आन्त्रिक ज्वर (टायफाइड) में क्या खाएं क्या न खाएं – Typhoid me kya Khaye kya Na Khaye

यह ज्वर धीरे-धीरे प्रकट होकर 4-5 हफ्ते तक चलने वाला विशिष्ट रोग है, जो मुख्यतया सालमोनेला टाइफी जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है ।

आन्त्रिक ज्वर (टायफाइड) के कारण : 

टायफाइड संक्रमित भोजन, दूध, पानी, बर्फ, आइसक्रीम आदि के सेवन से फैलता है और रोगी के मल, मूत्र तथा कफ से इसके जीवाणु वातावरण में फैलकर दूसरों को बीमार करते हैं । इस रोग में विशेष विकृति आंतों में होने के कारण ही इसका नाम आन्त्रिक ज्वर पड़ा । इस रोग के जीवाणु स्वस्थ शरीर मुख से प्रवेश करते हैं और आंतों में पहुंच कर अपना विषैला प्रभाव विभिन्न अंगों में फैलाना शुरू कर देते हैं ।

आन्त्रिक ज्वर (टायफाइड) के लक्षण : 

मामूली बुखार आता है, जो धीरे-धीरे बढ़ कर 103-104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है । छाती, गरदन तथा पीठ पर लाल-लाल दाने उभर आते हैं, फिर इनमें पानी भर जाता है । 

दाने धीरे-धीरे ठीक होकर सूख जाते हैं और बुखार कम हो जाता है। इस बीच हृदय व नाड़ी की गति धीमी होना, बेचैनी, कमजोरी, पेट फूलना, सिर दर्द, कब्जियत, पेट दर्द, मुंह सूखना, होठों पर पपड़ी ‘जमना, जीभ सूखी, पपड़ीदार व लाल होना, दस्त लगना जैसे लक्षण भी उत्पन्न को सकते हैं।

आन्त्रिक ज्वर (टायफाइड) में क्या खाएं : 

  • ✓ ज्वर की प्रारंभिक अवस्था में बार्ली, पानी, साबूदाना, अरारोट, पानी मिला दूध, छेने का पानी (फटे दूध का पानी), डबल रोटी, बिस्कुट अल्प मात्रा में सेवन करें।
  • ✓ एक लीटर पानी में 3-4 लौंग डालकर उबाल लें। फिर छानकर ठंडा कर लें । इस पानी को एक कप की मात्रा में एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार पिएं। 
  • ✓ यदि दस्त की तकलीफ न हो, तो एक कप दूध में अथवा इतने ही पानी में एक चम्मच ग्लूकोज मिलाकर बार-बार सेवन करें ।
  • ✓ अल्प मात्रा में चाय, कॉफी पिएं।
  • ✓ फलों में अनार, सेब, मौसमी, नारंगी का रस सेवन करें।
  • ✓ बुखार उतर जाने के बाद आई कमजोरी दूर करने के लिए किशमिश, मुनक्का, मूंग की पतली दाल, पतला दलिया, मक्खन, दूध, दही आदि लें ।

आन्त्रिक ज्वर (टायफाइड) में क्या न खाएं : 

  • ✗ गरिष्ठ, भारी, पेट में गैस पैदा करने वाला भोजन सेवन न करें । 
  • ✗ ब्रांडी, शराब जैसे उत्तेजक पदार्थों से परहेज करें।
  • ✗ खुले हुए दूषित खाद्य पदार्थ या पानी न पिएं।
  • ✗ दस्त और गैस की तकलीफ मौजूद हो, तो दूध न पिएं । 
  • ✗ पूरी तरह रोगमुक्त होने तक चपाती का सेवन करने से बचें।

क्या करें : 

रोग निवारण में सहायक उपाय –

  • ✓ पूर्ण विश्राम के लिए बिस्तर पर आराम करें।
  • ✓ रोगी को अकेलेपन का एहसास न हो, इसलिए कोई-न-कोई उसके पास हमेशा बना रहे ।
  • ✓ रोगी के कमरे में पूर्ण साफ-सफाई रखें और ताजी हवा आती रहे, ऐसी व्यवस्था करें ।
  • ✓ खाने-पीने का सामान साफ जगह में ढक कर रखें।

क्या न करें : 

  • ✗ रोगी के कमरे में भीड़-भाड़ न लगाएं।
  • ✗ रोगी को घूमने-फिरने न दें ।
  • ✗ कमरे के दरवाजे, खिड़कियां, रोशनदान बंद करके न रखें।

Leave a Comment