शीतपित्त (अर्टिकरिया) में क्या खाएं क्या न खाएं

Last Updated on July 27, 2021 by admin

शीतपित्त या पित्ती एक बहुत ही आम बीमारी है, जिससे हर एक व्यक्ति को कभी-न-कभी पाला पड़ता ही है। इसमें त्वचा से एक रसायन हिस्टामिन निकलने लगता है, जिसके कारण त्वचा पर एकाएक उभरने वाले लगभग गोलाकार गुलाबी, लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं। इनमें तेज खुजली, जलन और पीड़ा होती है। कभी-कभी त्वचा पर सूजन तक आ जाती है। यह रोग आमतौर पर वयस्कों को होता है और 2-4 दिन में ठीक भी हो जाता है।

शीतपित्त (अर्टिकरिया) के प्रमुख कारण :

शीतपित्त या पित्ती उत्पन्न होने के प्रमुख कारणों में –

  • पेट में कीड़े होना,
  • मच्छर, मधुमक्खी, खटमल, पिस्सू जैसे कीड़ों का काट लेना,
  • किसी औषधि की प्रतिक्रिया स्वरूप,
  • भावनात्मक कारणों,
  • शरीर में पित्त की अधिकता,
  • उत्तेजक और अधिक गर्म प्रकृति के आहार का निरंतर सेवन,
  • रक्त की उष्णता,
  • सड़ी, बासी चीज खा लेना,
  • पाचन क्रिया की गड़बड़ी,
  • कब्ज,
  • अजीर्ण होने से,
  • शरीर के गर्म होने पर बर्फ का ठंडा पानी पी लेना,
  • खट्टी चीजें अधिक खाना,
  • किसी आहार से एलर्जी,
  • बेमेल भोजन,
  • ठंड लगना आदि हाते हैं।

शीतपित्त (अर्टिकरिया) के प्रमुख लक्षण :

इस रोग के लक्षणों में –

  • त्वचा पर लाल-लाल चकत्ते उभर आना,
  • इनमें तीव्र खुजली, जलन और पीड़ा होना,
  • चकत्ते का आकार-प्रकार विभिन्नता लिए सूजन युक्त होना,
  • ज्वर, वमन व अतिसार होना,
  • खुजलाने से चकत्तों का आकार बढ़ना,
  • इनका आपस में परस्पर मिलना,
  • इनका उभार स्पष्ट नजर आना,
  • कभी-कभी इनमें पानी भी भरा होना आदि देखने को मिलते हैं।

शीतपित्त (अर्टिकरिया) में क्या खाएं :

✓ हलका, सुपाच्य, सात्त्विक आहार करें।
✓ मूंग की दाल और चोकर युक्त आटे से बनी रोटी सेवन करें।
✓ हरी सब्जियां और मीठे फल खाएं।
✓ दूध, दही, घी, शहद, चना, प्याज का नियमित सेवन करें।
✓ काली मिर्च और घी मिलाकर खाएं।
✓ पानी में कागजी नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पिएं।

शीतपित्त में क्या न खाएं :

✗ मांस, मछली, अंडे जैसे आहार न खाएं।
✗ तेज मिर्च-मसालेदार, तली-भुनी, चटपटी, खटाई युक्त चीजें सेवन न करें।
✗ शराब, तंबाकू, गुटखे न खाएं।
✗ सड़ी, गली, बासी चीजें सेवन न करें।
✗ विरुद्ध आहार (बेमेल भोजन) न खाएं।

( और पढ़े –शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज )

रोग निवारण में सहायक उपाय :

क्या करें –

✓ ठंडे पानी से स्नान करें।
✓ जिन्हें ठंडे पानी से कष्ट बढ़ता हो, वे गर्म गुनगुने पानी में नीम का काढ़ा और नीबू का रस मिलाकर स्नान करें।
✓ रोग उत्पन्न होने के मूल कारण को दूर करें, आराम हो जाएगा।
✓ कब्ज हो तो, उसको दूर करें।
✓ एनिमा लगाएं।
✓ शहद के साथ आधा चम्मच हलदी सेवन करें।
✓ नीम के तेल में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर चकत्तों पर लगाएं।

क्या न करें –

✗ धूम्रपान न करें।
✗ ठंडे से गर्म और गर्म से ठंडे वातावरण में एकाएक न जाएं।
✗ चकत्तों को नाखूनों से न खुजलाएं।
✗ खुली जगह में, ओस और सर्द हवा में न सोएं।

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