे बच्चों के हृदय की धड़कन रुकने पर प्रथमोपचार (Hriday ki Dhadkan Rukne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • छोटे बच्चों के हृदय की धड़कन रुकने का कारण है – फेफड़ों द्वारा खून का ठीक से ऑक्सीकरण न होना। बच्चों को होश में लाने का उपाय उनकी उम्र को देखते हुए करना चाहिए।
  • बच्चे की सांस चल रही है या नहीं इसे जाँचने के लिए अपना गाल उसके नाक के पास ले जाकर साँस को महसूस करें।
  • बच्चे को कृत्रिम सांस देने के लिए उसके होठों पर अपने होठ इस तरह रखें ताकि उसकी नाक भी बंद हो जाए। फिर दीर्घ एवं गहरी सांस लेकर बच्चे को साँस दें। उसकी छाती में हवा भर जाएगी। दाएँ हाथ की पहली दो उंगलियों से निपल लाइन से दो उंगली दूर नीचे के प्वाइंट पर दृढ़ता से दबाव दें। ऐसा पाँच बार करें और बच्चे का चेहरा देखें। डॉक्टर की सहायता उपलब्ध होने तक ऐसा करते रहें।
  • बच्चे की नाड़ी देखें। बगल के पास बाजू पर दो उंगलियां रखकर नाड़ी जाँचें।( और पढ़े – दिल की कमजोरी के घरेलू उपाय )

4. मानसिक आघात के कारण होने वाले जख्म पर प्रथमोपचार (Mansik Aaghat Lagne Par Prathmik Upchar in Hindi))

  • रुग्ण को सीधा लिटा दें। सिर की अपेक्षा पैर एक फुट ऊंचाई पर रखें, जिससे हृदय की तरफ रक्त प्रवाह होने में आसानी होती है। मानसिक आघात के कारण का पता लगाकर उस पर उपचार करें।
  • रुग्ण के कपड़े जैसे नेक टाय, ब्लाउज, बेल्ट इत्यादि ढीला कर दें।
  • रुग्ण को शाल या ब्लैंकेट में लपेट दें। एम्बुलेंस बुलाएँ।
  • रुग्ण की नाड़ी एवं साँस पर ध्यान रखें। ज़रूरत पड़ने पर कृत्रिम सांस देने की तैयारी रखें।( और पढ़े – अति मानसिक तनाव बन सकता है इन रोगों का कारण )

5. जले हुए इंसान की प्राथमिक चिकित्सा (Jalne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • ज़्यादा जले हुए इंसान को जमीन पर लिटा दें, ध्यान रखें, रुग्ण के जख्मों को जमीन की तकलीफ न हो । जले हुए भाग पर ठंडे पानी की धार डाल सकते हैं। जिसके कारण उसे जलन कम होगी और हानि भी नहीं होगी। साँस अगर अटक रही हो तो कृत्रिम साँस दें। दुर्घटनाग्रस्त इंसान अगर बेहोश हो रहा हो तो उसे रिकवरी पोजिशन में रखें।
  • जले हुए भाग पर सूजन चढ़ने से पहले ही रुग्ण के तंग कपड़े, घड़ी, ब्रेसलेट, अंगूठी इत्यादि उतार दें। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। त्वचा पर चिपके हुए कपड़ों को भूल से भी न खींचे। त्वचा पर चिपका कपड़ा खींचने से जख्म बढ़ने का खतरा होता है।
  • जख्म पर इंफेक्शन होने का डर रहता है। अगर आपके पास स्टेरलाइज्ड बैन्डेज उपलब्ध हो तो उससे जख्म को ढक दें। अगर स्टेरलाइज्ड बैन्डेज न हो तो सूती कपड़े से जख्म को ढक दें।( और पढ़े – आग से जलने पर 79 प्राथमिक घरेलू उपचार )

6. फैक्चर होने पर प्राथमिक उपचार (Haddi Tutne Par Prathmik Upchar in Hindi)

a) हाथ की हड्डी टूटने पर प्रथमोपचार

अगर हाथों की हड्डी टूट जाए तो दूसरे हाथ से टूटे हुए हाथ को सहारा दें। बाद में एक स्कार्फ या चौकोर कपड़ा लेकर उसकी तिरछी घड़ी (त्रिकोण) करें व उसका स्लिंग तैयार करें। यह त्रिकोण कपड़ा रुग्ण के टूटे हुए हाथ के नीचे से लेकर ऊपर से निकाले। दोनों किनारे (एंड) गर्दन के पीछे बांध दें, इससे हाथ को सहारा मिलेगा, दर्द कम होगा। अगर कंधे या गर्दन की हड्डी प्रभावित होगी तो एक कपड़े की तिरछी पट्टी बाँधकर हाथ को जिस तरफ से लगाना हो उस हिस्से से सहारा दें।

