Last Updated on June 24, 2021 by admin
त्वचा पर लाल रंग के गोलाकार घेरों के रूप में उभरनेवाली दाद वर्षा ऋतु के दिनों की आम समस्या है। यह कुछ खास किस्म के फफूंद से होनेवाला संक्रामक रोग है, जो बच्चों-बड़ों किसी को भी हो सकता है। इससे बचे रहने के कुछ आसान उपाय हैं और हो जाने पर पूरा इलाज-जिसे बीच मझधार में छोड़ने से मामला बिगड़ सकता है। पुरानी दाद हठी हो जाती है और आसानी से पीछा नहीं छोड़ती।
दाद को रिंगवर्म क्यों कहा जाता है ?
दाद कुछ जातियों के फफूंद से पैदा होनेवाला रोग है। यह फफूंद हैं – टीनिया माइक्रोस्पोरम और केंडिडा, जिनकी कई प्रजातियाँ हैं। इनके त्वचा की बाहरी तह पर उगने से ही दाद होती है। रिंगवर्म तो भ्रम में रखा गया नाम है। यह भ्रम दाद के रूप-व्यवहार से उपजा है। उसका गोलाकार घेरा जब आकार में बढ़ता है, तो उसका अंदर का हिस्सा साफ होता जाता है। इसे देखकर ही इसे रिंगवर्म का नाम दे दिया गया।
रिंगवर्म होने के कारण (Ringworm Causes in Hindi)
दाद होती कैसे है ?
- दाद की छूत या तो किसी मरीज के संपर्क में आने से या हवा में उड़कर आए उसके कणों से या पालतू जीव-जंतुओं से-जिन्हें यह छूत पहले से ही हो-खेलने या छूने पर होती है।
- किसी के सिर में दाद हो तो उसकी कंघी और हेयरबैंड इस्तेमाल करने से भी एक दूसरे को हो सकती है।
- नमी वाले स्थानों में यह छूत लगने की अधिक संभावना होती है। इसीलिए स्वीमिंग पूल और सार्वजनिक स्नानघरों में इसके होने का डर अधिक होता है।
- दूसरे का तौलिया, टोपी, जुराब पहनने से भी यह हो सकती है।
- कुत्ते और बिल्ली और उनके बच्चे तथा घोड़े, गाय और भैंस भी यह छूत दे सकते हैं।
दाद शरीर के किस-किस अंग में हो सकती है ?
- यों तो शरीर का कोई भी अंग इससे छूटा नहीं है, लेकिन शरीर के उन अंगों में जिनमें पसीना जमा रहता है और खाल आपस में रगड़ खाती रहती है, दाद के होने की संभावना अधिक होती है। जाँघ, काछ, बगल, गर्दन और अँगुलियों के बीच इसीलिए दाद अधिक पाई जाती है।
- बच्चों में सिर की दाद भी पाई जाती है, पर यह प्रायः तरुण अवस्था से पहले-पहले ही होती है।
- कुछ लोगों में दाद नाखून में भी हो जाती है, जिससे नाखून अपनी चमक खो देते हैं, मोटे और खुरदुरे हो जाते हैं और आसानी से टूटने लगते हैं।
क्या हर कोई दाद से पीड़ित हो सकता है ?
हाँ, लेकिन मोटे लोगों में, मधुमेहियों में और खिलाड़ियों में यह अधिक होती है। इन लोगों में अलग-अलग कारणों से फफूंद को उगने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं, जिससे दाद हो जाती है।
रिंगवर्म के लक्षण (Ringworm Symptoms in Hindi)
दाद होने पर त्वचा में क्या परिवर्तन नजर आते हैं ?
