रोहितक लौह के फायदे और नुकसान – Rohitak Lauha in Hindi

Last Updated on March 13, 2021 by admin

रोहितक लौह क्या है ? (What is Rohitak Lauha in Hindi)

रोहितक लौह टेबलेट व चूर्ण (पाउडर) के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस आयुर्वेदिक औषधि का विशेष उपयोग लीवर (यकृत) और प्लीहा की वृद्धि , पीलिया, सूजन, डेंगू, पुराने विष्म ज्वर, जलोदर आदि रोगों के उपचार में किया जाता है। इसके सेवन से कमजोरी तथा अपचन की समस्या भी दूर होती है।

घटक और उनकी मात्रा :

  • रोहीतक (रोहीड़े) की छाल – 30 ग्राम,
  • हरड (हरीतकी) – 10 ग्राम,
  • बहेड़ा (विभीतक) – 10 ग्राम,
  • आंवला – 10 ग्राम,
  • सोंठ – 10 ग्राम,
  • काली मिर्च – 10 ग्राम,
  • पिप्पली – 10 ग्राम,
  • चित्रक मूल छाल – 10 ग्राम,
  • नागर मोथा – 10 ग्राम,
  • विंडग – 10 ग्राम,
  • लोह भस्म शतपुटी – 120 ग्राम

प्रमुख घटकों के विशेष गुण :

  1. रोहीतक : अनुलोमक, दीपन, कृमिघ्न (कृमिनाशक), यकृतू, प्लीहा शोधक, पित्तस्रावक।
  2. त्रिफला : चाक्षुष्य (आँख के लिए हितकर), सारक, बल्य, रसायन, कफ पित्त शामक।
  3. त्रिकटु : दीपन, पाचन, वात कफ नाशक।
  4. त्रिमद : वातकफ नाशक, अग्नि वर्धक, कृमिघ्न ।
  5. लोह भस्म : रक्त वर्धक, यकृत प्लीहा बलबर्धक, बृष्य (बल वीर्य वर्धक), रसायन।

रोहितक लौह बनाने की विधि :

सभी काष्टौषधियों का पृथक-पृथक वस्त्र पूत चूर्ण और लोह भस्म को मिलाकर एक घण्टा सतत् खरल करके सुरक्षित कर लें।

रोहितक लौह की खुराक (Dosage of Rohitak Lauha)

250 मि.ग्रा. से 500 मि.ग्रा. प्रात: सायं।

अनुपान : गोमूत्र, फलत्रिकादि क्वाथ, शीतल जल, छाछ (तक्र)।

रोहितक लौह के फायदे और उपयोग (Benefits & Uses of Rohitak Lauha in Hindi)

रोहितक लौह के कुछ स्वास्थ्य लाभ –

1). लीवर वृद्धि मिटाए रोहितक लौह का उपयोग

रोहितक लौह यकृत (लीवर) तिल्ली (प्लीहा) वृद्धि की अव्यर्थ औषधि है 250 से 500 मि.ग्रा. प्रातः सायं गोमूत्र, शरपुंखा क्वाथ या फलत्रिकादि क्वाथ से देने से अश्मवत् कठोर लीवर भी एक सप्ताह में कोमल होने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए दो से तीन मास तक सेवन करवाना आवश्यक है।

सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, पुनर्नवाष्टक क्वाथ, मण्डूर वज्रवटक, कुमार्यासव, रोहीतिकारिष्ट में से किन्हीं एक या दो कल्पों का प्रयोग भी करवाना चाहिए।

2). सूजन (शोथ) में रोहितक लौह के इस्तेमाल से फायदा

सूजन चाहे हृदय विकार जन्य, यकृत (लीवर) विकार जन्य अथवा वृक्क (किडनी) विकार जन्य हो रोहितक लौह सभी प्रकार के शोथ में उत्तम कार्य करता है। 250 से 500 मि.ग्रा. पुनर्नवाष्टक क्वाथ से देने से तीसरे दिन में ही लाभ दृष्टिगोचर होने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए तीन से छ: सप्ताह तक प्रयोग करवायें।

सहायक औषधियों में शोथारी मण्डूर, आरोग्य वर्धिनी वटी, मण्डूर वज्रवटक, सर्वतोभद्रा वटी, प्रभाकरवटी, सूक्ष्मैलादि चूर्ण, विश्वेश्वर रस, योगोत्तमा वटी, श्वेत पर्पटी में से मूल रोगानुसार किसी एक या दो का प्रयोग करवाए।

3). प्लीहा वृद्धि दूर करने में रोहितक लौह फायदेमंद

रोहितक लौह यकृत वृद्धि एवं प्लीहा वृद्धि की प्रमाणित औषधि है, इसका धैर्य पूर्वक सेवन रोगी को इस कठिन रोग से राहत दिलाता है। 500 मि.ग्रा. रोहितक लौह, गोमूत्र 25 मि.लि. जल 25 मि.लि. में मिलाकर प्रातः सायं देने से एक सप्ताह के भीतर लाभ मिलने लगता है। क्षुधा जागृत हो जाती है, मल, मूत्र सम्यक्तयः प्रवृत्त होने लगते हैं, सूजन यदि हो तो वह भी कम हो जाता है। पूर्ण लाभ के लिए तीन से छ: मास तक चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनीवटी, पुनर्नवादि मण्डूर मण्डूर, वज्रवटक, शुक्तिक्षार, पुनर्नवादिक्षार, पुनर्नवाष्टक क्वाथ इत्यादि में से किसी एक या दो उपयुक्त औषधि का प्रयोग करवाएँ।

4). जलोदर में रोहितक लौह के इस्तेमाल से फायदा

रोहितक लौह का उपयोग यकृत (लीवर) जन्य जलोदर में सफलता पूर्वक होता है। 250 से 500 मिग्रा, पुनर्नवाष्ट क्वाथ के साथ दिन में दो बाद दे ।

सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, श्वेतपर्पटी, अन्य मूत्रल औषधियां सेवन करवाने से एक सप्ताह में जलोदर शान्त हो जाता है, यदि सम्भव हो सके तो भारतीय गाय का ताजा गोमूत्र 20 मिलि. बराबर जल मिलाकर अनुपान के रूप में पिलाने से सुनिश्चित लाभ होता है। चिकित्सावधि न्यूनातिन्यून चालीस दिन।

आयुर्वेद ग्रंथ में रोहितक लौह के बारे में उल्लेख (Rohitak Lauha in Ayurveda Book)

रोहीतक समायुक्तं त्रिकत्रय युतन्त्वयः ।
प्लीहानमन मासंच शोथहन्तिन संशयः॥

-भैषज्यरत्नावली (प्लीहयकृद्रोगाधिकार 117)

रोहितक लौह के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ (Rohitak Lauha Side Effects in Hindi)

  • रोहितक लौह लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • रोहितक लौह को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  • यदि सेवन काल में अतिसार हो जाए तो इसका प्रयोग स्थगित करके, दोबारा सेवन करवाएँ।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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