b) पैर की हड्डी टूटने पर प्रथमोपचार

तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। एम्बुलेंस आने तक पैर को नीचे व ऊपर से सहारा दें।
एम्बुलेंस आने तक पैर को थोड़ा सा ट्रैक्शन दें। ट्रैक्शन से दर्द थोड़ा कम होता है, उसी तरह अगर खून बह रहा होगा तो वह कम होगा। पैर को धीरे से खींचकर सीधा खींचें, दूसरा पैर भी सीधा रखें।
दोनों पैरों को जोड़कर कपड़े की पट्टियाँ पैर के नीचे से निकालकर घुटने के नीचे से लेकर ऊपर तक लाएँ, दोनों पैर के बीच में पॅडिंग करते पट्टी को अंग्रेजी के आठ के आकार में बाँधे । बची हुई पट्टी भी घुटने तक बाँध दें। ( और पढ़े – टूटी हड्डी जल्दी जोड़ने के 12 देसी नुस्खे )

7. मिर्गी आकर बेहोश होने पर प्रथमोपचार (Behosh Hone Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • फिट से ग्रसित इंसान अगर होश में हो तो कंधे और सिर को सहारा देकर उसे सीधा लिटा दें।
  • सिर के नीचे तकिया या कंबल रखें ताकि सिर स्थिर रह सके।
  • रुग्ण को अगर ठंड लग रही हो तो उसे कंबल ओढ़ा दें।
  • रुग्ण के कपड़े ढीले कर दें, साँस एवं नाड़ी जाँचते रहें।( और पढ़े – मिर्गी के अचूक घरेलू इलाज )

8. बिजली का झटका लगने पर प्राथमिक उपचार (Bijli ka Jhatka Lagne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • बिजली का झटका (शॉक) लगने पर सर्वप्रथम मेन स्विच बंद कर दें। मेन स्विच बंद करने न आए तो
  • किसी लकड़ी या सूखे कपड़े की सहायता से वह उपकरण बाजू में कर दें जिसकी वजह से शॉक लगा है। शॉक लगे इंसान को हाथ लगाने की गलती न करें।
  • शॉक लगा हुआ इंसान अगर बेहोश हो गया हो तो उसे रिकवरी पोजीशन में सुलाएँ। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। उस इंसान को होश में लाने का प्रयत्न करें।
  • बिजली के झटके से अगर जख्म हो गया हो तो उस इंसान को धीरज देते हुए खून रोकने की कोशिश करें। जख्म की जगह पर अगर कपड़ा हो तो उसे हटाकर स्टेरलाइज्ड पट्टी बाँध दें।
  • जख्म में अगर काँच या कोई भी वस्तु गई हो तो उसे निकालने का प्रयत्न न करें, उसे तुरंत अस्पताल में डॉक्टर के पास ले जाएँ। ( और पढ़े – बिजली का झटका लगने पर क्या करें ? )

9. उष्माघात पर प्रथमोपचार :

  • उष्माघात का अर्थ है कि इंसान के शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ना इसलिए उस इंसान के सिर पर गीली चादर डालें, उसे सतत् हवा दें। उस इंसान के सिर पर नमक की ठंढे पानी की पट्टी रखें। शरीर का तापमान सामान्य होने तक उसे गीली चादर में ही रखें।
  • उष्माघात से पीड़ित इंसान को बहुत सारा पानी पिलाएं । एक लीटर पानी में चम्मचभर नमक डालकर पिलाने से जल्दी लाभ होगा।
  • उष्माघात से पीड़ित इंसान को छाँव में, ठंडी हवा में सीधे सुलाएँ। फर्स्ट एड के दरमियान अगर इंसान ठीक भी होता है, तब भी डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।
  • शरीर का तापमान सामान्य होने तक पानी की पट्टी रखते रहें। डॉक्टर की सहायता मिलने तक रुग्ण पर सतत् ध्यान दें। तापमान बढ़ने लगे तो ऊपर बताए प्रयोग फिर से दोहराएँ। कृत्रिम साँस की जरूरत पड़े तो वह प्रथमोपचार भी करें।( और पढ़े – शरीर की गर्मी दूर करने के 16 देसी उपाय )

10. पैर में कांच, कांटा आदि चुभ जाने पर प्राथमिक उपचार : 

 अगर पैर में, कांच, कांटा, लोहे का टुकड़ा आदि घुस जाए तो सबसे पहले घायल पैर को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ कर लें। इसके बाद पैर में घुसी हुई वस्तु को सुई से निकालने की कोशिश करें। लेकिन इसके लिए पहले सुई को निर्जर्मित करना जरूरी है। निर्जमित सुई से पैर में घुसी हुई वस्तु निकालने के बाद पैर की ड्रैसिंग कर दें। अगर आप पैर में घुसी हुई वस्तु को निकालने में असफल हो जाते हैं तो घायल पैर पर ड्रैसिंग करके पट्टी बांध दें और पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जाएं।