- बदन पर दाद गोल, लाल या सफेद चकत्ते के रूप में शरू होती है। आरंभ में यह चकत्ता छोटा होता है। बाद में यह चारों ओर बढ़कर फैलने लगता है। कुछ समय के बाद इस चकत्ते के बीच का केंद्र त्वचा के रंग का हो जाता है। फिर एक गोल घेरा-सा दिखाई देने लगता है। इसमें खुजली बहुत होती है।
- सिर की दाद में छूत बाल की जड़ में होती है, जिससे बाल ढीला हो जाता है और गिर सकता है।
- सिर में खुजली भी होती है, दाने निकल आ सकते हैं और कभी-कभी सूजन हो जाती है। मवाद पैदा होने का भी डर होता है।
- सिर पर भूरे रंग के गोल क्षेत्र दिखने लगते हैं, जहाँ बाल उड़े हुए होते हैं।
- पैर की अंगुलियों की दाद में अँगुलियों के बीच की जगह गली हुई नजर आती है, जैसे कोई घंटों पानी में खडा रहा हो। इससे त्वचा कट जाती है और दर्द होने लगता है।
- लेकिन प्रमुख लक्षण खुजलाहट होती है। इसे ही ‘एथलीट फुट’ कहा जाता है।
- नाखूनों में दाद होने पर नाखून अपनी चमक खो देते हैं, मोटे और खुरदुरे हो जाते हैं और आसानी से टूटने लगते हैं।
रिंगवर्म से बचने के उपाय (Prevention of Ringworm in Hindi)
दाद से बचने के क्या उपाय हैं ?
कुछ सरल उपाय दाद से बचाव करने में सहायक हैं –
- रोजाना सुबह और शाम साबुन लगाकर स्नान करें ताकि फफूंद बदन पर ठिकाना न बना सके।
- स्नान के बाद बदन ठीक से पोंछ कर वस्त्र धारण करें।
- बगल, काछ और जाँघ के क्षेत्र में टैलकम पाउडर बुरक लेने से त्वचा रगड़ खाने से और पसीने में भीगने से बचेगी।
- गरमी और बरसात में सूती, खुले, हवादार वस्त्र धारण करने में समझदारी है।
- जाँघिया, बनियान और जुराबें ऐसी होनी चाहिए कि पसीने को सोख सकें, नम न रहें। नायलॉन की बजाय सूती अंगवस्त्र पहनना इसीलिए बेहतर है।
- उमस-भरे मौसम में खासकर ध्यान दें कि पसीना शरीर के किसी भाग में जमा न रहे।
- हमेशा अपना ही कंघा, हेयरबैंड, टोपी और साफ-सुथरे अंगवस्त्र इस्तेमाल करें।
- घर में किसी को दाद हो जाए, तो उसका तुरंत इलाज कराएँ।
- जिन लोगों के घर में पालतू जानवर हैं, उन्हें उनके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना चाहिए और दाद हो जाने पर पशु-चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
रिंगवर्म का इलाज (Ringworm Treatment in Hindi)
क्या दाद का इलाज मुश्किल है ?
- नहीं, ठीक से इलाज लेने पर दाद बहुत जल्द नियंत्रण में आ जाती है। पर न तो इलाज अपने से शुरू करना चाहिए, न ही उसे बीच में छोड़ना चाहिए।
- सौ मर्ज की एक दवा बेटनोवेट दाद का इलाज नहीं है। इसीलिए इसे आजमाना अनुचित है।
- बीच में इलाज छोड़ देना भी उचित नहीं है। इससे फफूंद भीतर बची रह जाती है और परिस्थितियाँ अनुकूल पाते ही दाद फिर से हो जाती है।
- दाद से छुटकारा दिलाने में कई दवाएँ प्रभावशाली हैं। क्लोट्राइमाजोल (क्लोट्रीन, लोटरिल, माइकोबेन), टोलनेफ्टेट (टोलनाडर्म, टिनावेट, टिनाडम), माइकानजोल (केंडीस्टेट, डेक्टारीन, फंगीटॉप, माइकोजेल) और कीटोकोनाजोल (फंगीनोक, नीजराल) की मरहम और घोल सुबह-शाम लगाने से दाद के लक्षण बहुत जल्द हलके पड़ जाते हैं, पर ये दवा डॉक्टरी की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिये तथा दवा नियम से लगाते रहना जरूरी होता है।
- कुछ मामलों में त्वचा-विशेषज्ञ खाने के लिए ग्रिस्योफलबिन दवा लेने की सलाह भी देता है।
पूरा इलाज लेने से दाद बार-बार तंग नहीं करती और बिलकुल ठीक हो जाती है।
( और पढ़े – दाद खाज खुजली के घरेलू उपचार )
(अस्वीकरण : ऊपर बताए उपचार डॉक्टर की सलाह लेकर लेने है ।)