प्रवाल पंचामृत रस के फायदे और उपयोग – Praval Panchamrit Ras in Hindi

Last Updated on May 11, 2021 by admin

प्रवाल पंचामृत रस क्या है ? (What is Praval Panchamrit Ras in Hindi)

गलत खानपान और तामसी पदार्थों के सेवन का परिणाम होता है – हायपरएसिडिटी, गेस ट्रबल, डायरिया, डीसेंट्री, फुड पायज़निंग तथा इन व्याधियों से सम्बन्धित अन्य विकार उत्पन्न होना।
जैसे तालाब में एक पत्थर फेंकने से कई लहरें पैदा होती है उसी प्रकार पेट खराब होने से कई व्याधियां पैदा होती हैं। इन व्याधियों का सफाया करने वाली एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि का नाम है “प्रवाल पंचामृत रस” ।

“प्रवाल पंचामृत रस” का विवरण, आयुर्वेद के प्रकाण्ड पण्डित एवं श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के संस्थापक स्व. पं. रामनारायणजी शर्मा द्वारा लिखित ग्रन्थ ‘आयुर्वेद सार संग्रह’ और श्री कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ’ रस तन्त्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह’ में पढ़ने को मिलता है। इन ग्रन्थों में प्रवाल पंचामृत रस के गुण – लाभ का अनुभव सिद्ध विवरण प्रस्तुत किया गया है ।

घटक और उनकी मात्रा :

  • प्रवाल पिष्टि या भस्म – 20 ग्राम।
  • मोती पिष्टी या भस्म – 10 ग्राम।
  • शंख भस्म – 10 ग्राम।
  • मुक्ता शुक्ति भस्म या पिष्टी – 10 ग्राम।
  • कौड़ी भस्म – 10 ग्राम।

प्रवाल पंचामृत रस बनाने की विधि :

यूं तो यह योग बना – बनाया बाज़ार में मिल जाता तथापि नुस्खे और निर्माण विधि को जानने की इच्छा एवं रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यहां इस योग के घटक द्रव्य और निर्माण करने के ढंग के विषय में आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।

विधि –

सब घटकों को अच्छी तरह मिला लें और यथोचित मात्रा में गो दुग्ध डाल कर घोंट पीस कर एक गोला बना लें फिर संपुट कर गजपुट अग्नि में फूंक कर भस्म कर लें। बाद में निकाल कर ठण्डा कर लें और गोले में से भस्म निकाल कर शीशी में भर लें। एक बार पुट देने पर यदि स्वच्छ सफेद रंग न आये तो एक दो पुट और देने से सफ़ेद रंग आ जाता है।

नोट – मूल नुस्खे में आक के दूध का प्रयोग बताया गया है पर आक के दूध वाला नुस्खा उग्र प्रभाव वाला हो जाता है अतः कुछ विद्वान वैद्य आक के दूध के स्थान पर गाय के दूध का प्रयोग करने के पक्षधर हैं। हम भी गो दुग्ध का प्रयोग उचित समझते हैं , अतः हमने नुस्खे में गो दुग्ध का ही उल्लेख किया है।

प्रवाल पंचामृत रस की खुराक (Dosage of Praval Panchamrit Ras)

एक या दो रत्ती (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम) मात्रा में, सुबह शाम, शहद, सितोपलादि चूर्ण और शहद, गुलकन्द, आंवले का मुरब्बा, अनार का रस, नींबू का रस, अदरक का रस व शहद- इनमें से किसी भी एक अनुपान के साथ, रोग के अनुसार चुनाव करके,सेवन करना चाहिए।

प्रवाल पंचामृत रस के उपयोग (Uses of Praval Panchamrit Ras in Hindi)

  • प्रवाल पंचामृत रस के निर्माण में पारद (पारा) का उपयोग नहीं होता फिर भी इस औषधि में ‘रस’ के समान गुण होते हैं इसीलिए शास्त्रकारों ने इसका नाम ‘प्रवाल पंचामृत रस’ रखा है ।
  • प्रवाल पंचामृत रस का प्रभाव सबसे ज्यादा पित्ताशय (Gall Bladder) प्लीहा (Spleen- तिल्ली) और यकृत (Liver) के कार्यों पर विशेष रूप से पड़ता है।
  • यह रस शीतवीर्य और क्षारीय है अतः पित्त तथा कफ जन्य रोगों के लिए अधिक उपयोगी है।
  • इस रसायन के सेवन से आनाह (मलावरोध के कारण फूलना), गुल्म (Stomach tumour), प्लीहा, उदर रोग दूर होते है ।
  • प्रवाल पंचामृत रस खांसी, अग्निमांद्य, कफ और वातजन्य रोग, ज्यादा डकारें आना, अजीर्ण हृदयरोग, ग्रहणीविकार, अतिसार आदि विकार को दूर करता है ।
  • प्रवाल पंचामृत रस के सेवन से मूत्र विकार, प्रमेह, पथरी, पेशाब में रुकावट और जलन आदि रोग नष्ट होते हैं।
  • प्रवाल पंचामृत रस के सेवन से पित्त कुपित होने पर उत्पन्न होने वाले रोग जैसे गले तथा उदर में जलन होना, आंव दस्त होना, जलन के साथ पतले दस्त होना आदि विकार दूर होते हैं।
  • प्रवाल पंचामृत रस के सेवन से दिल व दिमाग को बल मिलता है तथा फेफड़ों में रुके दोष निकल जाते हैं।
  • इस रसायन में प्रवाल पित्तशामक और मूत्रल है। मोती जलन व पित्त प्रकोप दूर करने वाला तथा मूत्रल (Diuretic) है तथा शंख, मौक्तिक व कौड़ी की भस्में पाचक, अग्निवर्द्धक और शमन करने वाली हैं।