11. आंख में किसी वस्तु के गिर जाने पर प्राथमिक उपचार : 

अक्सर आंख में मिट्टी, कोयले आदि के छोटे-छोटे कण, मच्छर आदि कीटाणु, तिनका, धूल आदि वस्तुएं गिर जाया करती हैं। जिसके कारण आंख लाल हो जाती हैं, उनमें किरकिराहट पैदा हो जाती है तथा पानी बहने लगता है। अगर ऐसी स्थिति में लापरवाही बरती जाती है तो आंख सूज जाने या खराब हो जाने का डर रहता है। ऐसी स्थिति में निम्नलिखित उपचार करने से लाभ प्राप्त होता है-

  • अगर आंख की ऊपरी पलक के नीचे कोई वस्तु घुस जाये तो ऊपरी पलक को खींचकर नीची वाले पलक के ऊपर ले आएं। ऐसा करने पर नीची वाली पलक के बालों में उलझकर वह वस्तु बाहर निकल आयेगी। यदि इसमें सफलता न मिले तो ऊपरी पलक को उलट कर उस वस्तु को साफ तथा गीले कपड़े के कोने से पोंछकर बाहर निकाल देना चाहिए।
  • अगर आंख की निचली पलक में कोई वस्तु घुस जाये तो नीची पलक को पलटकर किसी साफ तथा गीले कपड़े के कोने से उस वस्तु को निकाल देना चाहिए।

नोट- ऊपरी पलक को उलटने की आसान विधि यह है कि रोगी के मुंह को ऊपर उठाकर अपनी छाती से टिका लें। फिर एक माचिस की तीली को लम्बाई में ऊपरी पलक की जड़ में लगाये तथा पलक को आगे पकड़कर तीली पर उलट दें। इस स्थिति में रोगी से नीचे की ओर देखने के लिए कहना चाहिए। जब पलक उलट जाये, तब उस पर चिपकी हुई बाहरी वस्तु को साफ कपड़े, ब्लाटिंग पेपर की नोक या रूई की फुरहरी से बाहर निकाल देना चाहिए।

  • आंख धोने के प्याले (Eyes Glass) में साफ पानी भरकर उससे आंख धोने पर भी आंख में पड़ी वस्तु आसानी से बाहर निकल जाती है।
  • यदि ऊपर दी गई विधियों के द्वारा भी अगर आंख में गई हुई वस्तु बाहर न निकले तो आंख में एक बूंद अण्डी का या जैतून का तेल डाल दें। इसके आंख में गई हुई वस्तु आंसुओं के साथ बाहर निकल जाएगी।
  • रूई की मोटी बत्ती, पानी में भिगोकर निचोड़ा गया साफ कपड़ा, ब्लाटिंग पेपर की नोंक की तथा आई-ग्लास के पानी से धोने पर आंख में पड़े हुए कोयले, मिट्टी के कण तथा दूसरे पदार्थों को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।
  • नाक को इतनी जोर से साफ करें कि आंखों में आंसू आ जाए। इन आंसुओं के साथ ही आंख में गिरी हुई वस्तु भी निकल जायेगी।    
  • जिस आंख में कुछ गिर गया हो, उस आंख को मलने से पलकों की त्वचा तथा डेले के छिल जाने की सम्भावना रहती है, जिसके कारण आंख में गिरी हुई वस्तु निकलने की अपेक्षा और अधिक अंदर घुस जाती है तथा दर्द भी बढ़ जाता है। इसके लिए पीड़ित आंख को छोड़कर स्वस्थ आंख को मलना चाहिए। इससे पीड़ित आंख में पड़ी हुई वस्तु निकल सकती है।
  • सादे पानी के स्थान पर बोरिक-एसिड के घोल से आंख को धोने पर आंख में पड़ी हुई वस्तु आसानी से बाहर निकल जाती है।
  • यदि आंख में कोई ज्वलनशील पदार्थ जैसे तेजाब, क्षार आदि चला गया हो तो पीड़ित आंख को बार-बार मलना नहीं चाहिए। ऐसा करने से तेजाब या क्षार की तीव्रता कम हो जाती है। इसके बाद आंख में साफ वैसलीन लगाकर या एक बूंद अण्डी का तेल डालकर, ऊपर से रूई रखकर पट्टी बांध देनी चाहिए।

12. कान में कीड़ा आदि चले जाने पर प्राथमिक उपचार : 

