सदाबहार के औषधीय गुण और फायदे

Last Updated on August 3, 2021 by admin

सदाबहार को हिन्दी भाषा में सदाफूली एवं सदासुहागन तथा अंग्रेजी भाषा में पेरिविंकल के नाम से जाना जाता है। इसके पौधे में बारहों महीने फूल आने की वजह से इसको बारहमासी भी कहा जाता है।

सदाबहार के गुण (Sadabahar ke Gun in Hindi)

  • सदाबहार में कैंसर-रोधी एवं मधुमेह-नाशक औषधीय गुणों के साथ-साथ शारीरिक चर्बी एवं माँस को प्रबंधित करते हुए वजन नियंत्रित करने की क्षमता भी पाई जाती है।
  • सदाबहार की जड़ का उपयोग पेट की टॉनिक के रूप में किया जाता है ।
  • मेनोरेजिया रोग (पीरियड्स के दौरान पेट में तेज दर्द और हैवी ब्लीडिंग) के उपचार में सदाबहार की पत्तियों का सत्व उपयोग में लाया जाता है।
  • सदाबहार कब्ज तथा पेट के अन्य रोगों में लाभप्रद है।
  • मुंह व नाक से होने वाले रक्त स्राव में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
  • अंगों की जकड़न दूर करने में सदाबहार का इस्तेमाल उपयोगी बताया गया है।
  • गले के दर्द, टांसिल्स में सूजन, स्कर्वी, दस्त, रक्त स्राव आदि में भी सदाबहार फायदेमंद होता है।

सदाबहार के प्रकार :

सदाबहार की दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सदाबहार के एक प्रजाति वाले पौधे में सफेद रंग के फूल आते हैं जबकि दूसरी प्रजाति के पौधे में बैंगनी रंग के फूल आते हैं। दोनों ही प्रजाति की सदाबहार के पौधों में औषधीय गुण पाये जाते है।

सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों का उपयोग मधुमेह की चिकित्सा हेतु किया जाता है जबकि सफेद रंग के फूलों का उपयोग चर्बी एवं माँस को प्रबंधित करते हुए वजन कम करने के लिये किया जाता है। इसके प्रयोग द्वारा हृदय को मजबूती मिलने के साथ-साथ माँस-पेशियों की अकड़न-जकड़न भी कम होती है।

रोगोपचार में सदाबहार के फायदे (Benefits of Sadabahar in Hindi)

1). सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों द्वारा मधुमेह रोग की चिकित्सा –

सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों में स्थित औषधीय गुणों का इस्तेमाल करते हुए मधुमेह पर नियंत्रण करने की प्रक्रिया भारत, श्रीलंका एवं दक्षिणी अफ्रीका सहित अन्य देशों में प्रचलित है। मधुमेह रोग की चिकित्सा व्यवस्था सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों के माध्यम से करने के लिये विधि इस प्रकार है –

  • सुबह-सुबह जल्दी उठकर सदाबहार के बैंगनी रंग के सात-आठ फूल तोड़ लेवें तथा उबलते हुए पानी से चाय वाले दो कपों को आधा-आधा भरके एक कप में सदाबहार के बैंगनी रंग के सात-आठ फूल डालकर दोनों कपों पर ढक्कन लगाकर पाँच मिनट के लिये छोड़ देवें।
  • पाँच मिनट बाद सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों वाले कप का ढक्कन हठाकर कप में स्थित पानी को घूंट-घूंट करके अर्थात् सिप-बाय-सिप पी लेवें तथा बाद में कप के अन्दर पड़े हुए फूलों को निकालकर धीरे-धीरे चबा लेवें।
  • फूलों को चबाने के बाद दूसरे कप का ढक्कन उठाकर कप में स्थित गर्म पानी को घूंट-घूंट करके अर्थात् सिप-बाय-सिप करके पी लेवें।
  • सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी का प्रयोग सुबह खाली पेट
    करना चाहिए तथा पानी पीने के बाद दस-पन्द्रह मिनट तक कुछ भी खाएँ-पीएँ नहीं।
  • सुबह-सुबह खाली पेट सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी को
    घूंट-घूंट करके पीने की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अपने रक्त एवं मूत्र में शर्करा का स्तर जंचवा लेवें।
  • इस प्रक्रिया को अपनाने के दौरान अपने आहार-विहार को प्रकृति सम्मत बनाने का प्रयास भी जारी रखें।
  • इस प्रक्रिया को अपनाते समय एलोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही दवाइयाँ यथावत जारी
    रखें।
  • इस प्रक्रिया का प्रयोग लगभग पन्द्रह दिन तक करने के बाद अपने रक्त एवं मूत्र में शर्करा के स्तर को दुबारा जंचवा लेवें।
  • रक्त एवं मूत्र में शर्करा का स्तर सामान्य पाये जाने पर इस प्रक्रिया को दस-पन्दह दिन तक बन्द
    रखकर दुबारा जाँच करवावें। जाँच के परिणाम सामान्य पाये जाने पर कुछ नहीं करना है।
  • मगर जाँच के परिणामों में शर्करा का स्तर असामान्य पाये जाने पर अगले पन्द्रह दिनों तक सुबह-सुबह खाली पेट सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी को
    घूंट-घूंट करके पीने की प्रक्रिया अपनावें।
  • सुबह-सुबह खाली पेट सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी को
    घूंट-घूंट करके पीने की प्रक्रिया अपनाने के पंद्रह दिन बाद अपने रक्त एवं मूत्र में शर्करा का स्तर जंचवा लेवें।
  • रक्त एवं मूत्र में शर्करा के स्तर की जाँच से प्राप्त परिणामों की आवश्यकता के अनुसार एलोपैथी
    चिकित्सकों द्वारा दवाइयों में बदलाव किया जावेगा।
  • उनके मार्गदर्शन के अनुसार दवाइयाँ लेते हुए सदाबहार के फूलों की प्रक्रिया जारी रखें।
  • रक्त एवं मूत्र में शर्करा के स्तर की जाँच के परिणाम लागातार सामान्य मिलने पर एलोपैथी
    चिकित्सकों से सलाह मशविरा करें।
  • उनकी सलाह के अनुसार दवा जारी रखें अथवा बन्द करें।
  • कुछ दिनों बाद रक्त एवं मूत्र में शर्करा के स्तर की पुनः जाँच करवाएँ। जाँच के परिणामों के बारे
    में एलोपैथी चिकित्सकों से सलाह मशविरा करें।
  • आवश्यकता होने पर उनकी सलाह के अनुसार दवाइयाँ लेते हुए सदाबहार के फूलों की प्रक्रिया को पुनः शुरु करें तथा कुछ दिनों बाद पुनः जाँच करवाएँ।