रोगोपचार में प्रवाल पंचामृत रस के फायदे (Benefits of Praval Panchamrit Ras in Hindi)

इस योग के कुछ खास प्रयोग –

1). पित्त प्रकोप – पित्त कुपित होने पर पाचन क्रिया ठीक से नहीं होती, पेट में अम्लता बढ़ती है, खट्टी डकारें आती हैं, पेट फूला हुआ और भारी हो जाता है और हलका – हलका दर्द होता है, आलस्य, उच्चाटन और थकान का अनुभव होता है तब आधा चम्मच नीबू के रस के साथ इसे सेवन करने से लाभ होता है। ( और पढ़े – पित्त दोष दूर करने के 48 घरेलू उपचार )

2). यकृत विकार – पित्त प्रकोप के कारण यकृत (लिवर) में विकार पैदा हो जाए और त्वचा, आंखों, नाखून व पेशाब का रंग पीला हो जाए, घबराहट, बेचैनी हाथ पैरों में जलन तथा शरीर में कमज़ोरी मालूम दे तो ताज़े दही के पानी के साथ प्रवाल पंचामृत रस सुबह – शाम सेवन करने से, ये सभी व्याधियां दूर हो जाती हैं। ( और पढ़े – लिवर खराब होने के कारण,लक्षण और इलाज )

3). पित्त जन्य अतिसार – पित्त प्रकोप के कारण गरम और पतले दस्त बार – बार होते हैं इसे – “अतिशयेन सारयति रेचयति इति अतिसारः” के अनुसार अतिसार कहते हैं। इस व्याधि को भी दूर करने में प्रवाल पंचामृत रस को ताज़े दही के पानी के साथ सेवन करना बहुत गुणकारी सिद्ध होता है।

4). पेशाब की जलन – पेशाब की रुकावट दूर करने के लिए छोटे या बड़े गोखरू को मोटा – मोटा कूट कर दो कप पानी में डाल कर काढ़ा करें। 3-4 गोखरू लेना काफ़ी है। जब आधा कप पानी बचे तब उतार कर छान लें व ठण्डा करके, इस पानी के साथ प्रवाल पंचामृत रस सुबह शाम सेवन करें। आधा कप काढ़े की 2 खुराक करके सुबह शाम लें। इस प्रयोग से पेशाब की जलन भी दूर होती है और पेशाब खुल कर आता है। ( और पढ़े – पेशाब में जलन के 25 घरेलू उपचार )

5). अधीक पसीना आना – जिनको ज्यादा पसीना आता है उन्हें 2 ग्राम वंश लोचन और थोड़े से शहद में 2 रत्ती (एक ग्राम का चौथाई भाग) प्रवाल पंचामृत रस मिला कर दिन में तीन बार चाटना चाहिए। ( और पढ़े – अधिक पसीना आने का उपचार )

6). खांसी व श्वास रोग – खांसी, श्वास रोग में बेचैनी, घबराहट होना, शीतल पदार्थ और ठण्डी व खुली हवा का अच्छा लगना, दूध या अनारदाना जैसे पित्तशामक पदार्थ अच्छा लगना, गर्मी या अग्नि की आंच लगने से या सेक करने से पीड़ा बढ़ना आदि लक्षणों पर प्रवाल पंचामृत रस का सेवन उत्तम है। कफ जन्य खांसी और श्वास का कष्ट हो तो अदरक का रस पाव चम्मच, पाव चम्मच शहद और एक खुराक याने 2 रत्ती (एक ग्राम का चौथाई भाग) प्रवाल पंचामृत रस का सुबह शाम सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – खांसी दूर करने के 191 देसी नुस्खे )

7). अम्ल पित्त – हायपर एसिडिटी के कारण गले में जलन व खट्टा चरपरा पानी आना, खट्टी डकारें आना, छाती में जलन और मुंह से गरम बफारे निकलना आदि लक्षणों को दूर करने के लिए अनार के 2 चम्मच रस के साथ प्रवाल पंचामृत रस का सेवन करना चाहिए।
इस योग का सेवन करते हुए तले पदार्थ, लाल मिर्च, तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थ, खटाई और उष्ण प्रकृति के पदार्थों का सेवन क़तई नहीं करना चाहिए और लाभ न होने तक इसका सेवन करते रहना चाहिए। ( और पढ़े – एसिडिटी के सफल 59 घरेलू उपचार )

प्रवाल पंचामृत रस के दुष्प्रभाव (Praval Panchamrit Ras Side Effects in Hindi)

  • प्रवाल पंचामृत रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  • प्रवाल पंचामृत रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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