  • कान में अगर कोई कीड़ा आदि घुस जाए तो उसको निकालने के लिए सबसे पहले कमरे में बिल्कुल अंधेरा कर दें और कान में फ्लैश लाइट या टॉर्च की तेज रोशनी डालें। मध्यम रोशनी कीड़े को कान से बाहर आने के लिए प्रेरित करती है। अगर ऐसा करने पर कीड़ा बाहर न निकले तो पीड़ित को इस प्रकार करवट देकर लिटा दें कि वह कान, जिसमें कीड़ा घुसा है, ऊपर की ओर रहे। अब कान में थोड़ी-सी ग्लिसरीन या नारियल अथवा सरसों का तेल डालें। इससे कुछ मिनट में ही कीड़ा तेल में तैरता ऊपर आ जाएगा। इसके बाद किसी चिमटी आदि की सहायता से कीड़े को बाहर निकाल दें। पीड़ित को दूसरी ओर करवट दिलाकर लिटाने पर तेल के साथ बहकर भी कीड़ा बाहर निकल सकता है। 
  • कान में घुसे कीड़े आदि को निकालने के लिए हेयर पिन, माचिस की तीली या सींक इत्यादि कान में न घुसाएं। इससे कीड़े के कान में और ज्यादा अंदर चले जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही हेयर पिन आदि, कान के परदे पर लगकर भी कान में हानि पहुंचा सकती हैं।
  • कान में तेल डालने पर अगर कीड़ा बाहर न निकले तो और कान में और छेड़छाड़ न करके पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • अगर कान में कोई सख्त वस्तु घुस गई हो तो पीड़ित को ऐसी करवट लिटाएं कि वह कान, जिसमें वस्तु घुसी है, नीचे की ओर रहे। अब बाहरी कान को विभिन्न दिशाओं में खींचें। इससे कान में घुसी वस्तु निकल जाएगी। अगर ऐसा करने पर भी वस्तु न निकले तो पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

13. नाक में किसी वस्तु के फंस जाने पर प्राथमिक उपचार : 

 अक्सर छोटे बच्चे खेलते हुए अपनी नाक में मटर, चना आदि छोटी-छोटी वस्तुएं फंसा लेते हैं। जोर से साँस लेने पर यह वस्तुएं और ऊपर की ओर चढ़ जाती हैं। कभी-कभी सांस छोड़ते यह समय बाहर भी निकल भी जाती हैं और कभी-कभी उसी स्थान पर अटकी भी रहती हैं। अगर ऐसी वस्तुओं को तुरंत ही नाक से नहीं निकाला जाता तो पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

नीचे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं जिन्हे अपनाकर नाक में घुसी हुई वस्तु को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है-

  • बिल्कुल बारीक तार को नाक में इस प्रकार डालें कि वह तार नाक में फंसी हुई वस्तु के पीछे पहुंच जाए। अब उसे धीरे से झटका देकर नाक में फंसी हुई वस्तु को बाहर निकालने की कोशिश करें।
  • पीड़ित बच्चे को छींकने के लिए कहें। छींक लाने के लिए उसे नसवार, तम्बाकू, मिर्च या अमोनिया आदि भी सुंघाया जा सकता है। 
  • जब नाक में अटकी हुई वस्तु बाहर निकल जाये तो पीड़ित बच्चे की नाक के छिद्रों में थोड़ी-सी साफ वैसलीन चुपड़ दें।

नोट- नाक में पानी डालना या खुद ही चिमटी द्वारा फंसी हुई वस्तु को निकालने की कोशिश करना बेकार है, क्योंकि इससे अटकी हुई वस्तु के और ज्यादा ऊपर चढ़ जाने की सम्भावना रहती है।

14. पेट के अंदर बाहरी वस्तु के चले जाने पर प्राथमिक उपचार : 

कभी-कभी छोटे बच्चे खेल-खेल में या बड़े लोग अंजाने में खाने के साथ बटन, छोटे सिक्के, नट, पिन जैसी चीजें भी निगल जाते हैं। निगल जाने पर अगर ये चीजें भोजन की नली में नहीं अटकतीं तो सीधे पेट में पहुंच जाती हैं। छोटे बच्चे, जिन्हें सब कुछ मुंह में ले जाने की आदत होती है, कई बार ऐसी घटना के शिकार हो जाते हैं।

  • अगर ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है तो आपको घबराएं की बिल्कुल जरूरत नहीं है। हमारे शरीर की प्रणाली ऐसी है कि पेट और अंतड़ियाँ खुद ही ऐसी वस्तुओं को मल के साथ बाहर निकालने की कोशिश करती हैं। लेकिन खुली हुई सेफ्टी पिन या बॉबी पिन अंतड़ियों में फंस सकती है, जिसके कारण अंतड़ियों में छेद भी हो सकता है। यह एक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है।
  • अगर इस प्रकार पेट में घुसी हुई बाहरी वस्तु बाहर न निकले तो पीड़ित को केला इत्यादि न खिलाएं और न ही जुलाब दें। ऐसी स्थिति में पीड़ित को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

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