2). सदाबहार के बैंगनी रंग के फूलों द्वारा वजन कम करने का उपाय –

सदाबहार के सफेद रंग के फूलों में स्थित औषधीय गुणों का इस्तेमाल करते हुए शरीर की चर्बी एवं माँस को प्रबंधित करके वजन कम करने हेतु –

  • सुबह-सुबह जल्दी उठकर सदाबहार के सफेद रंग के सात-आठ फूल तोड़ लेवें। अच्छी तरह से उबलते हुए पानी से चाय वाले दो कपों को आधा-आधा भरकर एक कप में सदाबहार के सफेद रंग के सात-आठ फूल डालकर दोनों कपों पर ढक्कन लगाकर पाँच मिनट के लिये छोड़ देवें।
  • पाँच मिनट बाद सदाबहार के सफेद रंग के फूलों वाले कप का ढक्कन हटाकर कप में स्थित पानी को घूंट-घूंट करके अर्थात् सिप-बाय-सिप पीने के बाद कप के अन्दर बचे हुए फूलों को निकालकर धीरे-धीरे चबा लेवें।
  • फूलों को चबाने के बाद दूसरे कप का ढक्कन हठाकर कप में स्थित सादे गर्म पानी को घूंट-घूंट करके अर्थात् सिप-बाय-सिप करके पी लेवें।
  • सदाबहार के सफेद रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी का प्रयोग सुबह खाली पेट करना चाहिए तथा पानी पीने के बाद दस-पन्द्रह मिनट तक कुछ भी खाएँ-पीएँ नहीं।
  • सुबह-सुबह खाली पेट सदाबहार के सफेद रंग के फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी को घूंट-घूंट करके पीने की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अपने शरीर में चर्बी का स्तर एवं वजन की जाँच करवा लेवें।
  • सदाबहार के सफेद रंग के फूलों को उबलते हुए गर्म-गर्म पानी के साथ पीने की प्रक्रिया को अपनाने के दौरान अपने आहार-विहार को प्रकृति सम्मत बनाने का प्रयास भी जारी रखें।
  • इस प्रक्रिया का प्रयोग लगभग पन्द्रह दिन तक करने के बाद अपने शरीर में चर्बी का स्तर एवं वजन की जाँच दुबारा करवा लेवें।
  • शरीर में चर्बी का स्तर एवं वजन का स्तर सामान्य पाये जाने पर इस प्रक्रिया को दस-पन्द्रह दिन तक बन्द रखकर दुबारा जांच करवावें।
  • जाँच के परिणाम सामान्य पाये जाने पर कुछ नहीं करना है ।
  • मगर जाँच के परिणामों में शरीर की चर्बी का स्तर एवं वजन का स्तर असामान्य पाये जाने पर अगले पन्द्रह दिनों तक सुबह-सुबह खाली पेट सदाबहार के सफेद फूलों से उपचारित पानी एवं सादे गर्म पानी पीने को घूंट-घूंट करके पीने की प्रक्रिया को अपनाने के बाद अपने शरीर में चर्बी का स्तर एवं वजन का स्तर जंचवा लेवें।
  • आवश्यकता होने पर प्रक्रिया जारी रखें अन्यथा बन्द कर देवें।

3). उच्च रक्तचाप में सदाबहार के लाभ –

सदाबहार के मूल (जड़) में स्पार्टिन तथा अजमिलसिन नाम के तत्व पाए जाते हैं, जिनके गुण उच्च रक्तचाप के उपचार में बहुत फायदेमंद होते हैं। सदाबहार की जड़ को प्रातः काल चबा-चबा कर खाने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है ।
नोट :- अगर सदाबहार के साथ सर्पगंधा औषधि की जड़ का भी उपयोग किया जाए तो परिणाम ज्यादा अच्छे प्राप्त होते है।

4). डिप्थीरिया रोग के इलाज में सदाबहार के फायदे –

सदाबहार की पत्तियों में विंडोलीन नामक तत्व पाया जाता है जो डिप्थीरिया (रोहिणी) रोग के जीवाणुओं को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाता है ।

5). विष उपचार में लाभकारी है सदाबहार का प्रयोग –

सदाबहार की पत्तियों व जड़ का उपयोग ततैया, मधुमक्खियों, बिच्छु तथा कीट पतंगों के विषनाशक के रूप में किया जा सकता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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